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पापा के साथ हनीमून नैनीताल में


मेरी मा जब मई 7 साल की थी तभी गुज़र गयइ..घर पर दादा दादी भी नही थे. पापा ने हे मुझे पाल पॉस क्र बड़ा किया था. पता नही कब और कैसे मई उनकी तरफ आकर्षित होती गयी. वो तो मुझे अपनी बेटी हे समझते थे पर मई उन्हे पिता नही पति समझती थी.अआकेले मे उनके बारे मे सोच क्र हर रात अपनी छूट मे उंगली किया करती थी. मई चाहती थी की पापा मुझे रग़ाद के छोड़े और मेरे बुवर को फाड़ दे..
मैने मान हे मान फ़ैसला किया की किसी भी तरह क्यो ना हो, मैं पापा के साथ सुहग्रत माना क हे रहूंगी..एक दिन पापा से कहा” पापा कितने साल से हम कही घूमने नही गये. कही चलिए ना” पापा ने कहा ” ठीक है पर अरेंज्मेंट्स तुम ही करो, मेरे पास इन चीज़ो क लिए समय नही है”
मैने भी अरेंज्मेंट्स कर ली. नैनीताल का 3 दिन का ट्रिप फिक्स कर ली. और वाहा होटेल लीला पॅलेस मे भी 1 कमरा बुक करवा लिया.. हम 2 दिन बाद सुबह नैनीताल पहुँचे. होटेल पहूच कर पापा चौंक गये क कमरा तो सिंगल बेड का हे था. वो कमरा जेया रहे थे चेंज करने लेकिन मैने उन्हे रोक दिया और बोला अड्जस्ट कर लेंगे. हम फ्रेश होकर घूमने निकले. मैने वाहा एक माल देखा और पापा से कहा की पापा चलिए मुझे वेस्टर्न ड्रेसस खरीदने हैं.
पापा- तुम ऐसे कपड़े नही पहनोगी.
मैं- क्या पापा आज तक मैने कभी नही पहने पेअलसे अलो क्रिए ना
पापा- ओक लेकिन कानपुर मे मत पहनना..यही पहनो जीतने दिन हो यहा.
मैने कुच्छ कपड़े खरीद लिए और पापा को बोला हलिए होटेल रूम मे. मई रूम मे आकर कहा पापा मई इन्हे ट्राइ काएर क दिखती हू आपको..पहले मैने ब्लू टॉप और ब्लू टाइट जीन्स पहनी बातरूम मे और बहराई.. पापा मुझे घूरते हे रह गये.उन्होने कहा तुम तो सच मे बड़ी हो गयी हो पूजा बेटा. मैने पहली बार उनकी नज़रो मे हवस महशुस किया और मेरी हिम्मत बढ़ गयी.
फिर मैने 1 पीस मिनी स्कर्ट पहन क आई इश्स बार तो पापा जैसे की शोक लग गया हो वो मुझे देखते रहे. मैने पुचछा कैसी लग रही हू.
पापा- बहूत सनडर लग रही हो..
मैने उनकी पेंट मे उनके लंड को टाइट होते देख लिया मैने सोच लिया ब्स यही मौका है,अभी नही तो कभी नही.
मई फिर अंदर गयइ और इश्स बार स्कर्ट उत्तर दिया और केवल ब्रा और पनटी मे ही बाहर आ गयी..
पापा- ये क्या है बेटी
मैं- क्यो अच्छी नही लग रही हू क्या?
पापा- हा..ल्ग..ल्ग..र्ररर.हहिईिइ हूऊ..
मई उनके पास आकर बैठ गयी.पापा मेरे बूब्स को घूर घूर क देख रहे थे.. मैने आव ना देखा ताव बस उनको किस कर लिया धीरे से. वो सहम गये
और कहने लगे ये ठीक न्ही..
मैं- क्यो ठीक नही?
पापा- क्योंकि तुम मेरी बेटी हो. और बाप बेटी का ऐसा रिश्ता ठीक नही.
मैं- आप 1 मर्द हैं जिसे प्यार की ज़रूरत है और मई एक औरत … एक आदमी और औरत क बीच सब सही होता है..
पापा- नही ये सही नही
मैं- पापा मई आपसे ना जाने काब्से प्यार करती हू. ई लोवे उ पापा, ई रेआली लोवे उ.
यह कह कर मई उनसे लिपट गयी और उनके पूरे जिस्म को पागलो जैसे चूमने लगी. पापा ने भी मुझे ज़ोर से पकड़ लिया और मुझे किस करने लगे. उन्होने मुझे 10 मीं तक फ्रेंच किस किया. मेरे बदन मे मानो आग लग गयी थी. मॅन मचल रहा था चूड़ने क लिए..
छूट पूरी तरह गीली हो गयी थी. मई झट से झुकी और पापा की पेंट निकल कर उनके लंड को आज़ाद क्र दिया. बाप रे एकद्ूम कला 8 इंच का था. उसको मैं चूसने ल्गी. पापा की सिसकिया निकल उठी.
पापा- आ ..उम्म्म… बेटी ….ये क्या..ह्म्‍म्म्म …क्या…ये क्र….र्ही हो… बहोट अच्छा ल्ग रा है…
मई लगभग आधे घन्ते ट्के उनका काला लंड चुस्ती रही और वो मेरे मूह मे हे झाड़ गये.
फिर उन्होने मुझे उठा क्र बिस्तर पर लेता दिया और मेरी ब्रा खोल दी..
पापा- कितने बड़े बड़े हैं ये तुम्हारा चूची
.- आप हे की है..सारा दूध पी जाइए
पापा- ह्म…
और पापा उन्हे दबाने और चूसने लगे..
मैं- सस्शह!!!!! सस्स्स्सस्स!!!
थोड़ी देर क3 बक़ड़ पापा ने मेरी पनटी उतार क फेंक दी और मेरी छूट को सहलाने ल्क़्गे और क्क़्ने लगे आज पूरे 13 साल क बाद कोई छूट देखी है. आज तो बेटी तुझे खूब छोड़ूँगा. क्क़् कर वो मेरी चूत को लगे चाटने. मेरी तो पूरे बदन मे आग सी लग गयी थी. मुझे मानो स्वर्गका सुख मिल रहा था.
मैं- छातिए और छातिए…सस्सस्स अया ह्म और प्ल्स…. आज आप बेटीचोड बन जाइए…
पापा- हा मई बेटीचोड़ हू. और तुम्हे ज़िंदगी भर चोदुन्गा .तुम्हारी शादी भी अब मुझसे हे होगी.
मैं- तो देर क्यो क्र रहे हो पातिदेव चोदो मुझे. मुझे शांत कर दो.
मेरी ये बाते सुन कर पापा जैसे उच्छल पड़े उन्होने अपना लंड मेरी छूट क3 पास लाकर रगड़ना शुरू कक़्र दिया. मैं मचल उठी.
मैने कहा सिर्फ़ रागडोगे या छोड़ोगे भी?
पापा ने मेरा हाथ अपने हाथ से कस क3 पकड़ लिया. और 1 ही झटके मे पूरा का पूरा लंड अंदर घुसा दिया. मेरी आँख से आँसू निकल पड़े और मूह से चीख..चीख सुनते हे पापा ने मुझे किस करना शुरू क्र दिया और धीरे धीरे धक्के मरने लगे. कुच्छ देर क बाद मानो मेरा सारा दर्द 1 असीम आनंद मे तब्दील हो गया था. वो धीरे धीरे करने लगे. मई भी अब पूरी तरह उनका साथ देने लगी.
मैं- आ
पापा….आह…आआआअहह….माआआअ…ह्म्‍म्म्मम.ह्म्‍म्म्मम…आहह…सस्स्स्स्स्स्स्शह…..आआअहह…ओरज़ोर से ….एयाया ….और ज़ोर से…
पापा- हा बेटी …तुम तो एकद्ूम रंडियों जैसी आवाज़ निकल रही हो.
पापा ने धक्के ज़ोर ज़ोर मरने शुरू कर दिए…
मैं- हा मई रंडी हू. आप की रखैल हू. रंडी हू आपकी. जो भी हू बस आपकी हू. ई लोवे उ जान
मेरे मूह से अपने जान सुन क्र उन्होने लगातार ज़ोर ज़ोर से धकके मरने शुरू क्र दिए..
मैं-आ….ऊहह….ह्म्‍म्म्मम.एम्म…..आअहह….ह्म…
पापा ने अपना सारा लोड मेरे चूत मे हे झाड़ दिया. मुझे पूरा संतुष्ट कर दिया था पापा ने..
चुपके उन्होने मेरे कान मे कहा बेटी आई लव उ. क्या मुझसे शादी करोगी??
मैं- हन.
पापा- हम देल्ही चले जाएँगे जहा हमे कोई न्ही जनता, तुम मेरी पत्नी बन क रहोगी. और मई किसी भी स्कूल मे पढ़ा लूँगा. मैने खुशी के मारे उन्हे गले लगा लिया और रोने ल्गी..वो खुशी क आँसू थे.
उन्होने मुझे 3 दीनो मे कई बार छोड़ा और कानपुर आकर भी छोड़ा..
अब देल्ही मे रहते है हम, और मई प्रेगञेन्ट भी हू…
सो फ्रेंड्स, ये थी कहानी पूजा की उसीकि ज़ुबानी.. होप आपको ये पसंद आई हो..
Anonymous
ram naresh Web Developer

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