गरम प्रतिमा भाभी
जब मैं बिहार में मोतिहारी में रहता था तब कॉलेज़ में था तब मेरे मकान मालिक की बहु जो बांझ थी उसका नाम प्रतिमा ठाकुर था। वो थी तो पतली दुबली मगर थी मस्त भौजाई ! ऐसी भौजाई जिसका कोई जवाब नहीं है। यह तब की बात है जब मैंने अपने जीवन में सेक्स को महसूस किया था। मोतिहारी में स्कूल जाते वक्त मैं अक्सर बुकस्टाल पर रुकता था और वहां पर रखी किताबें देखता था। उसमें मुझे खासकर हिंदी में आज़ादलोक, अंगड़ाई, हवस की कहानियाँ, मस्तराम मौलाना, जैसी किताबें देखता था, कभी लेने की हिम्मत नहीं पड़ती थी।
मेरा एक दोस्त था संजय ! उसके साथ एक बार मैं उसके घर गया। वहाँ उसने मुझे वो किताब पढ़ने को दी। मैंने उसको घर में छिप कर पढ़ी, मुझे अच्छी लगी, मेरा लंड खड़ा हुआ, दर्द हुआ और बहुत कुछ। कुछ दिनों में मैंने किताबें पढ़नी चालू कर दी और खरीदी भी। तब मुझे लंड, बुर, चूची, मम्मे, गाण्ड जैसे चीज़ें पता चली और मेरा औरतों और लड़कियों को देखने का नज़रिया बदला, क्योंकि इसके पहले सब बहनें ही बनाता था। बस यहीं से कहानी शुरू होती है।
हमारे घर में वीसीआर था और हमारे मकान मालिक के बड़े बेटे से खूब दोस्ती थी और वो हमारे घर में पिक्चर देखते थे।
एक दिन मैं एक पिक्चर लाया। अंग्रेज़ी फ़िल्म थी 'स्पैस्म' ! उसमें तीन नग्न दृश्य थे। मुझे मालूम था कि अंग्रेज़ी फ़िल्म में सेक्स और चुम्बन तो होता ही है पर प्रतिमा भाभी को नहीं पता था। मैं घर आया तो मम्मी नहीं थी घर की चाभी भाभी के पास थी। मम्मी बाज़ार गई थी। मैंने खाना लिया और वीसीआर पर पिक्चर लगाने लगा।
तब भाभी बोली- क्या लगा रहे हो मिंटु ?
मैं- ईंगलिश पिक्चर है स्पैस्म ! साँपों की पिक्चर है।
भाभी- नागिन जैसी है क्या?
मैं- नहीं भाभी, इसमें एक नाग है जिसके तीन फन हैं जो सबको मारता है।
भाभी- मैं भी देख लूं?
मैंने कहा- नहीं आप मत देखो ! कहीं डर गई तो ? कभी कभी कुछ अनाप शनाप होता है।
भाभी बोली- जब तुम नहीं डरोगे तो मैं क्यों डरुंगी? चलो लगाओ।
मैंने फ़िल्म लगाई और खाना खाते हुए फ़िल्म देखने लगा। तभी फ़िल्म में एक बाथ सीन आया जिसमे एक लड़की नंगी नहा रही थी और साँप आता है और उसको मार देता है। उसमें सांप ने लड़की की चूची पर काटा है।
देख भाभी बोली- हटाओ गंदी फ़िल्म है !
मैंने कहा- नहीं भाभी ! आप जाओ यह एडवेंचर मूवी है !
भाभी बोली- यह कैसी फ़िल्म है, जिसमें लड़की नहा रही है और नंगी?
मैंने कहा- भाभी जाओ यार ! मुझे देखने दो !
भाभी गई नहीं और देखने लगी।
15 मिनट में फिर एक चुम्बन दृश्य आया, भाभी कुछ नहीं बोली और आधे घंटे में एक नग्न चुम्बन दृश्य आया। फिर भी भाभी ने पूरी फ़िल्म देखी।
अन्त में भाभी डर भी गई जब साँप को मारते हैं।
फ़िल्म देख के भाभी बोली- हाय मिंटु बाबु ! कितनी गंदी फ़िल्म थी, ऐसी फ़िल्म मत देखा करो !
पर भाभी आँखें नहीं मिला रही थी। बात आई गई हो गई।
कभी कभी भाभी मुझे पढ़ाती भी थी, एक दिन बायोलोजी याद कर रहा था और फ़्रोग सेक्स चैप्टर था। भाभी पढ़ा रही थी और जो ब्लाउज पहने थी वो सफ़ेद रंग का था, बिल्कुल भाभी की तरह सफ़ेद, गोरा, उजला। ब्लाऊज़ पर चिकन कढ़ाई थी जिसमें छेद छेद होते हैं। वो नीचे ब्रा नहीं पहने थी और मुझे उसमें से उनके चुचूक दिख रहे थे।
मैंने भाभी से पूछा- भाभी, सेक्स माने क्या होता है और इससे मेंढक बच्चे कैसे पैदा कर देते हैं?
भाभी घबरा गई और संभल कर बोली- यह एक क्रिया है जो वो करते हैं जिसके बाद मेंढक अंडे देता है।
मैंने पूछा- यह कैसे होता है?
भाभी बोली- किताब में पढ़ो, सब लिखा है।
मैंने पूछा- क्या आदमी भी सेक्स करके अंडे देता है?
भाभी हँसी- नहीं पागल, औरतें बच्चे पैदा करती हैं और मेरे गाल पर नौच लिया, बोली- बड़े बेवकूफ़ हो यार।
मैंने कहा- भाभी, बताइये ना कि कैसे आदमी सेक्स करता है।
भाभी बोली- धत्त ! यह भी पूछा जाता है ? जब तू बड़ा होगा तो तुझे पता चल जायेगा।
मैंने कहा- भाभी आप ने क्या सेक्स नहीं किया ? आपकी तो शादी हो चुकी है पर आपने बच्चा नहीं दिया है।
भाभी भौंचक्की रह गई और उनके चेहरे पर दुःख आ गया और वो नीचे चली गई।
मैंने उनको एक हफ़्ते नहीं देखा और जब पढ़ने गया तो उनके नौकर ने वापस कर दिया।
फिर एक दिन मैं एक फ़िल्म ' नाईटमेयर ऑन एल्म स्ट्रीट' लाया। मैंने भाई साहब को बुला लिया साथ में भाभी भी आई।
सर्दी के दिन थे हम सब बिस्तर में थे।
अलग पलंग पर सब थे, भाभी मेरे और भाईसाहब के बीच थी। हम सब फ़िल्म देख रहे थे और बीच में भाभी सो गई और रज़ाई में ही उनकी टांगों पर से साड़ी हट गई। मैं फ़िल्म देख रहा था, मैंने लेटे लेटे करवट ली तो देखा भाभी सो रही है। मैं नीचे हुआ, मेरा पैर भाभी के घुटने से लगा मुझे भाभी का नंगा शरीर का आभास हुआ। मैंने हिम्मत कर पैर ऊपर किया, जांघों तक साड़ी आ चुकी थी। मैं हाथ अंदर कर भाभी की जांघों को सहलाने लगा।
भाभी गहरी नींद में थी, उनको पता नहीं चला पर मैं उनकी रानें सहलाते सहलाते झड़ गया और उठ कर बाथरूम गया कि मैंने पेशाब कर दी है पर वहां मैंने कुछ और देखा। पर जब मुड़ा तो देखा भाभी खड़ी थी और मुझे घूर रही थी। मैं घबरा गया।
तब भाभी आगे आई और मुझसे बोली- क्यों क्या हो रहा था? क्या हो गया है?
मैंने कहा- कुछ नहीं भाभी।
भाभी बोली- अभी मेरी टांगों पर सहला रहे थे, अभी तुम्हारी शिकायत करती हूं ! चलो।
जब मैं बिहार में मोतिहारी में रहता था तब कॉलेज़ में था तब मेरे मकान मालिक की बहु जो बांझ थी उसका नाम प्रतिमा ठाकुर था। वो थी तो पतली दुबली मगर थी मस्त भौजाई ! ऐसी भौजाई जिसका कोई जवाब नहीं है। यह तब की बात है जब मैंने अपने जीवन में सेक्स को महसूस किया था। मोतिहारी में स्कूल जाते वक्त मैं अक्सर बुकस्टाल पर रुकता था और वहां पर रखी किताबें देखता था। उसमें मुझे खासकर हिंदी में आज़ादलोक, अंगड़ाई, हवस की कहानियाँ, मस्तराम मौलाना, जैसी किताबें देखता था, कभी लेने की हिम्मत नहीं पड़ती थी।
मेरा एक दोस्त था संजय ! उसके साथ एक बार मैं उसके घर गया। वहाँ उसने मुझे वो किताब पढ़ने को दी। मैंने उसको घर में छिप कर पढ़ी, मुझे अच्छी लगी, मेरा लंड खड़ा हुआ, दर्द हुआ और बहुत कुछ। कुछ दिनों में मैंने किताबें पढ़नी चालू कर दी और खरीदी भी। तब मुझे लंड, बुर, चूची, मम्मे, गाण्ड जैसे चीज़ें पता चली और मेरा औरतों और लड़कियों को देखने का नज़रिया बदला, क्योंकि इसके पहले सब बहनें ही बनाता था। बस यहीं से कहानी शुरू होती है।
हमारे घर में वीसीआर था और हमारे मकान मालिक के बड़े बेटे से खूब दोस्ती थी और वो हमारे घर में पिक्चर देखते थे।
एक दिन मैं एक पिक्चर लाया। अंग्रेज़ी फ़िल्म थी 'स्पैस्म' ! उसमें तीन नग्न दृश्य थे। मुझे मालूम था कि अंग्रेज़ी फ़िल्म में सेक्स और चुम्बन तो होता ही है पर प्रतिमा भाभी को नहीं पता था। मैं घर आया तो मम्मी नहीं थी घर की चाभी भाभी के पास थी। मम्मी बाज़ार गई थी। मैंने खाना लिया और वीसीआर पर पिक्चर लगाने लगा।
तब भाभी बोली- क्या लगा रहे हो मिंटु ?
मैं- ईंगलिश पिक्चर है स्पैस्म ! साँपों की पिक्चर है।
भाभी- नागिन जैसी है क्या?
मैं- नहीं भाभी, इसमें एक नाग है जिसके तीन फन हैं जो सबको मारता है।
भाभी- मैं भी देख लूं?
मैंने कहा- नहीं आप मत देखो ! कहीं डर गई तो ? कभी कभी कुछ अनाप शनाप होता है।
भाभी बोली- जब तुम नहीं डरोगे तो मैं क्यों डरुंगी? चलो लगाओ।
मैंने फ़िल्म लगाई और खाना खाते हुए फ़िल्म देखने लगा। तभी फ़िल्म में एक बाथ सीन आया जिसमे एक लड़की नंगी नहा रही थी और साँप आता है और उसको मार देता है। उसमें सांप ने लड़की की चूची पर काटा है।
देख भाभी बोली- हटाओ गंदी फ़िल्म है !
मैंने कहा- नहीं भाभी ! आप जाओ यह एडवेंचर मूवी है !
भाभी बोली- यह कैसी फ़िल्म है, जिसमें लड़की नहा रही है और नंगी?
मैंने कहा- भाभी जाओ यार ! मुझे देखने दो !
भाभी गई नहीं और देखने लगी।
15 मिनट में फिर एक चुम्बन दृश्य आया, भाभी कुछ नहीं बोली और आधे घंटे में एक नग्न चुम्बन दृश्य आया। फिर भी भाभी ने पूरी फ़िल्म देखी।
अन्त में भाभी डर भी गई जब साँप को मारते हैं।
फ़िल्म देख के भाभी बोली- हाय मिंटु बाबु ! कितनी गंदी फ़िल्म थी, ऐसी फ़िल्म मत देखा करो !
पर भाभी आँखें नहीं मिला रही थी। बात आई गई हो गई।
कभी कभी भाभी मुझे पढ़ाती भी थी, एक दिन बायोलोजी याद कर रहा था और फ़्रोग सेक्स चैप्टर था। भाभी पढ़ा रही थी और जो ब्लाउज पहने थी वो सफ़ेद रंग का था, बिल्कुल भाभी की तरह सफ़ेद, गोरा, उजला। ब्लाऊज़ पर चिकन कढ़ाई थी जिसमें छेद छेद होते हैं। वो नीचे ब्रा नहीं पहने थी और मुझे उसमें से उनके चुचूक दिख रहे थे।
मैंने भाभी से पूछा- भाभी, सेक्स माने क्या होता है और इससे मेंढक बच्चे कैसे पैदा कर देते हैं?
भाभी घबरा गई और संभल कर बोली- यह एक क्रिया है जो वो करते हैं जिसके बाद मेंढक अंडे देता है।
मैंने पूछा- यह कैसे होता है?
भाभी बोली- किताब में पढ़ो, सब लिखा है।
मैंने पूछा- क्या आदमी भी सेक्स करके अंडे देता है?
भाभी हँसी- नहीं पागल, औरतें बच्चे पैदा करती हैं और मेरे गाल पर नौच लिया, बोली- बड़े बेवकूफ़ हो यार।
मैंने कहा- भाभी, बताइये ना कि कैसे आदमी सेक्स करता है।
भाभी बोली- धत्त ! यह भी पूछा जाता है ? जब तू बड़ा होगा तो तुझे पता चल जायेगा।
मैंने कहा- भाभी आप ने क्या सेक्स नहीं किया ? आपकी तो शादी हो चुकी है पर आपने बच्चा नहीं दिया है।
भाभी भौंचक्की रह गई और उनके चेहरे पर दुःख आ गया और वो नीचे चली गई।
मैंने उनको एक हफ़्ते नहीं देखा और जब पढ़ने गया तो उनके नौकर ने वापस कर दिया।
फिर एक दिन मैं एक फ़िल्म ' नाईटमेयर ऑन एल्म स्ट्रीट' लाया। मैंने भाई साहब को बुला लिया साथ में भाभी भी आई।
सर्दी के दिन थे हम सब बिस्तर में थे।
अलग पलंग पर सब थे, भाभी मेरे और भाईसाहब के बीच थी। हम सब फ़िल्म देख रहे थे और बीच में भाभी सो गई और रज़ाई में ही उनकी टांगों पर से साड़ी हट गई। मैं फ़िल्म देख रहा था, मैंने लेटे लेटे करवट ली तो देखा भाभी सो रही है। मैं नीचे हुआ, मेरा पैर भाभी के घुटने से लगा मुझे भाभी का नंगा शरीर का आभास हुआ। मैंने हिम्मत कर पैर ऊपर किया, जांघों तक साड़ी आ चुकी थी। मैं हाथ अंदर कर भाभी की जांघों को सहलाने लगा।
भाभी गहरी नींद में थी, उनको पता नहीं चला पर मैं उनकी रानें सहलाते सहलाते झड़ गया और उठ कर बाथरूम गया कि मैंने पेशाब कर दी है पर वहां मैंने कुछ और देखा। पर जब मुड़ा तो देखा भाभी खड़ी थी और मुझे घूर रही थी। मैं घबरा गया।
तब भाभी आगे आई और मुझसे बोली- क्यों क्या हो रहा था? क्या हो गया है?
मैंने कहा- कुछ नहीं भाभी।
भाभी बोली- अभी मेरी टांगों पर सहला रहे थे, अभी तुम्हारी शिकायत करती हूं ! चलो।
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