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मास्टर जी के लौड़े से चुदने का चस्का


दोस्तो, मेरा नाम सविता है.. अरे नहीं… मैं वो सविता भाभी नहीं जिसके कार्टून कथा प्रसिद्ध है, मैं तो ग्रेटर नोयडा में एक प्राईवेट कम्पनी में जॉब करती हूँ।
मेरी उम्र 21 साल है.. दिखने में एक साधारण और खूबसूरत लड़की हूँ।
  यह मेरी पहली कहानी है। कुछ गलती होगी तो माफी चाहूँगी।
बात उन दिनों की है.. जब मैं बारहवीं क्लास में थी और जवान भी हो चुकी थी। स्कूल के सारे जवान लड़के मुझ पर मरते थे.. लेकिन मैं किसी को भाव नहीं देती थी।

गुरू घन्टाल

मेरे एक साइन्स के टीचर.. जिनका नाम रमेश था.. जिनकी उम्र लगभग 32 साल रही होगी। उनसे मैं ट्यूशन भी लिया करती थी।
एक दिन बातों ही बातों में उन्होंने मेरे कन्धे पर हाथ रख दिया लेकिन उस समय बात मेरे समझ में नहीं आई और अगले दिन मैं एक सवाल पूछने गई.. तो उन्होंने मुझे शाम को ट्यूशन के बाद में बताने को कहा और उस दिन मैं रूक गई।
सभी के चले जाने के बाद सर ने मुझे समझाना शुरू किया और अपना एक हाथ मेरे कन्धे पर रख दिया। मैं कोई विरोध नहीं कर पाई और वे हाथ फिराने लगे।
मुझे अच्छा भी लग रहा था और शर्म भी आ रही थी।
मैंने हल्का सा विरोध किया- यह आप क्या कर रहे हैं सर.. यह गन्दी बात है।
लेकिन रमेश सर ने मेरी बातों पर ध्यान नहीं दिया और मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया। मेरी छाती पर हाथ फिराने लगे और मुझे चूमने लगे।

मेरी कुंवारी चूत मास्टर जी ने चाटी

मैंने छूटने की कोशिश की.. लेकिन कामयाब नहीं हो पाई और धीरे-धीरे मुझे भी मजा आने लगा।
रमेश सर पूरे जोश में थे.. लगातार मुझे मसल रहे थे और मेरे कपड़े भी उतारने लगे।
अब मैं गर्म हो चुकी थी, यह मेरा पहला सेक्स अनुभव था.. मुझे अच्छा लगने लगा था।
सर ने कपड़े उतारने के बाद मुझे लिटा दिया, उन्होंने अपना लण्ड मेरे हाथ में दे दिया और मेरी चूत को चाटने लगे।
इस वक्त मैं केवल ब्रा में थी। मैं सर का गरम लण्ड हाथ में लेकर सहलाने लगी।
सर का लण्ड काफी मोटा और लम्बा था.. इस वक्त मेरे सहलाने से वो काफी कड़ा हो गया था।
मुझे बहुत मजा आ रहा था।
सर ने मुझे बेन्च पर लेटाया और अपना लण्ड मेरी चूत पर सैट करते हुए मेरे होंठों को चूसने लगे, वे मेरी छाती को मसल रहे थे।
मैं सर का लण्ड चूत में लेने को तैयार हो चुकी थी।

मेरा कौमार्यभंग

इतने में सर ने एक धक्के में आधा लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया।
मुझे बहुत दर्द हुआ- आआआ.. म्म्म्म्म्.. मर गई आ.. आआआ.. आअ!
मैं चिल्लाती रही, मेरे आँखों के सामने अन्धेरा छा गया, मेरे आंसू बह रहे थे।
सर ने अपना लण्ड बाहर निकाला.. तो खून लगा हुआ था.. मैं डर गई।
सर ने मुझे समझाया- पहली बार ऐसा होता है।
फिर उन्होंने अपना लण्ड मेरी चूत में घुसा कर दिया और मुझे चोदने लगे।
थोड़ी देर में मुझे भी मजा आने लगा और मैं आँखें बन्द करके मजे लेने लगी, मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं- आह.. उउ आह..
मैं सीत्कार करते हुए चुदवा रही थी, मुझे दर्द के साथ मजा भी मिल रहा था।
इस लम्बी चुदाई में मैं दो बार झड़ चुकी थी.. फिर सर भी मेरी चूत में ही झड़ गए।
उसके बाद हम दोनों ने अपने-अपने कपड़े पहने और मैं अपने घर चली आई।
अगले दिन मैं सर से आँखें नहीं मिला पा रही थी।
लेकिन धीरे-धीरे मैं सर से पूरी तरह खुल गई और उनसे अलग-अलग जगहों पर चुदने लगी।
बाद में तो सर ने मुझे अपने कुछ दोस्तों से भी अलग अलग चुदवाया।
वो मैं अपनी अगली कहानी में बताऊँगी कि कैसे मैं रण्डी बन गई।
लेकिन मैं पेशेवर रण्डी नहीं हूँ।

Anonymous
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