दोस्तो, आज मैं आपके समक्ष एक ऐसी कहानी लाई हूँ.. जिसे पढ़कर आप लोग अपने हाथों को अपने कंट्रोल में नहीं रख पाएंगे।
मेरा नाम सोनाली है.. मेरी उम्र 40 साल है। मेरी शादी मेरे घर वालों ने 20 की उम्र में ही करा दी थी। मेरे पति का नाम रवि है, रवि एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करते हैं और हर महीने टूर के लिए 7-8 दिन घर से बाहर रहते हैं।
मेरे दो बच्चे हैं, एक बड़ा लड़का रोहन 18 साल का है और मेरी एक बेटी उससे दो साल छोटी है।
यह कहानी मेरे और मेरे पति के बड़े भाई के लड़के यानि कि मेरे भतीजे के साथ हुई घटना पर आधारित है। मैं आपको अपने बारे में बता दूँ कि मेरा रंग एकदम गोरा है और मेरा 36-28-36 का फिगर बहुत ही कातिलाना है.. ऐसा मेरा नहीं मेरे पति का मानना है।
हमारी शादी को 20 साल हो गए.. पर मेरे पति मुझे ऐसे रखते हैं कि जैसे अभी कल ही हमारी शादी हुई हो।
मेरे स्तन अभी तक कसे हुए हैं और उन पर मेरे लाल निप्पल ऐसे लगते हैं जैसे कि रसगुल्ले पर गुलाब की पत्ती चिपकी हो। मेरे नितम्ब भी बहुत कसे हुए और गोल हैं.. जो भी उन्हें देखता है.. उनके लंड उनकी पैंट में ही कस जाते हैं।
मेर भतीजा रहने आया
बात कुछ ही दिन पहले की है। मेरा भतीजा आलोक.. जिसकी उम्र 20 है.. अपनी कॉलेज की छुट्टियों के चलते हमारे घर कुछ दिन रहने के लिए आया था।वो स्वभाव का बहुत ही अच्छा था और उसकी मेरे बेटे के साथ बहुत बनती थी, वो भाई कम दोस्त ज्यादा लगते थे।
मेरे बेटे और बेटी सुबह 11:30 पर स्कूल के लिए जाते थे और फिर स्कूल छूटते ही कोचिंग के लिए चले जाते थे। उन्हें वहाँ से आने में 7 बज जाते थे।
आलोक को आए अभी दो ही दिन हुए थे वो दोपहर में अकेला हो जाता था.. तो टाइम पास के लिए मेरे साथ कुछ देर के लिए बैठ जाता था।
मेरे पति सुबह 9 बजे ऑफिस चले जाते थे और फिर 8 बजे ही आते थे।
एक दिन खाना बनाने के बाद मैंने अपने बच्चों को स्कूल भेजा और फिर आलोक को खाना खिलाकर घर के काम करने में लग गई। सब काम निपटाने के बाद में थक गई थी.. तो सोचा नहा लेती हूँ.. क्योंकि गर्मी बहुत पड़ रही थी।
मेरा नंगा बदन
मै नहाने के लिए तौलिया लेकर बाथरूम की तरफ चल पड़ी और नहाने लगी। नहाने के बाद मैंने तौलिये से अपने शरीर को पौंछा और फिर उसे अपने मम्मों के ऊपर से बांध लिया.. जिससे मेरा शरीर मम्मों से लेकर जांघों तक पूरा ढक गया।जब मैं नहाकर बाथरूम से बाहर निकल रही थी.. तभी अचानक मेरा पैर फिसल गया और मैं गिर पड़ी। मेरी कमर और पीठ में बहुत चोट लगी थी और दर्द के मारे मैं रोने लगी।
मेरे गिरने और रोने की आवाज़ सुनकर आलोक भागकर बाथरूम की तरफ आया और मुझे गिरा हुआ देखकर अचानक से डर गया।
मैं खड़ी नहीं हो पा रही थी तो वो मुझे सहारा देने लगा.. पर मैं खड़ी होते-होते फिर से गिरने लगी.. तो उसने मुझे पकड़ लिया।
उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और मेरे रूम की तरफ जाने लगा।
इसी बीच न जाने कब मेरा तौलिया खुल गया और मेरे आगे का बदन बिल्कुल नंगा हो गया। जैसे ही मुझे इस बात का अनुभव हुआ.. मैंने तुरंत खुद को फिर से ढक लिया।
फिर आलोक ने ले जाकर मुझे मेरे बिस्तर पर लिटा दिया। जब मैंने उसकी तरफ देखा तो वो आँखे झुकाए खड़ा था.. पर उसका लंड तना हुआ था।
मैं समझ गई कि इसने मेरे नंगे बदन को देख लिया है और मेरे बदन के स्पर्श से इसका लंड खड़ा हो गया है।
पर उस वक्त में कुछ कह पाने वाली हालत में नहीं थी और मेरे अन्दर इतनी भी ताकत नहीं थी कि मैं उठकर अपने कपड़े पहन सकूँ।
तब आलोक ने मुझसे पूछा- चाची आप ठीक तो हैं।
मैंने आलोक से कहा- आलोक मेरी कमर और पीठ में बहुत दर्द हो रहा है।
वो बोला- चाची मैं अभी बाजार से आपके लिए दवा लाता हूँ।
मैंने उससे मना किया- मेडिकल यहाँ से बहुत दूर है और बाइक भी नहीं है।
पर वो बोला- चाची मैं आपको ऐसी हालत में नहीं देख सकता।
मेरे नंगे बदन की मालिश
मैंने उससे बोला- मेरी कमर की मालिश कर दे।वो तैयार हो गया।
मैंने उसे ड्रावर से तेल की बोतल लाने को कहा और फिर वो बोतल लेकर आ गया और फिर मुझसे बोला- चाची मैं बोतल ले आया हूँ।
मैं- मेरी कमर और पीठ पर मालिश कर दे।
आलोक- पर चाची आप तो सीधी लेटी हो और तौलिया भी लगा हुआ है।
फिर मैंने उसे पीछे पलटने को कहा.. तो वो पलट गया और मैंने तौलिया खोलकर उसे अपनी कमर से नीचे बाँध लिया। अब मेरा कमर तक आधा शरीर पूरा नंगा था। फिर मैं बिस्तर पर उलटी लेट गई.. जिससे मेरे मम्मे बिस्तर में छुप गए और मेरी पीठ और कमर बिल्कुल नंगी आलोक से सामने थी।
मैंने उसे पलटने को कहा तो वो सीधा हो गया और मुझे देखकर मुझे निहारने लगा और फिर मेरी मालिश करने लगा।
अब मुझे थोड़ा आराम मिलने लगा था।
वो मेरी कमर पर बहुत ही प्यार से अपने हाथों को फेर रहा था। पीठ पर मालिश करते-करते उसके हाथ मेरे चूचों पर भी टच हो रहे थे.. पर मैंने उसे कुछ नहीं कहा.. क्योंकि मालिश करते टाइम अक्सर यहाँ-वहाँ हाथ लग जाते हैं।
अब वो मेरी कमर की मालिश करने लगा, उसने कहा- चाची जी आपके तौलिये के कारण कमर की ठीक से मालिश नहीं हो पा रही है।
मैं उस वक्त दर्द के कारण कुछ कर भी नहीं पा रही थी, मैंने उससे बोल दिया- तौलिया थोड़ा नीचे सरका दो।
उसने तौलिया को थोड़ा नीचे खिसका दिया.. जिससे मेरी गाण्ड की दरार उसे साफ नज़र आने लगी और फिर वो मेरी मालिश करने लगा।
फिर मालिश करते टाइम उसका हाथ कभी-कभी मेरी गाण्ड को भी छू लेता.. तो मैं एकदम से सिहर जाती। अब तो वो मेरी गाण्ड की दरार में भी तेल की मालिश करने लगा.. पर मैं उसे कुछ बोल नहीं सकी।
करीबन आधे घंटे मालिश करने के बाद मैंने उसको बोला- आलोक अब रहने दो। अब मुझे पहले से ठीक लग रहा है.. बाकी अब कल कर देना।
वो ‘जी चाचीजी’ बोलकर वहाँ से दूसरे कमरे में चला गया।
मैं भी वैसे ही पड़े-पड़े सो गई।
जब मेरी नींद खुली तो मैं बिल्कुल नंगी बिस्तर पर पड़ी हुई थी और उस वक्त पाँच बजने वाले थे।
मैं उठी और उठकर कपड़े पहनने लगी। मैंने एक टाइट गाउन पहन लिया था और अन्दर केवल पैंटी ही पहनी थी।
फिर मैंने चाय बनाई और आलोक के पास जाने लगी।
आलोक मोबाइल में कुछ देख रहा था और जैसे ही मैं कमरे में पहुँची.. उसने मोबाइल रख दिया।
मुझे देखते ही बोला- अरे चाची अब आपका दर्द कैसा है.. और आपने चाय बनाने की तकलीफ क्यों की.. मुझसे बोल देती.. मैं ही बना देता।
मैंने बोला- आज तुमने मेरी बहुत मदद की.. अगर तुम ना होते तो आज मैं दर्द से तड़प कर मर जाती।
आलोक बोला- चाची फालतू बातें मत करो आप।
मैंने आलोक को मालिश के लिए धन्यवाद बोला और उसे पीने के लिए चाय का कप दिया। चाय पीने के बाद हम वहीं बैठकर बात करने लगे।
थोड़ी देर बात करने के बाद मैंने उससे बोला- आलोक जरा मेरे लिए एक गिलास पानी ले आओ..
वो पानी लेने चला गया।
मैंने उसका मोबाइल उठाया.. उसमें कोई लॉक नहीं था और जब मैंने देखा तो वो उसमे पोर्न देख रहा था।
उसके आने की आहट सुनकर मैंने उसका मोबाइल वैसा ही रख दिया।
पानी पीने के बाद मैंने उसे बोला- आलोक आज तुमने मुझे जिस अवस्था में देखा.. प्लीज उसके बारे में किसी से मत कहना।
वो बोला- अरे चाची आप पागल हो क्या.. मैं किसी से क्यों बोलूँगा.. आपको मुझ पर भरोसा नहीं है क्या?
मैंने कहा- ऐसी बात नहीं है.. बस मैं तो तुझे बोल रही थी।
सेक्सी बातों की शुरूआत
फिर मैंने उससे पूछा- तू मोबाइल में क्या देख रहा था?तो वो घबरा गया और बोला- बस ऐसे ही टाइमपास के लिए मूवी देख रहा था।
मैंने बोला- मुझे भी दिखा कौन सी मूवी देख रहा था।
वो बोला- अच्छी मूवी नहीं है आपके देखने लायक नहीं है।
फिर मैंने कहा- ठीक है।
फिर वो बात को पलटते हुए बोला- चाची जी वैसे आप इस गाउन में बहुत ही सेक्सी दिख रही हो।
मैंने बोला- तूने तो मुझे बिना गाउन के भी देख लिया है.. तब सेक्सी नहीं दिखी तुझे।
वो हँसने लगा और मैंने अपने गाउन का ऊपर का बटन खोल दिया.. जिससे मेरे आधे चूचे बाहर निकलने लगे।
अब मैं भी उसके मजे लेने लगी, मैं बोली- जब तूने मुझे उठाया था.. तब तेरा भी कुछ उठ गया था।
वो हँसने लगा बोला- चाची आप भी..
मैंने उससे पूछा- मेरा नंगा बदन देख कर कैसा लगा तुझे?
वो बोला- चाची आप का फिगर बहुत शानदार है.. अगर आपके जैसी वाइफ मुझे मिल जाए तो उसे रोज प्यार करूँगा।
मैंने कहा- मुझ जैसी ही क्यों?
तो बोला- आप जैसा फिगर होना चाहिए बस।
मैंने चुदास भरे स्वर में कहा- तुझे मेरे फिगर में क्या अच्छा लगा?
वो कुछ मुस्कुराते हुए बोला- बताऊँ?
‘बता..’
सेक्स की शुरूआत
फिर वो उठकर मेरे बगल में आ गया और बोला- चाची आपकी बॉल्स बाहर आ रही हैं।मैं- तो तू अन्दर कर दे इन्हें।
फिर उसने मेरे चूचों को छुआ और उन्हें सहलाने लगा.. मैं भी गर्म हो गई थी। फिर उसने मेरी गाउन का दूसरा बटन भी खोल दिया.. जिससे मेरे दोनों ख़रबूज़ बाहर आ गए और वो उन्हें किस करने लगा।
मेरे मुँह से ‘आहहहहह.. उहहहह..’ की सिसकारियाँ निकलने लगीं।
फिर वो मेरे मम्मों को मसलने लगा और अपने होंठों को मेरे होंठों के ऊपर रख कर उन्हें चूमने लगा, मैं भी उसका भरपूर साथ दे रही थी।
करीब दस मिनट के बाद उसने मेरे होंठों को छोड़ा और मेरे मम्मों को चूसना और दबाना शुरू कर दिया। इस सब में मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं भी खुलकर उसका साथ दे रही थी।
मेरे मुँह से निकलती सिसकारियाँ उसे बहुत ही उत्तेजित कर रही थीं।
अब उसने मेरा गाउन उतार दिया और मैं उसके सामने बस पैंटी में थी। उसने मुझे बिस्तर पर लेटाया और ऊपर से लेकर नीचे तक मेरे पूरे बदन को चाटने लगा।
मेरे गोरे बदन पर काली पैंटी को देखकर उसकी आँखें कामुकता से भर आई थीं।
अब वो बेहिचक मेरे पूरे बदन के साथ खेल रहा था। कभी मेरे मम्मों को चूसता.. कभी मेरी नाभि को अपनी जीभ से कुरेदता.. कभी मेरे पेट को अपनी आरी जैसी जीभ से चाटता।
फिर उसने अपने कपड़े उतार दिए, अब वो मेरे सामने केवल अपनी फ्रेन्ची में था.. जिसमें से उसका लंड किसी मिसाइल की तरह दिखाई दे रहा था।
वो मेरे मुँह के पास आकर खड़ा हो गया और बोला- चाची जी, मेरा मुन्ना आपको देखना चाहता है।
उसके इतना बोलते ही मैंने उसके लण्ड को उसकी चड्डी से बाहर निकाल दिया और उसे अपने हाथों से सहलाने लगी।
आलोक- चाची अब मुझसे सब्र नहीं हो रहा.. आप इसे अब इसकी मंजिल तक पहुँचा दो।
मैंने उसके लंड को अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी।
थोड़ी देर चूसने के बाद उसने अपने लंड को बाहर निकाला और बोला- चाची ये तो अब बस आपकी चूत में जाना चाहता है।
मैंने उससे बोला- अभी नहीं, अभी बच्चों के आने का टाइम हो गया है और फिर तेरे चाचा भी आने वाले हैं।
आलोक- तो ठीक है.. अभी तो इसे शांत कर दो।
वो नीचे आया और मेरी पैंटी उतार दी। उत्तेजना के कारण मेरी चूत से पानी आने लगा था और पैंटी पूरी गीली हो गई थी।
हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए, वो मेरे नीचे था और मैं उसके ऊपर थी।
अब वो मेरी चूत चाट रहा था और अपनी जीभ से उसे कुरेद रहा था। मैं किसी आइसक्रीम की तरह उसके लंड को चूस रही थी।
थोड़ी देर बाद जैसे ही उसे लगा कि मैं झड़ने वाली हूँ.. तो वो और जोर-जोर से मेरी चूत को चाटने लगा और तुरंत मैं झड़ गई।
इतनी उत्तेजना मैंने जिंदगी में पहली बार महसूस की थी।
आलोक मेरे पानी को चाटने लगा और पी गया।
अब आलोक खड़ा हुआ और मुझे घुटनों के बल बिठा दिया। फिर उसने अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया और मेरे बालों को पकड़कर मेरे सर को आगे-पीछे करने लगा।
कुछ ही देर बाद वीर्य की तेज धार उसके लण्ड से निकलने लगी और वो पूरा पानी मेरे मुँह में भर गया और मैं उसे निगल गई।
उसके वीर्य का बहुत ही मस्त स्वाद था, काश ऐसा पानी रोज मेरी प्यास बुझाता।
फिर हम दोनों उठे और एक-दूसरे को फिर से एक प्यार भरी चुम्मी दी। फिर हमने अपने कपड़े पहने और खुद को साफ किया।
इसके बाद आलोक पीछे से आकर मुझसे लिपट गया और अपना लंड मेरी गाण्ड में सटा दिया.. जिसका साफ अनुभव में कर सकती थी।
फिर वो मुझसे बोला- चाची आप बहुत क़यामत हो.. मेरा लंड आपकी मोटी गाण्ड में घुसने के लिए बेक़रार हो रहा है।
मैंने बोला- सब्र कर.. तू भी यहीं है.. और मैं भी।
उसके बाद उसने मेरी गाण्ड पर एक चपत मारी तो मेरे मुँह से ‘उई माँ..’ निकल गया और फिर वो मेरे होंठों पर किस करने लगा।
इतने में ही डोरबेल बजी और हम अलग हो गए।
मैंने कहा- बच्चे आ गए हैं।
मैंने बाहर जाकर गेट खोला तो बच्चे अन्दर आए।
रोहन मुझसे बोला- माँ आज आप बहुत खुश लग रही हो और सुन्दर भी।
मैंने अपने बेटे को अपनी बाँहों में भर लिया और फिर हम लोग अन्दर आ गए। थोड़ी देर बाद मेरे पति रवि भी आ गए.. फिर हम सब लोगों ने मिलकर खाना खाया और फिर सब सोने चले गए।
पति से चुदाई
रात को मैं और मेरे पति बेडरूम में थे तब रवि बोला- आज तुम इस गाउन में बहुत सेक्सी लग रही हो।वो मुझे किस करने लगे और फिर उन्होंने मुझे नंगी कर दिया और मुझे चोदने लगे.. कुछ देर बाद मैं झड़ गई और फिर वो भी झड़ गए और हम दोनों वैसे ही एक-दूसरे के ऊपर सो गए।
मुझे ऐसा लग रहा था कि सेक्स करते वक्त खिड़की से हमें कोई देख रहा था। अँधेरा होने के कारण मुझे दिख नहीं रहा था… पर मुझे पता था कि आलोक ही होगा.. तो मैंने कुछ नहीं किया।
भतीजे की चुदास
मैं उसके पास जाकर बैठ गई। मैंने धीरे से आवाज देकर उसे उठाया। वो उठ गया और उठकर सबसे पहले उसने मुझे मेरे होंठों पर एक प्यारा सा चुम्बन किया।मैंने उससे कहा- पहले चाय पीले और फिर ब्रश वगैरह कर ले.. फिर मैं तेरे लिए नाश्ता बना दूँगी।
हम लोग चाय पीने लगे।
चाय पीते वक़्त मैंने उससे पूछा- कल रात को तू मुझे खिड़की से क्यूँ देख रहा था?
तो उसने साफ-साफ मना कर दिया और बोला- अब मुझे आपको देखने के लिए खिड़की से झांकने की क्या जरूरत है?
पर मैंने उसकी बातों पर कोई गौर नहीं किया।
वो बोला- चाची आज तो अपने पास बहुत टाइम है.. आज तो जी भरके आपकी चुदाई करूँगा।
मैंने हँसते हुए उसे अपने पास खींचा और उसके होंठों पर एक जोरदार चुम्मी दी। फिर मैंने उससे बोला- तू अभी तैयार हो जा.. तब तक मैं घर के काम निपटाती हूँ।
वो फ्रेश होने गया और मैं घर के काम निपटाने में लग गई।
करीब साढ़े दस बजे वो मेरे पास मेरे कमरे में आया उस वक्त मैं अलमारी में कपड़ों को ठीक कर रही थी, वो मुझसे आकर चिपक गया, मैं वहीं अलमारी से चिपककर खड़ी हुई थी।
उसने अपने दोनों हाथों से मेरी कमर को पकड़ लिया, कमर पकड़ते ही उसने मुझे चूमना चालू कर दिया और अब वो एक हाथ से मेरे मम्मों को दबा रहा था।
फिर उसने मेरे गाउन का बटन खोल दिया और मेरे चूचों को नंगा करके उन्हें चूसने लगा।
मैं भी जोश में आ गई थी.. मैं उसके बालों को पकड़ कर उसे अपने सीने में दबा रही थी।
मुझे उसका खड़ा हुआ लंड अपनी चूत पर साफ-साफ महसूस हो रहा था।
फिर उसने एक ही झटके में मेरे गाउन को मेरे शरीर से अलग कर दिया। मैंने अन्दर केवल पैंटी ही पहनी हुई थी।
उसने भी अपने कपड़े उतार दिए और पूरा नंगा हो गया, उसका लम्बा तना हुआ लण्ड किसी बेलन से कम नहीं लग रहा था।
वो मेरी पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को चाटने लगा। उसने धीरे से मेरी पैंटी को मेरी टांगों के बीच से निकाल दिया।
अब मैं पूरी तरह से नंगी थी और अलमारी से सटकर खड़ी हुई थी, खड़े हुए मेरा नंगा बदन.. किसी गोरी अप्सरा की मूर्ती सा चमक रहा था।
मेरी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे.. जो मेरी फूली हुई गुलाबी चूत पर चार चाँद लगा रहे थे।
आलोक अब मेरी टाँगों के बीच आया और मेरी चूत को चाटने और चूसने लगा.. फिर उसने ज्यादा देर न करते हुए अपनी दो उंगलियाँ मेरी चूत में डाल दीं।
उसकी तरफ से हुए इस अनजान हमले से मैं एकदम सिहर गई और जमीन से अपने पैरों के अंगूठों के बल खड़ी हो गई।
आलोक जल्दी-जल्दी अपनी उंगलियों को मेरी चूत में अन्दर बाहर कर रहा था। उसकी इस हरकत से मुझे इतनी मस्ती चढ़ रही थी कि मैं उछल-उछल कर उसको और उकसा रही थी।
मेरे मुँह से जोर-जोर से ‘आआहहहह.. ऊऊहहह..’ की आवाजें निकल रही थीं। मेरी सिसकारियों से पूरा रूम गूँज रहा था।
तभी आलोक ने मेरी चूत को अपनी उंगलियों से और तेजी से चोदना शुरू कर दिया।
अब मैं आनन्द के चरम पर थी और जोर-जोर से सीत्कार रही थी, एकदम से मेरा बदन अकड़ने लगा और मैं बहुत तेजी से चिल्लाते हुए झड़ने लगी।
आलोक ने तेजी से अपनी उंगलियों को बाहर निकाला और अपने मुँह को तेजी से मेरी चूत पर लगा दिया और जोर-जोर से मेरी चूत को चाटने लगा।
मेरी चूत से निकले हुए सारे रस को आलोक ने किसी क्रीम की तरह चाट लिया।
अब आलोक खड़ा हुआ, मेरा रस अभी भी उसके मुँह के चारों तरफ लगा हुआ था और उसने उसी तरह से मेरे होंठों पर चुम्बन करना शुरू कर दिया। उसके होंठों पर लगे हुए मेरे रस को मैंने अपनी जीभ पर महसूस किया, उसका स्वाद मुझे बहुत ही नमकीन लग रहा था।
आलोक ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मैं पूरे मजे के साथ उसकी जीभ को चूस रही थी।
आलोक ने अपनी जीभ को बाहर निकाला और मुझसे बोला- चाची अब मेरा भी लण्ड गीला कर दो।
मैं बिना कुछ बोले अपने घुटनों पर बैठ गई और उसके लण्ड को चूसने लगी।
आलोक बहुत ही उत्तेजित था, वो मेरे मुँह को तेजी से चोद रहा था।
मेरी चूत चुदाई
मैं भी बहुत उत्तेजित हो चुकी थी और मैं अब चुदने के लिए बेक़रार हुए जा रही थी।मुझे लगा कि आलोक जल्दी झड़ जाएगा.. तो मैंने उसके लण्ड को बाहर निकाला और उससे बोला- मुँह में ही निकालने का इरादा है या कुछ आगे भी करना है?
मेरा इतना बोलते ही आलोक ने मुझे उठाया और बिस्तर पर लेटा दिया और बोला- चाची आप किसी रांड से कम नहीं लग रही हो। आज तो आपको रंडी की तरह ही चोदूँगा।
मैं भी मजे में बोली- बोलेगा या कुछ करके भी दिखाएगा।
उसने बिना देर किए मेरी चूत के छेद पर अपना लण्ड रखा और धक्के मारने लगा।
दो-तीन जोरदार धक्कों में उसने अपना लण्ड मेरी चूत में उतार दिया।
मेरी चूत पहले से ही बहुत गीली थी.. तो मुझे उसका लण्ड लेने में ज्यादा दर्द नहीं हुआ।
अब हम दोनों मस्ती में एक-दूसरे को चोद रहे थे और बीच-बीच में एक-दूसरे को चूम चाट रहे थे।
चुदाई करते हुए आलोक मेरी चूचियों को भी दबा देता था और मेरे निप्पल को हल्के से काट भी लेता था.. जिससे हमारी मस्ती और बढ़ जाती थी।
मेरे मुँह से जोरों से ‘आआहहह.. आआऊऊहहह.. ओह आलोक.. और जोर से चोदो मुझे.. फ़क मी हार्डर..’ की आवाजें निकल रही थीं.. जिससे आलोक अपनी चोदने की रफ़्तार और बढ़ा देता था।
करीब दस मिनट बाद मेरा बदन फिर से अकड़ने लगा और मैं कमर उठा-उठा कर झड़ने लगी।
मेरे बदन को अकड़ता देख आलोक और तेजी से मुझे चोदने लगा।
मैं बहुत जोर से झड़ गई थी.. तो अब आलोक के झटके मुझे दर्द देने लगे थे। कुछ ही पलों के बाद आलोक भी झड़ने वाला था।
उसने बोला- चाची मैं झड़ने वाला हूँ.. अन्दर ही झड़ जाऊँ क्या?
मैंने उसे मना किया और उससे मुँह में झड़ने के लिए बोला.. पर वो कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो चुका था, जैसे ही उसने लण्ड को चूत से बाहर निकाला.. उसके लण्ड से एक जोरदार वीर्य की धार निकली.. जो मेरी चूत पर किसी बारिश की तरह बरसने लगी।
फिर वो लगातार मेरी चूत और पेट पर झड़ गया।
आलोक वहीं मेरे बगल में लेट गया।
मैंने वहीं बिस्तर के नीचे पड़ी हुई पैंटी से अपनी चूत और पेट पर गिरे वीर्य को साफ किया और फिर उस पैंटी को मैंने बिस्तर और बिस्तर के बगल में लगे हुए ड्रावर के बीच में डाल दिया.. जो सिर्फ बिस्तर पर बैठने वाले को ही दिख सकती थी.. वो भी तब जब कोई बहुत ही गहराई से कमरे को चेक करे।
अब मैं नंगी ही अपने बिस्तर से उठी और अलमारी से तौलिया निकाल कर नहाने के लिए बाथरूम जाने लगी।
आलोक भी मेरे साथ उठा और बोला- चाची क्या आपके साथ मैं भी चलूँ नहाने?
ऐसा कहते ही वो मुझे अपनी गोद में उठा कर बाथरूम में ले गया।
मैं बहुत थक गई थी.. तो मुझे आलोक की बांहों में बहुत अच्छा लग रहा था।
आलोक ने लाकर मुझे बाथरूम में खड़ा कर दिया और फिर वो मेरे मम्मों से खेलने लगा।
इतने में ही बाहर से डोरबेल की आवाज़ आई और हम दोनों डरकर एक-दूसरे से अलग हो गए।
मैंने आलोक को कमरे में जाने के लिए बोला और फिर मैं भी बाथरूम से बाहर आकर अपने कमरे में आ गई। वहाँ मैंने घड़ी की तरफ देखा.. तो एक बज रहा था।
‘इस वक्त कौन हो सकता है..’ यही सोचते हुए मैं वहाँ से गाउन पहनकर गेट खोलने के लिए जाने लगी।
मैंने दरवाजा खोला तो सामने रोहन था और उसका चेहरा उतरा हुआ लग रहा था।
दरवाज़ा खोलते ही वो मुझसे आकर लिपट गया। मैंने भी उसके बालों में हाथ फेरा और उससे पूछा- क्या हुआ?
तो वो बोला- आज मेरे सिर में बहुत दर्द हो रहा था.. तो मैं स्कूल से वापस आ गया।
मैंने उसके माथे पर एक चुम्बन किया और उसे अपने कमरे में लेकर आ गई।
मैंने उसके माथे पर बाम लगाया और उसे वहीं लेटा दिया।
तक तक आलोक अपने रूम से नहाकर बाहर आ गया और रोहन को देखते ही बोला- तुझे क्या हो गया?
मैंने उसे सब बता दिया।
मैंने रोहन से बोला- तू अब आराम कर थोड़ी देर..
और फिर मैं नहाने चली गई, आलोक भी अपने कमरे में चला गया।
थोड़ी देर बाद मैं जब नहा कर बैडरूम में आई.. तब तक रोहन सो चुका था।
मैं केवल तौलिया लपेटकर कमरे में आई थी.. तो मैंने बिना किसी डर के अपना तौलिया निकाल दिया और फिर ब्रा और पैंटी पहन कर उसके बाद सूट पहन लिया।
वो सूट मेरे जिस्म पर एकदम फिट था उसमें से मेरा एक-एक उभार और अंग साफ समझ आता था।
अब मैं किचन में गई और वहाँ से खाना लेकर आलोक के कमरे में आ गई।
मैंने रोहन को भी खाना खाने के लिए उठा दिया, हम सबने खाना खाया और फिर आलोक सो गया।
मैं और रोहन टीवी देखने लगे। थकान के कारण थोड़ी देर बाद मैं भी सो गई।
शाम को जब मैं उठी.. तो चार बज रहे थे, मैंने देखा कि रोहन आलोक के साथ सोया हुआ था।
थोड़ी देर बाद मेरी बेटी अन्नू भी स्कूल से आ गई, मैंने सबके लिए चाय बनाई और हम सबने चाय पी।
अन्नू उठकर अपने रूम में चली गई।
मुझे ऐसा लग रहा था कि आज इस सूट के कारण आलोक के साथ रोहन भी मुझे ताड़ रहा था.. पर ये मेरा वहम भी हो सकता था।
थोड़ी देर बाद रवि भी ऑफिस से वापस आ गए.. रात को हम सब लोगों ने मिलकर खाना खाया और सब सोने चले गए।
फिर मैं भी बैडरूम में आई.. वहाँ रवि लैपटॉप पर कुछ कर रहे थे।
मैं अपने कपड़े उन्हीं के सामने बदलने लगी, मैंने ब्रा उतार दी और गाउन पहन लिया, फिर मैं जाकर बिस्तर पर लेट गई और रवि ने भी लैपटॉप रखा और आकर मुझसे लिपट गए।
रवि ने मुझसे बोला- कल मैं 3-4 दिन के लिए ऑफिस के काम से होमटाउन जा रहा हूँ।
मैं उनसे नाराज़ हो गई और फिर वो मुझे मनाने के लिए मुझे किस करने लगे और फिर हम सो गए।
सुबह जब मैं उठी तो मुझे कल वाली पैंटी के बारे में याद आया.. जिससे मैंने अपनी चूत को साफ किया था।
मैंने उठकर देखा तो वो पैंटी वहाँ नहीं थी। मैं उसे इधर-उधर ढूंढने लगी.. पर वो नहीं मिली।



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