दोस्तों मेरा नाम अनामिका है मैं दिल्ली की रहने वाली हूँ आज मैं आपको अपनी जिंदगी सच्ची कहानियों को सुनाने जा रही हूँ उस समय मेरी उम्र बस १६ साल की थी मैंने जवानी की देहलीज पर कदम रखा ही था मेरा भरा पूरा शरीर देखकर लोगों के मुह में पानी आ जाता थामेरीचुचियोंकोदेखकर लोगउसे चूसनेकी इच्छाजरुर रखते होंगेमैं समझ तो जाती थीऔर मुझे हंसी भी आती थी सच कहूं तो मेरी भी बहुतइच्छा होती थी कि कोई मर्द इन चुचियों को कायदे सेमसले औरचूसे मगर मैं डरती थी किऐसे कैसे मैं किसी पर विश्वास कर लूं तभी मेरी मेरी नज़र मेरे पड़ोस के एक लड़के नरेन्द्र पर पड़ी वो भी मुझे देखता और आहेंभरता था मगरशायद डरता था था किमैं कहीं उसे मना ना कर दूँ वो भी करीब २१ सालका बांका नौजवान थाहत्त्ता कट्टा नौजवान था /
हमारी पहली मुलाकात
हमारी पहली मुलाकात बड़ी ही दिलचस्प थी वो एक दिन मेरे कॉलेज के पास से गाड़ी से गुजरा मेरा कॉलेज छूता ही था मैंने उसको देखा और हिम्मत करके उसको रोका और भैया मुझे भी घर तक छोड़ देंगे क्या तो उसने कहा ठीक है बैठो मैं पीछे बैठ गयी उसे ऐसे लगा जैसे उसकी मन की मुराद पूरी हो गयी वो बड़ा ही खुश लग रहा था / शायद ख़ुशी में वो गाड़ी तेज चलाने लगा तभी अचानक सामने एक गड्ढा आ गया और उसने तेजी से ब्रेक मरी और मैं तेजी से आगे की ओर खिसक गयी और मेरी चूचियां उसकी पीठ से टकरा गयी उसे शायद बड़ा मजा आ गया मैं झूठ नहीं कहूँगी मजा तो मुझे बड़ा आया मगर मैं कह नहीं सकती थी आखिर मैं एक लड़की थी ना खैर मैंने उससे कहा भैया थोडा धीरे चलाओ ना उसने कहा ठीक है अब मैं धीरे ही चलाऊंगा / मैंने कह तो दिया मगर भगवान् से येही दुआ करने लगी की फिर कोई गड्ढा आये और मैं उसके करीब जाऊं खैर जल्दी ही घर ही घर आ गया और मैं अपने घर जाने लगी उसका भी घर बगल में था उसने मुझसे कहा मैं रोज उधर से इसी टाइम गुजरता हूँ कहो तो मैं तुम्हे रोज लेता आऊंगा मैंने कहा नहीं आप क्यू परेशान होंगे मैं टैक्सी से आ जाऊंगी उसने कहा अरे इसमें परेशानी वाली क्या बात है मैं रोज आता हूँ उधर से ज्यादा दिक्कत है तो कहो मैं तुम्हारी मम्मी से भी बात कर लूँगा मैंने कहा नहीं मम्मी से कोई बात ना करना मैं रोज जा जाउंगी उसने कहा ये हुई ना कोई बात/ मैं और वो अपने - अपने घर चले गए /
शाम को फिर उसका मुझसे बात करना
अब शायद उसकी हिम्मत मुझसे बात करने की उसकी हिम्मत बढ़ गयी थी इसीलिए जब शाम हुई तो मैं अपने कुछ सहेलियों के साथ अपने घर के बहार बैठी थी तभी उसने मुझसे पूछा अनामिका क्या तुम सुबह भी मेरे साथ कॉलेज चलना पसंद करोगी मैंने कहा नहीं मम्मी गुस्सा करेंगी तब तक मम्मी ने पीछे से सुन लिया उनहोंने कहा ठीक है चली जाना भैया ही तो हैं मैंने फिर भी कहा नहीं मम्मी मैं टैक्सी से चली जाउंगी ये इसलिए कहा ताकि मम्मी कही शक ना करने लगे जबकि चाहती तो मैं भी येही थी/ मम्मी ने कहा पागल हो जब भैया वही से जाते हैं तो साथ में चली जाना दिक्कत क्या है/ मैंने कहा ठीक है मम्मी आप कहती है तो मैं चली जाउंगी ये कहने से अब मम्मी की भी इजाजत मिल गयी थी / अब हमारी बातों का सिलसिला सुरु हो चूका था/ मम्मी इतना कहकर अन्दर चली गयी और अब उसकी हिम्मत और बढ़ चुकी थी / वो पढ़ा लिखा था मैं कॉलेज में मैथ की स्टूडेंट थी उसने कहा अनामिका अगर मैथ में कोई दिक्कत हो तो मुझसे पूछ लिया करो/ मैंने कहा क्या आप मेरी मदद करेंगे उसने कहा हाँ क्यू नहीं मैं खुद मैथ का स्टूडेंट रहा हूँ मैंने कहा क्या आप अभी मुझे एक सवाल बता देंगे उसने कहा हाँ हाँ व नहीं मैं अन्दर जाकर किताब ले आयी और उसके बगल में बैठ गयी वो मुझे सवाल बताने लगा मैं उसके थोडा और करीब जाकर बैठ गयी अब मेरी चूची उसके हांथों से टकराने लगी वो थोडा और और करीब सरक आया अब वो जान बुझकर धीरे धीरे मेरी चुचियों से हाथ रगड़ रगड़कर सवाल बताने लगा मुझे भी मजा आ रहा था और उसे भी खैर उसने सवाल हल कर दिया जबकि मैं चाहती थी की वो थोड़ी और मेरी चुचियों को रगड़ता रहे मगर लड़के होते ही डरपोक होते हैं/ मैं कहा एक और सवाल बता दीजिये ना उसने कहा हा क्यू नहीं लाओ कहाँ है सवाल मैंने दूसरा सवाल उसके आगे रख दिया ये सवाल मुझे आता था मगर मैंने जानबूझकर उससे पूछ ये सवाल पूछ लिया ताकि थोडा और चूची मर्दन का मजा ले लिया जाये/ अब वो थो और करीब आकर मेरी चुचियों को रगड़कर सवाल बताने लगा जब वो रगड़ता तो मुझे मजा आता अब निचे भी मेरे अजीब सा होने लगा था/ उसने एक सफल मैथमाटेसियन की तरह सवाल हल कर दिया और मुझ पर इम्प्रैशन ज़माने लगा/ आखिर मैं कब तक उससे सवाल पूछती मैंने कहा भैया हो गया अब मुझे जब भी मैथ में दिक्कत होगी मैं आपसे सवाल पूछ लुंगी/
आगे की कहानी मैं आपको कल सुनाऊंगी .........
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