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बॉस ने नौटंकी करके चूत चुदवाई



महिलाओं को मेरा प्यार और भाइयों को चियर्स।
मेरा नाम शिवम है.. मैं एक प्ले-बॉय हूँ.. लखनऊ शहर का निवासी हूँ और सामजिक रूप से मैं एक मार्शल-आर्ट्स कोच हूँ।
यह मेरी पहली और सच्ची कहानी है.. ये पल हमेशा मुझे याद आते हैं इसीलिए आप सबसे शेयर करने का दिल किया।
उम्मीद है यह वाकिया आप सबको पसंद आएगा।
बात सन 2013 दिसंबर 25 की है। मैं कैथ्रेडल चर्च में कैंडल जलाने के लिए गया था।
वैसे तो अधिकतर लोग मुझे जानते थे.. पर मैं किसी पर ध्यान नहीं दे रहा था.. क्योंकि उस दिन मेरा मन थोड़ा उदास सा था।
मैं कैंडल जला कर बाहर आ गया और अपनी कार में बैठ कर सिगरेट पीने लगा।
तभी मेरी नज़र मेरी कार के बगल में खड़ी एक मर्सडीज कार पर पड़ी। मेरे होश मानो उड़ से गए.. उसमें एक लाल रंग की साड़ी पहने हुए एक औरत मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी।
उसने इशारे से मुझे अपनी कार में आने का निमंत्रण दिया.. मैं भी बिना देर किया सिगरेट फेंकता हुआ और दूसरों की नज़र से बचता हुआ उनकी कार में बैठ गया।
उन्होंने मुझसे मेरी उदासी का कारण पूछा.. तो मैंने पहले उन्हें कहा- नहीं तो.. मैं उदास नहीं हूँ..
वो मेरे हाथ पर अपना हाथ रख कर बोलीं- बेटा, मैं तो तेरी बहन जैसी हूँ न.. बता मुझे क्या दिक्कत है तुझे?
तो मैंने उनसे कहा- आप ऐसे क्यों पूछ रही हो.. आप तो हमें जानती भी नहीं हो और मैं भी आपको नहीं जानता?
वो बोलीं- मैं चेहरे पढ़ना जानती हूँ.. मुझे तुम परेशान लगे तो मैं पूछ बैठी.. चल अगर तू नहीं बताना चाहता है तो कोई बात नहीं।
मैंने कहा- नहीं.. ऐसी बात नहीं है.. बस कोई जॉब न होने के कारण थोड़ा दिमाग खराब था और पार्ट टाइम जॉब में मेरा खर्च नहीं पूरा हो पाता है।
मेरे इतना कहते ही वो बोलीं- बस इतनी सी बात है?
मैंने कहा- हाँ.. बस इतना ही..
वो अपना विजिटिंग कार्ड देते हुए बोलीं- कल कॉल करके आ जाना और जॉब ज्वाइन कर लेना।
मैं बहुत खुश हो गया और दूसरे दिन मैं उनके ऑफिस पहुँच गया। अभी तक मेरे दिमाग में उनके लिए कोई भी सेक्सी फीलिंग नहीं आई थी.. पर मेरी ज्वाइनिंग के पहले ही दिन उन्होंने मेरी अन्तर्वासना को जगा दिया। उनकी काली रंग की साड़ी.. कसा हुआ बदन.. उठी हुई गाण्ड और पहाड़ जैसी चूचियाँ मुझे पागल करने लगीं।
मेरे शेर ने भी अब मेरी पैंट पर एक उभार सा तैयार कर दिया था.. जिस पर शायद भावना मैडम (कार वाली औरत का यही नाम था) की नज़र पड़ चुकी थी।
पर वो सिर्फ मुझे काम और मेरी पोस्ट बता कर वापस अपने घर चली गईं। दो महीने बीत गए और मैं रोज़ उनके कमाल के फिगर को याद कर-कर के मुट्ठ मारता रहा और पार्ट टाइम आंटी और भाभियों को संतुष्ट करता रहा।
एक दिन जब मैं भावना मैडम को याद करके मुट्ठ मारने के लिए ऑफिस के बाथरूम में गया.. तो दरवाज़े में कुण्डी लगाना भूल गया और उन्हें याद करके मुट्ठ मारने में मगन हो गया। उनकी याद में ऐसा खोया था कि पीछे खड़ी भावना की ओर ध्यान ही नहीं गया। उस दिन तो मैं मुट्ठ मार कर ढीला हो गया और हाथ धोकर ऑफिस में एंट्री करके घर चला गया।
उसी रात को लगभग 11 बजे होंगे.. मैं गोमती नगर में एक मैडम को संतुष्ट कर रहा था.. झड़ने ही वाला था.. जिस वजह से एक आती हुई कॉल को नहीं उठा पाया.. कपड़े पहनने के बाद फ़ोन देखा तो भावना की कॉल थी।
मैंने कॉलबैक किया.. तो वो कुछ घबराई हुई लग रही थीं।
उन्होंने कहा- शिवम जल्दी से मेरे बंगले पर आ जाओ.. आज यहाँ की लाइट खराब हो गई है.. घर में अँधेरा है.. और बारिश भी हो रही है.. मुझे डर लग रहा है.. मुझे ऐसा लग रहा है.. जैसे कोई मेरे घर में घुसा है.. तुम जल्दी आओ।
इतना कह कर उन्होंने कॉल काट दी।
मैं काफी परेशान हो गया.. और तेज़ी से उनके बंगले पर पहुँच गया.. जो महानगर में था।
मैं धड़धड़ाते हुए उनके गेट पर पहुंचा.. तो देखा कि दरवाज़ा खुला था। बिना किसी डर के मैं दौड़ता हुआ उनके कमरे में चला गया.. तो देखा कि वो बेहोश पड़ी थीं।
मैंने काफी कोशिश की उन्हें होश में लाने की.. पर नाकाम रहा।
मुझे ठण्ड लग रही थी.. क्योंकि जल्दी-जल्दी में मैं सिर्फ टी-शर्ट ही पहन कर आ गया था। उन्हें होश में लाने के लिए मैं पानी लेने गया.. तो देखा कि महंगी वाली शराब की बोतल आधी खाली रखी थी.. तो गर्मी के लिए मैंने जल्दी से थोड़ी सी पी ली.. मुझे ठण्ड ज्यादा लग रही थी.. इसलिए मैं बिना सोचे बोतल की पूरी दारू पी गया।
कुछ ही पलों में मेरे ऊपर शराब का सुरूर बम्पर चढ़ा हुआ था। मैं पानी लेकर वापस उनके कमरे में गया.. तो मेरी नज़र उनके कपड़ों पर पड़ी।
उनकी नाइटी ऊपर को चढ़ कर उनकी आधी पैंटी के दर्शन करवा रही थी। अब मुझे खुद पर ज़रा भी कंट्रोल न रहा.. और मेरे अन्दर का प्ले-बॉय कूद कर बाहर आ गया। मैं उनकी पैंटी के पास अपनी नाक ले जाकर उनकी चूत से बह रहे अमृत की सुगंध को सूंघने लगा।
क्या महक थी यार.. मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरे हाथ उनकी पैंटी को नीचे खींचने लगे और मेरी जुबान उनकी चूत को चाटने लगी।
भावना बेहोश होने का नाटक कर रही हैं ये तो मैं समझ ही गया था। क्योंकि वो भी कमर हिला-हिला कर अपनी चूत को मेरे मुँह में दे रही थी।
मैंने उनकी चूचियाँ दबाईं तो उन्होंने कुछ भी नहीं कहा।
अब मैंने 69 का पोज़ किया और अपना तम्बू उनके मुँह में लगाया तो उन्होंने मेरे लण्ड को अन्दर ले लिया इस तरह मैंने लौड़ा उनके मुँह में गाड़ दिया।
उनकी चूत से पानी काफी निकल चुका था और अब मेरी बारी थी।
अब मेरा लवड़ा उनकी चूत को अपना निशाना बनाने जा रहा था.. कि अचानक मुझे लगा कि भावना की आँखें पूरी खुल गई हैं। मैं डर गया कि कहीं ये कुछ कहे न.. पर उसने फिर आँखें बंद कर लीं..
अब मैंने चूत में लौड़ा घुसेड़ दिया और पूरी तरह खुल कर उन्हें चोदने लगा। मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समां चुका था।
मैंने उनको चोदते समय ये महसूस किया था कि मैडम दारु के नशे में टुन्न हैं।
अगले कुछ मिनट तक अन्दर-बाहर अन्दर-बाहर मेरा चप्पू चलता रहा।
मैं फिर से एक बार झड़ गया.. कुछ देर उनके ऊपर पड़ा रहा और फिर धीरे से अपने कपड़े पहने और अपने घर आ गया।
अगले दिन मैं ऑफिस गया.. तो उनसे नज़र नहीं मिला पा रहा था। जैसे ही उन्होंने मुझे देखा.. अपने रूम में बुलवा लिया।
अब मेरी फटने लगी कि आज तो मेरी शामत है.. नशे में न जाने ये मैंने क्या कर दिया।
मैं डरते-डरते उनके केबिन में गया.. तो वो मुस्कुरा रही थीं..
मैंने पूछा- क्या हुआ मैडम.. कोई काम है क्या?
भावना- नहीं.. कुछ ख़ास नहीं.. पर कल तुम घर आए थे क्या।
मैं- हाँ जी मैडम आया तो था पर..
भावना- पर.. पर क्या..??
मैं- पर कल जो हुआ.. उसके लिए मैं शर्मिंदा हूँ.. मैं नशे में था.. गलती हो गई..
भावना- कोई बात नहीं.. पर याद रहे अगर किसी को भी पता चला तो वो तुम्हारा आखिरी दिन होगा।
मैंने कहा- पक्का मैडम.. किसी को भी नहीं पता चलेगा..
मैडम ने कहा- अगर तू बताएगा भी तो फंसेगा तू ही.. क्योंकि मैंने सब रिकॉर्ड किया है।
मेरी तो जैसे सांस ही रुक गई थी.. इतने में वो मेरे होंठों पर अपने होंठों को रखते हुए बोलीं- अब तुम्हें रोज़ मुझे वही आनन्द देना होगा.. जो कल तुमने मुझे दिया था। कल से पहले मुझे किसी ने भी इतना सुख नहीं दिया।
मैं तो जैसे मानों सातवें आसमान पर था.. अब मैं रोज़ उन्हें चोदता था और इस काम के मुझे अच्छे पैसे भी मिलते थे।
एक दिन गलती से उनके मुँह से निकल गया कि उन्होंने कोई भी रिकॉर्डिंग नहीं की थी।
मैं चिंता मुक्त हो गया था।
उस दिन के बाद से मैं उन्हें हफ्ते में सिर्फ 5 दिन चोदता हूँ और उन्हें खुश कर देता हूँ।
उन्होंने मुझे काफी नए कस्टमर भी दिए। अब मेरी डिमांड लखनऊ में बढ़ गई है।
शुक्रिया भावना… आई लव योर चूत।
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किराएदार आंटी की चूत चुदाने की चाहत


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नंगी नहाती चाची को देखा फ़िर चूत चुदाई


 

नंगी नहाती चाची

अनिता चाची भी हुस्न की मलिका थीं.. उनकी कमर बिल्कुल पतली सी थी। उनके चूचे संतोष ताई के मुकाबले में बहुत छोटे थे, पर उनके बूब हमेशा खड़े हुए रहते थे। वो ज़्यादातर पैन्टी या लहंगा डाल कर ही नहाती थीं, वो कभी-कभी ही पूरी नंगी होकर नहाती थीं।
एक दिन मुझे उन्हें पूरी नंगी देखने का अवसर प्राप्त हुआ।
दोस्तो, मैं यादवेन्द्र फिर से हाजिर हूँ। मैं 23 साल का लड़का हूँ और फिलहाल नई दिल्ली में रह रहा हूँ।
आपने मेरी पिछली कहानी में पढ़ा था कि मैं संतोष ताई के साथ-साथ उनकी सबसे छोटी देवरानी अनिता को भी नहाते हुए देखता था पर मुझे संतोष ताई में ज़्यादा दिलचस्पी थी क्योंकि मुझे जिस्म से भरी हुई औरतें अच्छी लगती हैं।
यह घटना आज से लगभग 3 साल पुरानी है।
संतोष ताई अपने नए घर में शिफ्ट हो चुकी थीं.. तो मुझे अब अनिता चाची पर ही ध्यान देना था।
हमारी और उनकी फैमिली के झगड़े के कारण जन्मे हालत अब नॉर्मल हो रहे थे, पर अभी भी सब कुछ पहले जैसा ठीक नहीं हुआ था, सिर्फ़ कुछ मतलब की बातें ही होती थीं।
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं अनिता चाची से बात करने की शुरूआत कैसे करूँ।
मेरी दादी के घुटने में दर्द रहता है.. मुझे इसी दर्द के लिए एक औषधि की जरूरत थी जो कि एक पेड़ की छाल होती है। मुझे वो चाहिए थी और मुझे वो छाल लाने के लिए अनिता चाची के पति नरसिंह चाचा के साथ जाना था।
हम लोग औषधि लाने गए और इसी कारण हम लोगों ने बहुत सी बातें भी कीं।
यहीं से मुझे अनिता चाची से बात करने का मौका मिला।
घर आने पर नरसिंह चाचा ने मुझे चाय के लिए बुलाया और मैं उनके घर चला गया।
चाची चाय बनाकर लाईं और हमारे पास बैठ कर बातें करने लगीं।
चाचा को खेत में पानी देने के लिए जाना था तो वे चले गए।
अब चाची और मैं बात करने लगे।
चाची- याद तेरी पढ़ाई कैसी चल रही है?
मैं- चाची अच्छी चल रही है।
चाची- कितने दिन और बाकी है तेरे कोर्स के?
मैं- अभी 2 साल और बाकी हैं चाची..
चाची- कितने दिनों की छुट्टियाँ हैं?
मैं- चाची 2-3 दिन की और हैं.. संतोष ताई कैसी हैं?

चाची मेरे कारनामे जानती थी

चाची ने हँसते हुए कहा- वो ठीक हैं पर तू क्यों पूछ रहा है.. क्या तू फिर से अपनी बॉल ढूँढने का मन है क्या?
मैं घबरा गया- नहीं चाची..
चाची- क्या हुआ.. याद आजकल भी तू शायद तेरी दूसरी बॉल ढूँढने में बिज़ी है क्या?
मैं- मैं समझा नहीं चाची?
चाची- मुझे सब पता है।
मैं- क्या पता है चाची?
चाची- तेरे और तेरी संतोष ताई.. और जो तू छत से मुझको नहाते हुए देखता है वो भी.. पर मैं ये सब किसी को इसलिए नहीं बताती.. क्योंकि दोनों फैमिली के बीच फिर से झगड़ा हो जाएगा।
मैं- चाची मुझे माफ़ कर दीजिए.. ऐसा फिर से नहीं होगा..
चाची- नहीं कोई बात नहीं है.. मैं ये किसी को नहीं बोलूँगी, जवानी में ऐसा होता है.. पर कंट्रोल करना सीखो, वरना किसी दिन बुरे फंसोगे।
इसके बाद बड़ी हिम्मत करके मैंने बोल दिया- चाची, मुझे आप बहुत पसंद हो।
चाची- मुझे पता है कि तेरी नियत खराब है.. पर मैं संतोष ताई नहीं हूँ।
मैं वहाँ से चुपचाप उठ कर चल दिया।
जब से मुझे पता चला कि अनिता चाची सब कुछ जानती हैं, तब से मैं उन्हें चोदने के लिए और भी बेकरार होने लगा और सही मौके की तलाश में था।
अगले दिन मुझे मेरे हॉस्टल जाना था पर अनिता चाची को चोदे बिना नहीं।
मैंने जानबूझ कर सुबह की ट्रेन मिस कर दी और स्टेशन से घर वापस लौट आया।
चाची नहीं जानती थी कि मैं घर पर हूँ, उनको लगा कि मैं जा चुका हूँ। यह उन्होंने मुझे बाद में बताई थी।
दोपहर के वक़्त मैं फिर से उनकी छत पर चला गया और वहाँ जाकर अनिता चाची को नहाते हुए देखने लगा। आज चाची नंगी नहा रही थीं।
जब उन्होंने अपनी आँखों पर साबुन लगाया.. तो मैं सीढ़ियों से नीचे चला गया।
चूंकि सीढ़ियों के सामने बाथरूम का दरवाज़ा है.. सो मैं सीधा बाथरूम में उनके सामने जाकर बैठ गया। क्योंकि अगर मैं खड़ा रहता तो मेरा सर उनके आँगन से कोई भी देख सकता था। वो भी बैठ कर ही नहा रही थीं।
चाची ने मुझे देखकर टांगें सिकोड़ लीं और चूचों अपने हाथों से छुपा लिए।
वो बोलीं- तू यहाँ क्या कर रहा है?
मैंने कहा- चाची, आप जानती हो।
यह कहते हुए मैं उनकी जांघों को सहलाने लगा। उन्होंने अपने हाथ से मेरे हाथ को हटाना चाहा पर जैसे ही उन्होंने अपनी चूचियों से हाथ हटाया, मैंने दूसरे हाथ से उनकी एक चूची पकड़ ली, उनके चेहरे पर दर्द दिखने लगा।
वो बोलीं- हरामी.. इन्हें इतने जोर से नहीं दबाते.. छोड़..
मैंने बोला- चाची प्लीज़ आप मान जाओ.. आप जैसे बोलोगी मैं वैसे ही करूँगा।
चाची ने कहा- तू खुद भी मरेगा और मुझे भी मरवाएगा… अगर आँगन में कोई आ गया तो सब कबाड़ा हो जाएगा.. तू चला जा यहाँ से।
मैंने फिर से रिक्वेस्ट की.. तो वो बोलीं- अभी यहाँ से जा.. बाद में देखूँगी।
मेरे को लगा कि मेरा काम बन गया, मैंने कहा- ओके.. अभी एक तो किस दे दो।
बोलीं- तू जाता है या नहीं..
मैंने आगे होकर उनके होंठ चूम लिए।
इस छोटी सी किस के बाद मैं वहाँ से अपने घर चला आया।
अब मुझे यह टेंशन हो रही थी कि अगर चाची ने मुझे आज चोदने नहीं दिया.. तो मेरे को कल पक्का हॉस्टल जाना पड़ेगा और पता नहीं ऐसा मौका फिर कब मिलेगा।
शाम को चाची जानवरों को चारा डाल रही थीं, मैं भी वहाँ पहुँच गया और चाची से चाचा के बारे में पूछने लगा।
चाची ने बताया- तेरे चाचा अपनी बहन के यहाँ जा चुके हैं।
यह सुनते ही मैंने उनकी चूची दबा दी।
उन्होंने कहा- तसल्ली रख.. यहाँ कोई देख लेगा.. तू यहाँ से चला क्यों नहीं जाता।
मैं वहाँ से चला आया और रात होने का इंतजार करने लगा।

चाची की चूत चुदाई

वो लोग रात को छत पर खुले में सोते थे और मैं भी कभी-कभी छत पर सो जाता था। उस दिन मैं दो बार अनिता चाची के नाम की मुठ मार चुका था।
रात को मैं छत पर ही सोया और मैंने देखा कि चाची भी अपने दोनों बच्चों के साथ छत पर लेटी थीं और उनका आठ साल का लड़का उनसे बात कर रहा था।
मैं भी चारपाई पर लेट गया और आधा घन्टे बाद उनकी छत पर चला गया।
चाची दोनों बच्चों के साइड में बिस्तर लगा कर लेटी हुई थीं और उनकी आँखें खुली हुई थीं।
मैंने जाते ही उनके ब्लाउज के ऊपर से उनकी चूची पकड़ ली और उनके मुँह पर जाकर उनके होंठों को चूम लिया।
होंठ चूमते हुए उनके पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया।
मैं उनके होंठों से हट गया और उनके ब्लाउज के बटन खोलने लगा।
उन्होंने अन्दर ब्रा नहीं पहनी हुई थी।
पूरे बटन खोलने के बाद मैं उनके गालों को चूमते हुए उनकी गर्दन को चूमने लगा।
उन्होंने पहली बार सिसकारी ली.. ये सब करते वक़्त मेरा लंड मेरे पाजामे में खड़ा हो गया।
क्योंकि मैं उनके ऊपर था इसलिए शुरूआत से ही लौड़ा उनकी चूत से रगड़ खा रहा था। पर अभी तक उनका लहंगा और पैन्टी उनके शरीर से अलग नहीं हुए थे।
उनकी गर्दन को चूमते हुए मैंने उनके कान के नीचे वाले हिस्से पर भी किस किया।
अनिता चाची ‘सस्शह.. सस्शह..’ की आवाजें निकाल रही थीं।
मैं नीचे को आया और उनके चूचे चूसने लगा पर उनके ब्लाउज से मुझे दिक्कत हो रही थी, तो मैंने वो निकालने के लिए उन्हें उठने को कहा।
उन्होंने मेरा सहयोग दिया और वो खड़ी हो गईं, उनका लहंगा नीचे गिर चुका और ब्लाउज मैंने उतार दिया।
अब वो सिर्फ़ पैन्टी में थीं और वो वापस लेट गईं।
मैंने उनके दोनों चूचे खूब चूसे, वो छोटे थे.. जल्द ही लाल हो गए थे। उनके निप्पल थोड़े लाल रंगत लिए हुए थे। मैं उनके पेट पर किस करते हुए नीचे आया और पैन्टी के ऊपर से ही उनकी चूत पर चूमने लगा।
चाची ने आवाज निकाली- सस्स्सह… हुउऊउउ..
उन्होंने कहा- याद अब मत तड़पा..
मैं रुक गया.. मैं उनके मुँह से सुनना चाहता था। तो मैंने उनसे पूछा- चाची क्या करूँ?
चाची ने टाँगें ऊपर कर दीं, वो बोलीं- जो कर रहा है.. वो ही करता रह!
मैंने तुरंत उनकी पैन्टी उतार दी।
पैन्टी अन्दर से कुछ गीली हो गई थी।
मैं उनकी टांगों के बीच में आ गया और उनकी चूत को चूसने लगा। उनकी चूत कुछ खारी और कसैली सी थी।
कुछ पल चूत चूसने के बाद मैंने उनकी चूत के दाने पर अपनी जीभ रख दी। इसी के साथ मैं उनकी चूत में उंगली भी कर रहा था।
वो मस्त हो चुकी थीं.. उनकी आँखें बंद थीं।
थोड़ी देर बाद उनकी टाँगें अकड़ गईं और उनकी चूत भी सिकुड़ गई।
मैंने उनके दाने को होंठों से दबा लिया और तेज़ी से उंगली की।
कुछ ही देर में चाची झड़ चुकी थीं और मेरे मुँह पर उनका पानी लगा हुआ था।
मुझे उसका स्वाद अच्छा नहीं लगा.. तो मैंने उसे उनके ब्लाउज से पोंछ दिया।
अब मैं उठ गया और मैंने अपने कपड़े उतार दिए, मैं उनके साथ में लेट गया।
मेरा लंड बहुत देर से खड़ा था और दर्द कर रहा था।
चाची ने मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया।

चुद गई चाची

मैं चाची के चूचे चूसने लगा था।
मैंने उन्हें लंड चूसने को बोला, तो चाची ने कहा- फिर कभी.. अभी तो बस पेल दे।
मैं देर ना करते हुए उनकी टांगों के बीच आया और लंड को उनकी चूत में डालने लगा, पर लंड चाची की चूत में नहीं गया.. वो फिसल गया।
मैंने दोबारा कोशिश की तो भी यही हुआ।
चाची हँसने लगीं.. उन्होंने लण्ड के टोपे को पकड़ कर अपनी चूत के मुँह पर रखा और अन्दर डालने का इशारा किया।
मैंने धक्का लगाया तो मेरे लण्ड का टोपा अन्दर चला गया।
मैंने उनके चहरे की तरफ देखा तो उनकी आँखें बंद थीं और दर्द के भाव थे।
मैंने एक और धक्का लगाया तो मेरा लंड आधे से ज़्यादा अन्दर घुस चुका था।
चाची ने धीरे से ‘उहह..’ की आवाज निकाली।
मैंने तीसरा धक्का लगाया और अपना पूरा का पूरा लंड उनकी चूत में घुसेड़ दिया और उनके ऊपर लेट गया।
मैंने उनकी चूचियां मसलते हुए उनसे दर्द के बारे में पूछा, तो उन्होंने बताया- तेरे चाचा का लण्ड तुझसे पतला है।
अब मैंने धक्के लगाने स्टार्ट किए और कुछ ही मिनट में ही मैं झड़ गया।
मुझे बड़ी शर्म आई।
चाची ने मेरी तरफ देखा और बोली- शुरूआत में ऐसा होता है।
उस रात को मैंने उन्हें एक बार और चोदा और इस बार में पूरे जोर-शोर से उनको चोदता रहा.. उनका दो बार पानी निकालने के बाद उनकी चूत में ही झड़ गया।
इसके बाद मैंने अपने कपड़े पहने और मैं अपनी छत पर आ गया। रात के लगभग डेढ़ बज चुके थे।
मुझे पूरी रात नींद नहीं आई और दूसरे दिन सुबह मैं वापस हॉस्टल चला आया।
दोस्तो, मैंने मेरी इस सच्ची कहानी में आपके मज़े के लिए कुछ बातें लिखी दी हैं क्योंकि बिना मसाले के सब्जी में मजा नहीं आता है। बाकी यह घटना एकदम सच्ची है।
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क्लासमेट की पहली चूत चुदाई झाड़ियों में


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अनामिका की कहानी - १




दोस्तों मेरा नाम अनामिका है  मैं दिल्ली की रहने वाली हूँ आज मैं आपको अपनी जिंदगी सच्ची कहानियों को  सुनाने जा रही हूँ उस समय मेरी उम्र बस १६ साल की थी मैंने जवानी की देहलीज पर कदम रखा ही था मेरा भरा पूरा शरीर देखकर लोगों के मुह में पानी आ जाता थामेरीचुचियोंकोदेखकर लोगउसे चूसनेकी इच्छाजरुर रखते होंगेमैं समझ तो जाती थीऔर मुझे हंसी भी आती थी सच कहूं तो मेरी भी बहुतइच्छा होती थी कि कोई मर्द इन चुचियों को कायदे सेमसले औरचूसे मगर मैं डरती थी किऐसे  कैसे मैं किसी पर विश्वास कर लूं तभी  मेरी  मेरी  नज़र  मेरे पड़ोस  के  एक  लड़के  नरेन्द्र  पर  पड़ी  वो भी मुझे देखता और आहेंभरता था मगरशायद डरता था था किमैं कहीं उसे मना ना कर दूँ वो भी करीब २१ सालका बांका नौजवान थाहत्त्ता कट्टा  नौजवान था /


हमारी  पहली  मुलाकात

हमारी  पहली  मुलाकात  बड़ी  ही  दिलचस्प  थी  वो  एक  दिन  मेरे  कॉलेज  के  पास  से   गाड़ी  से  गुजरा  मेरा  कॉलेज  छूता  ही  था  मैंने  उसको  देखा  और  हिम्मत  करके  उसको  रोका  और  भैया  मुझे  भी  घर  तक  छोड़  देंगे  क्या  तो  उसने  कहा  ठीक  है  बैठो  मैं  पीछे  बैठ  गयी  उसे  ऐसे  लगा  जैसे  उसकी  मन  की  मुराद  पूरी  हो  गयी  वो  बड़ा  ही  खुश  लग  रहा  था /  शायद  ख़ुशी में  वो  गाड़ी  तेज  चलाने  लगा  तभी  अचानक  सामने  एक  गड्ढा  आ  गया  और  उसने  तेजी  से ब्रेक  मरी  और  मैं  तेजी  से  आगे  की  ओर खिसक  गयी  और  मेरी  चूचियां  उसकी पीठ  से  टकरा  गयी  उसे  शायद  बड़ा  मजा  आ गया  मैं झूठ  नहीं कहूँगी  मजा  तो  मुझे  बड़ा  आया  मगर  मैं  कह  नहीं  सकती  थी  आखिर  मैं  एक  लड़की  थी ना  खैर  मैंने  उससे कहा  भैया  थोडा  धीरे  चलाओ  ना  उसने  कहा  ठीक  है  अब  मैं  धीरे  ही  चलाऊंगा / मैंने कह  तो दिया  मगर  भगवान्  से  येही  दुआ  करने  लगी  की  फिर  कोई  गड्ढा आये  और  मैं  उसके  करीब जाऊं  खैर जल्दी ही  घर  ही  घर  आ गया और मैं अपने  घर  जाने लगी  उसका भी घर  बगल में था उसने मुझसे कहा मैं  रोज उधर  से इसी  टाइम गुजरता हूँ कहो तो मैं तुम्हे  रोज  लेता  आऊंगा  मैंने  कहा नहीं आप क्यू  परेशान होंगे मैं टैक्सी से आ जाऊंगी  उसने कहा अरे  इसमें  परेशानी वाली क्या बात है  मैं रोज आता हूँ उधर से ज्यादा  दिक्कत है तो कहो मैं तुम्हारी मम्मी से भी बात कर लूँगा मैंने  कहा नहीं  मम्मी से कोई बात ना करना मैं रोज जा जाउंगी  उसने कहा ये हुई ना कोई बात/ मैं और वो अपने - अपने घर चले गए /

शाम को फिर उसका मुझसे बात करना 

अब शायद उसकी हिम्मत मुझसे बात करने की उसकी हिम्मत बढ़ गयी थी इसीलिए जब शाम हुई तो मैं अपने कुछ सहेलियों के साथ अपने घर के बहार बैठी थी तभी उसने मुझसे पूछा अनामिका क्या तुम सुबह भी मेरे साथ कॉलेज चलना पसंद करोगी मैंने कहा नहीं मम्मी गुस्सा करेंगी तब तक मम्मी ने पीछे से सुन लिया उनहोंने कहा ठीक है चली जाना भैया ही तो हैं मैंने फिर भी कहा नहीं मम्मी मैं टैक्सी से चली जाउंगी ये इसलिए कहा ताकि मम्मी कही शक ना करने लगे जबकि चाहती तो मैं भी येही थी/ मम्मी ने कहा पागल हो जब भैया वही से जाते हैं तो साथ में चली जाना दिक्कत क्या है/ मैंने कहा ठीक है मम्मी आप कहती है तो मैं चली जाउंगी ये कहने से अब मम्मी की भी इजाजत मिल गयी थी / अब हमारी बातों का सिलसिला सुरु हो चूका था/  मम्मी इतना कहकर अन्दर चली गयी और अब उसकी हिम्मत और बढ़ चुकी थी / वो पढ़ा लिखा था मैं कॉलेज में मैथ की स्टूडेंट थी उसने कहा अनामिका अगर मैथ में कोई दिक्कत हो तो मुझसे पूछ लिया करो/ मैंने कहा क्या आप मेरी मदद करेंगे उसने कहा हाँ क्यू नहीं मैं खुद मैथ का स्टूडेंट रहा हूँ मैंने कहा क्या आप अभी मुझे एक सवाल बता देंगे उसने कहा हाँ हाँ व नहीं मैं अन्दर जाकर किताब ले आयी और उसके बगल में बैठ गयी वो मुझे सवाल बताने लगा मैं उसके थोडा और करीब जाकर बैठ गयी अब मेरी चूची उसके हांथों से टकराने लगी वो थोडा और और करीब सरक आया अब वो जान बुझकर धीरे धीरे मेरी चुचियों से हाथ रगड़ रगड़कर सवाल बताने लगा मुझे भी मजा आ रहा था और उसे भी खैर उसने सवाल हल कर दिया जबकि मैं चाहती थी की वो थोड़ी और मेरी चुचियों को रगड़ता रहे मगर लड़के होते ही डरपोक होते हैं/ मैं कहा एक और सवाल बता दीजिये ना उसने कहा हा क्यू नहीं लाओ कहाँ है सवाल मैंने दूसरा सवाल उसके आगे रख दिया ये सवाल मुझे आता था मगर मैंने जानबूझकर उससे पूछ ये सवाल पूछ लिया ताकि थोडा और चूची मर्दन का मजा ले लिया जाये/ अब वो थो और करीब आकर मेरी चुचियों को रगड़कर सवाल बताने लगा जब वो रगड़ता तो मुझे मजा आता अब निचे भी मेरे अजीब सा होने लगा था/ उसने एक सफल मैथमाटेसियन की तरह सवाल हल कर दिया और मुझ पर इम्प्रैशन ज़माने लगा/ आखिर मैं कब तक उससे सवाल पूछती मैंने कहा भैया हो गया अब मुझे जब भी मैथ में दिक्कत होगी मैं आपसे सवाल पूछ लुंगी/
आगे की कहानी मैं आपको कल सुनाऊंगी .........

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दोस्त ने मेरी गर्लफ्रेण्ड चोदी तो मैंने उसकी गर्लफ्रेण्ड चोदी



दोस्तो, मैं अजय आज आपको बताने जा रहा हूँ कि कैसे मेरे मन में अपने बेस्ट फ्रेंड की गर्लफ्रेंड को चोदने की इच्छा जागी।
मैं और प्रवीण बहुत अच्छे दोस्त थे और मेरी एक गर्लफ्रेंड थी.. जिसका नाम अंजना था.. जो बहुत ही खूबसूरत थी। उसको कॉलेज में न जाने कितने टीचर.. लड़के और चपरासी तक चोदने की इच्छा रखते होंगे.. और न जाने कितनों ने तो उसे सपने में चोद-चोद कर उसकी चूत फाड़ दी होगी।
खैर.. मैं आपको बताने जा रहा हूँ कैसे मेरे मन में अपने दोस्त की गर्लफ्रेण्ड को चोदने की इच्छा जागी।

दोस्त ने मेरी गर्लफ्रेण्ड चोदी

बात हमारे कॉलेज खत्म होने के बाद की है। कॉलेज के लास्ट ईयर में हमारे और अंजना के बीच लड़ाई होने लगी थी। कॉलेज खत्म होने के बाद उसकी जॉब बैंगलोर में लग गई और फाइनली हमारा रिलेशनशिप टूट गया।
बात जब बिगड़ी जब प्रवीण ने अंजना को चोद दिया और मुझे धोखा दिया।
हुआ यूं कि करीब हमारे ब्रेकअप के 7 महीने बाद वो कॉलेज से अपनी डिग्री लेने दिल्ली आई। चूंकि दिल्ली में इस टाइम सिर्फ प्रवीण ही उसका एक दोस्त था। उसने प्रवीण को बताया कि वो दिल्ली आ रही है और वो उसकी डिग्री लेने में कॉलेज से हेल्प कर दे।
वो दिल्ली आई और प्रवीण से मिली। उसको दिल्ली रुकना था.. सो उसने प्रवीण को होटल बुक करने बोला.. पर प्रवीण ने उसे किसी तरह उसको अपने फ्लैट पर रुकने के लिए मना लिया। डिग्री लेने में पूरा दिन कॉलेज में निकल गया और अब शाम को वो दोनों फ्लैट पर आए और अब प्रवीण ने उसको चोदने की कोशिश शुरू की। चूंकि वो अकेले रहता था.. सो उसका फ्लैट एक कमरे का ही था और उसमें एक ही बिस्तर था। इस वक्त ठंडी का टाइम था और साले के पास एक ही कम्बल था।
दोस्तो, यह आप सबको भी पता होगा कि एक बार चुदने के बाद लड़की बार-बार चुदना चाहती है.. उनके कंट्रोल करने की क्षमता भी कम हो जाती है।
अंजना को भी चुदे 7 महीने हो चुके थे.. सो बस प्रवीण को आग में घी डालना बाकी था.. जो कि वो बहुत अच्छे से जानता था।
खाना खाने के बाद दोनों एक ही कम्बल में घुस कर बात करने लगे और धीरे-धीरे अंजना सो सी गई, उसकी पीठ प्रवीण की तरफ थी। उसकी गाण्ड का उभार इतना सेक्सी था कि किसी का भी कंट्रोल करना मुश्किल हो जाए।
फिर प्रवीण ने भी सोने का नाटक किया और अपना हाथ उसके ऊपर रख दिया। धीरे-धीरे वो अंजना के पेट पर अपने हाथों को चलाने लगा। जब काफी देर तक ऐसा करने पर कोई उत्तर नहीं आया.. तो प्रवीण समझ गया कि अंजना की तरफ से हरी झण्डी है।
उसने पीछे से अंजना की गर्दन पर अपने गर्म होंठ रख दिए और चूमने लगा, फिर अपने हाथों को आगे ले जाकर उसकी चूचियों को दबाने लगा।
अंजना ने थोड़ी नौटंकी की और मना किया लेकिन उसकी इस ‘न’ में भी ‘हाँ’ थी।
फिर क्या था प्रवीण ने उसकी चूचियों को दबा-दबा कर उसको पागल कर दिया। फिर उसने धीरे-धीरे पहले टी-शर्ट उतारी.. फिर ब्रा को खींच कर फेंक दिया जो कमरे के किसी कोने में जा गिरी थी।
अब प्रवीन ने अंजना की चूचियां बेरहमी से मसलना शुरू कर दिया, अंजना मादकता में ‘आह.. आह..’ कर रही थी।
प्रवीण भी हरामी था.. सीधे चूचियों को चूसने की बजाए वो पहले मम्मों के अगल-बगल को चूस रहा था और घुण्डी को बस हाथ से छूकर छोड़ देता था जिससे अंजना और पागल हो गई थी।
वो अपने हाथ से पकड़ कर बार-बार उसके सर को चूची पर जबरदस्ती ले जा रही थी।
फिर प्रवीण ने उसकी गोरी-गोरी चूचियों को ऐसे चूसना शुरू किया.. जैसे एक छोटा बच्चा अपनी माँ का दूध पी रहा हो।
अंजना के हाथ उसके ऊपर तेजी से चल रहे थे चूची चूसने के साथ-साथ प्रवीण का हाथ अंजना की चूत पर आ चुका था और वो उसको लोअर के ऊपर से ही रगड़ने लगा।
इससे अंजना और भी पागल हो गई।
काफी देर तक प्रवीण उसको ऊपर से चूसता रहा और फिर एकदम से अंजना को पूरी नंगी कर दिया। पूरी नंगी देख कर प्रवीण पागल हो गया और चिल्लाते हुए हँस-हँस कर बोलने लगा- साली कॉलेज के पहले दिन से तुझे चोदना था और आज मौका मिला है.. आज तुझे बिना रहम के चोदूँगा!
और यह बोलते-बोलते उसने अपना लंड एक झटके में अंजना की चूत में उतार दिया।
अंजना की चीख निकल गई।
बस फिर क्या था, चुदाई की सिर्फ कामुकता से लबरेज आवाजें कमरे में गूँज रही थीं.. या ‘फच..फच..’ की आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था।
काफी देर तक चोदने के बाद प्रवीण झड़ गया।
अंजना भी चुद पिट कर तृप्त हो चुकी थी उनकी चुदाई के बाद वे दोनों मजे से लिपट कर सो गए।
फिर जब तक अंजना दिल्ली में रही प्रवीण और उसकी चुदाई जारी रही और दोस्तों यही रीज़न था जिसकी वजह से मैंने अपने बेस्टफ्रेंड की गर्ल फ्रेंड को चोदा।

मैंने उसको कैसे चोदा, यह जान लीजिए।

यह बात दीवाली की है.. प्रवीण दीवाली में घर चला गया और अनामिका किसी वजह से इस बार नहीं जा पाई।
चूंकि मैं भी दीवाली में इस बार यहीं दिल्ली में था, मैंने अनामिका को दीवाली साथ मनाने को बोला और वो मान गई क्योंकि उसको अभी मेरी नियत का अंदाजा नहीं था कि मैं उसको चोदने की सोच रहा हूँ।
दोस्तो, अनामिका भी बहुत ही खूबसूरत लड़की थी.. गोरा रंग.. भरी हुई चूचियाँ इतनी प्यारी.. कि देखते ही मुँह में लेने का मन करे और उसकी गाण्ड का उभार तो किसी को भी पागल कर सकता था।
दीवाली के दिन वो मेरे फ्लैट आ गई और फिर पूरे दिन हमने घर को सजाया.. साथ मिल कर खाना बनाया और अब वक़्त था पटाखे छुड़ाने का।
मुझे अंदाजा नहीं था कि मौका इतनी जल्दी हाथ लग जाएगा।
हम पटाखे छुड़ाने में बिजी थे.. तभी अचानक से एक बम फटा और अनामिका डर से मुझसे चिपक गई और वो इतनी जोर से मुझसे चिपकी कि उसकी चूचियों का उभार मैं बहुत आसानी से महसूस कर सकता था।
उसकी इस हरकत से मेरा मोटा और लम्बा लंड उसकी गाण्ड फाड़ने को बेचैन हो उठा था।
मैं भी हरामी था.. मैंने भी उसको जोर से पकड़ लिया और मेरा लंड उसकी चूत पर एकदम दस्तक देने को तैयार हो उठा था।
तभी वो अचानक से मुझसे छूट कर छत से कमरे में भागी, मैं भी उसके पीछे-पीछे कमरे तक गया।
तभी ये क्या हुआ.. एक दनदनाता हुआ चांटा मेरे गाल पर पड़ा और वो मुझ पर चिल्लाई- तुम्हें ऐसी हरकत करते हुए शरम नहीं आ रही है।
मेरा दिमाग उसके झापड़ से एकदम से गरम हो गया। मैंने उसको पकड़ कर दीवार पर चिपका दिया और जोर से चिल्लाया- जब तेरा बॉयफ्रेंड मेरी एक गर्लफ्रेंड को चोद सकता है तो मैं तुझे क्यों नही चोदूँ।
इतना कहते ही उसकी पकड़ ढीली पड़ गई और मैं अपने होंठों को उसके गुलाबी होंठों पर रख कर देर तक चूसता रहा।
फिर मैंने उसको पूरी कहानी बताई कैसे प्रवीण ने अंजना को चोदा और कैसे वो साली रंडी उससे बड़े मजे से चुदी।
इतना सुनना था कि अनामिका ने प्रवीण को फ़ोन कर के बोला- बहुत शौक है न तुझे दूसरी लड़की चोदने का.. देख आज कैसे में अजय से चुदती हूँ और अब तुझे पता चलेगा कि कैसा लगता है और दूसरे पे क्या बीतती है। साले तूने मेरा विश्वास तोड़ा है।
इतना कह कर उसने फ़ोन कट किया और बिना कुछ बोले लोअर से मेरा लंड निकाल कर चूसने लगी।
उसके हाथों के स्पर्श से ही मेरा लंड तन कर एकदम लोहा हो चुका था, वो कभी मेरे लंड को अपनी जीभ से ऊपर से नीचे तक चाटती कभी मेरे अण्डों को मुँह में ले कर चूसती।
मैं पूरा पागल हो चुका था.. इतना मजा मुझे आज तक नहीं मिला था।
फिर क्या था.. मैंने एक मिनट में उसकी सलवार को मय पैंटी के.. उसके बदन से अलग किया और आव देखा ना ताव.. अपना लम्बा लंड उसकी चूत में पेल दिया।
वो जोर से चिल्लाई और बोली- साले, बहुत लम्बा है तेरा.. धीरे-धीरे कर.. मुझे इतने बड़े की आदत नहीं है।
लेकिन मैं कहाँ सुनने वाला था.. मैं अपने तीसरे पैर को उसकी चूत में पेलता रहा और वो चिल्लाती रही।
फिर 5 मिनट बाद उसके चिल्लाने की अवाज ‘आह.. आह..’ की आवाज में बदल चुकी थी और वो अब मेरा साथ बड़े मजे से दे रही थी। उसके हाथ मेरे पूरे शरीर पर घूम रहे थे।
चुदाई करते समय कुछ देर के लिए मैं रुका, मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसके गालों को होंठों को चूमने लगा।
वो लण्ड की कमी से तड़पने लगी।
मैं चुदाई बीच में छोड़ कर उसके पूरे शरीर को चूमने लगा.. कभी चूचियों को हल्का सा काट देता.. कभी उसको उल्टा करके पूरी पीठ को चूमता।
ऐसा करने से वो और भी पागल हो गई, वो लण्ड की चाह से तड़फ रही थी।
मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर लगाया और अपनी जीभ को उसकी चूत की दरार में पेल कर उसको चूसने लगा।
वो पागलों की तरह तड़पने लगी और बोलने लगी- प्लीज.. अब चोद दो.. अब कंट्रोल नहीं हो रहा है।
फिर मैंने उसको उठाया.. खड़ा किया और दीवाल की तरफ पीठ करके खड़ा कर दिया। मैंने उसके पैरों को हल्का सा फैलाया और अपना लंड उसकी चूत में उतार दिया। वो सिर्फ ‘अह..’ ही कर पाई।
मैंने उसके दोनों हाथों को पकड़ कर फैला कर दीवाल से लगा दिया और चोदने लगा। मेरा लंड उसके चूत मैं ऐसे अन्दर-बाहर होने लगा.. जैसे बोरिंग की मशीन चल रही हो।
मैं उसको ऐसे चोदे जा रहा था.. जैसे मुझे कभी चूत मिली ही ना हो।
सच में यार.. क्या चूत थी.. बहुत मजा आ रहा था चोदने में!
लम्बे समय तक चोदने के बाद वो दो बार झड़ चुकी थी और बार-बार मुझे हटाने की कोशिश कर रही थी।
फिर मैंने अपना लंड निकाला उसको सीधा किया.. व उठा कर बिस्तर पर पटक दिया और उसके ऊपर आ गया।
मैंने अपने लंड को उसकी चूचियों के बीच में रख कर दोनों हाथों से मम्मों को पकड़ कर उसकी चूचियों को चोदने लगा। मेरा लंड चूचियों को चीर-चीर कर उसके मुँह में घुस रहा था।
हम दोनों एन्जॉय कर रहे थे। करीब 5 मिनट बाद उसका पूरा मुँह मेरे वीर्य से सना हुआ था और मैं इतनी लम्बी और जबरदस्त चुदाई के बाद अपना बदला ले चुका था।
मैंने उसके मुँह को कपड़े से साफ़ किया और उसको प्यार से किस किया।
उसके बाद मैंने उस रात उसे चार बार चोदा और अगले दिन जब वो गई तो मैं बहुत खुश था।
उसका प्रवीण से ब्रेकअप हो चुका था और अब उसका नया बॉयफ्रेंड बन चुका है। ऐसा नहीं है कि मैंने उसके बाद उसको नहीं चोदा.. उसके बाद करीब एक साल तक तक मैंने चोदा और आज भी मौका मिलने पर चोद देता हूँ।

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नेहा की चुदाई


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मस्त भाभी के साथ होटल में मौज़




 
हिन्दी सेक्स कहानी पढ़ने वाले मेरे दोस्तों को नमस्कार..
मैं प्रणव, मैं मुंबई में रह कर मॉडलिंग करता हूँ। मेरी अच्छी खासी बॉडी है.. स्मार्ट और डैशिंग हूँ.. मेरे 8 पैक एब्स भी हैं।
मेरी कहानी अभी कुछ दिन पहले की ही है।
मैं मुंबई में नया-नया आया था और एक फ्लैट में अपने फ्रेंड के साथ रह रहा था। वहाँ पर एक बगल के फ्लैट में शादीशुदा कपल रहता था। मैं जब वहाँ आया था.. तो सब चीजें मेरे लिए नई थीं।
मैं एक दिन फ्लैट से निकला। मैं लिफ्ट में जा रहा था.. तब मैंने देखा कि खूबसूरत सी औरत जो कमाल की थी.. उसका फिगर लगभग 36-30-36 का होगा, उसका रंग बिल्कुल दूध की तरह गोरा था।
मैं उसे देखता ही रह गया.. कमाल की आइटम थी वो।
लिफ्ट में उससे मेरी कोई बातचीत नहीं हुई।
मैं अपने काम से चला गया।
फिर जब मैं वापस फ्लैट पर आया तो देखा वही औरत अपने पति के साथ कहीं जा रही थी। उन दोनों की बातों से लग रहा था कि वो पति-पत्नी हैं।
उस औरत ने फिर मुझे देखा।
मैं बहुत खुश हुआ कि यह औरत मेरे बगल के फ्लैट की ही है।
फिर कुछ दिन यूं ही बीत गए और एक दिन किसी ने फ्लैट पर दस्तक दी.. तो मैंने दरवाजा खोला।
मैं तो देखता ही रह गया… वही औरत मेरे सामने खड़ी थी।
कुछ समय तक मैं उसको और वो मुझे देखते रहे।
मैंने पूछा- जी आप..
तब उन्होंने बोला- जी.. मैं श्रेया हूँ और मैं साइड वाले फ्लैट में रहती हूँ।
भाभी ने मुझसे मेरे फ्रेंड के बारे में पूछा- रवि कहाँ है?
तो मैंने बोला- रवि शूट पर गया है। आपको कोई काम?
भाभी ने बोला- वो गैस सिलेंडर चेंज करना है.. और मेरे पति घर पर नहीं हैं।
मैंने कहा- चलिए मैं आपकी हेल्प कर देता हूँ।
उन्होंने हामी भरी और मैंने उनका गैस सिलेंडर चेंज कर दिया.. और जाने लगा।
तो भाभी बोली- प्लीज बैठो.. मैं कॉफ़ी बनाती हूँ।
मैं बैठ गया और कुछ देर में वो कॉफ़ी लेकर आई और मुझसे बात करने लगीं।
हम दोनों को बातों में पता ही चला.. हम लोग एक घंटे तक बात करते रहे।
वो मुझसे काफी इम्प्रेस हुई थीं।
इसके बाद तो हम दोनों जब भी मिलते थे.. तो बड़ी गर्म जोशी से ‘हाय-हैलो’ होती थी।
कुछ दिन बाद उनके पति अपने बिजनेस के काम से दुबई चले गए, वो बहुत अकेली हो गई थीं।
अब जब भी वो बोर होतीं.. तो मुझे बुला लेतीं या मैं अकेला होता.. तो वो मेरे फ्लैट पर ही आ जाती थीं।
हम बहुत अच्छे फ्रेंड बन गए थे।
एक दिन उनको एक फ्रेंड की शादी में जाना था जो उनके घर से 30 किमी. दूर था, उन्होंने मुझसे साथ चलने के लिए बोला।
मैं शाम को फ्री था, तो उसके साथ चला गया।
मैंने जब उनको ब्लैक साड़ी में देखा.. तो कसम से उनको देखता ही रह गया।
फिर उनकी कार से हम दोनों शादी में गए। शादी एक 5 स्टार होटल से थी। हम जब शादी से लौट रहे थे.. तो रास्ते में कार ख़राब हो गई।
रात के बारह बज रहे थे।
हमने सोचा कि अब आज की रात यहीं किसी होटल में रुक जाते हैं।
हम पास के एक होटल में गए.. वहाँ केवल एक रूम ही फ्री था..
मैंने कहा- चलिए आगे किसी और होटल में चलते हैं।
तो भाभी बोली- कोई बात नहीं.. हम लोग एडजस्ट कर लेंगे।
फिर बुकिंग करके हम दोनों रूम में आ गए।
मैंने बोला- मैं सोफे पर सो जाऊंगा।
भाभी ने बोला- नहीं.. मैं सो जाऊँगी.. तुम यहाँ सो जाओ।
मैं बोला- कोई बात नहीं.. मैं सो जाऊँगा सोफे पर।
फिर हम दोनों सो गए।
सोफे पर मुझे बहुत प्रॉब्लम हो रही थी तो मेरी बेचैनी देख कर उन्होंने बोला- तुम भी बिस्तर पर ही आ जाओ।
मैं भी बिस्तर पर ही जाकर सो गया।

भाभी ने लंड चूसा

कुछ समय बाद.. शायद रात के दो बज रहे होंगे.. मुझे कुछ महसूस हुआ।
जब मैंने देखा तो वो उनका हाथ था.. वो अपने हाथ से मेरे सीने को छू रही थीं।
मैं कुछ नहीं बोला.. तो वो मेरे लंड को रगड़ने लगीं।
मैं जाग रहा था.. और अब मुझसे कण्ट्रोल नहीं हो रहा था।
मैं फिर भी शांत पड़ा रहा.. लेकिन मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था, मैं बस सोने का नाटक कर रहा था।
उन्होंने मेरी जीन्स की चैन खोल दी और लंड को बाहर निकाल कर हिलाने लगीं।
मेरा लंड अकड़ गया तो मुँह में लेकर चूसने लगीं।
मुझसे भी नहीं रहा गया.. मैं भी उठ गया और अपना लण्ड उनके मुँह में और जोर से पेलने लगा।
वो बोलीं- मैं तुमसे बहुत दिन से चुदना चाहती थी।
हम दोनों का प्रेमालाप चलने लगा।
भाभी ने बताया कि उनके पति उनको ज्यादा नहीं चोदते।
मैंने उनको पकड़ा और जैसे बहुत दिन की मेरी उनको चोदने की इच्छा को ऊपर वाले ने पूरी कर दी।
मैंने उनकी साड़ी खींच कर उतार दी.. उन्होंने मेरी शर्ट उतार दी। मैं उनको पकड़ कर किस करने लगा.. वो मेरे सीने से चिपक गईं।
मैं उनके ब्लाउज के ऊपर से ही उनके मम्मों को चूसने और काटने लगा।
वो मादक सिसकारियाँ ले रही थीं।
मैं उनको और जोर से पकड़ कर किस करने लगा।
मैंने अपनी जीन्स उतारी और अपना लंड उनको चुसाने लगा, वो भी बड़े मज़े से मेरा लण्ड चूस रही थीं।
फिर कुछ देर लंड चुसाने के बाद मैंने उनका ब्लाउज उतार कर उनको बिस्तर पर लेटा दिया और उनके बड़े-बड़े मम्मों को चूसने लगा।

नंगी भाभी की चूत

भाभी लगातार मस्त हो रही थीं और पूरी गर्म हो गई थीं, मैं उनको और गर्म करने के लिए उनकी चड्डी उतार कर उनकी चूत को चाटने लगा।
वो और गर्म हो गईं और मेरा सर चूत में दबाने लगीं। मैं भी मस्त चूत चाट रहा था और तभी उन्होंने एकदम से अकड़ कर पानी छोड़ दिया।
कुछ देर निढाल रहने के बाद हम दोनों 69 की पोजीशन में लेट गए, वो मेरा लंड चूस रही थीं और मैं उनकी चूत चाट रहा था।
फिर कुछ टाइम बाद मैं खड़ा हुआ और उनको सीधे लेटा कर लौड़े को उनकी चूत में लगा कर ठेल दिया।
उनको थोड़ा दर्द हुआ.. फिर वो भी मजे लेने लगीं।
मैं उनको चोद कर खूब मज़े दे रहा था, वो मेरा पूरा साथ दे रही थीं।
अंत में मैं उनको पेलते हुए झड़ गया।
मैं उनको काफी देर तक पेलता रहा था, भाभी इस चुदाई के दौरान 3 बार झड़ चुकी थीं, वो मुझसे बहुत खुश हुईं..

भाभी की गांड

और कुछ देर बाद जब मेरा लंड फिर से खड़ा हुआ तो मैं उनको डॉगी पोज में करके उनकी गांड में अपना लंड डालने लगा।
उनको बहुत दर्द हो रहा था.. लेकिन मैंने थोड़ा रुक कर उनकी चूचियों को सहलाया और अचानक ही एक झटके में धक्का मार कर आधा लंड अन्दर पेल दिया।
उनको बहुत दर्द हो रहा था, मैं थोड़ा और रुक गया।
जब वो कुछ सामान्य हुईं तो मैंने फिर से एक धक्का मार दिया, अब मेरा पूरा लंड गांड में घुस गया।
वो दर्द से चिल्ला उठीं ‘आह्ह.. मर गई..’
मैं उनके मम्मों को दबाता रहा और दो मिनट बाद वो खुद अपनी कमर हिलाने लगीं। मैं भी उनको मजे से पेलने लगा। कुछ मिनट तक पेलते हुए मैं उनकी गांड में ही झड़ गया।
वो मुझे ख़ुशी से किस करने लगीं.. मैं भी उनको किस करता हुआ उनके बगल में लेट गया।
इस तरह से मेरा उनके साथ जिस्मानी रिश्ता बन गया था। अब मैं उनको मौका मिलते ही चोद लेता हूँ।

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भाभी का नंगा बदन



मैं दिखने में हल्का सांवला और 5’10” गठीला और छरहरा शरीर का हूँ। मैं 2 वर्षों से नियमित रूप से
बात उन दिनों की है.. जब मैं एम ए की पढ़ाई कर रहा था। उस समय मैं किराए पर कमरा लेकर शहर में रहता था और अपनी पढ़ाई में बिज़ी रहता था।
पास में ही मेरे कमरे के बगल में ही एक फैमिली रहती थी, वे केवल दो ही लोग थे.. अभी शायद ‘न्यू कपल’ थे।

भाभी से दोस्ती

एक दिन मेरे कमरे में पानी ख़त्म हो गया तो मैं उनके यहाँ पीने का पानी लेने गया।
दरवाजे पर घंटी बजाई तो थोड़ी ही देर में दरवाजा खुला।
जैसे ही दरवाजा खुला.. मैं सामने एक सुंदर लड़की की उम्र की नवविवाहिता को देख कर देखता ही रह गया।
तभी उसने पूछा- क्या काम है?
तो मुझे एकदम से होश आया.. और मैंने पानी लेने के लिए बोला।
वो मुस्कराने लगी.. और पानी देने के लिए तैयार हो गई और मुझे अन्दर आने को कहा। इसी दरमियान उसने मुझसे पूछा- तुम क्या करते हो?
तो मैं बोला- पढ़ता हूँ।
और बस इसी प्रकार उससे धीरे धीरे बातचीत होना शुरू हो गया।
अब कभी कुछ चीज़ की उसको ज़रूरत पड़ती तो कॉल कर देती थी और मैं उसकी जरूरत का सामान ला देता या कुछ काम भी कर देता था।
इसी क्रम में बातचीत करने से पता चला कि उसके पति अक्सर बिजनेस के सिलसिले में बाहर ही रहते थे।
बाद में एक दिन उसके पति से भी मुलाकात हुई और उनसे भी बातचीत होने लगी।
इस प्रकार मैं उस घर का विश्वस्त व्यक्ति बन गया।
मैं उससे इतना घुल मिल गया कि अब मैं खाली समय में उसके घर टीवी देखने भी चला जाता था।
मैं उसे भाभी ही कहता था।
मुझे अभी तक उसका नाम नहीं मालूम था।

भाभी ने मुझे अपने घर बुलाया

एक दिन ऐसे ही शाम के करीब 5 बजे भाभी ने कॉल करके मुझसे पूछा- क्या कर रहे हो संजय?
मैं बोला- कुछ नहीं ऐसे ही पढ़ाई कर रहा हूँ.. लेकिन अब पढ़ने का मन नहीं कर रहा है।
तो वो बोली- मेरा भी मन नहीं लग रहा है.. कोई नहीं है, यहीं पर आ जाओ किताब लेकर, पढ़ना भी और मैं भी तुमसे बात करती रहूंगी, मेरा भी मन लगा रहेगा।
तो मैंने ‘हाँ’ कर दी और उसके घर चल दिया।
उसके घर पर जाते ही जैसे मैंने दरवाजे पर उसे देखा तो आज वो कुछ अलग ही नज़र आ रही थी।
मैं भाभी को कुछ देर तक देखता ही रह गया। वो सफ़ेद रंग की पारदर्शी नाइटी पहने हुए थी और अन्दर लाल रंग की ब्रा और पैन्टी साफ-साफ दिख रही थी।
उसका रंग एकदम गोरा दूधिया था.. और उसके होंठ सुर्ख लाल थे।
वो दिखने में एकदम अप्सरा जैसी थी।
तभी भाभी अचानक टोकते हुए बोली- क्या हुआ संजय? क्या इतने गौर से देख रहे हो? मुझे इस से पहले कभी नहीं देखा क्या?
मैंने उससे नज़रें मिलाते हुए कहा- आज आप कुछ ज़्यादा ही सुंदर दिख रही हैं।
तो वो खुश हो कर बोली- सच में?
मैं बोला- हाँ..
इसके बाद भाभी मुझे बैठा कर चाय बनाने चली गईं।
थोड़ी देर में ही वो वापस चाय ले कर आई, हम दोनों पास में ही बैठ कर चाय पीने लगे और टीवी देखने लगे।

प्यार और गर्लफ़्रेंड की बातें

थोड़ी देर सन्नाटा रहने के बाद वो बोली- आज तुम इतने शांत-शांत क्यों हो?
तो मैं बोला- कुछ नहीं.. आज आप बहुत सुंदर लग रही हैं।
वो मुस्कुराने लगी और मुझसे पूछने लगी- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैं बोला- नहीं..
वो बोली- इतने स्मार्ट दिखते हो.. गर्लफ्रेंड क्यों नहीं बनाई?
मैंने बोला- कोई आज तक सुंदर लड़की मिली ही नहीं..
इस पर भाभी बोली- मैं तुम्हें सुंदर लगती हूँ?
मैं बोला- आप तो बहुत सुंदर हैं।
इस पर अर्थपूर्ण ढंग से भाभी मुस्कराते हुए बोली- ठीक है.. तो आज से तुम मुझे ही अपना गर्लफ्रेंड बना लो..
मैं मुस्काराया और बोला- आप क्यों मज़ाक कर रही हैं?
वो बोली- मैं मज़ाक नहीं कर रही हूँ.. तुम मुझे अपनी गर्लफ्रेंड बनाओगे?
मैंने तुरंत ‘हाँ’ कह दिया.. और वो मेरे ‘हाँ’ कहते ही मेरे नज़दीक आकर बैठ गई। हम दोनों साथ में चाय पी रहे थे और बातें भी कर रहे थे।
तभी अचानक वो मुझे देखने लगी और मुझे ही केवल देख रही थी।
तो मैंने उससे पूछा- क्या देख रही हैं.?
बोली- तुम कितने मासूम हो और सीधे भी हो.. लेकिन सेक्सी हो..
यह कह कर भाभी तिरछी नज़र से मुस्कराने लगी।
मैं समझ गया कि वो मुझसे मस्ती कर रही है, मैंने भी तुरंत कहा- आप भी कम सेक्सी नहीं हैं।
इस पर वो और मैं दोनों हँसने लगे।

प्रथम स्पर्श और चुम्बन

तभी मैं रास्ता साफ देख कर उसकी बांहों को ऊपर से नीचे तक सहलाने लगा।
इस पर वो काफ़ी मदहोश हुए जा रही थी और अपने होंठ मेरे होंठों के पास लाने लगी।
इस प्रकार हम दोनों एक-दूसरे के होंठ चूसने लगे।
होंठ चूसते हुए मैं उसकी पीठ पर हाथ से सहलाए जा रहा था और भाभी मेरे बालों में हाथ फिरा रही थी।
कुछ ही पलों में पूरे जोश के साथ हम एक-दूसरे को चूस रहे थे।
मैं उसकी जीभ को और वो मेरी जीभ को स्पर्श करके सहला रहे थे।
इसमें हम दोनों को काफ़ी मज़े आ रहे थे।
करीब दस मिनट तक यह सिलसिला चलता रहा।
अब हम दोनों गर्म हो चुके थे।

भाभी के बिस्तर में

तभी मैंने उसको गोद में उठाया और लेकर उसके बेडरूम में जाकर बिस्तर पर लेटा दिया और खुद उसके बगल में लेट कर उसको चुम्बन करने लगा।
भाभी भी मुझे किस किए जा रही थी।
मैं उसके होंठों को.. आँखों को.. गालों पर चुम्बन किए जा रहा था, वो भी मुझे इसी प्रकार चूम रही थी।
मैंने चूमते हुए उसके और अपने पूरे कपड़े धीरे-धीरे उतार दिए, अब वो केवल ब्रा और पैन्टी में और मैं केवल अंडरवियर में ही था।
मैं भाभी को किस करते हुए नीचे उसके गले को किस करते हुए उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके दोनों मम्मों को किस करने लगा।
अब तक भाभी की आँखें बंद हो गई थीं और वो आनन्द में केवल हल्की-हल्की आवाज़ करने लगी थी।

भाभी का नंगा बदन

मैंने उसको हल्का करवट दे करके उसकी ब्रा को भी धीरे से निकाल दिया।
अब उसके उरोज बिल्कुल नंगे थे।
मैं पहली बार किसी लड़की को इस प्रकार नंगी देख रहा था।
भाभी की चूचियां काफ़ी सुंदर थीं.. तथा निप्पल गुलाबी रंग के थे।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
वो इस वक्त इतनी कामुक लग रही थी कि उसके नुकीले और तने हुए निप्पलों को देख कर बुड्डे आदमी का भी लण्ड खड़ा हो जाए।
मैंने धीरे से उसके एक स्तन पर चुम्बन किया और उसके अग्र भाग को हल्के से अपने होंठों से दबा कर खींचा.. उससे वो चिहुंक पड़ी।
वो अपने निप्पल को और अधिक मेरे मुँह में देने को आतुर सी हो उठी।
मैं भी उसको खींचते हुए चूसने लगा।
कुछ मिनट तक चूसने के बाद मैं नीचे की तरफ बढ़ने लगा, उसकी गहरी नाभि में भी जीभ डाल कर मैंने उसे किस किया।
भाभी आँखें बंद किए हुए थी और मेरे बालों में उंगलियों से सहला रही थी।
मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था।

भाभी की चूत की खुशबू

अब मैं उसे चूमते हुए नीचे की ओर बढ़ने लगा और उसकी पैन्टी के पास मेरी नाक जाते ही भाभी की चूत की एक मदहोश कर देने वाली खुशबू से मेरा दिल खुश हो गया।
उसकी पैन्टी पर होंठ रखते ही मुझे पता चल गया कि उसकी पैन्टी गीली हो चुकी है। शायद वो एक बार झड़ चुकी थी।
मैं चूतरस से सराबोर भाभी की पैन्टी को ही ऊपर से चाटने लगा और उसके स्वाद से मदहोश होने लगा।
अब तक भाभी पूरी गर्म हो चुकी थी और मेरा सिर अपनी चूत की तरफ ज़ोर-ज़ोर से दबा रही थी।
लेकिन मैं उसे अभी और गर्म करना चाहता था।
अब मैं उसकी जाँघों को चूमने चाटने लगा और जाँघों से किस करते-करते उसके तलवों को भी किस किया।
भाभी अब आँखें खोल कर मुझे प्यासी नज़रों से देख रही थी और मानो कह रही थी कि अब मुझे मत तड़पाओ संजय और मुझे चोद डालो।
मैंने उसकी पैन्टी को धीरे-धीरे खींचना शुरू किया। वैसे तो उसकी चूत पैन्टी के ऊपर से ही साफ-साफ उभरी हुई दिख रही थी।
जब मैंने उसकी को पैन्टी खींचना शुरू किया.. तो देखा कि कुछ लिसलिसा सा पदार्थ उसकी पैन्टी से लग कर पतला तार सा बनाता हुआ खिंच रहा था। मुझे लगा कि ये बताता है कि वो एक बार झड़ चुकी है।

भाभी की चिकनी चूत

अब मैंने जब उसकी पैन्टी को निकाल दिया तो उसकी चूत से नज़रें ही नहीं हट रही थीं।
मैंने ऐसा नज़ारा अपने जीवन में कभी नहीं देखा था दोस्तो… उसकी चूत पर उसका रजरस लगा हुआ होने से चमक रहा था।
मैं उसकी मादक खुश्बू से ऐसे ही मदहोश हुए जा रहा था।
उसकी बिल्कुल गुलाबी और क्लीन शेव की हुई चिकनी चूत को देख कर मैं देखता ही रह गया।
कुछ देर के बाद मैं धीरे-धीरे अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटने लगा।
मेरे चूत चाटने से भाभी तो मानो उछल पड़ी।
मैंने उसकी तरफ देखा और पूछा- क्या हुआ?
भाभी बोली तो कुछ नहीं.. बस मेरा सिर अपनी चूत की तरफ़ दबाने लगी।
मैं भी उसकी चूत को दोनों अंगूठों से खोलकर उसके अन्दर जहाँ तक हो सकता था, अपनी जीभ घुसा कर चाटने लगा।
उसके पैर मेरे दोनों तरफ थे ओर मैं पैरों के बीच में चूत पर मुँह रखे हुए पड़ा था और उसकी चूत के रस का आनन्द ले रहा था।
कुछ मिनट तक चूत चूसने के बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और थोड़े ही पलों में वो मेरे मुँह में ही अपनी पिचकारी छोड़ने लगी।
मैं भी उसके रस को मजे से पी गया।
अब भाभी निढाल हो कर पड़ी हुई थी, मैं उसके पास जाकर उसे फिर से किस करने लगा और थोड़ी ही देर में फिर से वो तैयार हो गई।
अब मेरा भी मन नहीं मान रहा था और अब उसे चोदने की इच्छा कर रही थी। मैंने नीचे जाकर उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर लेकर अपने लण्ड को उसकी चूत पर घिसने लगा।
कुछ पल यूं ही चूत के दाने को रगड़ने के बाद मैं अपना लंड उसकी चूत में घुसड़ने की कोशिश करने लगा लेकिन उसकी चूत इतनी टाइट थी कि उसमें घुस ही नहीं रहा था।
तब मैंने उससे क्रीम माँगी.. तो वो मुझ पर हँसते हुए ताने मारने लगी।
थोड़ी देर के बाद उसने बगल की टेबल की दराज में क्रीम की डिब्बी होने का कहा।
मैंने अपने लण्ड पर ढेर सारी क्रीम लगाई और उसकी चूत पर भी ढेर सारी क्रीम लगा दी।

भाभी की चूत चुदाई

अब मैं फिर से उसकी दोनों टांगों को उठा कर कन्धों पर डाला और उसकी चूत में अपने लण्ड को पेलने लगा।
इस बार की ठोकर से बड़े आसानी से पहले मेरे लण्ड का सुपारा गया.. फिर अगले धक्के में थोड़ा लण्ड और अन्दर घुस गया.. और फिर अगले झटके में मैंने पूरा लौड़ा जड़ तक घुसा दिया।
दोस्तो लौड़े को चूत के अन्दर जाने के बाद मुझे जो मज़ा मिला.. उसे मैं शब्दों में ब्यान नहीं कर सकता।
अन्दर से अजीब तरह का खिंचाव महसूस कर रहा था, जो मुझे बहुत आनंदित कर रहा था।
मैंने लौड़े को कुछ देर ऐसे ही अन्दर पड़े रहने दिया और उसको अन्दर से महसूस करने लगा।
उधर भाभी ज़ोर-ज़ोर से अपनी चूतड़ों को उठा-उठा धक्के दिए जा रही थी।
अब मैं भी उसके धक्कों में साथ देने लगा।
कुछ मिनट तक ऐसे ही चुदाई के बाद अब हम दोनों तेज़ी के साथ धक्के देने लगे। तभी मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ.. तो मैंने उससे बोला- भाभी अब मैं झड़ने वाला हूँ।
वो बोली- अन्दर ही झड़ना.. काफ़ी मज़ा आ रहा है.. अपने छोटू को बाहर मत निकालना मेरी जान!
थोड़ी देर में मेरी और उसकी साथ में ही छूट होने लगी.. अन्दर ही कुछ गीलापन महसूस होने लगा और इस तरह हम दोनों एक साथ खल्लास हो गए।
कुछ देर हम दोनों बेसुध पड़े रहे, फिर जब होश आया तो मैंने उससे कहा- अब नंगे ही किचन में जाकर चाय बनाइए और मुझे पिलाइए।
वो हँसते हुए मान गई और मेरी आँखों के सामने बाथरूम गई और फ्रेश होकर रसोई की ओर चल दी।
दोस्तो, उसे नंगी देख कर मुझे काफ़ी अच्छा लग रहा था और पहली बार ऐसे बिना शर्म के एक लड़की मेरे सामने नंगे चल रही थी।
ये सब देख कर मेरा मन फिर से उत्तेजित होने लगा और मेरा लण्ड खड़ा गया।
थोड़ी देर में वो सैंडविच और चाय लेकर आ गई।
मुझे इस तरह देख कर भाभी मुस्कराने लगी।
हम दोनों बैठ कर साथ में चाय पीने लगे और सैंडविच पहले भाभी को खिलाकर फिर उसका झूठा मैं खाने लगा।
मैंने उसकी तरफ देख कर पूछा- मजा आया भाभी जी?
भाभी मुझसे बोलने लगी- क्या बार-बार भाभी भाभी बोल रहे हो.. तुम अब मुझे मेरे नाम से बुलाओ, मुझे अच्छा लगेगा।
मैंने उससे पूछा- किस नाम से पुकारूं तुमको?
उसने अपना नाम खुशबू बताया।
अब हम दोनों एक-दूसरे के नाम लेकर बुलाने लगे।
मैंने उससे पूछा- तुमने अपने पति के होते हुए मुझसे सेक्स क्यों किया?
वो बोली- मैं तुम्हें अपना दिल दे बैठी थी और तुम मुझे अच्छे लगते हो। तुम मुझसे वादा करो कि जब मैं बुलाऊँगी, तुम आओगे और मुझसे ऐसे ही प्यार किया करोगे।
तो मैंने उससे वादा किया और अपने कपड़े पहनने लगा।
लेकिन तभी वो बोली- कहाँ जा रहे हो?
मैंने अपने कमरे में जाने की बात कही तो इस पर भाभी बोली- आज यहीं रह जाओ.. मेरे पति 4-5 दिन के लिए बाहर गए हुए हैं।
मैं वहीं रुक गया और रात भर खूब मस्ती की।
इसके आगे क्या हुआ.. आगे की कहानी में लिखूंगा।




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परीक्षा भवन में मिला वो लड़का


 

यह मेरी पहली और आखिरी कहानी है क्योंकि इस तरह की घटना मेरे साथ एक ही बार हुई है और मैं इसलिए उसको आप लोगों के साथ भी शेयर करना चाहता हूँ।
और मेरे मन में उठ रही कुछ शंकाओं को दूर करना चाहता हूँ।
लेकिन उससे पहले मैं आप लोगों को अपना परियच दे देता हूँ, मैं एक 26 साल का हट्टा कट्टा और लम्बी कद काठी का लड़का हूँ, मैंने लॉ की पढ़ाई अभी अभी खत्म की है और इसी क्षेत्र में आगे बढ़ रहा हूँ।
मेरा मूल तो राजस्थान का है लेकिन जन्म दिल्ली में ही हुआ है इसलिए दिल्ली को ही अपना घर मानता हूँ।
मेरे जिंदगी में सब कुछ अच्छा चल रहा था, लेकिन एक घटना ने मुझे काफी प्रभावित किया जिसके बाद मेरे मन में एक उथल-पुथल मची हुई है, इसलिए इस कहानी के ज़रिये मैं उसका समाधान ढूंढने की कोशिश कर रहा हूँ।

परीक्षा भवन में मिला वो लड़का

तो बात कुछ यूं हुई कि जब मैं सेकेण्ड इयर में था तो मुझे एग्जाम देने मेरठ जाना था, मैं सवेरे ही निकल गया और एग्जाम समय से पहले ही सेंटर पर पहुंच गया, बाहर लिस्ट में रोल नम्बर देखा और कमरा नम्बर पता लगाकर अपनी सीट पर जाकर बैठ गया।
काफी परीक्षार्थी पहुंच चुके थे उस समय तक और सब एक दूसरे की शक्लें देख रहे थे, कोई नकलबाजी करने की फिराक में था तो कोई सहयोग पाने की आशा में…
इसी तरह मेरी नज़र एक लड़के पर पड़ी जो मुझे काफी देर से देख रहा था।
मैंने उसको एक दो बार देखा लेकिन जब भी मेरी नजर उस पर पड़ती, वो मुझे ही देख रहा होता था, उसके चेहरे पर कोई भाव भी नहीं था, बस देखे जो रहा था।
मेरे मन में भी यही विचार चल रहा था कि यह मुझे क्यों देख रहा है।
खैर कुछ देर बाद एग्जाम शुरु हो गया और सब अपने-अपने एग्जाम को करने लगे।
एक दो बार बीच में मेरी नजर उस लड़के पर पड़ी तो वो तब भी मुझे ही देख रहा था, मैंने सोचा यह अजीब पागल इन्सान है जो पेपर में देखने की बजाये मुझे ही देख रहा है।
मैंने फिर अपने एग्जाम में ध्यान लगा लिया और कुछ समय बाद मैंने अपना पेपर खत्म कर लिया।
मेरी नजर उस लड़के पर पड़ी तो वो अब भी मुझे देख रहा था, अबकी मेरी बार मुझे हंसी आ गई, और मुझे हंसता देखकर वो भी मुस्करा दिया, लेकिन उसकी मुस्कान कुछ ऐसी थी कि जैसे उसे कुछ ईनाम मिल गया हो।
उसकी आखों में एक उमंग सी दिख रही थी।
15 मिनट के बाद जब एग्जाम खत्म हो गया तो सब परीक्षार्थी बाहर जाने लगे, मैं भी सीढ़ियों से नीचे उतर रहा था तो पीछे से एक आवाज़ ने मेरा ध्यान अपनी ओर खींचा- कैसा हुआ एग्जाम?
मैंने मुड़कर देखा तो पीछे वही लड़का था, थोड़ा मोटा सा, गोरा रंग और चहरे पर वही मुस्कान, मेरी ही उम्र का रहा होगा।
मैंने कहा- ठीक हुआ, आप बताओ?
वो बोला- मेरा तो कुछ खास नहीं हुआ?
मैंने कहा- होगा कैसे, एग्जाम में सारा टाइम तो आप मुझे ही देखते रहे!
वो ठहाका मारकर हंस पड़ा और बोला- हाँ, एक कारण ये भी हो सकता है।
मैंने पूछा- और दूसरा कारण?
‘मेरी तैयारी कुछ खास नहीं थी…’
‘ठीक है कोई बात नहीं, पास होने लायक तो कर आए होगे?’
‘पता नहीं, वो तो परिणाम ही बताएगा!’
‘कोई बात नहीं हो जाएगा।’
‘हाँ देखते हैं!’
हम ऐसे ही बातें करते हुए गेट के बाहर आ गए, मैंने कहा- ठीक है चलता हूँ!
वो बोला- कहाँ जाओगे आप?
‘दिल्ली..’
‘मैं भी दिल्ली ही जाऊँगा, क्या आप मुझे आनंद विहार तक छोड़ सकते हैं?’
मैंने कहा- ठीक है, आ जाओ!
हम चल पड़े, उसका नाम रक्षित बताया उसने.. रास्ते में चलते हुए उसने अपने दोनों हाथ मेरी कमर पर रखे हुए थे और जब बाइक के ब्रेक्स लगते थे तो वो मेरी पीठ से बिल्कुल सट जाता था और अपनी बाहों में भर लेता था।
मुझे भी इस बात से कोई दिक्कत नहीं थी क्योंकि ब्रेक्स लगने पर अक्सर ऐसा हो जाता है।
हम दोनों ने एक दूसरे के बारे में पूछा, घर के बारे में पूछा और ऐसे ही बातें करते हुए आनंद विहार आ गया, उसने कहा- यहीं उतार दीजिए मुझे, यहाँ से मैट्रो ट्रेन से चला जाऊँगा।
मैंने कहा- ठीक है।
हमने एक दूसरे फोन नम्बर लिए और बाय-बाय कहकर अपने अपने रास्ते चले गए।

दोस्ती हुई और वो मेरे घर आने लगा

दो महीने बाद एग्जाम का रिजल्ट आया और उसी दिन शाम को उसी लड़के का फोन आया, वो बोला- अजय यार, मैं तो पास नहीं हो पाया उस एग्जाम में!
मैंने कहा- कोई बात नहीं, अगले साल फिर से एग्जाम दे देना!
‘वो सब तो ठीक है लेकिन तैयारी कैसे करूँगा? क्या आप मेरी हेल्प कर सकते हो?’
मैंने थोड़ा सोचा और कहा- ठीक है… लेकिन अगर तुम मेरे घर आ सको तो ज्यादा ठीक रहेगा, क्योंकि मेरे पास इतना समय नहीं होता कि मैं किसी और जगह जाकर तुम्हें पढ़ाऊँ!
‘ठीक है मैं आ जाऊँगा, कोई दिक्कत नहीं है मुझे आने में… मैं सोमवार से तुम्हारे वहाँ आ जाया करुँगा।
‘ठीक है!’ कहकर मैंने फोन काट दिया।
सोमवार को शाम के 7 बजे वो मेरे घर आ गया, मैं भी जल्दी ही फ्री होकर उसे पढ़ाने लगा।
ऐसे ही हम दोनों आपस में घुल-मिलने लगे और अच्छे दोस्त बन गए, कभी-कभी जब पढ़ाते हुए रात को देर हो जाती तो वो मेरे घर पर ही सो जाया करता था।

समलैंगिक मैथुन

ऐसी ही एक रात की बात है, हम पढ़ाई खत्म करके सोने की तैयारी कर रहे थे, गर्मियों का वक्त था, रक्षित बोला- अजय, आज गर्मी बहुत है और ये जींस इतनी टाइट है कि मुझे इसमें नींद ही नहीं आएगी।
‘हाँ यार, मुझे भी बहुत गर्मी लग रही है।’
वो बोला- यार, मुझसे तो नहीं सोया जाएगा इस जींस में!
‘कोई बात नहीं, तुम जींस निकाल दो, हम दोनों ही तो यहाँ पर हैं, और कौन है! सिर्फ अंडरवियर में भी सो सकते हैं..’
‘नहीं यार, मुझे ऐसे सही नहीं लगता, किसी के सामने!’
‘कोई बात नहीं, आज लाइट बंद करके सो जाएंगे। फिर तो कोई प्रॉब्लम नहीं होगी ना?’
‘नहीं फिर तो नहीं होगी!’
कहकर मैंने लाइट बंद कर दी और हम लेट गए।
कुछ ही देर में मुझे नींद आ गई और उसे भी..
रात को नींद में अक्सर हमारे हाथ पैर एक दूसरे को लग जाया करते थे, लेकिन दोनों में से किसी को इस बात से कोई ऐतराज नहीं था।
लेकिन आज रात जब मेरी आंख खुली तो मैंने पाया कि रक्षित के चूतड़ मेरी जांघों के बीच में लग रहे थे, उसके घुटने कुछ इस तरह से मुड़े हुए थे उसकी गांड सीधा मेरे लंड पर टच हो रही थी।
मेरे अंदर वासना की एक चिंगारी सी जगी, मैंने भी अपने घुटनों को इस तरह से मोडा़ कि लंड उसकी गांड के बीच वाली जगह के सामने जा पहुंचा, उसके चूतड़ों के स्पर्श के कारण मेरे लंड में तनाव आने लगा और एक मिनट के अंदर ही मेरा लौड़ा तन गया।
अब मैं धीरे धीरे उसकी गांड पर अपना लौड़ा रगड़ने लगा ताकि उसको पता भी न चले और मेरे लंड को मजा आता रहे, साथ ही साथ मैं उसके नितम्बों पर हाथ भी फेरने लगा।
अब मेरी आग काबू से बाहर होने लगी और मैंने अपनी एक टांग उठाकर उसके ऊपर रख दी जिससे मेरा खड़ा लंड उसी गांड की दरार के बीचे में टकराने लगा और झटके मारने लगा।
मैंने एक हाथ में उसकी चूची को भर लिया और दूसरे हाथ से अपने सिर को सहारा देते हुए उसके जिस्म के साथ चिपकने लगा।
उसने अपनी गांड को मेरी जांघों के बीच में और अंदर सटा दिया… और उसकी चूचियों पर रखे मेरे हाथ को अपने हाथ से दबा लिया और ऐसे ही अपनी चूचियाँ दबवाने लगा।
अब मेरी हवस पूरी तरह जाग उठी थी, मैं जोर जोर से उसकी चूची दबा रहा था और लंड को उसकी गांड की दरार में घुसाने की कोशिश करते हुए उसको पीछे से चूमने भी लगा था।
अगले पल उसने अपना हाथ अपनी चूचियों से हटाकर पीछे की तरफ लाते हुए मेरे लंड पर रख दिया और उसको अंडरवियर के ऊपर से सहलाने लगा।
उसका हाथ लंड पर आते ही मजा दोगुना हो गया।
अब उसने अपनी कच्छी निकाल दी और उसकी गोल गोल गांड नंगी हो गई, मैं उसकी नरम नंगी गांड पर हाथ फिराने लगा और वो मेरे लंड को हाथ में थन की तरह पकड़ कर उसका दूध निकालने की कोशिश करने लगा।
अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपना अंडरवियर निकाल कर लंड उसके हाथ में दे दिया, मेरे लंड के अंदर से गीला पदार्थ निकलने लगा था जो उसके हाथ के स्पर्श से लंड को चिकना कर रहा था, मुझे बहुत मजा आ रहा था उसके हाथ में लंड को देकर…
मैं उसको पीठ पर दांतों से काटने लगा।
अब उसने अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़े हुए उसे अपनी गांड की गर्म फांकों के बीच में रखवा लिया, मैं पागल होने लगा और उसकी गांड में लंड घुसाने की कोशिश करते हुए उसको आगे की तरफ धक्के मारने लगा।
फिर उसने थोड़ा थूक अपनी हथेली पर लेकर अपनी गांड पर लगा दिया और थोड़ा थूक मेरे लौड़े पर लगाकर मसलने लगा।
मैंने बेकाबू होकर उसका हाथ हटाया और लंड को उसकी गांड के छेद पर लगा दिया, उसने भी अपनी गांड मेरे लंड पर और अंदर की तरफ धकेल दी और वो चुदने के लिए तैयार हो गया।
मैंने उसके चूतड़ों को एक हाथ दबोचते हुए लंड उसकी गांड के छेद में अंदर घुसा दिया, वो थोड़ा उचका और फिर अपनी गांड का दबाव मेरे लंड की तरफ बनाते हुए धीरे धीरे अपने आप ही लंड को गांड के अंदर पूरा उतर जाने के लिए धकेलने लगा।
और देखते देखते उसकी पूरी गांड मेरे लंड पर चढ़ गई।
अब मैं उसको चूमता हुआ धक्के मारने लगा, 2-3 मिनट बाद लंड अच्छी तरह से उसकी गांड में अंदर बाहर होने लगा और वो उचक उचक कर मुझसे चुदने लगा, उसकी गांड मारने में जो मजा आ रहा था वो मैं यहाँ ब्यान नहीं कर पाऊँगा, लेकिन मैं जन्नत सी में पहुंच गया, उसको दबोचे हुए चोदने लगा।
अब वो सीधा होकर पीठ के बल लेट गया और अपनी टांग मेरे मुंह के सामने उठा ली जिससे मेरा लंड उसकी गांड के छेद पर पहुंच गया।
मैंने भी तुरंत लंड अंदर पेल दिया और फिर से उसकी चुदाई शुरु कर दी।
मैं उसकी टांगों को दोनों हाथों से ऊपर उठाए हुए मजे से उसकी गांड को चोद रहा था, इस पेलम पेल में बडा़ मजा आ रहा था, उसकी गर्म गांड में जब लंड अंदर जा रहा था तो मन करता था उसको बुरी तरह चोद दूं।
इसकी गर्मजोशी के साथ मैंने 6-7 मिनट तक उसको खूब चोदा और फिर अपना वीर्य उसकी गांड में निकालने लगा।
क्या मजा था वो जब उसकी गांड के अंदर मैं लंड पिचकारी मार रहा था।
उस रात मैंने उसे दो बार चोदा।
मैंने उससे अगले दिन पूछा कि जो रात को हुआ वो तुम्हें अच्छा लगा?
तो वो बोला- हाँ, मैं तो पहले दिन से तुम पर फिदा था, लेकिन अब जाकर वो खुशी मिली है जिसकी तलाश मुझे इतने दिन से थी।
यह सुनकर मैं हंस पड़ा, मैंने कहा- अगर ऐसी बात थी तो पहले ही बता देते, मैं तो पहले ही चोद देता तुम्हें!
वो बोला- मुझे डर लगता था कि कहीं तुम नाराज न हो जाओ और मुझे अपने घर आने से मना कर दो..
मैं फिर हंस पड़ा और वो भी.. अब हमारी दोस्ती थोड़ी बदल गई थी, अब तो जब भी वो रात को घर रुकता, मैं हर बार उसकी चुदाई करता, और वो भी खूब मजे लेता मेरे लंड के साथ..
हम दोनों ही एक दूसरे के साथ को मज़े कर रहे थे, लेकिन एक दिन मैंने जब उसको फोन करना चाहा तो उसका फोन बंद आ रहा था।
मैंने अगले दिन किया तब भी बंद आ रहा था, मैंने सोचा कहीं फोन खराब हो गया होगा, इसलिए बंद है।
लेकिन उसके बाद तो मैं वो नंबर जब भी लगाता वो हमेशा बंद ही सुनाई देता।
3-4 महीने बीत गए उसका नंबर कभी नहीं मिला और ना ही उसका कोई फोन आया..
पता नहीं ऐसी क्या बात हो गई जो वो एकदम से ही मुझसे अलग हो गया।
अब 2 साल हो चुके हैं लेकिन उसका कोई अता पता नहीं है… मैं उसे आज भी बहुत मिस करता हूँ.. काश वो फिर से आ जाए, बस यही सोचता रहता हूँ।
लेकिन मैं यह भी सोचता हूँ कि यह क्या चीज है जो मुझे उसकी तरफ खींच रही थी, क्या मैं उस पर निर्भर हो गया था, मुझे उसकी गांड मारने में इतना मजा क्यों आता था, उसका साथ होना पसंद आता था, मैं यह चीज आज तक नहीं समझ पाया…
आज भी उसकी बहुत याद आती है, वो मुझे मूवी के लिए ले जाता था, हंसता था, बातें करता था, मेरे जन्मदिन पर गिफ्ट भी लाता था, उसके साथ काफी अच्छा वक्त बिताया मैंने..
पता नहीं अब ऐसा कोई मिलेगा या नहीं!
यह कहानी मैंने इसलिये लिखी कि शायद मुझे अपने सवालों के जवाब यहाँ पर मिल जाएँ!

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आज का ज्ञान







किसी लड़की की भावनाओं से खेलना अच्छी बात नहीं है…
आखिर उसके होंठ, चूचे, चूत, चूतड़ और गान्ड किस लिये हैं?
***
डर लड़की पटाने से नहीं लगता साहब
.
!
.
!
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!
डर तो इस बात से लगता है, कि अगर पट गई तो चोदेंगे कहाँ!?
***
सच्चा दोस्त वही है…
जो दिला दे
या पिला दे!
***
इश्क विश्क, प्यार व्यार… क्या है हमें नहीं मालूम…
बस उसकी याद आती है और खड़ा हो जाता है!
***
मुझे आज भी याद है
वो सुहानी सी मुलाकात
पहले हहाथ मिलाए
फिर दिल मिले
फिर नंगे हु्ये
और खूब हिले…
***
प्रेमिका- तुम बहुत बुरे हो!
प्रेमी- क्यों मैंने क्या कर दिया?
प्रेमिका- अब मुँह ना खुलवाओ मेरा…
प्रेमी- खुल गया तो कौन सा तू मेरा मुँह में ले लेगी!
***
सर्दी में मन में आया महान विचार:
पेटिकोट ही एकमात्र ऐसा कोट है, जिसे उतारने के बाद सर्दी नहीं लगती।
***
आज का ज्ञान:
औरत की चूत
व्हाट्सऐप के मैसेज
कभी पुरानी नहीं होते
किसी न किसी के लिए
नया ही होता है!
***
अगर सुहागरात को दुल्हन की चूत पर झांटें हों
तो समझ लीजिए कि
लड़की की शादी उसकी मर्जी से नहीं हुई है!
***
Chutiya चूतिया किसे कहते हैं?
चूतिया उस आदमी को कहते हैं जो कैमिस्ट की दूकान पर जाने की बजाये आइसक्रीम की दूकान पर जाए जब उसकी गर्लफ्रेंड कहती है कि उसे चॉकलेट फ्लेवर पसन्द है.
…ज्ञान समाप्त…
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पुरुषों और औरतों के लिए सेक्स सफल बनाने के सुझाव





औरतों के लिए-

1. सेक्स करने से पहले आपने आंतरिक अंगों को साफ़ करें..
2. सेक्स से पहले नहा लें।
3. नहा कर धुले और हल्के पारदर्शी कपड़े पहन लें.. जिसमें आपके जिस्म के अन्तरंग हिस्से साफ़-साफ़ झलकें।
4. इसका कारण ये है.. अगर आप नहा कर सेक्स करेंगे तो इन्फेक्शन होने का ख़तरा कम रहता है और पारदर्शी कपड़े पहनने से साथी को सेक्स करने का निमंत्रण होता है.. आपके पार्ट्नर को आकर्षित करने का एक आवश्यक कार्य होता है।
5. कोई हल्की खुश्बू वाला इत्र अपने बदन पर जरूर लगाएं।
6. नहा कर आने के बाद बाल बिखरे और गीले हों.. जिसमें से पानी की हल्की-हल्की बूंदें टपक रही हों।
7. ब्रा और पैन्टी मॉडर्न और आकर्षित करने वाली पहनें.. जिससे आपका पार्ट्नर आपकी तरफ अधिक आकर्षित हो और आपको कहे ‘सो सेक्सी डार्लिंग..’
8. और हाँ.. नहाने से पहले अपनी जाँघ और चूत के बालों को पूरी तरह से क्लीन कर लें.. उसे चिकना और रपटदार बनाएं।
9. कमरे में और बिस्तर पर आते टाइम अपने पार्ट्नर को कुछ मादक और सेक्सी सिंगनल्स दें.. जैसे- फ्लाइयिंग किस.. आँख मारना, सेक्सी अंगड़ाई लेना।
10. अगर संभव हो तो दोनों मिलकर ब्लू फिल्म इंडियन वाली देखें..
11. थोड़ी देर बाद आप और आपका पार्ट्नर उत्तेजित हो जाएगा.. जिससे आप उसका लंड सहलाने लगें और उसकी छाती पर हाथ फेरने लगें..
12. ये औरत की ज़िम्मेदारी होती है कि वो कमरे को सेक्स करने से पहले साफ़ और खुश्बूदार बना ले.. ताकि वो आपके पार्ट्नर को आकर्षित कर सके और कमरे में सेक्स करने की जगह शांत होनी चाहिए.. कोई ऐसा शोर-शराबा ना हो जो चुदाई में विघ्न पैदा करे.. वहाँ पर आपकी कामुक सिसकियों की आवाज़ साफ़-साफ़ आपके पार्ट्नर के कानों में पड़ना चाहिए।
13. अब आप पूरी तरह से उसको अपने आपको सौंप दें।
14. उसको हर काम में सहयोग दें.. कपड़े उतारने में.. और सेक्स पोज़िशन लेने में..।
15. अपना जिस्म ढीला छोड़ दें और उसकी बाँहों में आ जाएं।
16. जब आपका पार्ट्नर धक्के मारे तो हल्की मादक आवाज़ निकालें और उसको सहयोग दें.. ना कि कोई रुकावट उत्पन्न करें।
17. यदि आप अपने पार्ट्नर से पहले डिसचार्ज हो जाती हैं.. तो उसको धक्के मारने दें और डिसचार्ज होने दें.. नहीं तो इससे आपका पार्ट्नर झुंझला जाएगा।
18. हर बार डिसचार्ज होने के बाद और अगले दौर से पहले अपना सफ़ेद पानी को.. जो आपकी योनि से आ रहा है उसको साफ़ कर लें.. इसके लिए एक साफ़ कपड़ा या टिश्यू पेपर अपने पास रखें।
19. प्रयास करें कि आपका पार्ट्नर आपसे वाइल्ड सेक्स ना करे.. क्योंकि इससे फीमेल की योनि घायल हो सकती है.. और कई आंतरिक चोटें भी आ सकती हैं।
20. पीरियड्स या महीनों के दिनों में कभी भी सेक्स ना करें.. क्योंकि इससे आपके पार्ट्नर को इन्फेक्शन हो सकता है!
21. कोई भी कामोत्तेजक दवा आदि ना इस्तेमाल करें, क्योंकि इससे सेक्स तो बहुत आता है.. पर सुबह होने पर टायलेट में बहुत जलन.. एलर्जी.. और सरदर्द.. उल्टी और बदन टूटना जैसी प्रॉब्लम्स हो जाती हैं.. क्योंकि आप अपनी क्षमता से ज़्यादा सेक्स कर लेती हैं.. जो नुकसानदायक है।
22. प्रयास करें कि कभी भी गुदामैथुन ना करें.. क्योंकि ये बहुत ही कष्टकारी होता है और बवासीर जैसी बीमारी होना का डर रहता है।
23. गर्भवस्था में सेक्स ना करें क्योंकि ये बच्चे को नुकसान पहुँचाता है।


24. कभी भी मर्दों का सफ़ेद पानी (स्पर्म) ना पिएं.. क्योंकि इससे इन्फेक्शन हो सकता है।
25. सेक्स के बाद सुबह अपनी योनि किसी अच्छे साबुन से दो बार साफ़ करें।
पुरुषों (मर्दों) के लिए-
1. अपनी पार्ट्नर या बीवी को अपनी गुलाम या कोई वेश्या ना समझें।
2. उसकी इच्छा को भांपें.. वो आपसे क्या चाहती है.. अगर वो आज रात सेक्स नहीं चाहती.. तो उससे जबरदस्ती ना करें.. अगर आप करेंगे.. तो वो प्यार नहीं.. रेप होगा.. जिससे वो आपको जीवन भर अपना तन और मन नहीं दे पाएगी। वो आपको जानती भी नहीं थी.. तब भी पहली ही रात आपको अपना दिल और जिस्म दोनों सौंप देती है।
3. आप सेक्स करने से पहले अपना लंड अच्छी तरह से क्लीन करें उसके बालों को शेव करें और उसे साबुन से साफ़ करें।
4. आप भी सेक्स से पहले नहा लें और कोई महकता हुआ पाउडर अपने जिस्म पर लगाएं।
5. कुछ मर्दों की बॉडी बहुत सॉलिड होती है जिससे देखकर लड़कियां अपना सब कुछ उन्हें सोंप देती हैं.. तो कोशिश करें कि आपकी बॉडी इस तरह से मेनटेन रहे।
6. लड़कियों को ये ना दिखे कि मर्द लोग पावरफुल होते हैं.. आपके मन में भी उसके प्रति समर्पण की भावना होनी चाहिए। ऐसे मर्दों से लड़की ज़्यादा इंप्रेस होती है।
7. आप का उत्तरदायित्व है कि आप लोग सेक्स से पहले लड़की को अच्छे से गरम करें.. याद रखें.. एक लड़की योनि को और अपने स्तनों को चूसने मात्र से ही गरम हो जाती है।
8. आप पहले उससे मीठी-मीठी बातें करें। उसके कानों की लौ को प्यार से चुभलाएँ और उसके पूरे बदन पर किस करें.. जिससे उसके रोंगटे खड़े हो जाएं।
9. धीरे-धीरे उसके बदन के कपड़े उतार दें.. फिलहाल ब्रा और पैन्टी छोड़ दें।
10. उसको किस करें और उसके मम्मों को दबाएं.. पहले हल्का फिर थोड़ा से जोरदार.. ऐसे ना भींचें जिससे उसको दर्द हो।
11. साथ ही उकी चूत में हल्की सी उंगली करते रहें।
12. यदि लड़की के निप्पल टाइट और चूत पानी देने लगे.. तो समझ जाना चाहिए कि लोहा पूरी तरह से गरम है यही टाइम है चोट करने का.. मतलब उसके साथ समागम करने का।
13. अब उसकी ब्रा-पैन्टी उतार दें.. उसके दोनों दूध पिएं.. एक-एक कर.. साथ में चूत में उंगली करते रहें।
14. इसके बाद चूत पर आ जाएं.. पहले किस करें.. बाद में उसकी चूत के होंठ खोल कर जीभ से उसका अमृत पिएं.. जिससे वो सिसकियां लेने लगे।
15. कोशिश करें आपकी जीभ उसके लाल दाने तक पहुँच जाए.. क्योंकि लाल दाना जो चूत के अन्दर होता है उसके छूने मात्र से ही लड़की उत्तेज़ित हो जाती है..
16. अब वो तैयार है सेक्स के लिए।
17. ध्यान रहे.. अपना लंड तीन धक्के में उसकी बुर में डालें।
18. सेक्स करते टाइम उसको गाली ना दें जैसे रंडी.. साली.. कुतिया.. हरामजादी.. क्योंकि ये इंसान की घटिया मानसिकता को दर्शाता है।
19. उसके प्यार भरे शब्द इस्तेमाल करें, जैसे- जानम.. प्रिये.. डार्लिंग.. आदि..
20. अब आप धक्के मारें.. शुरू में हल्के-हल्के मारें.. थोड़ी देर बाद उसकी स्पीड बढ़ा दें और ऐसा प्रतीत हो कि आप उसे प्यारे दे रहे हैं.. उसका बदन कुचल नहीं रहे हैं।
21. कई बार ऐसा होता है कि मर्द को चार बार में संतुष्टि मिलती है और औरत 2 या 3 बार में ही संतुष्ट हो जाती है। इस केस में आप उससे ज़बरदस्ती ना करें.. बल्कि अपना लिंग उसके मुँह में देकर या हस्तमैथुन से अपनी उत्तेजना शांत करें।
22. महीनों के दिनों में.. या गर्भवस्था के दौरान उससे सेक्स ना करें.. क्योंकि वो आप और उसके दोनों के लिए विनाशकारी होगा।.
23. यदि आप ये जानना चाहते हैं कि आपकी पार्ट्नर आपसे सेक्स करते टाइम संतुष्ट हुई या नहीं.. इसका सबसे अच्छा तरीका ये है कि जब वो ‘बस-बस’ कहने लगे और वो आपको कसकर पकड़ ले.. उसकी सांस फूलने लगे और उसे पसीना आने लगे.. तो समझ लीजिएगा कि वो अब चरम पर आ चुकी है।
24. सबसे बड़ी बात उसको अपना समझो, जो उसे पसंद हो, वो करो !
ram naresh Web Developer

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