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मामी ने चूत दी तो मैंने ले ली - completed




हाय फ्रेंड्स.. मैं अभिनव और यह मेरी पहली और सच्ची कहानी है.. जो मैं आप सभी के साथ शेयर करना चाहता हूँ।
प्लीज़ आप लोग कमेंट जरूर करना जिससे मैं आगे भी अपनी रियल सेक्स घटनाओं के बारे में लिख सकूँ।

मेरी उम्र 22 साल.. हाइट 5’8″.. कलर एकदम गोरा.. एथलेटिक बॉडी है। मैं हैण्डसम.. स्मार्ट और बहुत ही खुश मिज़ाज इंसान हूँ.. जैसा कि मेरे दोस्त कहते हैं।

बात उस समय की है.. जब मैं बी.टेक. के दूसरे साल में था और यह घटना मेरे और मेरी बड़ी मामी शीतल के बीच घटी थी।
मेरी जिन्दगी का यह पहला सेक्स था जिसे याद करके आज भी रोमांचित हो जाता हूँ।

मेरा ननिहाल बिहार में है.. वहाँ पर लोग ज़्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं.. जिस वजह से मुझे ननिहाल में बहुत प्यार और सम्मान मिलता था।

मेरे ननिहाल में नानी के साथ दो मामा और उनकी बीवियाँ.. यानि मेरी दो मामियाँ हैं।
मेरी छोटी मामी दिखने में औसत हैं.. पर बड़ी मामी की बात ही जुदा है, उनकी मुस्कान ऐसी है यार.. पूछो मत बहनचोद किसी का भी मन डोल जाए।

उनकी हाइट 5’4″ है.. रंग गोरा जिस्म एकदम स्लिम है।

मैंने उन्हें इंची टेप ले कर नापा तो नहीं.. पर यह जान लो.. कि एकदम छरहरा बदन.. कातिलाना अदाएँ और मम्मों के उभार तो ऐसे हैं.. मानो दो ताज़ा सन्तरों को सीने से चिपका दिया गया हो.. जो ब्लाउज के बाहर निकलने को बेताब हों।

उनके चूतड़ों की छटा तो देखते ही बनती है।

जब बड़ी मामी चलती हैं.. तो वे अपने चूतड़ों को इतने मटकाती.. मन करता कि साली को बीच आँगन में पटक कर गाण्ड में लौड़ा पेल दूँ.. पर मेरे लिए ऐसा करना आसान नहीं था।

और क्या बताऊँ उनके बारे में.. बस सब मिलाकर वे चोदने के लिए एक मस्त माल हैं।
कसम से यारों मामी को एक बार जो कोई देख ले.. तो उसे अपने मन में मामी को चोदने का ख्याल ज़रूर आएगा।

बड़ी मामी की शादी बहुत ही कम उम्र में हो गई थी। मेरे बड़े मामा की उम्र और उनकी उम्र में लगभग 18 से 19 साल का फ़र्क था।

मेरी उम्र और मेरी बड़ी मामी की उम्र में ज़्यादा फ़र्क नहीं था। वो मुझसे सिर्फ़ 2-3 साल बड़ी हैं.. जिससे मेरे और उनमें खूब जमती थी। वो हमेशा मुझसे मज़ाक करती थीं। कभी-कभी सेक्सी मज़ाक भी कर लेतीं और गर्लफ्रेंड्स को लेकर पूछतीं.. और मैं कह देता- नहीं.. कोई गर्ल फ्रेंड नहीं है।

अपने मामाओं के बारे में बता दूँ, मेरे दोनों मामा पहले गाँव में खेती-बाड़ी करते थे.. लेकिन एक साल बिहार में सूखा पड़ जाने से उनका बहुत नुकसान हुआ.. इसलिए बड़े मामा कुछ काम ढूँढने लगे।
बड़े मामा बहुत मेहनती हैं इसलिए उन्हें बहुत जल्दी ही यूपी में बनारस में एक बिल्डर के पास कन्स्ट्रक्शन में काम मिल गया तो मामा कमाने के लिए बनारस चले गए।

इधर मैं अपने दूसरे सेमस्टर के बाद की छुट्टी में ननिहाल आ गया, उस समय मेरी उम्र 20 साल थी। मैं दिखने में शांत और थोड़ा शर्मिला हूँ। सभी मुझे बहुत ही अच्छा और होनहार लड़का समझते हैं.. पर मैं कितना हरामी हूँ.. वो तो मेरे दोस्त और मैं ही जानता हूँ। कॉलेज में बहुत सारी गंदी-गंदी बातें.. पिक्चर देख कर.. बस सेक्स करने का मन करता था।
जैसा कि मैंने बताया बड़ी मामी मेरे साथ सेक्सी मज़ाक भी करती थीं.. सो मैंने इस बार सोचा कि चाहे जो भी हो.. बड़ी मामी को कैसे भी चोदना है। यही सोचते-सोचते मैं ननिहाल पहुँच गया। मेरा जोरदार स्वागत हुआ.. मैंने सबको नमस्ते किया। नानी से थोड़ा देर बात की और कुछ देर बाद नानी के घर से बाहर निकल कर दूसरे घर गपियाने चला गया।

मैंने पहले ही छोटे मामा को बता दिया था कि मैं आ रहा हूँ तो उन्होंने बाज़ार से मेरी पसंदीदा डिश मटन मंगवा लिया था। मैं करीब 6:30 बजे शाम को पहुँचा.. शाम ढल रही थी।

चारों तरफ अंधेरा छा रहा था। मुझे देखते ही मामा के बच्चे चिल्लाने लगे- भैया आ गए.. भैया आ गए..

उन सभी को मैंने टॉफी दी।
मेरी छोटी मामी के 2 बच्चे हैं.. एक लड़का और एक लड़की.. और बड़ी मामी को एक बेटी है।
बड़ी मामी ने मेरा हालचाल पूछते हुए घर के आँगन में लगी चेयर पर बैठने को कहा।

मैंने वहाँ बैठ कर बड़ी मामी से चाय बनाने को कहा। मैं चाय का बहुत शौकीन हूँ.. यह बात बड़ी मामी को पता था। बड़ी मामी झट से मेरे लिए एक कप चाय बना लाईं और मेरे बगल में बिछी हुई चारपाई पर बैठ गईं, मुझसे बात करने लगीं।

छोटी मामी मटन के लिए रसोई में मसाला तैयार कर रही थीं।

मैं चाय पीने के बाद चेयर से उठ कर बड़ी मामी की गोद में सिर रख कर लेट गया और बड़ी मामी को बोला- मेरा सर थोड़ा दुख रहा है।

बड़ी मामी मेरा सर बड़े प्यार से दबाने लगीं। घर में उस समय मैं और दोनों मामियाँ ही थीं। मैं लेटे हुए बड़ी मामी के मम्मों को अच्छे से निहार रहा था। मन कर रहा था कि अभी ब्लाउज के बटन खोलूँ और उनके मम्मों को चूसना चालू कर दूँ.. पर डर भी लग रहा था।
थोड़ी देर सर दबवाने के बाद मैं सो गया।
बड़ी मामी फिर छोटी मामी को हेल्प करने रसोई में चली गईं।

मैं करीब दो घंटे के बाद उठा, मेरा पूरा शरीर पसीने से लथपथ था।

मामी ने कहा- जाकर नहा लीजिए।

मेरे ननिहाल में बिजली की सुविधा नहीं है.. इसलिए थोड़ा देर सोचने के बाद एक लैंप लेकर बाथरूम में नहाने चला गया। नहाने के बाद मन फ्रेश हो गया।

छोटे मामा बाहर से घूम-फिर कर घर लौटे और मेरी पढ़ाई-लिखाई के बारे में पूछने लगे।

कुछ देर बात करते-करते ही मामी ने डिनर करने के लिए कहा। मामा और मैं एक साथ खाने बैठ गए। वैसे भी मेरी पसंदीदा डिश थी.. इसलिए मैंने बहुत खा लिया।

खाने के बाद शरीर में बहुत गर्मी लगने लगी.. सो मैं बाहर टहलने चला गया। कुछ देर बाद लौटा तो देखा सभी सोने की तैयारी करने लगे।
मैं और मामा छत पर सोने चले गए, छोटी मामी और बड़ी मामी अपने-अपने बेडरूम में.. पर मेरा मन नहीं मान रहा था। मैं पानी पीने के बहाने छत से नीचे उतर कर बड़ी मामी से बोला- बहुत प्यास लगी है।

बड़ी मामी थोड़ी नींद में ही थीं.. उन्होंने एक गिलास पानी भर कर मुझे दिया। मैंने पानी पीने के बाद बड़ी मामी से बोला- मामी मुझे नींद नहीं आ रही है।
बड़ी मामी बोलीं- आइए बैठिए।

मामी बिस्तर पर लेट कर मेरे से बात करने लगीं। मेरी नज़रें उनकी पूरे जिस्म का जायज़ा ले रही थीं.. मामी मेरे इरादों से बेख़बर होकर जैसे-तैसे लेटी हुई थीं।

उस समय उनकी साड़ी बिखरी पड़ी थी। लाल रंग का चुस्त झीना ब्लाउज और उसके अन्दर सफ़ेद ब्रा साफ़ दिख रही थी।
मम्मे तो ऐसे लग रहे थे.. जैसे मामी ने उसको सज़ा दी हो, उनके मम्मे ब्लाउज को फाड़ कर निकलने को बेताब थे।अचानक थोड़ी देर में बहुत ज़ोर से बाहर तूफान आया.. सब जाग गए मामा छत से अपना और मेरा बिस्तर लेकर उतर आए। दोनों मामी बाहर पड़े हुए कपड़े उठाने लगीं, मैं भी उनकी हेल्प करने लगा।

अंधेरा का फायदा उठा कर मैंने बड़ी मामी के मम्मों को 1-2 बार टच कर दिया। उन्हें लगा ये सब अंजाने में हुआ है.. उन्होंने कुछ नहीं कहा।

कुछ ही देर में बाहर बहुत ज़ोर से बारिश होने लगी। थोड़ी देर के बाद मेरे छोटे मामा बोले- अभिनव तू बड़ी मामी के कमरे में सो जा.. मैं भी सोने जा रहा हूँ, मुझे बहुत ज़ोर से नींद आ रही है।

यह कह कर छोटे मामा और छोटी मामी दोनों अपने कमरे में चले गए।
मेरे मन में शैतान जागने लगा, सोचा लगता है आज मौका मिल जाएगा चोदने का।

फिर बड़ी मामी ने पूछा- कहाँ खो गए?
और वे मुस्कुराने लगीं।
मैं बोला- कुछ नहीं, बस कॉलेज की याद आ गई।

फिर बड़ी मामी से बड़े मामा को लेकर मज़ाक करने लगा, बोला- क्या बात है मामा की याद आ रही है?
वो बोली- धत बेवकूफ़ कहीं के..

और खिलखिला कर हँस पड़ीं.. पर बड़े मामा के बनारस जाने के बाद मामी थोड़ी उदास रहने लगी थीं।

बड़ी मामी हमेशा मेरे से मज़ाक करती रहती थीं। कभी-कभी तो भद्दा मज़ाक भी कर देती थीं.. पर मैं मन मसोस कर रह जाता था.. बस यही सोचता था कि कब मौका मिले और मामी की चूत बजा दूँ।

साथियो, मैं मामी की चूत को चोदने में बहुत व्याकुल हो चला था.. पर कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि किस प्रकार मेरे लण्ड की आस पूरी होगी।कहते हैं ना भगवान के घर देर है.. अंधेर नहीं..

बस यही चीज़ मेरे साथ हो गई, उस समय बात करते-करते उन्हें नींद लगने लगी, मैं पलंग पर सो गया और वो नीचे चटाई बिछा कर उस पर सो गईं।

मामी की लड़की जो सिर्फ़ एक साल की थी.. वो मेरे बिस्तर पर ही थी।

मामी के सो जाने के बाद मुझे लगा कि मैं आज सेक्स नहीं कर पाऊँगा। यह सोचते-सोचते मैं बाथरूम गया और मुठ मार कर चला आया।
पर फिर भी मन मान ही नहीं रहा था.. सोचा क्या करूँ?

अचानक से मेरे दिमाग़ में एक आइडिया सूझा, मैंने मामी की लड़की को च्यूंटी काट दी.. और वो रोने लगी।
उसके रोने की आवाज़ से मामी जाग गईं.. मामी उठीं और बिस्तर पर आके लेट कर बेटी को चूचियों से दूध पिलाने लगीं।

मैं यह सब चुपचाप देख रहा था.. मुझे भी मन कर रहा था कि मामी से बोलूँ कि मुझे भी वो अपना दूध पिला दें.. पर डर के मारे मेरी गाण्ड फट गई और चुपचाप चूचे देखने लगा।

मामी दूध पिलाते-पिलाते वहीं बिस्तर पर ही सो गईं.. मैं मन ही मन खुश होने लगा। मेरे मन की तमन्ना जो पूरी होने को थी। मैं खिड़की के पास लेटा हुआ था.. अब मैं सोचने लगा कि आगे क्या करूँ।

मैंने शीतल मामी की बेटी को फिर च्यूंटी काटी.. उनकी बेटी फिर रोने लगी। बड़ी मामी फिर जाग गईं और उसको चुप करने लगीं।

मैं मामी से सोई हुए आवाज़ में बोला- मामी शायद बाबू को गर्मी लग रही होगी इसको खिड़की के पास सुला देते हैं।

मामी ने हामी भरी.. मैंने तुरंत उनकी लड़की को खिड़की पर पास सुला दिया और वो चुप हो गई।

अब मामी एक साइड में उनकी लड़की एक साइड में.. और बीच में मैं था। वो सीधी लेटी हुई थीं। इस वक्त वो लाल रंग की साड़ी में क्या माल लग रही थीं.. जैसे कोई अप्सरा हो।

मुझे भरोसा ही नहीं हो रहा था कि वो मेरी बगल में मेरे साथ एक बिस्तर पर सोई हुई हैं, मैं उनको देख कर पागल सा हुए जा रहा था, मेरा दिल सेक्स के बारे में सोच कर धड़कने लगा।

थोड़ी देर बाद मैंने अपना एक पैर उनके पैर पर डाल दिया। उनको लगा कि शायद नींद में डाल दिया होगा.. इसलिए उन्होंने बिना कुछ बोले मेरा पैर अपने पैर से हटा दिया।

थोड़ी देर के बाद मैंने फिर से उनके पैर पर अपना पैर डाल दिया.. इस बार वो अपना मुँह घुमा कर मेरी तरफ पीठ करके सो गईं। मैंने अपना पैर डर से हटा लिया..

फिर मैंने अपने मोबाइल में टाइम देखा.. टाइम लगभग रात के एक बज रहे थे। अब मुझे बेचैनी होने लगी.. क्योंकि वहाँ सब लगभग 4:00 बजे भोर में ही जाग जाते हैं।

मैंने फिर से हिम्मत करके अपना पैर उनके पैर डाल दिया और उनकी ओर थोड़ा खिसक गया.. जिससे उनकी बॉडी से मेरी बॉडी टच होने लगी थी, दिलो-दिमाग़ पर एक अजीब सी मस्ती छाने लगी और मुझ पर नशा छाने लगा।

मैं डरते हुए अपने पैर की उंगलियों से उनके पैर को सहलाने लगा और उनकी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर की ओर सरकाने लगा।
मेरे जिस्म में सनसनाहट हो रही थी।
मैं ये सब बहुत ही आराम से कर रहा था..फिर अचानक मामी ने अपना पैर खुजलाते हुए अपनी साड़ी ठीक की.. मेरा पैर हटाया और लेट गईं।

मैं डर गया कि कहीं मामी जागी हुई तो नहीं थी। फिर सोचने लगा जागी हुई भी होगीं.. तो उन्होंने कुछ बोला क्यों नहीं? यह सोच कर मेरी हिम्मत थोड़ी और बढ़ गई।
मैं थोड़ी देर बाद हल्के से उठ कर उनका मुँह निहारने लगा।

मामी गहरी नींद में सो चुकी थीं.. अब मैंने फिर से अपना पैर उनके पैर पर डाल दिया और अबकी बार अपने बाएं हाथ से धीरे-धीरे उनकी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर की ओर सरकाने लगा।

मेरा हाथ मामी की मुलायम जाँघों पर था.. क्या बताऊँ यारों.. मेरा लंड पूरा कड़क हो गया और अंडरवियर में फड़कने लगा। मेरा लंड अच्छा ख़ासा लम्बा और काफ़ी मोटा है।

मैं फ्रेंची अंडरवियर पहनता हूँ.. तो आप लोग समझ सकते हो.. कि लौड़ा खड़ा होने से कितना प्राब्लम हो रही होगी।
कभी-कभी तो लंड अंडरवियर के साइड से बाहर निकल आता..
मेरे लंड के टोपे पर भी थोड़ी-थोड़ी पानी की बूंदें आने लगी थीं।

साड़ी और पेटीकोट अब मामी की जाँघों तक पहुँच गया था। मैं उनकी मुलायम.. मखमली जाँघों को देखते ही अपना कंट्रोल खोने लगा।
क्या मस्त दिख रही थीं वो उस समय.. ये तो मैं शब्दों में भी बयान नहीं कर सकता। मुझे तो लगा कि मैं ज़्यादा जोश में आकर कहीं झड़ ना जाऊँ.. इसलिए अपने आप को थोड़ी देर कंट्रोल किया।

एक बार फिर मैंने हल्के से उठ कर मामी का चेहरा देखा.. वो आराम से सो रही थीं।
अब मैंने हिम्मत दिखाई

मैं अब धीरे-धीरे मामी की जाँघों पर हाथ फेरने लगा।
उह.. वो गरम-गरम मुलायम जांघों का स्पर्श.. आह्ह.. क्या कहना।

मेरी हिम्मत अब और बढ़ गई थी, अब मुझे कुछ नहीं सूझ रहा था सिवाए मामी की चूत के.. बस यही सोचा.. जो होगा हो जाए.. अब तो किसी भी तरह मामी को चोदना ही है।

फिर मैं पेटीकोट के अन्दर धीरे-धीरे अपने काँपते हुए हाथों से चूत की ओर बढ़ने लगा।
थोड़ी देर में ही मेरे हाथों की उंगलियाँ मामी के लव होल (चूत) के करीब पहुँच गई।
जैसे ही चूत के पास हाथ लगाया.. तो मेरा जिस्म डर और मस्ती से काँपने लगा।

मामी अभी भी सो रही थीं.. अब मैं पूरे मूड में आ गया था।

अपना हाथ चूत से हटा कर मैं मामी की चूतड़ों पर फेरने लगा।

अचानक मामी ने गहरी साँस ली.. मेरी तो गाण्ड फट गई, ऐसा लगा.. अब तो तू गया बेटा.. पर होने को तो कुछ और लिखा था किस्मत में.. मामी चुपचाप लेटी रहीं।

मैंने उन्हें फिर देखा.. इस बार मुझे थोड़ा शक हुआ.. लगा कि मामी जाग रही हैं।
मैं सोचने लगा शायद मामी को मज़ा आ रहा है और यही सोचते हुए मेरी हिम्मत बहुत बढ़ गई।

अब मैं मामी की गाण्ड पर अपने हाथ को आराम से फिराने लगा और कभी-कभी दबा भी देता, मामी चुपचाप इस सब का मज़ा ले रही थीं।

अब मैंने अपना लंड को अंडरवियर से बाहर निकाल लिया तो ऐसा लगा जैसे किसी पिंजरे से पंछी आज़ाद हुआ हो, अपनी अंडरवियर को घुटने तक सरका दिया।

अब मामी की गाण्ड मारने की सोचने लगा, मैंने अपना एक हाथ से मामी की गाण्ड के छेद में हल्के से फिंगरिंग करने लगा।
फिर मैंने अपने हाथ में थूक लगाया और गाण्ड के छेद पर लगा दिया।
मामी ने अपनी गाण्ड को हल्का सा सिकोड़ लिया।अचानक.. मामी नींद में कुछ बड़बड़ाने लगीं.. मैंने अपना हाथ तुरंत हटाया और वो सीधे हो कर लेट गईं।

मुझे लगा अब मामी की गाण्ड नहीं मार पाऊँगा.. और उन्होंने ऐसा रिएक्ट किया तो मुझे लगा शायद उनको इसका कुछ खबर नहीं है।

मैंने फिर टाइम देखा तो रात के लगभग दो बज गए थे। मेरे पास अब 2 घंटे ही बचे थे.. जिसमें मुझे अपना मिशन पूरा करना था। मैं मामी को निहारने लगा.. उनकी साड़ी जैसे-तैसे बिखरी हुई.. ब्लाउज के अन्दर चूचियां ऐसी फंसी सी लग रही थीं मानो दो संतरों को जकड़ कर रखा हुआ हो.. निप्पल भी कड़क मालूम पड़ रहे थे।

मैंने अपना एक हाथ मामी के गाल पर रख दिया।
अय हय.. गाल तो ऐसे कि जवाब ही नहीं..

थोड़ी देर तक हाथों से गाल को सहलाते रहा.. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ। मैंने मामी के चेहरे को पकड़ कर धीरे से अपनी तरफ घुमाया और उनके होंठों पर अपने होंठों को लगा दिया।
फिर तुरंत होंठों को हटा कर उनका चेहरा देखने लगा।

कोई हरकत ना पाकर.. मैंने फिर होंठों पर अपने होंठों को लगा दिया और चूसने लगा।

अब मामी पूरी तरह जाग गई थीं.. पर फिर भी वो सोने का नाटक कर रही थीं।
मैंने अपना हाथ उनके पेटीकोट में डाल कर सीधे ऊपर सरकते हुए चूत के पास पहुँचा। उनकी चूत पूरी तरह घनी झांटों से भरी हुई थी।

मैं अपना हाथ उनकी चूत के छेद पर लगा कर सहलाने लगा.. उनकी भग के दाने को हल्का-हल्का कुरेदने लगा।


इधर मेरा लंड अपना आपा खोए हुए झटका मार रहा था।
फिर धीरे-धीरे अपनी उंगलियाँ उनकी चूत में घुसाने लगा।
अभी भी मामी चुपचाप लेटे-लेटे मज़ा ले रही थीं।

एक तरह से यह एकदम साफ़ हो गया था कि मामी जी भी चूत चुदवाने को राजी हो गई थीं।
मैं सोच रहा था कि बस अब और कोई दिक्कत न आए।मेरा एक हाथ उनकी चूत पर.. और दूसरा हाथ उनकी चूचियों की सेवा कर रहा था।

मैं अपना हाथ उनके ब्लाउज में डालने लगा.. पर ब्लाउज इतना कसा था कि हाथ अन्दर जा ही नहीं रहा था।

तब मामी ने अपने जिस्म को हल्का ढीला किया.. तो मैं अब उनके ब्लाउज को खोलने लगा..
पर उत्तेजना इतनी ज़्यादा थी कि साला खुल ही नहीं रहा था।

मैं झुंझला कर ब्लाउज के बटन तोड़ने ही वाला था कि मामी ने अपने हाथ से मेरे हाथ को हटा कर ब्लाउज के बटन खोल दिए।

फिर भी ना मैं कुछ बोला.. ना मामी कुछ बोलीं।

अब उनके कड़क-कड़क चूचुक मेरे उंगलियों में जकड़े हुए थे, मैं कभी चूचियों को दबाता.. तो कभी चूचुकों को रगड़ता।

मैं पहली बार यह सब असल में कर रहा था, अन्यथा तो हमेशा या तो सेक्स कहानियों में या फिर ब्लू-फ़िल्मों में ही ऐसा देखा था।

अब मैं मामी के मम्मों को मुँह में लेकर बड़े प्यार चूसने लगा, मामी की साँसें तेज़ होने लगीं..
फिर किसी तरह उन्होंने अपने पर कंट्रोल लिया.. क्योंकि बगल वाले कमरे में ही छोटे मामा और छोटी मामी सोई हुई थीं।

दोनों कमरों के ऊपर एक रोशनदान है जो खुला हुआ है.. मतलब कहीं ज़ोर से आवाज़ हुई.. तो शायद छोटे मामा सुन ना लें।
मुझे डर भी लग रहा था और मस्ती में भी था।

मैं कुछ देर तक चूचियों का रसपान करते हुए.. धीरे-धीरे उनके पूरे जिस्म को चूमने लगा या कहो कि चाटने लगा था।

हम दोनों का जिस्म गर्म हो चुका था और पसीना भी निकल रहा था।
चूमते चाटते मैं उनकी नाभि पर पहुँचा। मुझे किसी भी औरत में उसकी नाभि सबसे ज़्यादा आकर्षित करती है।

मैं नाभि पर आराम से चुम्बन करने लगा।
मामी थोड़ा सिहरने लगीं.. पर अभी भी उन्होंने एक शब्द नहीं बोला था.. न ही मैंने कुछ कहा था।

यहाँ तक तो ठीक था।

फिर मैंने पैरों से किस करना शुरू किया और उनके पेटीकोट को आराम अपने मुँह से ऊपर की ओर सरका सरका कर सभी जगहों पर किस करने लगा।

अब मैं मामी की जाँघों पर जा पहुँचा।
वाउ.. क्या मखमली जांघें थीं.. उफ पूछो मत..!

मैं जाँघों पर आराम से किस करने लगा.. अब मुझे मामी के प्यार के रस की सुगंध आने लगी और मैं और जोश में आ गया..

पर मुझे उस समय चूत चूसने में कोई इंटेरेस्ट नहीं था.. इसलिए बस चूत के पास सर को ले गया और चूत सूंघने लगा.. अजीब सी मादक खुशबू थी।

अभी भी मामी कुछ भी नहीं बोली थीं। अब मैं फिर से मामी की चूचियों की चुसाई करने लगा और एक हाथ से दबाने लगा। इधर मेरे लंड महाराज की हालत खराब हो रही थी।

मेरे लंड महाराज जल्दी से जल्दी चूत महारानी के आगोश में समाने को तैयार खड़े हुए थे.. पर मैं अपने आप पर कंट्रोल किए हुए था। अब और देर ना करते हुए अपने लंड के सुपारे को मामी की बुर पर लगा दिया।

अचानक मामी ने मुझे पकड़ लिया और अपने सीने से सटा लिया और मेरे कानों में कहने लगीं- प्लीज़ अन्दर मत डालो.. यहाँ तक जो हुआ सो हुआ.. प्लीज़ उसके आगे और नहीं.. प्लीज़!मैं पूरे जोश में था.. यह बात सुनने के बाद थोड़ा रुका, फिर मैंने मामी के कान में बोला- प्लीज़ मामी एक बार.. प्लीज़..
पर मामी मानने को तैयार नहीं थीं, मामी ने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को ढक लिया।

मैं अपना हाथ उनकी चूत पर ले जाकर उनका हाथ हटाने लगा.. पर वो पूरा दम लगा कर हाथ दाबे हुई थीं।


मैंने भी पूरे दम से उनका हाथ हटाया और दोनों हाथों की उंगलियों में उंगलियाँ डाल कर हाथ को फैलाने लगा।
आखिर मामी चुद ही गई

थोड़ी देर में मामी शांत हो गईं.. मैंने सोचा कि शायद मामी मुझसे नाराज़ हो गईं, मैंने मामी के कान के पास जाकर फिर धीरे से नर्म आवाज़ में बोला- क्या हुआ मामी.. इतना सब कुछ हो गया.. तब भी आप ऐसा कर रही हो? पहले ही मुझे रोक देतीं.. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है।

मामी खामोश रहीं.. एक शब्द कुछ नहीं बोलीं.. बस मुझे एकटक देख रही थीं।

एक बात हमेशा मेरे मन में रहती है कि तुम जिससे सेक्स करो तो मर्ज़ी से करो.. यदि दोनों की राजी है.. तो मज़ा 4 गुना हो जाता है। मैं यही सोचने लगा फिर मुझे लगा कि शायद मामी का मन सेक्स करने का नहीं है।

मैं उदास सा मुँह बना कर मामी को बोला- बिना आपकी मर्ज़ी के सेक्स नहीं करूँगा।
मामी हल्के-हल्के हँसने लगीं.. और फिर से पकड़ कर कान में धीरे से बोलीं- मैं तो बस तुम्हारा मन टटोल रही थी.. और कुछ नहीं।

यह सुनते ही मेरा दिल ख़ुशी से मचल उठा.. फिर मैंने एक लंबा जोरदार होंठों पर चुम्मा लिया।

इधर लंड महराज मामी की चूत के छेद में घुसने को बेताब थे, मैं अपने लंड को मामी की चूत की दरार पर घिसने लगा।

मामी की चूत पहले से ही बहुत रसीली हो रही थी.. जिससे बड़े मज़े से लंड मियां रगड़ खा रहे थे, ऐसे लग रहा था जैसे लंड और चूत स्मूचिंग कर रहे हों।

इधर मामी अपने होंठों को दाँतों तले दबाए हुए लेटे थीं।

अब मैंने सोचा कि थोड़ा मामी को तड़पाऊँ.. इसलिए अपने लंड को हटा लिया।

मामी ने इशारे से पूछा- क्या हुआ?
और धीरे से बोलीं- प्लीज़ जल्दी से डालो ना.. बहुत दिन हो गए है ये किए हुए..

मैं उनको किस करके उनके कान में बोला- क्या डालूँ?
वो बोलीं- प्लीज़ डालो।
मैंने फिर पूछा- क्या?
बोलीं- आपको नहीं पता है?
मैं बोला- मुझे तो पता है.. पर आपके मुँह से सुनना चाहता हूँ।

वो हल्के-हल्के से मुस्कुराने लगीं.. बोलीं- बहुत बदमाश हो आप.. अच्छा चलिए अपना लंड डाल दीजिए।
मैंने पूछा- कहाँ?
अब वो तड़पने लगीं.. बोलीं- प्लीज़ जल्दी से डाल दीजिए मेरी बुर में..

यह सुनते ही मेरे लंड महाराज अपनी औकात पर आ गए और अब मैं फिर से अपना लंड उनकी चूत के छेद पर सरकाने लगा और फिर लंड महाराज धीरे-धीरे चूत महारानी के आगोश में समाने लगे।

जैसा कि मामी बहुत दिनों बाद चुद रही थीं.. इसलिए उनकी चूत थोड़ी टाइट थी, मेरे लंड महाराज को घुसने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी।

फिर एक बार मैंने मामी को देखा.. उनके चेहरे का दर्द क्या खूब था.. उनकी आँखें बंद थीं।

ऐसा लग रहा था जैसे मैं स्वर्ग में हूँ।
मैं अपने लंड महाराज को चूत महारानी के अन्दर जड़ तक डालने लगा और फिर लंड महाराज और मामी की चूत महारानी का मिलन हो ही गया।अब मैं धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा, मामी भी पूरे जोश में उछल कर साथ देने लगीं।

उसके बाद धीरे-धीरे मेरे चोदने की स्पीड बढ़ती गई.. तकरीबन 3-4 मिनट के बाद लगा जैसे मैं स्वर्ग में उड़ रहा होऊँ।

कुछ पलों के बाद लगा कि अब मेरा निकलने वाला है.. सो मैं थोड़ा रुक गया। फिर थोड़ी देर बाद मामी के होंठों को चूमते हुए लंड को पूरी तरह चूत में उतार दिया।

इस बार मैं उन्हें पूरी स्पीड में चोदने लगा। हम दोनों के बदन लिपटे हुए थे.. मामी के मुँह से आवाज़ निकलने ही वाली थी कि मैं उनके होंठों को और ज़ोर से चुम्बन करने लगा।

इतनी गर्मी थी कि हम दोनों पसीने से भीग चुके थे।

फिर हम और मामी दोनों एक साथ झड़ गए, मामी के चेहरे पर संतुष्टि के भाव दिख रहे थे, वो थोड़ी मुस्कुरा रही थीं।
मैं उनके जिस्म पर लेटा हुआ था, वो मेरे बालों में हाथ फिरा रही थीं।

मैंने मामी को बताया- यह मेरी लाइफ का पहला सेक्स है।
तो मामी कहने लगीं- मुझे भरोसा नहीं होता.. आपको तो सेक्स के बारे में बहुत जानकारी है।


मामी बोलीं- आप केवल दिखते शरीफ़ हैं.. पर है बहुत बदमाश।
और वे हँस पड़ीं।

थोड़ी देर के बाद मैं उठ कर बाथरूम में पेशाब करने चला गया।

बाथरूम में लैम्प धीमी से रोशनी थी और बाथरूम में घुसते ही अपने लंड को देखने लगा, फिर लौड़ा पकड़ कर मैं धीरे से बोला- बेटा तेरी वर्जिनिटी लॉस हो गई..
मैं खुद ही हँसने लगा।

पेशाब करने के बाद जैसे ही बिस्तर पर आया। मामी को अपनी बाँहों ले लिया और उनके माथे पर एक चुम्बन किया, उनकी चूचियों को हल्के से दबा दिया.. वो चिहुंक उठीं, उन्होंने हल्के से आवाज़ कर दी।
हम दोनों लोग डर गए कि कहीं छोटे मामा न सुन लें।

फिर थोड़ी देर में एक-दूसरे के चेहरे को देख मुस्कुराने लगे। वो मेरे बालों को इतने आराम से सहला रही थी.. मैं बता नहीं सकता.. कितना अच्छा महसूस हो रहा था।

फिर थोड़ी देर में धीरे-धीरे लंड फिर से कड़क हो गया। मैंने मोबाइल उठा कर टाइम देखा तो 3:30 हो गए थे। मतलब मेरे पास अब बस आधा घंटा ही बचा था।

मैं फिर से गर्म हो गया.. समय कम होने के वजह से अपने होंठों को मामी के होंठों से मिला कर स्मूच करते हुए एक हाथ से पेटीकोट को उठाया और लंड को चूत के अन्दर घुसेड़ दिया।

इस बार हम दोनों में थोड़ी और देर तक लगभग तकरीबन 5-6 मिनट का सेक्स हुआ।

फिर 3:45 पर मामी उठ कर अपनी चटाई पर चली गईं और सो गईं, मैं भी गहरी नींद में सो गया।

उसके बाद सीधे सवेरे लगभग 9 बजे मामी चाय लेकर आईं और बोलीं- बबुआ जी उठिए, चाय पी लीजिए।

मैंने बिना उनकी तरफ देखे चाय हाथ में ले ली और पीने लगा।

मैं रात की घटना के बारे में सोचने लगा, मामी भी कातिलाना मुस्कुराहट के साथ कमरे से बाहर रसोई की ओर चल दीं।
थोड़ी देर में मामी 4-5 केले लेकर आईं और बोलीं- खा लीजिए नहीं तो कमज़ोरी हो जाएगी।

यह बात सुनते ही दोनों लोग हँसने लगे।
तब छोटी मामी रसोई से ही पूछने लगीं- क्या हुआ इतने ज़ोर से आप लोग हँस रहे हैं?

मैं बोला- कुछ नहीं मामी, एक चुटकुला सुन कर हँस रहे हैं।

इसके बाद मेरे और मामी के बीच और बहुत बार सेक्स हुआ।
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