मेरा नाम शोभा शर्मा है। मेरी उम्र 30 साल है.. और मैं एक समाज सेविका हूँ। मुझे सेक्स करना बहुत पसंद है। समाज सेवा करते-करते मुझे कई बार सेक्स करने का मौका मिला। सेक्स में जो आनन्द है वो और किसी काम में नहीं है।
मैं आपको मेरी ऐसी ही एक सेक्सी कहानी सुनाने जा रही हूँ।
सेक्स प्रोब्लम यौन समस्या
एक बार हमारी महिला मण्डली ऐसे ही एक गांव में समाज सेवा करने गई थी। हम गांव जाकर सभी महिलाओं से उनके सेक्स जीवन के बारे में पूछते थे।
एक महिला साधना ने बताया- मैं अपने सेक्स जीवन से खुश नहीं हूँ।
मैंने उससे पूछा- क्या कारण है?
उसने बताया- मेरा पति जल्दी झड़ जाता है।
एक महिला साधना ने बताया- मैं अपने सेक्स जीवन से खुश नहीं हूँ।
मैंने उससे पूछा- क्या कारण है?
उसने बताया- मेरा पति जल्दी झड़ जाता है।
मैंने उससे कहा- आज रात मैं तुम्हारे घर में रुकूँगी और तुम दोनों की संभोग क्रिया देखने के बाद ही उसका हल बताऊँगी।
साधना ने कहा- मेरे पति इस बात के लिए नहीं मानेंगे।
मैंने उसे समझाया- मैं छुप कर तुम दोनों की काम क्रीड़ा देखूँगी।
साधना ने कहा- मेरे पति इस बात के लिए नहीं मानेंगे।
मैंने उसे समझाया- मैं छुप कर तुम दोनों की काम क्रीड़ा देखूँगी।
छिप कर चूत चुदाई देखी
रात करीब 11 बजे मैंने उनके रोशनदान से झांक कर देखा। साधना ब्लाउज और पेटीकोट में थी और उसका पति संतोष सिर्फ अण्डरवियर में था। दोनों एक-दूसरे से गुंथे हुए थे और बेहताशा चुम्मा-चाटी कर रहे थे।
संतोष का अण्डरवियर देखकर पता चल रहा था कि उसका लिंग तन गया है। अचानक संतोष उठकर बैठ गया और उसने साधना के पेटीकोट को ऊपर किया।
साधना ने पेटीकोट के नीचे कुछ नहीं पहना था, उसकी योनि में घने बाल थे।
साधना ने पेटीकोट के नीचे कुछ नहीं पहना था, उसकी योनि में घने बाल थे।
साधना एक हाथ से अपनी योनि को सहलाने लगी। यह देखकर संतोष ने अपना अण्डरवियर उतारकर नीचे फेंक दिया। उसका मजबूत लिंग देखकर मुझे भी सेक्स करने मन होने लगा.. पर मैंने अपने आप पर संयम रखा और आगे देखने लगी।
साधना ब्लाउज उतार चुकी थी।
संतोष अपना लिंग साधना योनि में रगड़ने लगा तो साधना बेचैन होकर बोली- जल्दी अन्दर डालो ना!
संतोष अपना लिंग साधना योनि में रगड़ने लगा तो साधना बेचैन होकर बोली- जल्दी अन्दर डालो ना!
संतोष ने लिंग जैसे अन्दर डाला साधना के मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ संतोष उसे मजे से चोदने लगा।
साधना चुदाई का मजा ले ही रही थी कि संतोष झड़ गया और करवट लेकर सो गया।
साधना चुदाई का मजा ले ही रही थी कि संतोष झड़ गया और करवट लेकर सो गया।
साधना ने किसी तरह से अपनी योनि मसल कर अपने आप को शांत किया और बाहर निकलकर मेरे पास आई और रोने लगी।
मैंने उसे समझाया- यह कोई बड़ी समस्या नहीं है।
मैंने उसे समझाया- यह कोई बड़ी समस्या नहीं है।
उसकी समस्या को मैंने गहराई से समझा और उसे बताया कि सेक्स करते समय एकदम से वो अपने पति के लिंग को अपने योनि में न ले। पहले अपने पति के होंठ का रसपान करे, अपने स्तनों को उसकी छाती में खूब रगड़े, उसके लिंग को अच्छे से सहलाए और मुँह में लेकर तब तक चूसे.. जब तक कि उसका वीर्य ना निकल जाए और फिर..
साधना ने मेरी बात को बीच में ही काटकर कहा- अरे दीदी जब वो झड़ ही जाएंगे.. तो फिर कैसे मेरी प्यास बुझा पाएंगे?
मैंने उसे समझाया- यही तो राज है पगली.. एक बार झड़ने के बाद जब दूसरा राउंड चलता है न.. बस उसी में तो सारा मजा है।
मैंने उसे समझाया- यही तो राज है पगली.. एक बार झड़ने के बाद जब दूसरा राउंड चलता है न.. बस उसी में तो सारा मजा है।
साधना ने कहा- लेकिन वो तो एक बार झड़ने के बाद सो जाते हैं।
मैंने कहा- तू उसे सोने मत देना.. झड़ने के बाद तू उसके लिंग साफ करना और चुसाई शुरू कर देना। अपने स्तनों को उसकी छाती में खूब रगड़ना और जब उसका लिंग फिर से तन जाएगा.. तब वो खुद ही दूसरा राउंड शुरू कर देगा।साधना सब समझ गई।
मैंने कहा- तू उसे सोने मत देना.. झड़ने के बाद तू उसके लिंग साफ करना और चुसाई शुरू कर देना। अपने स्तनों को उसकी छाती में खूब रगड़ना और जब उसका लिंग फिर से तन जाएगा.. तब वो खुद ही दूसरा राउंड शुरू कर देगा।साधना सब समझ गई।
रात को हम लोग खाना खाकर अपने-अपने कमरे में सोने चले गए। रात करीब 11.30 बजे मैं उठी और रोशनदान से झांकने लगी। दोनों सिर्फ चड्डी में थे। जैसा मैंने कहा था.. वैसे ही साधना अपने उभारों को संतोष के छाती में रगड़ रही थी।
साधना अपना एक हाथ संतोष के अंडरवियर में घुसा कर उसके लिंग को मसलने लगी। संतोष अपना अंडरवियर निकाल कर नीचे फेंक दिया और साधना की पैंटी निकालने के लिए जैसे ही हाथ आगे बढ़ाया.. साधना ने उसे रोक दिया।
संतोष ने पूछा- क्या हुआ?
साधना ने हँसते हुए कहा- कुछ नहीं..
साधना ने हँसते हुए कहा- कुछ नहीं..
वो संतोष के लिंग को पकड़ कर उसके गुलाबी और फुले हुए सुपाड़े को अपनी जीभ से चाटने लगी। थोड़ी देर बाद उसने संतोष के लिंग को पूरा मुँह के अन्दर ले लिया और अन्दर-बाहर करने लगी।
लिंग साधना के थूक से पूरा सना हुआ था, लिंग अन्दर-बाहर होने से संतोष को असीम आनन्द आ रहा था, वो अपना होश खोने लगा था।
लिंग साधना के थूक से पूरा सना हुआ था, लिंग अन्दर-बाहर होने से संतोष को असीम आनन्द आ रहा था, वो अपना होश खोने लगा था।
साधना ने लिंग को मुँह से निकाला और और गीले हो चुके लिंग को जोर-जोर से हिलाने लगी। संतोष चरम सीमा पर पहुँच चुका था, उसने जोर से पिचकारी मारी, साधना का हाथ पूरी तरह से वीर्य से सन गया।
साधना ने मेरी तरफ देखा और आंख मार दी… शायद वो कहना चाह रही थी कि एक पड़ाव पार हो चुका है।
साधना ने अपने हाथ और संतोष के लिंग को अच्छे से साफ किया और फिर से संतोष की बांहों में आ गई और उससे बातें करने लगी।
उन दोनों की बातें तो मुझे सुनाई नहीं दे रही थीं.. पर मैंने सोचा कि अभी 2-3 मिनट तो अभी ये कुछ नहीं करेंगे तब तक मैं बाथरूम से आ जाती हूँ। जब मैं बाथरूम से आई तो मैंने देखा कि संतोष के लंड को साधना चूस रही थी और संतोष का लंड फिर से तन गया था।
बस कुछ ही देर में संतोष के लंड को साधना ने अपनी चूत में सैट किया और धकापेल चुदाई शुरू हो गई।
साधना चूंकि बहुत देर से वासना का खेल खेल रही थी इसलिए वो बहुत अधिक चुदासी हो गई थी।
अबकी बार संतोष के कुछ ही धक्कों में साधना झड़ गई और संतोष से चिपक गई.. पर संतोष अभी नहीं झड़ा था, वो हचक कर चुदाई करता ही रहा।
अबकी बार संतोष के कुछ ही धक्कों में साधना झड़ गई और संतोष से चिपक गई.. पर संतोष अभी नहीं झड़ा था, वो हचक कर चुदाई करता ही रहा।
कुछ देर बाद साधना फिर से गर्म हो गई और उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने उसे आँख मार दी।
अब संतोष अपने चरम पर आ गया था और साधना भी झड़ने को तैयार थी। कुछ ही धक्कों के बाद वे दोनों एक साथ झड़ गए।
मेरी चूत भी भड़क गई थी।
awesome dear
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