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मेरी चूत में भाई का लंड


हाय फ्रेंड्स, मेरा नाम हिमानी है। मैं आज आप सबके सामने अपनी पहली चुदाई की कहानी बताना चाह रही हूँ। अगर लिखने में कोई ग़लती हो जाए.. तो मुझे माफ़ करना.. मेरी पहली कहानी है। मैं आपको सबसे पहले अपने बारे में बताती हूँ।
मैं 21 साल की एक मस्त जिस्म की मालकिन हूँ.. मेरा फिगर 34-30-34 है। जो भी मुझे आगे या पीछे से देख ले.. तो तुरंत उसको अपना लण्ड सैट करना पड़ता है।
मेरा एक मौसी का लड़का है.. उसका नाम राज है.. वो मुझे बहुत पसंद था। वो 22 साल का है। मैं उससे चुदना चाहती थी.. उससे चुदने के लिए मैंने काफ़ी लड़कियों से सलाह भी ली। मैं जानती थी कि वो भी मुझे देखता था.. पर हम दोनों अपने दिल की बात नहीं बोल पाते थे।

चूत चुदवाने का मौका मिला

एक दिन भगवान ने मेरी सुन ली। वो हमारे घर आया हुआ था, राज और हम सब लोग शादी में गए थे.. शादी पापा की पहचान में थी.. वहाँ पर मैंने मॉम से झूटमूट बोला कि मेरी तबीयत खराब है।
तो मॉम ने मुझे जाने की ‘हाँ’ कह कर राज को भी यह कहते हुए घर भेज दिया- तुम साथ चले जाओ।
आज मैंने पूरा मूड बना लिया था कि आज मैं इससे चुद कर ही रहूँगी क्योंकि आज रात घर में कोई नहीं आने वाला था.. पूरी रात हम दोनों ही अकेले रहने वाले थे।
मैं घर आ गई और कपड़े चेंज करके मैं कमरे में आई।

मौसी के बेटे को लुभाया

मैंने अपनी ज्यादा खुले गले वाली टी-शर्ट पहनी और उसके नीचे ब्रा नहीं पहनी, नीचे एक बिल्कुल चिपकी हुई कैपरी पहन ली जिसमें से मेरी गाण्ड निकली पड़ रही थी।
किसी भी लौंडिया के इतने हॉट होने से किसी का भी मान चुदाई की ओर घूम जाना पक्का हो जाता है।
उसका भी यही हुआ.. वो मुझे देखते ही गर्म हो गया जो कि उसका खड़ा हो चुका लौड़ा बता रहा था।
मैं उसके पास जाकर बैठ गई और ऐसे ही इधर-उधर की बात करनी शुरू कर दी, मैंने उससे पूछा- तेरी गर्लफ्रेण्ड है?
उसने मना कर दिया..
फिर उसने मेरे ब्वॉयफ्रेंड के बारे में पूछा.. तो मैंने भी मना कर दिया।
उसने अचानक मुझसे कहा- हिमानी आज तू बहुत हॉट लग रही है.. मैं तुझे किस करना चाहता हूँ।
पहले मैंने उसको मना किया.. पर फिर ‘हाँ’ कर दी।
उसने मुझे अपने पास खींच कर मेरे होंठों पर किस करना शुरू कर दिया।
मैंने भी उसका साथ देना शुरू कर दिया।
यह मेरी पहली चुम्मी थी.. मुझे मज़ा आ रहा था।
कभी वो मेरी जीभ चूसता.. कभी मेरे होंठ पीता। फिर धीरे-धीरे वो मेरी गर्दन चूमने लगा और फिर धीरे से मेरे कान की लौ को चूमा।
उसके कान चूमते ही मुझे एकदम करेंट सा लग गया, मैंने उसको अपने से अलग कर दिया।
उसने मुझे दुबारा पकड़ा और किस करने लगा.. मैं गर्म होने लगी।
फिर उसने एकदम से मेरी टी-शर्ट के ऊपर से ही मेरे बूबस दबा दिए। मेरी एकदम ‘आहह..’ निकल गई।
फिर उसने मेरी टी-शर्ट उतार दी.. मैं भी पूरा उसका साथ दे रही थी।
उसने मेरी टी-शर्ट उतार कर मेरे मम्मों को मसल-मसल कर चूसना शुरू कर दिया।
मैं जोश में खोई जा रही थी, मैं बस ‘उईई.. उईईहह..’ ही कर रही थी।
मेरी चूचियाँ लाल करके उसने मेरी कैपरी उतार दी और मेरी जाँघों को चूसते हुए मेरी चूत पर आ गया।
जैसे ही उसने मेरी चूत में जीभ लगाई.. मुझे आग लग गई और मैं पूरी मचल गई, मेरे बदन में अजीब सा करेंट लगा।
फिर उसने मेरी चूत चूसी और धीरे-धीरे उंगली डाल कर चूसने लगा।
चूत में उंगली जाते ही मेरी चीख निकल गई।
फिर उसने मुझसे पूछा- पहले चुदी है?
मैंने मना कर दिया.. तो वो बोला- आज तो तुझे अच्छे से चोदूँगा।
उससे चूत चुसवाते हुए मैं इतनी गर्म हो गई थी कि मैं उससे कहने लगी- राज चोद दे अब अपनी बहन को।
पर वो पूरा कमीना था.. वो खड़ा हुआ अपना लोअर निकाल कर अपना लण्ड हिलाने लगा और मेरे मुँह के सामने अपना लौड़ा कर दिया।
बोला- ले चूस इसको..
उसका लण्ड बहुत लम्बा था.. मैं थोड़ा घबरा गई.. मैंने पहले तो मना कर दिया, फिर उसके कहने पर उसका लौड़ा चूसने लगी।
उसने मेरे बाल पकड़े और मेरे मुँह में पूरा लण्ड पेल दिया और मेरा मुँह चोदने लगा।

और मेरी चूत में भाई का लंड घुस गया

मेरी आँख से आँसू आ गए.. थोड़ी देर लण्ड चुसवाने के बाद उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरी चूत के ऊपर लण्ड रगड़ने लगा।
वो बोला- आज तू मेरी बन जाएगी।
उसने अपना लण्ड सैट करके एक ज़ोर का झटका मेरी चूत में मारा.. उस झटके से मुझे ऐसा लगा जैसे कि कोई मेरी चूत में लोहा घुस गया हो।
मैं बहुत ज़ोर से चीखी.. पर उसने मेरा मुँह बंद कर दिया।
मैंने उससे छूटने की पूरी कोशिश की.. पर मैं छूट नहीं पाई, मेरी आँख से लगातार आँसू बह रहे थे।
कुछ देर वो उसी स्थिति में लेटा रहा और मेरी चूची दबाता रहा।
फ़िर उसने धीरे-धीरे अपना पूरा लण्ड मेरी बुर के अन्दर कर दिया।
उसका लण्ड मेरी चूत के खून से लाल हो गया था।
कुछ देर बाद जब मैं थोड़ा सामान्य हो गई तो उसने मेरी चुदाई शुरू कर दी। पहले तो धीरे-धीरे चोदा.. फिर उसने स्पीड बढ़ा दी।
मैं भी ‘आआहह.. आहह.. उईईई..’ करके चुदती रही और अपनी चुदाई का मजा लेने लगी।
फिर उसने मेरी स्थिति बदली.. मुझे अपने ऊपर ले लिया और मैं उसकी गोद में बैठ कर चुदी। इस पोज़िशन में मुझे अलग ही मज़ा आया.. जो मैं बता नहीं कर सकती।
मेरे मुँह से बस ‘आहह और चोद.. और चोद..’ निकल रहा था।
कुछ मिनट की चुदाई के बाद उसका निकलने वाला था, मेरा तो पहले ही हो गया था, उसने मुझसे पूछा- मैं कहाँ निकालूँ?
तो मैंने उसको अपनी चूत में ही निकलवाने की बोल दी।
उस रात हम दोनों ने अलग-अलग पोज़िशन में 3 बार सेक्स किया।
इसके बाद तो हम दोनों की चुदाई की गाड़ी चल निकली।

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और मैं तीन गोरों से चुद गई


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तैरना सिखाने के बहाने की चुदाई


दोस्तो.. मैं 28 साल का खूबसूरत नौजवान हूँ।
मैं जब गाँव में रहता था.. यह कहानी तब की है, उस वक्त मैं पढ़ता था।
मेरे पड़ोस में एक बहुत ही मस्त माल किस्म की लड़की रहती थी.. उसका नाम वैशाली था। वो मुझसे एक साल छोटी थी। उसका जिस्म इतना कामुक था कि अच्छे अच्छों का लौड़ा खड़ा हो जाए।
हमारे परिवार से उसके परिवार का बहुत घरोबा था इसलिए वो मुझसे काफी घुली-मिली थी। हम सभी अड़ोस-पड़ोस के लड़के गर्मियों के दिनों में खेतों में रजबाहे (छोटी नहर) पर जाकर खूब नहाते थे और मस्ती करते थे।

जवान पड़ोसन को तैरना सिखाया

एक दिन वैशाली मेरे पास आई और मुझसे बोली- राजू मुझे भी तैरना सिखा दो, मेरा बहुत मन है।
मैंने कहा- हाँ सिखा दूँगा इसमें कौन सी बड़ी बात है.. एकाध दिन में चलते हैं।
वो ‘हाँ’ करके खुश होकर चली गई।
उसके जाने के बाद मेरी बांछें खिल गईं कि साली खुद ही हाथ फिरवाने आ गई है.. कब से इसकी चूचियों को याद करके मुठ मारता रहा हूँ।
यह तो मेरे लिए मौके पे चौका मारने जैसा मौका हाथ लग गया था।
अब मुझे बेसब्री से किसी ऐसे मौके की तलाश थी.. जब मैं वैशाली को तैरना सिखाने के बहाने चोद भी पाऊँ।
गाँव में एक दिन मुखिया के घर शादी थी.. सभी लौंडे मिठाई खाने की लालच में शादी में गए थे। मुझे अवसर मिल गया.. मेरे मन में तो वैशाली की चूत ही मिठाई समान थी।
मैं वैशाली के घर गया और उससे कहा- चल आज तुझे तैरना सिखाता हूँ।
वो फ़ौरन राजी हो गई और मेरे साथ चल पड़ी।
मैं उसको लेकर खेत पर चला गया.. उस वक्त दोपहर का समय था सब तरफ सुनसान था.. शायद मुखिया के यहाँ की शादी के चक्कर में सब गए हुए थे।
मैंने रजबाहे के पास पहुँच कर वैशाली से कहा- चल कपड़े उतार!
वो बोली- मुझे तुम्हारे सामने कपड़े उतारने में शर्म आ रही है।
मैंने कहा- फिर तैरना कैसे सीखेगी?
मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए सिर्फ कच्छा पहने खड़ा हो गया, मेरा लण्ड कुछ-कुछ सुरसुरा रहा था।

सेक्सी लड़की के कपड़े उतरवाए

मैंने उससे कहा- देख तुझे ऐसे होना पड़ेगा जैसे मैं हूँ.. सिर्फ कच्छे में..
‘तुम तो लड़के हो..’
मैंने पूछा- तो.. तुम क्या करोगी?
बोली- मैं सिर्फ पेटीकोट में रहूँगी।
‘चल ठीक है..’
मैंने सोचा कि कुछ तो देखने मिलेगा।
उसने पेड़ के पीछे जाकर अपने कपड़े उतारे और पेटीकोट को अपने मम्मों पर चढ़ा कर बाहर आ गई।
पापा कसम लौड़े की हालत बिगड़ गई.. मादरचोद कच्छे में आतंक मचाने लगा।
वैशाली ने भी मेरा उठा हुआ मूसल देख लिया था।
मैंने उसकी तरफ देखा साली ग़दर जवानी थी.. चूचे तो पेटीकोट से निकले पड़ रहे थे।
खैर.. उसने मुझे मम्मों की तरफ घूरते देखा तो वो शरमा कर अपने बदन को हाथों से छिपाने लगी।
मैं एकदम से होश में आया और मैंने उससे कहा- आ जा.. मैं रजबाहे में उतरता हूँ ज्यादा गहरा नहीं है.. तू मेरा हाथ पकड़ कर आ जाना।
‘ठीक है..’
मैं पानी में उतर गया.. मेरे सीने तक पानी था.. उसकी तो गर्दन तक आ सकता था।
वो मेरा हाथ पकड़ कर पानी में उतरने लगी.. पर वो डर रही थी तो उसका पैर फिसला और वो एकदम से चिल्ला कर मेरे सीने से चिपक गई।
मेरा तो सपना साकार हो गया मैंने उसको अपनी बांहों में जकड़ लिया और उसको सम्भाल लिया।
उसके भरे-भरे मम्मे मेरी छाती में गड़ गए.. मेरा मन तो उसको छोड़ने का था ही नहीं पर वो चिल्ला रही तो मैंने उसको सहारा देकर ऊपर किनारे पर बैठा दिया।
मैंने उसकी तरफ देखा तो उसकी चूचियां पेटीकोट के भीग जाने के कारण स्पष्ट दिखने लगी थीं। उसकी गोरी-गोरी टाँगें मुझे मदमस्त कर रही थीं।
मैंने बाहर आने की सोची पर मेरा लवड़ा भोसड़ी का एकदम लोहे का डंडा बन गया था और कच्छे में पूरा तन गया था जिससे मुझे उसके सामने आने में थोड़ी हिचक हो रही थी। मैं पानी में ही खड़ा रहा।
मेरी समझ में नहीं आ रही थी कि क्या करूँ।
मैंने उससे कहा- डर मत.. मैं हूँ न.. आ जा.. डरती रहेगी तो सीखेगी कैसे?
वो मेरी चौड़ी छाती को निहारते हुए अपने पेटीकोट को ठीक करने लगी।
वो बोली- तुम ऊपर आओ तुम्हारे साथ ही पानी में आऊँगी।
मैं ऊपर आया तो मेरा लौड़ा भुजंगासन में खड़ा था। उसने मेरे लौड़े को देखा तो वो शरमा गई।
मैं उसके पास बैठ गया और उसे समझाने लगा कि कैसे तैरा जाता है।
फिर वो मेरे काफी समझाने पर फिर से राजी हो गई।
मैंने उसका हाथ पकड़ा तो वो एकदम से शायद गरम हो गई।
बोली- मुझे डर लग रहा है.. तुम मुझे ठीक से पकड़ो तभी उतरूँगी।
मैंने उसको सहारा दिया तो वो मेरी बांहों में आ गई।
मैंने भी उसे जोर से भींच कर उसके मम्मों का रगड़ सुख लिया और उसकी टांगों में मेरा खड़ा लौड़ा चूत को टहोकने लगा।
मैंने उससे कहा- अब मैं तुम्हारी कमर पकडूँगा.. तुम अपने हाथ-पैर चलाना.. ठीक है..
‘ठीक है..’
मैंने उसको अपने हाथों में इस तरह से लिया कि उसकी चूचियां और चूत वाला हिस्सा मेरे हाथों में आ गया और वो पेट के बल तैरना सीखने लगी।
मैं उसके आमों को दबा-दबा कर उसकी जवानी का खूब मजा लेता रहा। वो भी गरम हो गई थी।
थोड़ी देर बाद वो बोली- मैं थक गई हूँ.. अब बस मुझे किनारे पर बैठा दो।

पड़ोसन गर्म हो गई

मैंने उसको अपनी गोद में उठाया और उसकी गांड में उंगली करता हुआ उसको बाहर चबूतरे पर बैठा दिया और उसके पास बैठ गया। वो थक कर मेरे सीने से चिपक कर बैठ गई मैंने उसकी पीठ की तरफ से हाथ डाल कर उसे अपने आगोश में ले लिया और धीरे से उसकी चूची को सहलाने लगा।
वो गनगना गई और मुझसे और ज्यादा चिपक गई।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने उसे वहीं लिटा दिया और उसके ऊपर झुक कर उसकी चूचियों पर अपना मुँह लगा दिया।
उसने कुछ भी नहीं कहा।
मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने उसके पेटीकोट को खींच दिया, उसके दोनों मम्मे हवा में उछलने लगे।
मैंने अपना मुँह उसके एक निप्पल में लगाते हुए उसकी चूत में उंगली कर दी।
वो मचल गई और मादक ‘आह..’ भरने लगी। मैंने उसका हाथ अपने लौड़े पर रख दिया.. वो मेरे लौड़े से खेलने लगी।
मैंने उसके होंठों की चुम्मी ली तो बोली- राजू मुझे बहुत डर लग रहा है कुछ होगा तो नहीं?
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा.. मैं तुमको एक जादू करके दिखाता हूँ फिर देखना तुम मुझसे बार-बार कहोगी।
वो मेरी तरफ देखने लगी तो मैंने अपना कच्छा उतार कर नंगा लौड़ा उसके सामने कर दिया।
वो लौड़े को घूर कर देखने लगी। मैंने उसको पहले चोदना ठीक समझा और उसकी एक टांग उठाई तो उसकी मखमली चूत मेरे सामने थी।
मैंने झुक कर उसकी चूत पर अपनी जीभ लगा दी और चूत को चूसने लगा। वो एकदम से जैसे भड़क उठी और मेरा सर चूत पर दबाने लगी।
उसकी चूत एकदम पनिया गई.. मैंने देर न करते हुए अपना लौड़ा उसकी चूत के मुँह पर टिका दिया। जब तक वो कुछ समझती मैंने एक ठोकर लगा दी.. मेरा आधा लौड़ा उसकी गीली चूत में सरसराता हुआ घुस गया।
उसकी एक चीख निकलने को हुई मैं पहले से ही सजग था सो मैंने उसके मुँह पर अपना एक हाथ लगा दिया था।
अब मैंने उसकी चीख की परवाह किए बिना एक तगड़ा झटका मार कर पूरा लवड़ा चूत में घुसेड़ दिया।
वो थर्रा गई.. पर मैं रुक गया और उसकी चूचियों को पीने लगा।
कुछ देर में उसका दर्द कम हुआ और मेरा इंजन शंटिंग करने में जुट गया।
बस कुछ ही देर में उसके चूतड़ों ने भी नीचे से हरकत शुरू कर दी थी और धकापेल चुदाई चालू हो गई।
कुछ देर तक चुदाई होने के बाद वो एकदम से अकड़ गई और झड़ गई उसकी गर्मी से मेरा लौड़ा भी पिघल गया और हम दोनों फारिग हो गए।
थकान कम होते ही हम दोनों उठे और पानी में नहा कर कपड़े पहन कर घर को चल दिए।
अब मैं वैशाली को जब चाहे चोद लेता हूँ।
यह थी मेरी पड़ोसन कमसिन लड़की की चूत चुदाई की कहानी जो मैंने तैरना सिखाने के बहाने की थी।


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भाभी की नंगी चूत


हाय दोस्तो, मैं आकाश.. कैसे हैं आप सब!
मैं कानपुर, उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ। मैं दिखने में ज्यादा स्मार्ट तो नहीं हूँ लेकिन इतना हूँ कि किसी भी अच्छी लड़की को आसानी से पटा लूँ।
मैं आप सबको अपनी लाइफ के सबसे हसीन लम्हे बताने जा रहा हूँ.. यह मेरी पहली स्टोरी है.. उम्मीद करता हूँ आप लोगों को मेरी कहानी पसंद आएगी।
यह कहानी मेरी और मेरी भाभी के बीच की तब की है.. जब मैं 12 वीं में था।
मुझे शादी-शुदा औरतें बहुत ज्यादा पसंद हैं।
मैं एक अच्छे अमीर घर से हूँ.. और मेरा घर बड़ा था। मेरे घर में किराए पर एक बंगाली परिवार रहता था। उनके परिवार में तीन लोग थे। भैया भाभी और उनका एक 5 साल का लड़का।
भाभी की उम्र कोई ज्यादा नहीं थी.. यही कोई 28 या 29 की होगी।
क्या बताऊँ दोस्तो, वो तो एक जन्नत की परी से भी ज्यादा सुन्दर लगती थीं।
जब वो पहले दिन आई थीं तभी से मैंने सोच लिया था कि इनको चोदना ही है।
आप लोग तो जानते ही हैं कि बंगाली औरतें कितनी सुन्दर होती हैं। उनका फिगर तो क्या बताऊँ… उनके सामने तो जन्नत की हूर भी शरमा जाए। उनका फिगर साइज़ 36-26-36 का था।
मैं बस उनको किसी तरह चोदने का प्लान बनाने लगा और उनसे बात करने के बहाने ढूंढने लगा।

भाभी की तारीफ़

शुरूआत में मेरी हल्की-फुल्की बात ही उनसे होती थी लेकिन धीरे-धीरे हम लोग आपस में काफी घुल-मिल गए थे। अब मैं उनसे मजाक भी करने लगा था।
एक दिन यूं ही उनसे बात कर रहा था- क्या बात है भाभी आज तो बहुत सुन्दर लग रही हो.. लगता है आज एक-दो की जान तो जरूर जाएगी।
भाभी- हट बदमाश.. मैं और सुन्दर.. तू कितना झूठ बोलने लगा है और मैं भला किसी को क्यों मारने लगी.. जिसको मरना है.. वो तो मरता नहीं है।
वो अपने पति के बारे में कह रही थीं।
मैं- तो क्या हुआ भाभी अभी आपका देवर तो जिन्दा हैं ना.. आप कहें तो आपके लिए जान भी हाजिर है.. जान ही क्यों.. सब कुछ हाजिर है।
भाभी- अच्छा जी.. लगता है आज आप बड़े रोमांटिक मूड में हो।
मैं- एक बार चांस तो दो..
इतना कह कर मैं हँसने लगा।
तभी हमारे पड़ोस की एक लड़की आई और उनको अपने साथ अपने घर ले गई मुझे उस पर तेज गुस्सा आई लेकिन वो जो लड़की आई थी.. वो भी कुछ कम नहीं लगती थी।
लेकिन उसका फिगर साइज़ थोड़ा छोटा था। खैर जाने दो..
उस दिन तो मैंने उनके नाम की मुठ मार कर काम चलाया।
फिर अगले दिन मैं उनके कमरे में गया.. तो उनका बेटा बहुत रो रहा था।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो उन्होंने कहा- पता नहीं क्यों रो रहा है।
फिर मैंने उनके लड़के से.. जिसका नाम अंश था.. कहा- आओ हम लोग छुपा-छुपी खेलते हैं।
उसने भी रोना बंद करके कहा- हाँ मैं खेलूँगा।
फिर मैंने कहा- जाओ जा कर तुम छुप जाओ।
वह छुप गया.. फिर थोड़ी देर बाद मैंने उसको ढूँढ लिया।
मैंने कहा- अब छुपने की बारी मेरी.. तुम मुझे ढूँढना।
‘ठीक है..’
फिर मैंने उसको बोला- तुम बाहर जाकर अन्दर आ जाओ।

भाभी की साड़ी के अन्दर

फिर वो बाहर गया और मैं भाभी के पैरों के पास जा कर छुप गया। उस दिन भाभी ने लाल साड़ी पहनी थी। मैं उनके पैरों के बीच में जा कर चुप गया।
फिर अचानक भाभी को क्या हुआ उन्होंने अपनी साड़ी उठाई और मुझको अपनी साड़ी के अन्दर छुपा लिया।
उफ्फ.. क्या बताऊँ दोस्तों.. उस वक्त तो मैं एकदम हक्का-बक्का रह गया। मैं उनकी साड़ी के अन्दर था.. मुझे उनकी चूत की अब खुश्बू आने लगी.. जिससे मेरा लंड खड़ा हो गया।
मैं अपने आपको रोक नहीं पाया और अपनी नाक को उनकी चूत के पास ले गया।
मुझे कुछ दिख तो नहीं रहा था.. क्योंकि मैं उनकी साड़ी के अन्दर था। मैंने जब उनकी चूत को सूंघा.. तो क्या बताऊँ…
उस वक्त मेरा तो पानी ही निकल जाता.. लेकिन मैंने अपने आपको कण्ट्रोल किया।
मैंने अपनी जीभ से जब उनकी चूत को छुआ.. तो वो एकदम से उछल पड़ीं।
फिर उन्हें याद आया कि मैं कहाँ हूँ.. तो उन्होंने तुरंत अपनी साड़ी से मुझको बाहर निकाला और अपनी नजरें झुका लीं।
मैंने उनकी तरफ देखा और उनके गाल पर किस करते हुए उनको थैंक्स बोलकर तुरंत बाथरूम में गया और उनके नाम की मुठ मार कर अपने कमरे में जाकर सो गया।
अगले दिन मैं उनके कमरे में गया और कहा- भाभी जरा थोड़ा सा दूध मिलेगा?
भाभी- दूध क्या.. मलाई भी मिलेगी..
मैं- नहीं नहीं.. मेरे पास मलाई है.. आपको चाहिए क्या?
इतना सुनते ही भाभी हँसने लगीं..
मैंने कहा- भाभी आज तो आपको देख कर कुछ-कुछ हो रहा है।
भाभी ने कहा- हो जाने दो न देवर जी..
मैंने कहा- चलो कहीं बाहर चलते हैं.. मजे करेंगे।
लेकिन भाभी नहीं मानी और उन्होंने बोला- मजे करना है तो यहीं घर में करते हैं न..
इतना सुनते ही मेरा तो लंड खड़ा हो गया। मैंने उनको जोर से पकड़ लिया और उनके गाल पर एक जोर से किस कर दिया।

भाभी ने शाम को बुलाया

भाभी मेरे इस अचानक हुए हमले के लिए तैयार नहीं थीं.. इसलिए उन्होंने मुझको धक्का दिया और मुझको बाहर निकाल कर दरवाजा बंद कर दिया।
और अन्दर से कहा- बाकी काम आज शाम को करते हैं।
अब तो मेरे होश उड़ गए मैं तो अपने आप पर कंट्रोल नहीं कर पा रहा था, मैंने भाभी से कहा- प्लीज भाभी.. एक बार दरवाजा तो खोलो ना.. लेकिन भाभी ने कहा- नहीं.. अभी नहीं.. थोड़ा सब्र कर लो.. शाम को पूरे मजे लेंगे।

मैं ‘ओके’ बोलकर तुरंत अपने कमरे में गया और मुठ मार ली।
अब तो मुझे बस शाम का इन्तजार था।
जैसे-तैसे शाम हुई और मैंने देखा कि उनके घर में कोई नहीं था।
मैंने पूछा- सब कहाँ गए?
तो उन्होंने बताया- मेरे पति और बेटा डिनर पर गए हैं.. और वो रात से पहले नहीं आएंगे।
अब तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मैंने सोचा कि जाकर मेडिकल शॉप से कंडोम ले आऊँ.. जैसे ही मैं पीछे की तरफ मुड़ा.. तो भाभी ने मुझको पीछे से जोर से पकड़ लिया और मेरे कान पर किस करने लगीं।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो वो बोलीं- कहाँ जा रहे हो?
मैंने कहा- जाकर जरा कंडोम तो ले आऊँ।
वो बोलीं- अरे मैंने सारा जुगाड़ कर रखा है।
मैं खुश हो गया और पीछे मुड़ कर उनको जोर से उनके होंठों पर किस कर दिया।
मैंने बोला- वाह भाभी.. क्या बात है.. लगता आज तो चुदने का पूरा जुगाड़ बना कर रखी हो।
मेरे मुँह से यह बात सुन कर भाभी को शरम आ गई और वो अपने कमरे में भाग गईं।
मैं उनके पीछे गया और कहा- भाभी आज मैं आपकी चूत की खुश्बू सूंघ कर ही रहूँगा.. उस दिन आपने बड़ा तड़पा दिया था। मन तो था उसी दिन आपको चोद दूँ.. लेकिन बहुत कंट्रोल किया था। आज तो आपकी चूत का भोसड़ा बना कर रहूँगा।
इतना सुनते भी वो हँसने लगीं और बोलीं- चलो देखते हैं कितना दम है इस शेर में।
मैंने कहा- अरे जाकर दरवाजा तो बंद कर दो।
फिर भाभी उठ कर दरवाजा बंद करने जा रही थीं.. तो मैं उनकी मटकती गाण्ड देख रहा था।
जब भाभी वापस आईं.. तो वो मेरी गोद में बैठ गईं और मेरे होंठों पर किस करने लगीं।
मैंने पहली बार किसी को किस किया था तो उस वक्त तो मानो मैं जैसे जन्नत में उड़ने लगा था। आपको बता नहीं सकता कि मुझे कितना मजा रहा था।
मैं भी पागलों की तरह उनके मुलायम होंठों को काटने लगा। कभी मैं उनके मुँह में अपनी जीभ डालता.. तो कभी वो अपनी जीभ मेरे मुँह में डालतीं।
मैं अपना सारा थूक उनके मुँह में डालने लगा और वो भी बहुत मजे से मेरा साथ दे रही थीं।
अब मैं उनकी मस्त मोटी-मोटी उभरी चूचियों को दबा रहा था और उनके मुँह से भी सिसकारी निकलने लगी थी।
मैं धीरे-धीरे अपने हाथ उनकी कमर से लेकर उनकी मस्त मुलायम गाण्ड को दबाने लगा। वो बहुत गर्म हो गई थीं। फिर मैं एक हाथ से उनकी चूची दबा रहा था।
मैंने जब एक हाथ से उनकी गर्म चूत पर ले गया और उनकी चूत को छुआ.. तो वो एकदम से उछल पड़ीं और मुझे जोर से पागलों की तरह चूमने लगीं।
मैं पूरे जोश में आ गया और उनकी चूत को जोर-जोर से रगड़ने लगा, उनकी चूत लगातार पानी छोड़ रही थी।
अब मैंने धीरे-धीरे उनके कपड़े निकालने शुरू किए, सबसे पहले मैंने उनकी साड़ी उतारी.. फिर ब्लाउज और फिर पेटीकोट!
भाभी सिर्फ ब्रा और पैंटी में थीं और क्या बताऊँ…वो ब्रा और पैंटी में इतनी हॉट लग रही थीं कि अगर आप लोगों में से कोई उन्हें देख लेता.. तो तुरंत ही उनको चोद देता।
अब मैंने अपना एक हाथ उनकी पैंटी में डाला और उनके दाने को रगड़ने लगा। वो जोर-जोर से सिसकारियाँ लेने लगीं ‘आआह्ह्ह.. आह्ह्ह.. बहुत मजा आ रहा है.. आह्ह..’
मैंने कहा- यह तो शुरुआत है भाभी.. आगे तो और मजा आएगा।
मैंने पीछे हाथ डाल कर उनकी ब्रा को खोल दिया और उनके दोनों कबूतरों को जोर-जोर से दबाने लगा।
भाभी अब और जोश में आ गईं.. और कहने लगीं- आआह्ह्ह.. प्लीज.. और जोर से दबाओ.. आहह्ह.. ऊओह्ह्ह..
मैंने सीधे उनकी मस्त मुलायम चूचियों को अपने मुँह में ले लिया और एक-एक करके चूसने लगा।
फिर मैं सीधे उनकी चूत पर आ गया और उनकी पैंटी के ऊपर से ही उनकी चूत को सूंघने लगा।
मैं- भाभी उस दिन आपकी चूत की खुश्बू से मैं पागल हो गया था.. आज तो मैं आपकी चूत को फाड़ कर ही रहूँगा.. आपने मुझे बहुत तड़पाया है.. माँ की लौड़ी..
मैंने चुदास की मदहोशी में भाभी को गाली बक दी थी तो वे भी खुश हो गईं।
भाभी- हाँ चाट ले मादरचोद.. मेरी चूत और बना ले मुझे अपनी रंडी भोसड़ी वाले!

भाभी की नंगी चूत

अब मैंने उनकी पैंटी उतारी और उनकी चूत को चाटने लगा।
अब तो वो बिल्कुल पागल ही हो गई थीं, वो अपने हाथ से मेरा सर अपनी चूत में दबाने लगीं और मैं भी अपनी जीभ से उनकी मस्त चूत को चाटने लगा।
मैंने पहली बार किसी की चूत को चाटा था, मुझे बहुत मजा आ रहा था।
मैं उनकी चूत को अपने मुँह से चोदने लगा। उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था, चूत से लगातार रस बह रहा था। मैं कभी उनकी चूत के गुलाबी होंठों को चूसता.. तो कभी उनके दाने को दाँतों से हल्के से काटता।
वो लगातार मादक सीत्कार कर रही थीं, उनकी सिसकारियाँ लगातार बढ़ रही थीं.. जिससे मुझे ओर ज्यादा जोश आ रहा था।
वो ‘आआह्ह्ह.. ऊओह्ह्ह.. उफ्फ्फ..’ कर रही थीं।
फिर उन्होंने मुझे नंगा किया और मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया।
क्या बताऊँ दोस्तो, मुझे उससे ज्यादा मजा आज तक और किसी चीज में नहीं आया।
फिर मैं और भाभी 69 की अवस्था में हो गए और एक-दूसरे से खेलने लगे।
मैं इतना गर्म हो गया था कि ज्यादा देर नहीं रुक पाया और भाभी के मुँह में ही झड़ गया, भाभी मेरा सारा माल पी गईं।
मेरे कुछ देर बाद भाभी भी झड़ गईं और उनका सारा रस मैं पी गया।
क्या स्वाद था उसका.. जिसने पिया होगा वो ही जानता होगा।
अब मैं और भाभी थक कर एक-दूसरे के बगल में लेट गए।
मैंने भाभी से कहा- भाभी आपकी चूत पीने में बहुत मजा आया।
भाभी हँसने लगीं और बोलीं- अभी मजा तो बाकी है मेरी जान!
वो मेरे लंड हो अपने हाथों से हिलाने लगीं और मैं भी उनकी चूचियां दबाने लगा।
अब तक मेरा लंड खड़ा हो गया था।
भाभी ने कहा- मेरे देवर राजा.. अब देर न करो अब मुझसे नहीं रहा जाता।
मैंने देर न करते हुए भाभी से कहा- भाभी जरा कंडोम तो पहनाना।
भाभी उठीं और अलमारी से एक कंडोम निकाल कर मेरे लंड को थोड़ी देर चूस कर उस पर कंडोम चढ़ा दिया।
फिर वे रण्डियों की तरह अपनी टाँगें फैला कर लेट गईं और चूत पर थपकी देते हुए बोलीं- आ जा मेरे राजा.. मेरे ऊपर चढ़ जा।
मैंने उनके दोनों पैर अपने कंधों पर रखे और उनकी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा.. जिससे भाभी और ज्यादा गर्म आवाजें निकालने लगीं। वो लगातार ‘आआह्ह्ह.. आहह्ह..’ कर रही थीं।
मैंने अपने लंड को चूत के गेट पर सैट किया और उनकी चूत में हल्का सा धक्का दिया।
उनकी चूत थोड़ी टाइट थी.. जिससे उनको थोड़ा दर्द हुआ.. तो उनके मुँह से हल्की सी ‘आहह..’ निकली।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो कहने लगीं- तू बस धक्का लगा।
इतना सुन कर अबकी बार मैंने पूरी जोर से धक्का मारा और मेरा आधे से ज्यादा लंड भाभी की चूत में चला गया। मैं वैसे ही हल्के-हल्के धक्के लगाने लगा।
भाभी अब काफी गर्म हो गई थीं और वो अपने होंठों को अपने दाँतों से काटने लगीं और अपनी चूचियां खुद दबा रही थीं।
इस सबसे उनकी आँखें बंद थीं।
मैंने फिर एक जोर का धक्का मारा जिससे मेरा पूरा लंड उनके अन्दर समां गया। मैंने देखा तो भाभी की आँखों से आँसू की कुछ बूँदें आ गईं।
मैं उनके दर्द की परवाह न करते हुए लगातार जोर-जोर से धक्के मारने लगा.. जिससे पहले तो भाभी को कुछ दर्द हुआ मगर बाद में वो अपनी गाण्ड उठा कर मेरा साथ देने लगीं।
भाभी- आहह्ह और जोर से मेरी जान.. आह्ह.. और दम लगा.. ऊओह्ह्ह बहुत मजा आ रहा है.. मैं कब से ऐसी चुदाई के लिए तड़प रही थी.. आज फाड़ दे मेरी चूत.. ये बहुत मादरचोद खुजा रही थी।
मैं- ले मादरचोदी रण्डी.. चुदवा अपनी चूत.. बहुत तड़पाया है तूने..
मैं अपनी पूरी ताकत से उनको चोदने में लगा था। पूरे कमरे में बस भाभी की सिसकारियां गूंज रही थीं। भाभी लगातार ‘आहह्ह.. ऊओह्ह्ह.. हम्म.. फ़क बेबी..’ कर रही थीं।
मैंने ऐसे ही उनको बहुत देर तक अलग-अलग पोजीशन में चोदा। अब तक भाभी 3 बार झड़ चुकी थीं और वो थक गई थीं.. लेकिन मेरा लंड झड़ ही नहीं रहा था।
भाभी- साले क्या खा कर आया है.. झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा है।
मैं- पता नहीं.. क्या हुआ भाभी..
भाभी- चल मादरचोद.. मैं तेरा मुँह में लेकर झाड़ देती हूँ।
उन्होंने मेरा लंड मुँह में लिया और पूरी जोर से चूसने लगीं.. जिससे मैं ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं कर पाया और उनके मुँह में ही झड़ गया।
भाभी मेरा सारा माल पी गईं।
उस दिन मैं पहली बार इतना झड़ा था कि मेरे अन्दर की सारी ताकत कम हो गई थी और मैं निढाल हो कर उनके बाजू में ही नंगा लेट गया।
हम दोनों कुछ देर तक यूं ही नगें लिपटे पड़े रहे।
फिर मैंने उठ कर खुद को साफ़ किया भाभी ने भी अपने कपड़े पहने और मैं अपने कमरे में चला गया।
ऐसे ही हमने बहुत समय तक चुदाई की और अभी तक कर रहे हैं।
आगे बताऊंगा कि कैसे मैंने उनकी बहन को चोदा।




 

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सोनिया की गर्म चूत


बात तब की है.. जब मैं मैथ की टीचर सोनिया के पास टयूशन पढ़ने जाता था। सोनिया का चेहरा तो बस ठीक-ठाक ही था लेकिन उसकी फिगर को देख कर किसी के मुँह में पानी आ जाए.. उसका फिगर 34-28-36 का था। बड़े-बड़े मम्मे और मोटी उठी हुई गाण्ड को देख मेरे मन में एकदम घंटियाँ बजने लगती थीं कि अभी इसे पकड़ कर चोद दूँ।
वो ज्यादातर सलवार सूट पहनती थी.. तो जब वो किसी पढ़ाती थी.. तो मैं उसके मम्मे देखता रहता था और सपने देखता रहता था कि जाने कब मैं इसको चोद पाऊँगा।
कभी-कभी जब मैं उसे देख रहा होता था और उसकी नज़र मुझ पर पड़ती तो मैं कहीं और देखने लगता था.. शर्मा जाता था।
उसे भी पता था कि मैं उसे गुप्त नज़रों से देखता रहता हूँ।
कहानी यहाँ से शुरू होती है। दीवाली 2011 की बात है.. सोनिया ने दीवाली के दिन की और दीवाली के एक दिन पहले की छुट्टी दे दी और कहा- मुझे कहीं जाना है.. इन दो दिन आप नहीं आएंगे।
लेकिन मुझे इस बात का ख्याल नहीं रहा और मैं सोनिया के पास टयूशन के लिए चला गया।
मैंने घन्टी बजाई.. सोनिया ने दरवाज़ा खोला और कहा- आज तुम क्यों आ गए.. आज की मैंने छुट्टी की थी?
वो मुस्कुराने लगी।
मैं- ऊह्ह सॉरी.. मुझे याद नहीं रहा.. ओके मैं जाता हूँ परसों आ जाऊँगा।
सोनिया- नहीं.. अब जाने की जरूरत नहीं है.. अब आए हो तो पढ़ा ही देती हूँ.. आ जाओ। वैसे भी घर के सारे लोग चले गए हैं और इस वक्त इधर कोई नहीं है.. मुझे भी जाना था.. लेकिन मुझे बुखार आ गया और मैं जा नहीं पाई। अब बुखार भी नहीं है.. तुम आ गये हो तो सोचा तुम्हें पढ़ा ही दूँ।
उस दिन वो बड़ी अच्छी लग रही थी.. उसने टी-शर्ट और लोअर पहन रखा था। क्या कमाल की गाण्ड नज़र आ रही थी।
मेरा तो लौड़ा बार-बार खड़ा हो रहा था, मुझसे तो रहा ही नहीं जा रहा था।
आधा घंटा पढ़ने के बाद वो बाहर गई और मैं अपना मोबाइल निकाल कर गेम खेलने लगा। अचानक मेरा मोबाइल हैंग हो गया।
मैंने स्विच ऑफ कर दिया और सामने बेंच पर रख दिया।
मैं वाशरूम चला गया.. कुछ देर बाद मैं आया तो सोनिया बैठी हुई थी। मैंने आकर अपना मोबाइल उठाया स्विच ऑन करने के लिए बटन देखा.. लेकिन वो पहले से ऑन था।
सोनिया ने कहा- मैंने ऑन किया है।
मैं उससे छुपाते हुए देखने लगा कि पता तो करूँ कि सोनिया ने क्या ओपन किया था.. टास्क मैनेजर में मैंने देखा कि पोर्न मूवीज ओपन हुई थीं।
मेरी आखें खुली की खुली रह गईं।
मैं- आपने क्या ओपन किया था?
सोनिया- कुछ भी तो नहीं..
मैं- मुझे पता है क्या ओपन हुआ है और कौन सी मूवी देखी गई है।
उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया.. अब वो मुझसे बात ही नहीं कर पा रही थी।
कुछ देर बाद..
सोनिया- तो क्या हुआ अगर देख ली है तो..
मैं- नहीं कुछ हुआ तो नहीं है.. अगर देखनी ही थी तो मुझे बता देते.. मैं दिखा देता।
सोनिया ने इठलाते हुए कहा- तो अब दिखा दो.. मैंने कब मना किया है।
यह कहते हुए उसने मेरी जांघ पर हाथ रख दिया और सेक्स भरी नज़रों से मुझे देखने लगी।
इसके बाद मैं बिना कुछ सोचे उसे पकड़ कर चुम्मा करने लगा, उसने भी मुझे दबोच लिया और मेरे ऊपर आ गई।
उसकी साँसें तेज हो रही थीं.. वो गर्म हो रही थी।
मैं साथ में उसके मम्मे दबा रहा था।
थोड़ी देर बाद मैंने उसके बाल खोल दिए।
फिर उसने मुझे कहा- दरवाजा देख कर आओ.. ठीक से बंद है या नहीं और परदे भी ठीक कर दो।
मैंने वैसे ही किया और बिस्तर पर आ गया। उसने मुझे फिर दबोच लिया.. मुझे अंदाजा नहीं था कि बिस्तर पर वो इतनी तेज होगी।
उसने मेरी टी-शर्ट लगभग खींचते हुए उतार दी और मैंने उसका टॉप उतार दिया। उसने नीचे ब्रा नहीं पहनी थी, जब मैंने उसके गोल-गोल मम्मे देखे.. तो मैं पागल सा हो गया और जानवरों की तरह उसके एक मम्मे को मुँह में ले लिया और चूसने लगा।
वो सिसकारियाँ भरने लगी।
उसके निप्पल गुलाबी रंग के थे.. उसे चूचियाँ चुसवाने में काफी मजा आ रहा था, वो अपने मम्मे के ऊपर मेरा मुँह दबाए जा रही थी।
उसने मुझे लोअर उतारने के लिए कहा.. मैंने फट से उसका लोअर उतार दिया, उसने नीचे काले रंग की पैन्टी पहनी हुई थी।
फिर मैंने उसके पैरों से चूसना शुरू किया.. दोनों पैरों को दम से चूसा, इससे वो और गरमाए जा रही थी, उससे कुछ बोला भी नहीं जा रहा था.. बस सिसकारियाँ भरे जा रही थी।
नीचे से चूसते-चूसते मैं उसकी टाँगों से ऊपर चूत तक आ गया था। उसकी पैंटी के ऊपर से ही मुझे उसकी गीली चूत रस से भरी हुई महसूस हो रही थी।
अब मैंने उसकी चूत की ओर बढ़ना शुरू किया। उसने पैंटी के ऊपर से मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत से सटा दिया और रगड़ने लगी ‘आआ.. आअई.. आह्ह्ह.. ऊऊम्म्म.. ईई..’
वो जोर-जोर से आवाजें निकाल रही थी।
फिर मैंने उसकी पैंटी उतार दी और मैं तो बस अपनी लपलपाती जीभ से उसे चाटे जा रहा था।
‘साले चाट इसे.. जोर-जोर चाट इसे भोसड़ी के.. पानी निकल के पी जा.. खा जा मेरी चूत को मेरे राजा.. हरामी साले छोड़ना मत इसे.. कुत्ते चाट मेरी चूत को.. बहन के लौड़े.. इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया रे.. ऊऊम्म्म ओह..’
यह कहने के बाद उसने मेरा सर पकड़ा और जोर-जोर से घस्से लगाने लगी। बस 5-6 घस्से लगाने के बाद वो एकदम से इठ गई और भलभला कर झड़ गई, मैं उसका सारा रज में पी गया।
कुछ देर निढाल रहने के बाद उसने मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया और चाटना शुरू कर दिया। वो मेरे लवड़े को ऐसे चाट रही थी.. जैसे उसे लॉलीपॉप मिल गई हो।
मैं- आह्ह.. आधा कर देगी क्या इसे चाट चाट के..
सोनिया- चुप कर साले मादरचोद.. मैं मरी जा रही थी इसे मुँह में लेने के लिए.. आज मौका मिला है.. तुझे जाने नहीं दूँगी।
वो चूसते-चूसते मुँह से आवाजें कर रही थी।
केवल 3-4 मिनट चूसने के बाद ही मैं झड़ने वाला हो गया था, मैंने उससे कहा- आह्ह.. रानी.. साली बड़ी जोरदार चुस्क्कड़ निकली तू तो.. ले.. मैं झड़ने वाला हूँ।
उसने कहा- मेरे मुँह में झड़ जा भोसड़ी के..
मैंने उसका सर पकड़ा और दस सेकंड तक उसके मुँह में जबरदस्त घस्से लगाए.. और झड़ गया.. वो मेरा सारा वीर्य पी गई।
हम दोनों फारिग होकर 5 मिनट तक ऐसे ही पड़े रहे।
वो मुस्कुराते हुए मेरे बदन पर हाथ फिराए जा रही थी.. साथ में गालियाँ भी दिए जा रही थी।
।‘साले.. बहन के लण्ड.. आज से तुझे मैं अलग से टयूशन दिया करूँगी.. तू मेरा पर्सनल चोदू स्टूडेंट है।’
‘ओके मेरी जान..’
‘चल अब शुरू हो जा मेरे राजकुमार.. मेरी चूत तेरे लॉलीपॉप की प्यासी है.. कर दे इसकी प्यास खत्म.. बुझा दे इसकी प्यास को.. आज कोई कसर नहीं रहनी चाहिए लवड़े..’
यह कहते ही मैंने उसकी टांगें उठाईं.. मैं अपना लंड उसकी चूत पर रखने ही जा रहा था कि मैंने पूछा- कंडोम है तेरे पास?
सोनिया- अरे चूतखोर मेरे पास कंडोम कहाँ से आएगा भोसड़ी के.. और अगर होता भी तो भी तुझे नहीं देती.. ऐसे ही चोद.. अब डाल भी दे.. मेरा सब्र छूटा जा रहा है।
ये सुन कर मैंने अपना लंड उसकी चूत के छेद पर सटा दिया.. उसने आँखें बंद कर लीं.. वो होंठों पर जीभ फिराए जा रही थी।
जैसे ही मैंने लौड़ा डाला.. उसने अपने मम्मे कस के दबा दिए और खुद घस्से लगवाने लगी.. इस पर मैंने भी ठोकर लगनी शुरू कर दीं। मैं ताबड़तोड़ घस्से लगाए जा रहा था, वो अपनी गाण्ड उछाल-उछाल कर मेरा साथ दे रही थी।
फिर उसने मेरे कन्धों पर अपनी टांगें रख दीं और कहा- फक मी हार्डर।
बस उसके यही कहने पर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और जोर-जोर से घस्से लगाने लगा। हम दोनों की टकराने की तेज आवाजें आ रही थीं।
फिर मैंने उसे घोड़ी बना लिया और उसकी गाण्ड पकड़ कर चोदने लगा। इस पोजीशन में वो काफी एक्सपर्ट थी। उसने अपनी गर्दन पूरी नीचे और गाण्ड बिल्कुल ऊपर उठा रखी थी और खुद भी आगे-पीछे हो रही थी.. जिससे मुझे भी काफी मदद मिल रही थी।
मैंने अपनी स्पीड कम नहीं होने दी और सटासट उसे पेले जा रहा था।
मैं- जब तुम झड़ो.. तो मुझे बता देना.. मुझे झड़ने के बाद भी दस सेकंड तक पेलना है।
ठीक इसके बाद ही उसने बोल दिया- मैं झड़ने वाली हूँ..
मैंने अपनी एक टांग बिस्तर पर रखी और घस्से लगाने की रफ्तार बढ़ा दी। वो जोर-जोर से आवाजें निकालने लगी ‘आआ.. ईईई.. उम्म्म्म..’
करीब आधा मिनट तक मैं उसे जोर-जोर से चोदने में लगा रहा और उसके झड़ने के साथ मैं भी झड़ गया, मैंने सारा रस उसकी चूत में छोड़ दिया।
हम फारिग होकर लेट गए।
मेरी साँस काफी फूली हुई थीं।
सोनिया- क्या मजा देते हो तुम.. तुमने मुझसे पहले क्यों नहीं कहा.. तुम साले मेरे मम्मों की ओर देखते तो रहते थे पर मुझे मालूम होता कि तू इतना मस्त चोदता है तो अब तक कभी का खा चुकी होती।
मैं- जब तुम्हें पता था कि मैं तुम्हें देखता हूँ.. तो तुमने खुद कुछ क्यों नहीं कहा?
सोनिया- अरे बुद्धू पहले लड़कियाँ नहीं.. लड़के कहते हैं।
मैंने हंसते हुए कहा- हाँ हाँ.. बात तो तुम्हारी सही है.. लेकिन तुम लड़की कहाँ से लगती हो।
सोनिया- ठहर साले.. अभी बताती हूँ तुझे..
बस मेरे ये कहने पर वो मेरे ऊपर 69 की पोजीशन में आ गई और चूत मेरे मुँह पर रख दी.. जोर से मेरा मुँह बंद कर दिया और खुद मेरे लंड से खेलने लगी.. जो अभी दोबारा तैयार भी नहीं हुआ था।
उसने खेलते-खेलते मेरा लंड तैयार कर दिया और चूसने लगी। वो लौड़े को मुँह के काफी अन्दर ले रही थी। मैं भी उसकी गीली चूत चाट रहा था और उसकी कमर को अपने दोनों बाजुओं से जकड़ रखा था।
इसके बाद मैंने उसकी गाण्ड में जीभ डाल दी.. उसकी सिसकारियाँ निकलनी शुरू हो गईं। मैंने उसकी गाण्ड चाट चाट कर गीली कर दी।
क्या गाण्ड थी गुलाबी रंग की.. बिल्कुल चिकनी..
वो मेरे ऊपर से उठी और कहा- अब गाण्ड मारो न प्लीज.. जब से तुमने जीभ डाली है.. तब से मेरी गाण्ड में खुजली होने लग गई है।
ये कहते-कहते उसने मेरे होंठों को चूम लिया और काट भी लिया और मेरे कान में कहा- धीरे करना.. गाण्ड में पहली बार करवा रही हूँ.. कोई परेशानी न खड़ी कर देना।
मैंने भी धीरे से कहा- कुछ नहीं होगा.. मैं हूँ न..
वो बोली- बस इसी बात का तो डर है।
दोस्तो, मैंने उसकी गाण्ड कैसे मारी.. ये मैं आपको मेरी अगली कहानी में बताऊँगा।




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क्या मुझे फिर से वो चुदाई चाहिए


दोस्तो, मैं आपकी अपनी सीमा, जो अब एक पूरी तरह से चुदक्कड़ भाभी बन चुकी है, कैसे?
आइये आपको बताती हूँ।
सेक्स तो हर कोई करता है और सभी को पसंद है, मुझे भी है।
और ऊपर से हूँ भी मैं पतली, सुंदर सेक्सी…
स्कूल टाइम से ही लड़के मुझे पर बहुत मरते थे, स्कूल में फिर कॉलेज में, आस पड़ोस, मोहल्ले से हर जगह से मुझे कुछ मूक तो कुछ मुखर प्रेम निमंत्रण मिलते ही रहते थे।
मगर मैंने कभी किसी की परवाह नहीं की, मुझे ये भी था, जितनी मैं सुंदर हूँ, उतना ही सुंदर मेरा बॉय फ्रेंड भी होने चाहिए।
एक एक करके मेरे सभी सहेलियों के बॉय फ्रेंड बन गए, मगर मैं अकेली की अकेली।
एक दो ने तो लव मैरिज भी कर ली, मगर मुझे कोई ढंग का बॉय फ्रेंड भी न मिला।
चलो जी जब पढ़ाई पूरी हो गई, उम्र हो रही थी तो घर वालों ने एक अच्छा सा लड़का देख कर शादी तय कर दी।
फिर भी मैं सोचूँ, के यार मैंने किया क्या, जिन लड़कियों की न अक्ल न शक्ल वो भी यार लिए घूमती थी, मुझमें क्या कमी थी, इतने लोग मुझ पर लाइन मारते थे, यहाँ तक कि मेरे रिश्तेदार भी मुझे चाहत भरी और कई तो वासना भरी नज़रों से देखते थे, फिर मेरी जवानी ऐसे ही क्यों निकली जा रही थी।
शादी हो गई… सुहागरात को पति ने तोड़ कर रख दिया। पहला अनुभव सेक्स का और वो भी इतना ज़बरदस्त, शायद किसी तो रेप में इतनी तकलीफ न होती हो, या पति को ही उसके दोस्तों ने कुछ ऐसा समझा बुझा कर या खिला पिला कर भेजा के वो रब का बंदा, आधा पौना घंटा नीचे ही न उतरता, और सुहागरात पर ही उसने मुझे चार बार चोदा, पूरी बेदर्दी से।
मुझे तो यही समझ नहीं आ रहा था कि ये सब हो क्या रहा था।
खैर अगले दिन मुझसे तो उठा भी नहीं गया। ससुराल वाले सब खुश, अपने लड़के की मर्दानगी पर कि दुल्हन का तो बैंड बजा दिया।
उसके कुछ दिन बाद हनीमून… वहाँ तो लगातार 10 दिन सेक्स, कोई सुबह नहीं देखी कोई शाम नहीं देखी। जब भी वक़्त मिलता, ठोकना पीटना शुरू।
फिर मुझे भी इस सब में मज़ा आने लगा। इसी तरह शादी को एक साल हो गया।
पति देव अब थोड़ा नर्म पड़ गए थे, काम में व्यस्त… मगर मैं घर में बैठी, यही सोचती कि वो पहले वाला दमखम दिखायें।
पहले दिन में तीन बार होता था, अब तीन दिन में एक बार।
अपना मन बहलाने को इधर उधर मन लगाती, मगर मन कहाँ काबू में रहता है, वो घूम फिर कर फिर टाँगों के बीच घुस जाता।
फिर एक और आदत पड़ गई, अक्सर दोपहर को खाना खा कर मैं बिल्कुल नंगी होकर बेड पे लेट जाती, अपने बदन को सहलाती, फ़ुल साइज़ शीशे के सामने नंगी होकर खड़ी हो जाती, अपना तरह तरह से मेक अप करती, कुछ कुछ बनती, खुद को तड़पाती और फिर हाथ से अपनी चूत को शांत करती।
ये तो रोज़ का ही काम हो गया था।
अक्सर सोचती, ये सब्जी वाला, अंदर आकर मुझे पकड़ ले, ये एल पी जी गैस वाला, अपना लंड चुसवा जाए, मगर फिर भी अपने मन को समझा कर अपने पर काबू रखने की कोशिश करती।
हस्तमैथुन तो रोज़ की बात थी।
ऐसे ही एक दिन बाद दोपहर कुछ करने को नहीं था, तो उठी, तैयार हुई और पास वाले मॉल में चली गई, बेवजह दुकानों में घूमती रही, एक दो जगह, कुछ ड्रेस पसंद की, मगर ली नहीं।
फिर एक और दुकान में घुस गई, एक जीन्स देखी, पसंद की, ट्राई लेने ट्राई रूम में गई।
मगर मुझे कुछ भी पसंद नहीं आया तो वापिस आ गई।
जब बेसमेंट में से अपनी गाड़ी में जा कर बैठी तो देखा 4-5 लड़के एक गाड़ी में बैठे कुछ कर रहे थे।
मैंने आस पास निगाह मारी, सारी पार्किंग में कोई नहीं था।
कुछ दिमाग में बात आई, और मैं अपनी गाड़ी से उतरी और उनकी गाड़ी की तरफ चल पड़ी। वहाँ पहुँची तो देखा, सब बीयर पी रहे थे और मोबाइल पे कोई पॉर्न विडियो देख रहे थे।
मुझे आती देख वो ठिठक गए।
मैंने पास जा कर पूछा- ऐय, क्या हो रहा है यहाँ?
मगर जब मैंने कार के अंदर निगाह मारी तो देखा कि सबने अपने अपने लंड निकाल कर हाथ में पकड़ रखे थे।
‘शर्म नहीं आती, ऐसे पब्लिक प्लेस में ऐसी गंदी हरकत करते हुए?’ मैंने जानबूझ कर उनको डांटा।
उन में से एक लड़का गाड़ी से उतरा और बोला- देखिये मैडम, हम जो भी कर रहे हैं, वो अपनी गाड़ी में कर रहे हैं, आप बीच में क्यों आती हैं?
और अपना लंड मेरी तरफ हिलाते हुये बोला- और अगर आपको कुछ चाहिए तो बताइये, वरना जाइए।
हल्के भूरे रंग का लंड, लाल रंग का टोपा देख कर तो मेरी चूत में भी गुदगुदी सी हुई, मगर मैं खुलेआम कैसे उसे कह दूँ, मैं चुप रही बस माथे पे त्योरियाँ डाल कर उसको घूरती रही।
उस लड़के ने पहले मुझे देखा, फिर आस पास और फिर आगे बढ़ आया, बिल्कुल मेरे पास, अपना तना हुआ लंड मेरी तरफ करके फिर बोला- मैडम, चाहिए क्या?
मैं फिर चुप, तो उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी गाड़ी के पीछे ले गया और इतने विश्वास से मेरा हाथ पकड़ कर ले गया, जैसे उसे पता ही था कि मैं चुदवाने के लिए ही आई हूँ।
जाते जाते वो बाकी लड़को से बोला- ओए, चूतियो, माहौल बनाओ, चूत मिल गई, आ जाओ, सब मिल कर ठोकेंगे।
गाड़ी और दीवार के बीच में खड़ी करके उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया, उसके तने हुये लंड का टोपा मेरे पेट से लग रहा था, मेरी दोनों बाहें उसने अपने गले में डाली और अपने दोनों हाथों से मेरा चेहरा पकड़ कर पहले दोनों गालों पर और फिर मेरे होंठों को चूमा, जब होंठ से होंठ मिले तो मैंने भी उसका साथ दिया।
एक लड़के ने कार का बोनेट खोला और बाकी लड़के उसके उसके आस पास ऐसे खड़े हो गए, जैसे उनकी कार खराब हो और वो उसे ठीक कर रहे हों।
चूमा चाटी के दौरान ही उस लड़के ने मेरा ब्लाउज़ खोला और मेरे ब्रा सहित दोनों उतार के नीचे रख दिये, फिर साड़ी और पेटीकोट उतार कर मुझको बिल्कुल ही नंगी कर दिया।
मैंने उसे रोका भी- अरे सारे कपड़े तो मत उतारो, कोई आ जाएगा।
वो बोला- डर मत मेरी जान, 5 लोग हैं, अगर कोई आ भी गया तो साले की माँ चोद कर रख देंगे, किसी की हिम्मत नहीं जो इस तरफ आँख भी उठा ले, तू बस नीचे बैठ और यार का लौड़ा मुँह में लेकर चूस!
बेशक उसके बोलने के लहजे में बदतमीजी थी, मगर मोटा लंबा लौड़ा देख कर तो मेरे अपने मुँह में पानी आ रहा था, मैं कैसे खुद को रोक पाती, मैंने कोई देर नहीं लगाई, खड़ी खड़ी ही नीचे को झुकी और उसका लंड पकड़ कर मुँह में लिया और चूसने लगी।
जब मैंने अपनी पूरी तसल्ली से उसका लंड चूसा तो उसको भी मज़ा आने लगा, और उसके मुँह से ‘उफ़्फ़, आह, और चूस, मादरचोद, पूरा मुँह में लेकर चूस…’ और ना जाने क्या क्या निकालने लगा।
उसको देख एक और लड़का पीछे आ गया, उसने अपना लंड निकाला, पीछे से मेरी कमर पकड़ी, अपना लंड मेरी चूत पे रखा और अंदर धकेल दिया- ले हारंजादी, साली रंडी, अपने दूसरे यार का भी लंड ले अपने भोंसड़े में!
कह कर वो मुझे पीछे से चोदने लगा।
सच में मेरी तो जैसे लाटरी ही लग गई, एक नौजवान लौड़ा मुँह में दूसरा चूत में…
अभी मैं इस सब का मज़ा ले ही रही थी कि बाकी के तीन लड़के भी पीछे आ गए, उन्होंने भी अपने अपने लंड अपनी अपनी पैंट से बाहर निकाले और आकर मेरे आस पास ही खड़े हो गए।
कोई मेरे चूचे दबा रहा था, कोई चूस रहा था।
मुझे खुद को नहीं पता, कब मैं किस का लंड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी। जिसका दिल करता वो मेरा मुँह अपनी तरफ घूमता और अपना लंड मेरे मुँह में ठेल देता, और मैं बारी बारी से उनके लंड चूस रही थी।
फिर एक बोला- यार ऐसे तो मज़ा नहीं आ रहा है, क्यों न नीचे कपड़ा बिछा के इसको लेटा लें, और आराम से इसको चोदें!
एक लड़के ने गाड़ी की डिक्की खोली और उसमे से एक कंबल टाइप कपड़ा निकाल कर नीचे बिछा लिया, एक लड़का नीचे लेट गया- आओ, तुम मेरे ऊपर आ जाओ, और मेरा लंड अपनी चूत में ले लो।
मैंने वैसे ही किया, उसके लेटते ही मैं उसकी कमर के ऊपर जा खड़ी हुई, नीचे बैठ के मैंने उसका तना हुआ मजबूत लंड अपनी चूत में ले लिया, जब सारा लंड मेरी चूत में घुस गया, तो मुझे उसने अपने ऊपर लेटा लिया।
फिर एक लड़के ने पीछे से मेरे चूतड़ खोले और मेरी गांड पे थूका, और अपना लंड भी थूक से गीला करके मेरी गांड पे रखा और अंदर धकेला।
चाहे मैं पहले भी अपनी गांड मरवा लेती थी, मगर यह मुझे फिर भी थोड़ा तकलीफदेह लगा, मेरे मुँह से ‘आह, दर्द होता है’ निकल गया।
एक लड़का बोला- साली रंडी, रोज़ गांड मरवाती हो और हमारे सामने नाटक करती हो।
मैंने कहा- ए सुनो, मैं कोई रंडी नहीं हूँ, बस मेरा दिल कर रहा था बहुत… तुम्हें देखा तो सोचा पंगा ले कर देखती हूँ, अगर बात बन गई तो चुदवाने को मिलेगा, और अगर तुम निकले चूतिये तो डर के भाग जाओगे, फिर कोई और जुगाड़ देखती मैं!
एक लड़का बोला- चूतिये नहीं हैं हम, जिस पे दिल आ जाए उसे तो चोद के ही छोड़ते हैं।
मैंने पूछा- तो मुझ पे दिल आ गया क्या तुम लोगों का?
जो लड़का नीचे से मेरी चूत मार रहा था, वो बोला- अरे दिल तो तभी आ गया था, जब तुम्हें गाड़ी में बैठते हुये देखा था, पहले जब तुम चल के आ रही थी, तो एक बार तो हमने ये भी सोचा था कि साली को उठा कर ले चलते हैं, अगर मान गई तो ठीक, नहीं तो छोड़ेंगे तो नहीं बिना चोदे।
दो लड़के मुझे चोद रहे थे और तीन बारी बारी अपना लंड मुझे चुसवा रहे थे।
फिर एक बोला- ऐसे मज़ा नहीं आ रहा, तुम लोग चोद रहे हो और हम सिर्फ चुसवा रहे हैं, ऐसा करो इस रंडी को नीचे लेटाओ, और बारी बारी चूत मारो साली की।
मैंने फिर कहा- अरे यार रंडी मत कहो, मैंने कोई रंडी नहीं हूँ।
मगर मेरी बात किसी ने नहीं सुनी, एक लड़का बोला- बात सुन, जो औरत अपना पति छोड़ के यूं बाहर मॉल की पार्किंग में 5-5 लौंडों से चुदवा रही हो, उसे क्या शरीफजादी कहेंगे? तू चाहे कितनी भी शरीफ क्यों न हो हम तो तुझे रंडी ही कहेंगे।
मैंने कहा- ठीक है, माँ चुदवाओ अपनी, जो मर्ज़ी बोलो।
सब लड़के हंस पड़े- अरे वह, अब की न हमारे गैंग जैसी बात!
उसके बाद सारे लड़के हट गए, मुझे सीधा करके नीचे लेटा दिया गया और एक लड़का मेरे ऊपर आया- ले मादरचोद अपने बाप का लौड़ा ले अपनी चूत में!
मैंने उसका लंड पकड़ा और अपनी चूत पे रख लिया।
उसके बाद उसने बड़ी धुआँदार चुदाई की मेरी, लगातार एक ही स्पीड से उसने मुझे चोदा और 2-3 मिनट में ही उसने अपना माल मेरी चूत में भर दिया।
वो उतरा ही था कि दूसरा आ चढ़ा, फिर उसने भी वैसे ही चोदा, एक मिनट में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।
मैं तड़पी, कसमसाई, मगर किसी ने कोई परवाह नहीं की, कोई मेरे मुँह में लंड दे रहा था, लंड मुँह से निकला तो किसी ने जीभ डाल दी मेरे मुँह में और मेरी चूचियों को इतना निचोड़ा, जैसे इनका रस निकालना हो… लाल सुर्ख कर दी दबा दबा के।
फिर तो एक के बाद एक पांचों लड़कों में मेरी माँ चोद के रख दी। जब पांचवा लड़का उतरा तो मुझे लगा कि चलो अब कुछ आराम मिलेगा, काम खत्म, इस दौरान मेरा भी 3 बार स्खलन हो चुका था।
मगर इतने में ही एक लड़का फिर से आ गया, बोला- रुक, मादरचोद, कहाँ जाती है, अभी एक बार और चोदूँगा तुझे।
कह कर उसने धक्का दे कर मुझे नीचे गिरा दिया और फिर से अपना लंड उन पांचों के माल से भरी चूत में डाल दिया और लगा चोदने।
इस बार तो हरामी ने बहुत टाइम लगाया, न मेरा हो रहा था, न उसका!
मगर बड़ी मुश्किल से उसने अपना माल गिराया, मगर इतनी देर में सबने अपने लंड फिर से चुसवाए और अब सब के सब दूसरी बारी के लिए तैयार थे, मगर मैं नहीं।
मैंने कहा- सुनो, अभी थोड़ी देर रुको, मैं थक गई हूँ, थोड़ा आराम करने दो, फिर कर लेंगे।
मगर वो कहाँ मानने वाले थे, एक बोला- अरे माँ चुदवा तो अपनी, तेरी राय किसी ने पूछी है, बड़ी आई आराम करने वाली, कोई नवाबज़ादी है, रंडी साली चूतिया, चुपचाप लेटी रह!
कह कर वो मेरे ऊपर आ गया, और उसके बाद फिर वही, मेरे सारे बदन को नोचना खसोटना… एक इंच भी मेरे बदन का ऐसा नहीं छोड़ा था कमीनों ने जहाँ उन्होंने अपने हाथों, या दाँतों के निशान न छोड़ें हो।
अगला तकरीबन एक घण्टा या कुछ ज़्यादा ही, मेरी लगातार फुल स्पीड पर चुदाई हुई। बीचे में दो जनों ने तो मेरी गांड मारी, पूरी बेदर्दी से… मेरी तो आँखों में आँसू आ गए, मगर किसी को मेरी परवाह नहीं थी।
जब आखरी लड़का मुझे चोद रहा था तो मैंने कहा- देखो अब मेरी बर्दाश्त से बाहर है, और नहीं चुद सकती मैं, मुझे छोड़ दो बस!
तो एक लड़का बोला- कोई बात नहीं, हमारा भी मन तुम से भर चुका है। इसके बाद चली जाना आपने घर!
उसके बाद जब उस लड़के का छूटने वाला हुआ तो वो बोला- ए रंडी सुन, मैं तो तेरे मुँह में छुड़वाऊंगा अपना माल, चल मुँह खोल!
और उसने अपना माल मेरे मुँह में छुड़वाया।
अपने इस ज़बरदस्त गैंग बैंग के बाद तो मुझमें खड़ी होने की भी हिम्मत नहीं थी। उन लड़कों ने ही मुझे कपड़े पहनने में हेल्प की, मुझे अपने मोबाइल नंबर दिये, मेरा भी फोन नंबर लिया कि अगर फिर कभी ऐसे ही गैंग बैंग चुदाई करवानी तो फोन करना।
बड़ी मुश्किल से साड़ी पहन के वापिस गाड़ी चला कर घर आई।
घर आ कर जब बाथरूम में कपड़े बदलने गई और अपने सारे कपड़े उतार के पूरी तरह नंगी हो कर शीशे के सामने अपना बदन देखा,
‘हे भगवान, मेरे बूब्स सूज गए थे, यहाँ वहाँ उनके काटने के निशान थे, जांघों पे, कमर पे, पीठ पे, सब जगह उन लोगों के मसलने से गहरे निशान पड़ चुके थे।
अपने बदन को टकोर देने के लिए, पहले तो गर्म पानी से नहाई, फिर गरम दूध पिया और बैठ कर सोचने लगी- अब कम से कम एक हफ्ता तो मुझे चुदाई की ज़रूरत नहीं, और कम से कम एक हफ्ता मुझे अपना बदन अपनी पति से छुपा कर रखना पड़ेगा ताकि वो मेरी करतूत देख न लें।
मगर तीसरे ही दिन मैं फिर उस माल में थी, और फिर से उस जगह को देख कर आई, जहाँ मेरी ज़बरदस्त चुदाई हुई थी और सोच रही थी ‘क्या मुझे फिर से वो चुदाई चाहिए?’
कुछ देर सोचा के घर तो मेरा सारा दिन खाली ही होता है, और पति भी रात को देर से आते हैं, मैंने मोबाइल अपने पर्स से निकाला।



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मैडम की चुदाई


मेरा नाम देव है.. मैं इंदौर में रहता हूँ। मेरी उम्र 23 वर्ष है। दिखने में ज्यादा हैडसम तो नहीं.. लेकिन भरे-पूरे बदन का मालिक हूँ।
वैसे तो इंदौर में पढ़ाई के लिए आया था.. लेकिन पैसा कमाने के लिए जॉब करने लगा।
मेरा जॉब एक सरकारी आफिस में कम्प्यूटर ऑपरेटर का है.. लगभग सभी को मुझसे काम पड़ता है।

मेरे ऑफिस में एक मैडम हैं.. जिनका नाम मीनाक्षी है। मैं अधिकांश उनका ही काम करता था। वो देखने में बला की खूबसूरत हैं.. उनका फिगर 36-30-38 का होगा।
उनको देखते ही मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था और मैं अकसर उन्हें चोदने के बारे में सोचता रहता था।
मीनाक्षी मेम शादीशुदा थीं और उनकी शादी को चार साल हो गए थे मगर अभी तक वह माँ नहीं बन पाई थीं।
वह अकसर मुझसे मजाक करती रहती थीं।

मैडम ने पैसों का लालच दिया

एक दिन ऑफिस में कोई खास काम नहीं था। मैं अपना काम कर रहा था.. वो मेरे पास आईं और बोलीं- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- काम कर रहा हूँ।
‘इतना काम क्यों करते हो।’
‘काम नहीं करूँगा तो पैसे कैसे मिलेंगे?’

‘कितने पैसे मिलते हैं तुम्हें?’ मीनाक्षी मेम ने पूछा।
‘यही कोई 10000 मिल जाते हैं’ मैंने कहा।
‘मैं तुम्हें इससे भी ज्यादा पैसे दूँगी.. मेरा एक काम करोगे?’ मेम ने कहा।
‘आपका ही तो काम करता हूँ मैं.. बोलो क्या काम करना हैं?’

‘मैं माँ बनना चाहती हूँ.. मुझे बना सकते हो?’ मेम ने कहा।
‘यह कैसा काम है.. मैं समझा नहीं?’ मैंने कहा।

‘मेरे पति मुझे माँ नहीं बना सकते.. क्या तुम मुझे माँ बना सकते हो?’ मेम ने फिर पूछा।
मैं उनकी तरफ देखने लगा।

‘मैं तुम्हें बहुत सारा पैसा भी दूंगी..’
तो मैंने ‘हाँ’ कर दी।

मैडम के घर में

शाम को मैं उनके घर पहुँचा.. मेम ने मुझे बैठने के लिए कहा और रसोई में चली गईं।
कुछ देर बाद हाथ में चाय का कप लिए मेम मेरे सामने आईं तो मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि यह मेरी वही मेम हैं जिनके साथ मैं रोज काम करता हूँ।
उन्होंने एक जालीदार नाइटी पहन रखी थी.. जिसमें से उनकी ब्रा और पैंटी पूरी तरह से दिखाई दे रही थी।
मैं एकटक उन्हें देखे ही जा रहा था।

तभी उन्होंने कहा- चाय पीना है कि नहीं..
उनकी आवाज सुनकर ऐसा लगा जैसे कि सपना देखते-देखते मेरी नींद खुल गई हो।

मैंने मुस्कुराते हुए ‘हाँ’ में सिर हिला दिया.. और उन्होंने चाय लेकर टेबल पर रख दी।
मैंने उनका हाथ पकड़ा और अपने ऊपर खींच लिया।

मैंने उनके मुस्कुराते हुए उनके होंठों को अपने होंठों में कैद कर लिया।
मेम भी पूरी तरह से मेरा साथ देने लगीं।

अब मेरे हाथ उनके गले से होते हुए उनके बड़े-बड़े मम्मों पर पहुँच गए।
यह कहानी आप अन्तर्वासना पर पढ़ रहे हैं।

मैं और इंतजार नहीं कर सकता था.. इसलिए मैंने उनकी नाईटी और ब्रा को निकाल दिया, अब उनका एक दूध मेरे मुँह में था और दूसरे को में अपने हाथ से मसल रहा था। अब वह भी गर्म होने लगी थीं।
अब उन्होंने भी मेरे कपड़े निकाल दिए और मुझे पूरी तरह से नंगा कर दिया। वे मेरे लण्ड को हाथ में लेकर आगे-पीछे करने लगीं।
फिर वह मेरे लण्ड को मुँह के लेकर उस पर अपनी जीभ फिराने लगीं.. और कुछ देर बाद किसी कुल्फी की तरह चूसने लगीं।.

फिर हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए, मैं उनकी चूत चाट रहा था और वह मेरा लण्ड ऐसे चूस रही थीं.. जैसे उसे खा ही जाएंगी।
तभी अजानक उनका बदन अकड़ने लगा और वह मेरे मुँह में ही झड़ गईं.. मेरा पूरा मुँह उनके पानी से भर गया।
मैं उनका पूरा पानी गटक गया।

लेकिन मेरा अभी बाकी था। मैंने एक उंगली उनकी चूत में डाल दी और अन्दर-बाहर करने लगा। उनके मुँह से कामुक आवाजें निकलने लगीं।
मेम बोलीं- देव अब नहीं रहा जाता.. अब और मत तड़फा.. डाल दे तेरा लण्ड मेरी चूत में.. फाड़ दे मेरी चूत..
मैं भी अब देर नहीं करना चाहता था.. तो मैंने उनके दोनों पैर अपने कंधे पर रखकर उनकी गीली चूत पर अपना लण्ड रखकर एक धक्का मारा..
मेरा लण्ड अभी 2 इंच ही गया होगा कि उनकी चीख निकल गई।
मैंने कहा- क्या हुआ?
तो वह बोलीं- आराम से करो.. मेरे पति का लण्ड बहुत छोटा है और पूरी तरह से खड़ा भी नहीं होता है।

अब मुझे और भी जोश आ गया.. और मैं उन्हें किस करने लगा।
फिर एक और जोरदार धक्का मार कर पूरा लण्ड अन्दर डाल दिया।

उनकी चीख मेरे होंठों में ही दब कर रहा गई.. लेकिन उनकी आँखों से आंसू निकल आए।
मैं थोड़ी देर ऐसे ही उनके ऊपर लेटा रहा और उनको किस करता रहा।
थोड़ी देर बाद वह भी नीचे से अपनी कमर उठाने लगीं जिससे मुझे भी यह अंदाजा हो गया कि उन्हें भी मजा आने लगा है।

अब मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी.. उनके मुँह से अजीबोगरीब आवाजें निकलने लगीं ‘अहअइउउ.. इसहह.. ओर जोर से.. फाड़ डाल मेरी चूत को..’
वे और भी ना जाने क्या-क्या बोल रही थीं और मैं तो जैसे कि आसमान में उड़ रहा था।
तभी उनका बदन फिर से अकड़ने लगा और उनके अन्दर का लावा मेरे लण्ड पर गिरा.. तो मैं बता नहीं सकता कि मुझे कितना मजा आया।
यह तो वही समझ सकता है.. जिसने अपनी जिंदगी में चुदाई का मजा लिया है। उन्होंने मुझे इतने जोर से पकड़ लिया कि मुझे हिलना भी मुश्किल हो गया।
मेरा भी निकलने वाला था.. तो मैंने पूछा- मेरा भी निकलने वाला है.. कहां निकालूँ?
‘अन्दर ही निकाल दे.. इसी लिए तो तुझसे चुदी हूँ!’ मेम ने कहा।

बस 5-6 धक्कों के बाद मेरी भी पिचकारी उनकी चूत में ही निकल गई.. मैं निढाल होकर उनके ऊपर ही पड़ा रहा.. और अपनी सांसों को काबू करने लगा।
कुछ देर बाद हम दोनों उठे.. उठ कर खाना खाया।
उसके बाद हमने रात भर में 3 बार और चुदाई का मजा लिया। सुबह मीनाक्षी मेम ने मुझे 20000 रूपए दिए.. और मुझे घर तक छोड़ दिया।
उसके बाद भी मैडम ने कई बार मुझे बुलाया।


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भूत को चोदा


दोस्तो, आज मैं आपको वो बताने जा रहा हूँ, जो आपने पहले शायद कभी न सुना हो।
मेरा नाम अमित है और मैं नासिक में रहता हूँ। मेरा अपना बिज़नेस है। जब काम थोड़ा बढ़ा तो मैंने अपनी एक ब्रांच पुणे में भी खोल ली, वहाँ मेरा भाई रहता है जो मेरा काम संभालता है।
काम के सिलसिले में मुझे अक्सर नासिक और पुणे आना जाना लगा रहता है, कभी ट्रेन से तो कभी अपनी कार से।
एक बार की बात है मैं अपने काम से नासिक से पुणे आ रहा था। रात के करीब साढ़े गयारह बज रहे थे, अभी नासिक से कोई 50-60 किलोमीटर ही आया था कि मैंने देखा सुनसान सड़क पर एक औरत सफ़ेद साड़ी में खड़ी मुझे हाथ का इशारा कर रही है।
पहले तो मेरी फट गई कि कहीं यह कोई भूत-वूत तो नहीं। मगर मैंने देखा, उसके पास ही एक टोयोटा कार खड़ी थी और उस लड़की ने भी पूरा मेकअप किया हुआ था, पूरे गहने पहने थे, शक्ल से तो भूत नहीं लग रही थी।
मैंने हिम्मत करके कार रोक ली।
वो मेरे पास आई और खिड़की के पास आकर थोड़ा झुकी, जब झुकी तो उसके गोरे गोरे बूब्स के दर्शन हुये, उसने मुझे ताड़ते देख लिया मगर बड़ी मीठी मुस्कान के साथ बोली- एक्सयूज मी, क्या आप मुझे थोड़ा आगे तक लिफ्ट दे सकते हैं, मेरी गाड़ी खराब हो गई है और आस पास कोई गैरेज भी नहीं है।
मैंने भी पूछा- इतनी रात को आप अकेली इस सुनसान रास्ते पे क्या कर रही हैं?
वो बोली- दरअसल मैं फिल्मों में असिस्टेंट आर्ट डाइरेक्टर हूँ, हमारी फिल्म की शूटिंग चल रही है और मैं वहीं जा रही थी।
मुझे बड़ी खुशी हुई, वैसे वो खुद भी किसी हेरोईन से कम नहीं थी, मैंने पूछा- कौन सी फिल्म की शूटिंग है, कौन कौन है फिल्म में?
वो मुस्कुरा कर बोली- चलते चलते बात करें?
मुझे बड़ा फील हुआ- अरे सॉरी, प्लीज़ आइये।
मेरे कहने पे वो मुझे उंगली से एक मिनट रुकने का इशारा करके अपनी कार के पास गई और कार में से अपना, पर्स, मोबाइल और एक बड़ा सा पैक उठा लाई, सामान कार में रख कर बोली- चलिये।
मैंने गाड़ी चला ली- इस बैग में क्या है? मैंने पूछा।
‘वो हमारी शूटिंग का समान है।’ उसने कहा।
‘ओके…’ मैंने कहा- क्या मैं आपका नाम जान सकता हूँ?
वो बोली- मेरा नाम रेखा है, और आपका?
मेरी हंसी निकल गई और हंस कर बोला- अमित…
सुन कर वो भी हंस पड़ी।
‘तो रेखा जी, कौन सी फिल्म की शूटिंग कर रही हो आप?’
वो बोली- अमित जी, अब हर किसी की किस्मत रेखा जी जैसी तो नहीं होती, मैं तो छोटी मोटी फिल्मों में काम करती हूँ।
मुझे हैरानी हुई- छोटी मोटी फिल्में, मतलब?
‘मतलब, बी ग्रेड फिल्में…’ वो थोड़ा शर्मा के मुस्कुरा के बोली।
‘ओ हो, तो शीला की जवानी, कच्ची कली, गुलाबी जिस्म, ऐसी फिल्में?’ मैंने थोड़ा शरारती अंदाज़ में पूछा।
‘जी बिल्कुल!’ वो बोली।
‘तो क्या आप फिल्मों में एक्टिंग भी करती हो?’ मैंने पूछा।
‘जी नहीं, मैं सेट डिज़ाइनिंग का काम करती हूँ’ उसने कहा।
‘ओके, तो आप वो बिस्तर सजाती हैं, जिस पर हीरो और हेरोइन प्रेम लीला रचाते हैं।’ मेरे ऐसा कहने पर वो झेंप गई पर बोली कुछ नहीं।
‘बाई द वे, आप एक्टिंग क्यों नहीं करती, आप तो माशा अल्ला खुद भी बहुत खूबसूरत हो, जवान हो, और क्या कहूँ, सब कुछ हो?’ मैंने उसके गोल गोल स्तनों की तरफ घूर कर देखते हुये कहा।
साड़ी के पल्लू में से झाँकता उसका यौवन जैसे मुझे अपनी तरफ खींच रहा था, मेरा मन किया कि पकड़ के इसके दोनों स्तन दबा दूँ, मगर मैंने अपने आप को काबू करके रखा।
वो बोली- मैंने एक फिल्म में काम किया है।
‘अच्छा, कौन सी?’ मैंने चहक कर पूछा।
‘गुलाबी रातें!’ वो बोली।
‘अरे नहीं, कब आई यह फिल्म, मुझे तो पता ही नहीं चला, मैं ज़रूर देखना चाहूँगा।’ दरअसल मैं तो उसके नंगे बदन को देखने की ख़्वाहिश मन में पाले बैठा था।
‘कोई फायदा नहीं, मैं उसमें हीरो की बहन बनी थी और मेरा फिल्म में सिर्फ 2 मिनट का रोल था, वैसा कुछ नहीं जैसा आप सोच रहे हैं।’
उसकी बात सुन कर हम दोनों हंस पड़े।
कुछ देर बातें करने के बाद मैंने सिगरेट निकली और उसे ऑफर की, उसनें डिब्बी से एक निकली और अपने होंठों में दबा ली।
मैंने कहा- अपनी सुलगाइएगा तो मेरी भी सुलगा दीजिये।
उसने दो सिगरेट अपने होंठों में ली और लाईटर से दोनों जला दी, मेरी सिगरेट पे उसके लिपस्टिक के निशान बन गए।
मैंने उसे देखते हुये पहले उसके लिपस्टिक के निशान को चूमा और फिर सिगरेट का कश लगाया।
वो मुस्कुरा कर बोली- आप तो, लगता है, ज़्यादा ही लट्टू हो गए मुझ पर?
मैंने कहा- अरे रेखा और अमित की आशिक़ी के किस्से तो सारी दुनिया में मशहूर हैं।
वो हंसी और बोली- न तो आप वो अमित हैं, और न मैं वो रेखा हूँ।
‘हाँ, वो वाले नहीं हैं, मगर खुद को वो समझ तो सकते हैं।’ मैंने कहा।
तो उसने बड़ी गहरी निगाह से मुझको घूरा।
खैर बातें चलती रही और गाड़ी भी हम दोनों एक दूसरे से लगातार बातें करते रहे, मैंने उसके और उसने मेरे बारे में एक दूसरे को बहुत कुछ बताया और हम दोनों बातों बातों में एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त बन गए। हमने बहुत खुल कर बातचीत की, मगर मैंने एक मर्यादा से बाहर जाकर कुछ नहीं किया।
एलीफेंटा पहुँच कर मैंने गाड़ी रोकी और उस से पूछा- रेखा क्या लोगी?
वो भी मस्ती में बोली- कुछ मर्ज़ी ले आओ यार।
मैं दुकान से कोल्ड ड्रिंक, सोडा, नमकीन वगैरह ले आया, शराब मेरे पास गाड़ी में थी।
मैंने गाड़ी बढ़ाई और काफी आगे जा कर जब रास्ता सुनसान सा हो गया, गाड़ी रोक दी।
मैंने बोतल खोली और दो पेग बनाए- किसके साथ लोगी, कोल्ड ड्रिंक, सोडा, पानी?
वो बोली- सोडा और पानी मिक्स!
मैंने दोनों पेग बनाए, एक उसको दिया- अपनी दोस्ती के नाम!
‘दोस्ती के नाम…’ कह कर हम दोनों ने एक एक घूंट पिया।
उसके बाद तो बातों का जो दौर शुरू हुआ, पूछो मत।
हम दोनों आधी से ज़्यादा बोतल गटक गए, सुरूर दोनों को पूरा हो गया था, बेवजह बात बात पे हंसी, ठहाके चल रहे थे।
बात करते करते उसकी साड़ी का पल्लू गिर गया और उसके ब्लाउज़ के लो कट से उसके आधे स्तन बाहर दिखने लगे।
वो अपना पल्लू ठीक करने लगी तो मैंने रोक दिया- मत कर यार, फिर गिर जाएगा, तू फिर ठीक करेगी, यह फिर गिर जाएगा।
तो वो बोली- इसका मतलब यह कि मैं तुझे अपनी छातियाँ बाहर निकाल के दिखाऊँ, या तू खुद इन्हें देखना चाहता है?
‘जैसा तू ठीक समझे!’ मैंने कहा- अगर दिखाना चाहती है तो दिखा दे, मुझे कोई ऐतराज नहीं!’ मैं उसे आँख मार के बोला।
‘भोंसड़ी के, छातियाँ मेरी, तू कौन होता है ऐतराज करने वाला’। मुझे उसके मुँह से गाली थोड़ी अजीब लगी, मगर बुरी नहीं लगी I
‘अरे यार, अगर तू फिल्म में एक्ट्रेस होती तो भी तो दिखाती, अब दिखा दे।’ मैंने कहा।
‘तू देखेगा?’ उसने पूछा।
‘अरे लवड़े की… दिखाएगी भी या बातें ही बनाएगी?’ मैंने भी उसे गाली दे ही दी।
उसने मेरी तरफ देखा और बोली- ले देख, हारामी, ठरकी साले!
कह कर उसने अपने ब्लाउज़ के हुक खोले, और ब्लाउज़ ब्रा दोनों उतार दिये।
वाह… क्या शानदार चूचे थे उसके, एकदम मस्त, गोल, भरे हुये और तने हुए।
मैंने देखते देखते उसके दोनों बूब्स अपने हाथों में पकड़ लिए- ओह रेखा, तुम बहुत लाजवाब हो।
कह कर मैंने उसके निप्पल को मुँह लिया और चूसने लगा।
वो व्हिस्की पीती रही और मैं उसके बूब्स चूसता रहा। बूब्स चूसते चूसते मैंने उसके पेट, बगलों, गर्दन और जहाँ तक हो सका, उसे चूमा भी और अपनी जीभ से चाटा भी।
उसकी साँसों की रफ्तार से मुझे पता चल रहा था कि वो भी पूरी गर्म हो चुकी है। अब मैं सोच रहा था कि इससे पूछूं कि आगे का क्या प्रोग्राम है।
तभी वो बोली- अमित, लेगा मेरी?
अरे मुझे तो मुँह मांगी मुराद मिल गई थी, मैंने कहा- अब इतनी आगे आकर पीछे मुड़ने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता।
कह कर मैं अपनी शर्ट के बटन खोलने लगा तो वो बोली- यहाँ नहीं, रुको ज़रा, बाहर चलते हैं।
‘बाहर कहाँ?’ मैंने पूछा।
उसने अपनी साड़ी का पल्लू अपनी कमर में ठूँसा और कार पिछली सीट पे रखा पैक उठाया और बोली- मेरे पीछे आओ।
मैंने भी कार को लॉक किया और उसके पीछे पीछे चल पड़ा। हम दोनों सड़क छोड़ कर पैदल ही सुनसान वीराने में चलते गए।
सड़क से काफी दूर एक बड़े से झाड़ के पीछे जाकर उसने पैक खोला, उसमें बिस्तर सा था, बिस्तर बिछाया और उस पर लेट कर बोली- आ जाओ।
यह तो जन्नत का नज़ारा था।
मैंने झट से अपने सारे कपड़े उतार फेंके और बिल्कुल नंगा होकर मैं उसके ऊपर लेट गया। मेरे लेटते ही उसने मेरा सर पकड़ा और अपने होंठ मेरे होंठों से लगा दिये।
होंठ क्या, मैंने साथ की साथ अपनी जीभ भी उसके मुख में डाल दी, जिसे वो बड़े मज़े से चूसने लगी।
जब उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाली तो मैंने भी जी भर के उसकी जीभ को चूसा और दोनों हाथों से उसके स्तन भी दबा रहा था। खुले आसमान के नीचे सेक्स करने का अपना ही मज़ा है।
‘अब सब्र नहीं होता जानेमन, अब तो यह साड़ी भी उतार दो।’ मैंने कहा तो रेखा ने अपनी साड़ी और पेटीकोट दोनों उतार दिये।
चाँदनी रात में उसका गोरा बदन चमक रहा था। मैंने उसके दोनों जांघों को अपने हाथों से सहलाया, अपने होंठों से चूमा, दांतों से काटा और उसकी चूत पे चुम्बन भी लिया।
उसने अपने टाँगें फैला दी- अमित, चाटो इसे! उसने कहा और मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत से सटाया।
मैंने बिना कोई हील हुज्जत किए अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया।
थोड़ा सा चटवाने के बाद वो बोली- घूम जाओ अमित, मैं तुम्हारा लवड़ा चूसना चाहती हूँ।
मैंने वैसे ही किया, उसने मेरा लण्ड अपने होंठों में पकड़ा और चूसने लगी। कितनी देर हम एक दूसरे को ऐसे ही चूसते रहे, फिर मैंने कहा- अब असल मुद्दे पे आया जाए!
वो बोली- नहीं, मेरे फुद्दे पे आया जाए!
और खिलखिला कर हंस पड़ी।
मैंने अपना लौड़ा उसकी चूत पर रखा और धीरे से अंदर धकेल दिया।
आह क्या एहसास था, इतना चाटने के बाद भी उसकी चूत बिल्कुल सूखी पड़ी थी, मैंने कहा- तुम तो बिल्कुल ड्राई पड़ी हो?
‘वो बोली- हाँ, पता नहीं क्यों और औरतों की तरह मेरे पानी नहीं छूटता, मेरा बॉय फ्रेंड भी यही कहता है, इसी लिए उसका 2-3 मिनट में ही हो जाता है, तुम्हें देखती हूँ, कितना टाइम लगाते हो।
उसने कहा तो मेरा तो प्रेस्टीज़ इशू बन गया, जो मैं सोच रहा था कि आराम आराम से करूंगा, अब तो मैं पूरा लण्ड उसके अंदर तक डाल कर बाहर निकाल रहा था और जब अंदर डालता था तो कोशिश करता था कि अंदर ज़ोर से चोट करूँ।
मगर वो तो मुझसे भी दमदार थी, मेरी हर चोट कर जवाब वो ऐसे सिसकारी भर के देती जैसे उसे बहुत ही आनन्द आ रहा हो।
और कोई औरत होती तो शायद मना ही कर देती। दूसरा मेरा ध्यान घड़ी पर था, दो मिनट हुये, तीन मिनट हुए, पांच मिनट भी हो गए, करते करते नौ मिनट हो चले थे, मगर न तो वो झड़ रही थी और न ही मैं झड़ रहा था।
हाँ मेरे लिए करना अब मुश्किल होता जा रहा था, मैं सोच रहा था मैं इसकी फाड़ दूँगा, मगर अब तो मेरी फट रही थी। मुझे ऐसे लगने लगा था जैसे मेरा तो लण्ड ही छिल जाएगा। मैं और ज़्यादा बेदर्दी से उसके स्तनों को दबा रहा था, अपने दाँतों से काट रहा था और वो ‘ओह अमित, कम ऑन फक मी फक मी’ कर रही थी।
एक बार तो मैंने सोचा, कि गेम बीच में छोड़ देता हूँ, मगर वो इतने जोश से मुझे हौंसला दे रही थी कि मेरा बीच में छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था।
हर थोड़ी थोड़ी देर बाद मैं ऊपर से थूक कर अपने लण्ड को गीला कर रहा था। मगर लण्ड तो जैसे… खैर उसकी तेज़ चीख़ों और कराहटों के बीच मैं करीब 12 मिनट उसकी चुदाई करने के बाद झड़ गया।
झड़ा क्या, मैं तो फारिग होकर कटे पेड़ की तरह एक तरफ को गिर गया।
उसके बाद मुझे कुछ होश नहीं रहा।
सुबह जब आँख खुली तो देखा के मैं सड़क से काफी दूर, वीराने में नंग धड़ंग लेटा पड़ा हूँ, मेरे सारे बदन और मुँह के अंदर तक रेत घुसी हुई थी, रेखा का या उसके सामान का कोई पता नहीं था, शायद वो चली गई थी, मगर कब और किसके साथ?
मैं उठा तो दर्द से बिलबिला उठा, मेरा लण्ड सूजा पड़ा था और लण्ड के हर तरफ खरोंचें ही खरोंचें पड़ी हुई थी।
मैंने सबसे पहले कपड़े पहने, अपना मुँह हाथ धोये और गाड़ी में बैठ कर सीधा पुणे की तरफ दौड़ा।
मेरी हालत बहुत खराब थी, पुणे पहुँच कर मैं सीधा अपने डॉक्टर दोस्त के पास पहुंचा।
जब मैंने उसको सबसे पहले अपना लण्ड निकाल के दिखाया तो वो छूटते ही बोला- तो मिल आए तुम भी रेखा से?
मुझे बड़ी हैरानी हुई, मैंने पूछा- तुम्हें कैसे पता?
वो बोला- तुम पहले आदमी नहीं हो, मेरे पास तुम से पहले भी कई आ चुके हैं।
‘मतलब?’ मैंने पूछा।
वो बोला- रेखा एक भूत है और अक्सर सड़क पे आने जाने वाले अकेले मर्दों को अपनी हवस का शिकार बनाती है, और जो तुम सोच रहे होगे कि तुमने उसको चोदा है, दरअसल उसके मायाजाल में उलझे तुम पत्थर या रेत पे ही अपना लण्ड घिसाते रह होगे, इसीलिए इसकी यह हालत हुई है।
मैं तो हैरान रह गया, मतलब मैंने एक भूत को चोदा या भूत ने मुझको चोदा?
कानों को हाथ लगा लिए तभी कि आज के बाद मैं न रात को किसी अकेली लड़की को लिफ्ट दूँ।
आप अपना देखना, अगर भूत की लेनी है तो रोक लेना गाड़ी।



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जिंदगी भर का सेक्स


नमस्कार दोस्तो.....
आज मैं अपने ज़िन्दगी की उस हसीन घटना के बारे में बताऊँगा.. जिसने मेरी वर्षों पुरानी दिल में दबी एक हसरत की चिंगारी को आग का रूप दे डाला।
मेरा नाम करन है। जब मैंने बारहवीं के बाद एक विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया।
कालेज में आने से पहले मेरे मन में कई विचार आए.. जैसे कि मैं जब कालेज जाऊँगा तो वहाँ एक लड़की पटाऊँगा क्योंकि वहाँ आने से पहले मेरा दो बार दिल टूट चुका था।
खैर छोड़िये गुजरे ज़माने की बातों को.. मैं कालेज में पंजीकरण कराने पहुँचा.. और बैठ कर अपनी बारी का इंतजार करने लगा।
कुछ देर इधर-उधर नजर घुमाने के बाद मेरी नजर एक टेम्पो पर पड़ी.. जो कालेज की तरफ आ रहा था।

मेरी चाहत

उसमें से एक दम्पति उतरे तो मैंने भी देख कर नजरें फिरा लीं।
परन्तु किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, मैंने न चाहते हुए भी फिर उधर देख लिया।
उसमें से एक चाँद से मुखड़े वाली गुलाबी होंठों वाली.. शराबी आँखों वाली लड़की निकली.. तो मैं ही क्या सारा कालेज उसे टकटकी बाँध कर देखने लगा।
मैं मन ही मन उसको चाहने लगा।
बाद में पता चला कि उसका नाम चिंकी था, वो मेरी क्लास की है।
कालेज नया था.. तो दोस्त भी नए बनाने थे और फिर कुछ दिनों में एक ग्रुप को ज्वाइन कर लिया।

वो किसी और की हो गई

उसमें एक लड़का था चिंटू.. जो साला पक्का लौंडियाबाज किस्म का था। उसने चिंकी से दोस्ती कर ली और अगले सेमेस्टर में उसमें उसको पटा भी लिया। मैं चाह कर भी कुछ न कर पाया।
जब किस्मत में लिखे हों लौड़े.. तो कहाँ से मिलेंगे पकोड़े!
कुछ लड़के हमसे अलग हो गए और हम चार बचे.. चिंटू.. चिंकी मैं और हमारा एक दोस्त सन्नी।
हमारी सबकी दोस्ती अच्छी चलने लगी।
बात है.. जब हम सेकेण्ड इयर में थे। हमने कहीं घूमने का कार्यक्रम बनाया और तय किया कि हम सब एग्जाम के बाद नैनीताल चलेंगे।
कार्यक्रम के मुताबिक हम चारों नैनीताल पहुँच गए और एक होटल में जाकर दो कमरों को बुक किया। अपने कमरों की चाभियाँ लेकर हम अपने कमरे में पहुँच गए।
एक में मैं और सन्नी.. एक में वो दोनों।
सफ़र की थकान के कारण हमें जल्द ही नींद आ गई। किन्तु थोड़ी देर बाद कुछ आवाजें सुन कर मेरी नींद उचट गई और मैंने महसूस किया कि वो दोनों अपनी चुदाई में मशगूल थे।
ये नज़ारा देख कर मेरी झांटें राख हो गईं।
फिर उसी समय मैंने एक प्लान बनाया।
अगले दिन हम नैनीताल की मनमोहक वादियों में घूमने गए।
वहाँ जाकर हमने ढेर सारी फोटो खिचवाईं। मेरे लिए वो पल बड़ा ही सुखद था.. जब चिंकी ने मेरे साथ चिपक कर फोटो ली।
उसकी एक छुवन.. जिसके लिए मैं न जाने कितनों दिनों से प्यासा था।
उसके छूने से मुझे ज़न्नत का मज़ा आया और मैं उसके ख्यालों में खोने लगा।
सन्नी मुझे ख्यालों की दुनिया से बाहर लाया।

उसे पाने की कोशिश

देर शाम जब हम वापस आ रहे थे.. तो मैंने उन सबसे छिप कर मेडिकल स्टोर से कुछ नींद की नशे की और वाइग्रा की टेबलेट ले लीं.. साथ ही एक कोल्ड ड्रिंक की बड़ी बोतल भी ले ली।
जब हम होटल पहुँचे तो मैंने उनको कोल्ड ड्रिंक के लिए आमंत्रित किया।
मैंने चार गिलास कोल्ड ड्रिंक के तैयार किए और चुपके से दो गिलास में नींद की गोलियां मिला दीं और एक में नशे और वाईग्रा मिला दी।
नींद की दवा वाले गिलास मैंने सन्नी और चिंटू को पिला दिए और नशे वाला गिलास चिंकी को पिला दिया।
कुछ देर हँसी-ठिठोली करने के बाद दवा ने उन तीनों पर अपना असर दिखाया और वो दोनों वहीं मेरे कमरे में ढेर हो गए और खर्राटे भरने लगे।
चिंकी को भी कुछ होने लगा.. तो मैंने उससे कहा- आज हम सब काफी थक गए हैं.. तभी ये जल्दी सो गए।
मैं उसको लेकर उसके कमरे में चला गया और बातें करने लगे।
मैंने नॉनवेज बातें शुरू कर दीं।
उधर दवाई अपना असर दिखा रही थी।
इसी बीच मैंने उसका हाथ अपने हाथों में ले लिया और सहलाने लगा।
फिर मैंने अपने दिल में दबे प्यार का उससे इजहार किया.. तो वो मुझे एक अजीब सी नशीली नज़रों से देखने लगी।
उसको बताया कि कैसे मैं तड़पता था और सामने से उसके एक दोस्त बनने का नाटक करता रहा।
मेरी बातों को सुन कर उसकी आँखों में आंसू आ गए।
खड़े होकर मैंने उसकी नजरों में अपनी नजरें डाल कर उसे अपनी तरफ खींच लिया और मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और वो मुझसे छूटने की नाकाम कोशिश करने लगी।
वो सिसकियाँ भरते हुए मुझसे कहने लगी- यह गलत है.. मैं तुम्हारे दोस्त की गर्लफ्रेंड हूँ।
तो मैंने भी उससे कहा- मैंने कितनी बार तेरे नाम की मुट्ठ मारी।
मैंने उसके चेहरे को उठा कर उसके रसभरे तपते हुए गुलाबी होंठों पर अपने प्यार की आग में जलते हुए होंठ रख दिए।
नशे का असर हो रहा था और कुछ देर मना करने के बाद वो मेरा साथ देने लगी।
मैंने उसके हाथ छोड़ दिए और उसके हाथ मेरे सर पर फिरने लगे।
कुछ मिनट उसके होंठ चूसने के बाद मैं उसे गोद में उठा कर बिस्तर पर ले आया, मैंने उसकी टी-शर्ट निकाल दी।
ऊपरी कपड़ा निकालते ही मेरी आँखें चौंधिया गईं।
मेरे आँखों के सामने उसका दूधिया संगमरमर सा तराशा हुआ बदन था.. जिसकी तमन्ना मैंने सिर्फ अपनी कल्पनाओं में ही की थी।
मैं तो समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूँ.. कैसे और कहाँ से शुरूआत करूँ।
वो अपने मम्मों को अपने हाथ से छिपाने की कोशिश कर रही थी।
मैंने धीरे से उसके हाथ से हटाए और उसकी चूचियों पर एक प्यारी सी पप्पी ली.. तो उसके शरीर में एक अजीब सी सिहरन सी उठी। वो मेरे सीने में अपना सर रख कर शर्माने लगी।
फिर मैंने धीरे से उसकी पीठ पर हाथ फेरा और उसकी काली ब्रा.. जो उसके सफ़ेद से दूध जैसे बदन पर ऐसी लग रही थी.. जैसे चन्दन के पेड़ से कोई काला सा नाग लिपटा हो.. के हुक खोल दिए।
हुक खुलते ही मैंने वो चीज देखी जिसका दीवाना मेरा सारा कालेज था। आज वो दो सफ़ेद कबूतर मेरी आँखों के सामने थे। जी कर रहा था कि एक बार में ही इनका सारा दूध निकाल कर पी लूं।
वो उन्हें मुझसे छुपाने लगी थी।
तभी मैंने उसके दोनों हाथ उन कबूतरों पर से हटा दिए।
अब मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके चूचों का मर्दन करने लगा। उन्हें चूसने लगा उसके मुँह से सीत्कारें निकलने लगीं..इसी के साथ मेरी अन्दर की दबी भावनाओं ने रौद्र रूप धारण कर लिया।
ऐसा लग रहा था कि जैसे दो प्रेमी सदियों बाद मिले हों और एक-दूसरे में खो जाना चाह रहे हों।
फिर मैंने अपनी शर्ट निकाल दी और पैंट भी।
कुछ देर उसके स्तनपान करने के बाद मैंने उसकी जींस भी निकाल दी और एक ही झटके में पैंटी भी निकाल फेंकी।
एक चन्दन सी.. संगमरमर रंग जैसी हसीन काया मेरी आँखों के समक्ष थी।
वो भी नशे के असर से चुदाई के मूड में आ गई और मेरे लण्ड को मेरी अंडरवियर के ऊपर से दबाने लगी।
मैंने अपनी भी अंडरवियर निकाल दी।
अब हम दोनों पूर्ण रूप से नग्न थे।
मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे कि मेरा कोई सपना साकार हो रहा है।
उसकी काया का ऐसा कोई भी हिस्सा न होगा.. जहाँ मेरे होंठों की मुहर न लगी हो।
मैंने उससे कहा- अब तुम मेरा लण्ड चूस लो।
चूँकि वो पूरी तरह नशे में थी.. इस लिए उसने देर न करते हुए.. लौड़े को प्यार करने लगी।
उसकी हर छुअन से मेरे शरीर में करंट सा दौड़ने लगा।
चूँकि वो पहले ही चिंटू से कई बार चुद चुकी थी.. तो वो एक पारंगत खिलाड़ी लग रही थी।
अचानक से मेरे शरीर एक लम्बी सी सिहरन उठी.. और मैं उसके मुँह में ही झड़ गया।
फिर मैंने भी एक टेबलेट खा ली.. क्योंकि मैं जानता था वाइग्रा खाई हुई लड़की को संतुष्ट करना एक साधारण लण्ड के बस की बात नहीं होती है।
हम दोनों अब एक-दूसरे के अंगों से खेल रहे थे।
फिर मैंने देर ने करते उसे पीठ के बल लिटा कर उसकी दोनों टांगों को चौड़ाई में फैला दिया।
मेरी आँखों के सामने दो घाटियों के मध्य का रमणीय स्थल था.. जहाँ भूरे रंग के बाल उसकी चूत की खूबसूरती में चार चाँद लगा रहे थे।
मैंने उसकी चूत के मुहाने पर अपना मुँह रखा.. तो वो सिहर उठी। फिर मैं उसकी चूत में अपनी जीभ को आगे-पीछे करके उसकी चूत को अपने मुँह से चोदने लगा।
कुछ मिनट उसकी चूत चूसने के बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और मेरे चेहरे पर तेज धार आने लगी.. वो उसके कामरस की धारा थी।
उसकी चूत को साफ़ करके मैं फिर उसका चेहरा चूमने लगा।
कुछ पल बाद मेरा फिर से खड़ा हो गया.. इस बार देर न करते हुए मैंने उसको लिटा कर उसकी टाँगें फैला दीं और उस पर अपने लण्ड के टोपे को रगड़ने लगा।
ज्यों-ज्यों मैं अपना लण्ड चूत पर रगड़ता.. वो उतना ही उत्सुक होती जाती।
उसकी उत्तेजना बढ़ रही थी, वो कह रही थी- प्लीज़ फक मी.. फक मी.. डाल दे इसे मेरे अन्दर.. अपनी इच्छा कर लो पूरी.. आह्ह..
उसके इतने निवेदानात्मक बातों का मुझ पर असर हुआ और धीरे से मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में डाल दिया।
उसकी चीख निकल गई।
अगले ही पल मैंने एक और जोरदार झटका मारा.. तो पूरा लण्ड उसकी चूत में समा गया।
उसकी इस बार चीख निकली तो शायद पूरे होटल ने सुनी होगी।
मेरा लण्ड उसकी बच्चेदानी से जा टकराया।
फिर मैं तेजी सी आगे-पीछे करने लगा और वो भी एक मंजे हुए खिलाड़ी की तरह मेरे हर शॉट का जवाब उछल-उछल कर दे रही थी।
पूरी पिच हमारे रस से गीली हो चुकी थी।
लम्बी और अकल्पनीय चुदाई के बाद हम दोनों झड़ने को हुए.. तो वो बोली- आज मेरे तुम्हारे पहले मिलन पर.. तुम अपना वीर्य मेरे अन्दर ही छोड़ो।
मैं भी एक जोरदार शॉट लगाने के बाद अन्दर ही झड़ गया।
इस प्रकार मैंने चिंकी की उस रात जम कर चुदाई की और उसको कई बार चोद कर ही माना।
मैं उसकी चूत में ही लण्ड डाल कर सो गया।

प्यार का इजहार

सुबह जब मेरी आँख खुली तो वो वहाँ नहीं थी।
मैंने देखा कि वो बालकनी में बैठी रो रही थी।
जब मैंने उसे चुप होने कहा.. तो उसने मुझसे कहा- हमने दोस्ती को ठेस पहुँचाई है।
उसने पूछा- रात को क्या हुआ था?
तो मैंने भी उसको हमारे सेक्स के बारे में बता दिया।
साथ ही ये भी बता दिया कि कैसे मैंने ये पूरा प्लान किया और मैंने उससे अपने प्यार का इजहार किया।
इश्क वहीं हैं.. हुस्न जहाँ है।
तो वो रोते हुए बोली- ये जानते हुए भी कि मैं किसी और से बहुत बार हमबिस्तर हुई हूँ.. तब भी?
‘मैंने तुमसे प्यार किया है.. तुम्हारे जिस्म से नहीं..’
मेरे ऐसा कहते ही वो मुझसे लिपट गई और बोली- कोई किसी से इतना प्यार कैसे कर सकता है।
वो चिंटू से पहले ही परेशान रहती थी.. तो उसने उससे ब्रेकअप कर लिया।
परन्तु हमने अपने रिश्ते को गुमनाम रखा.. पर सन्नी से नहीं.. क्योंकि वो मुझे अपने भाई जैसा मानता था।
कालेज के बचे दो साल हमने हाहाकारी चुदाई की.. और जिंदगी भर का सेक्स इन्हीं दो सालों में किया।
हमने सिर्फ एक-दूसरे को प्यार किया कोई वादा नहीं।
क्योंकि जिन परिस्थितियों से वो मुझे मिली.. उसे किसी के भी घर वाले मंजूर नहीं करते।
आज उसकी शादी हो चुकी है.. किन्तु शादी के बाद मैंने.. और उसने कभी मिलने की कोशिश नहीं की।
हम फ़ोन से.. या फेसबुक से कभी-कभार बातचीत कर लेते हैं।
उसने अपने पहले बच्चे का नाम भी मेरे नाम पर रखा।
मैं उसके परिवार में उसके गुजरे हुए कल की छवि नहीं प्रदर्शित करना चाहता था।
पर इस ज़िन्दगी में कभी न कभी मिलोगी कहीं न कहीं पर.. हमको यकीन हैं।


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