जानें लड़कियां आखिर पहले सेक्स के दौरान क्यों रोती हैं
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भाई-बहन का प्यार- 7
सोनू भी मुस्कुराता हुआ उसके कंधे पर सिर रखकर बोला : "थेंक्स दी.... एन्ड सॉरी ऑल्सो.... मैने बेकार में आपको बुरा भला कहा...''
वैसे तो वो दोनो जुड़वा थे, पर कभी भी सोनिया अच्छा काम करती थी तो सोनू के मुँह से उसके लिए 'दी' निकल ही जाता था...और रिस्पेक्ट भी...
सोनिया ने उसे और ज़ोर से भींचते हुए कहा : "मैने तो पहले ही कहा था की मैने तेरी सेट्टिंग करा दी है... तू ही बेकार में गुस्सा हो रहा था उस वक़्त...''
और इस बार सोनू को एहसास हुआ की उसके साथ क्या हो रहा है...
वो अपनी बहन के गले से लगा हुआ था जिसने बिना ब्रा के टी शर्ट पहनी हुई थी... और उसने सॉफ महसूस किया की उसकी ब्रेस्ट के निप्पल उसे चुभ रहे है...
वो हड़बड़ा सा गया... उसकी समझ मे नही आ रहा था की क्या करे और क्या नही... उसने अपनी तरफ से पकड़ ढीली कर दी ताकि वो भी छोड़ दे...पर सोनिया ने और ज़ोर से जकड़ लिया उसे...और उसकी आँखो में देखती हुई बोली : "वैसे मुझे भी तुझे सॉरी बोलना चाहिए...मैने तेरा मोबाइल बिना तेरी इजाज़त के देखा''
सोनू : "अरे नही दी.... इट्स ओके .... ''
वो देखती नहीं तो इतना बड़ा काम होता कैसे
सोनिया के चेहरे पर शरारती मुस्कान आ गयी और अपने होंठों को तिरछा करते हुए बोली : "पर मैने तेरे 'नॉटी बाय्स' वाले मैसेज भी देख लिए हैं ...''
इतना कहकर वो अंदर भागती चली गयी...और जाते-2 उसने सोनू के हाथ से अपनी चॉकलेट कोन भी झपट ली...
वो भी उसके पीछे भागा पर उसने रूम में जाकर दरवाजा अंदर से लॉक कर लिया , वो बेचारा अपना सिर पकड़कर वही बैठ गया... उसकी समझ में नही आ रहा था की वो अब क्या करे... गुस्सा करे या शर्मिंदा होकर एक कोने में बैठ जाए...
लेकिन जो भी था, आज सोनिया ने वो सारे मैसेज देखकर उसकी प्राइवेट लाइफ को पूरा ख़त्म सा कर दिया था.
आगे चलकर वो ना जाने क्या-2 करेगी, ये सोचकर उसे डर लग रहा था.
भाई-बहन का प्यार- 6
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भाई-बहन का प्यार- 6
सोनिया बाहर उसके मोबाइल से मैसेज करने में लगी रही
और करीब 2 मिनट के बाद दरवाजा खुला तो सोनू लपककर बाहर निकला... और वो सोनिया को धक्का देते हुए उससे अपना मोबाइल छीनने की कोशिश करने लगा... और उस छीना झपटी में दोनो के जिस्म कई बार छुए पर इस वक़्त सोनू को उन सबसे कोई मतलब नही था... वो बस अपना मोबाइल वापिस पाना चाहता था...
और आख़िरकार उसने मोबाइल ले ही लिया...
सोनिया हंस-हंसकर पागल हुए जा रही थी उसका उतावलापन देखकर....
सोनू ने तुरंत साक्षी वाली चैट खोलकर देखी .... सोनिया ने तो अच्छी ख़ासी बातचीत कर ली थी उसके साथ (सोनू बनकर)
सोनिया : "घबरा मत ..... तेरी सेटिंग करवा रही थी... मैने सोचा तुझसे तो होगा नही, इसलिए मैने ही हेल्प कर दी तेरी... अब देखना कल तुझे देखकर क्या बोलेगी....''
सोनू उसे गुस्से से देखता हुआ कमरे से बाहर आया... अपनी टी शर्ट पहन कर वो बाहर निकल गया और घर के सामने बने पार्क में पहुँच गया... और वहाँ जाकर उसने मोबाइल के मैसेज पढ़ने शुरू किए
साक्षी : "हाय .... कल मेरी बुक याद से ले आना.... 2 दिन से भूल रहा है....''
सोनू (यानी सोनिया) : "ओके .... ले आऊंगा .... उसके लास्ट पेज पर एक लेटर भी होगा... वो भी पढ़ लेना ...''
साक्षी : "लेटर ? कैसा लेटर ?"
सोनू : "लव लेटर ''
साक्षी : "आर यू सीरीयस ?''
सोनू : "यस आई एम ....''
साक्षी : "और मुझे लगा की तुम कभी बोलॉगे ही नही...''
सोनू : "इट मीन्स.. की तुम भी .. वाव...... पर कब से...''
साक्षी : "डफर ..... ऐसे नहीं .... कल मिल ज़रा स्कूल में , बताती हूँ तुझे ... बाय...''
और लास्ट वाली लाइन के बाद उसकी तरफ से एक धड़कता हुआ दिल भी आ चुका था...
यानी जो काम वो पिछले एक साल से करना चाह रहा था वो सोनिया ने 5 मिनट में ही कर दिया.... और वो उसे कितना बुरा भला कह रहा था..
वो तुरंत घर की तरफ चल दिया... उसे अपनी सिस्टर को थेंक्स जो कहना था... जाते हुए उसने उसकी फ़ेवरेट चॉक्लेट कोन वाली आइस्क्रीम भी ले ली..
दरवाजा उसी ने खोला.... और दोनो के चेहरे पर एक ब्रॉड वाली स्माइल थी...
भाई-बहन का प्यार-5
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भाई-बहन का प्यार-5
कही वो..... मुझे ..... नही
नही... नही...
ऐसा नही हो सकता....
एक बार फिर से उसने अपना तकिया कलाम दोहराया.
''ये सब मेरा वहम है... ऐसा नही सोचना चाहिए... ये ग़लत है.''
पर ना चाहते हुए भी उसका ध्यान दूसरी तरफ जा ही नही रहा था... बार-2 अपनी बहन का वो ब्रा वाला सीन उसकी आँखो के सामने आ रहा था.
पता नही और क्या-2 होने वाला था उसके साथ.
*********
अब आगे
*********
सोनू ने अपने कपड़े उतार कर एक निक्कर पहन ली.... अपनी अप्पर बॉडी को वो शीशे में देखकर पोज़ बनाने लगा... कुछ टाइम से उसे जिम जाने का शोंक चढ़ आया था... और आजकल वो बेंच प्रेस वाली एक्सरसाइज काफ़ी करता था... इसलिए उसकी बॉडी में कटाव से नज़र आने लगे थे... वो ये कर ही रहा था की बाहर से सोनिया की आवाज़ आई
"ओ मजनू.... तेरी लैला का मैसेज आया है... बोल रही है की कल उसकी बुक ज़रूर लेता आइयो''
सोनू समझ चुका था की वो साक्षी के मैसेज की बात कर रही थी...
सोनू का दिमाग़ ठनक गया ये सुनकर.... यानी सोनिया ने उसके मोबाइल के मैसेज पढ़ने शुरू कर दिए थे...
वो तुरंत बाहर आने लगा पर उसने तो बाहर से लॉक किया हुआ था...
सोनिया के हँसने की आवाज़ आई : "हा हा ..... बेचारा..... कैसे तड़प रहा है उसका मैसेज पढ़ने के लिए.... ''
वो अंदर से बड़ी ही बेसब्री भरी आवाज़ में बोला : "देखो दी.... ऐसे किसी के मैसेज पढ़ना ग़लत बात है....''
सोनिया : "अच्छा , बड़ी जल्दी भूल गया तू तो, लास्ट टाइम तूने भी तो मेरे सारे मैसेज पढ़ डाले थे... मेरी और मेरी सहेली की चैट पढ़कर तुझे भी तो बहुत मज़ा मिला था.... और एक को तो तूने रिप्लाइ भी कर दिया था...''
सोनू को याद आ गया की उसे छेड़ने के लिए पिछली बार उसने सोनिया के मोबाइल मे सारे मैसेज पढ़ डाले थे... और व्हाटसएप की डी पी देखकर एक दो लड़कियो को कमेंट भी कर दिया था...आज सोनिया उसका पूरा बदला लेने के मूड में थी शायद..
वो गिड़गिडाया : "प्लीज़ सोनिया.....दरवाजा खोलो.... आई एम सॉरी... प्लीज़ खोलो...''
उसे डर था की कहीं सोनिया उसके 'नॉटी बॉयज' ग्रूप के मैसेज ना पढ़ ले... उसका तो आडमिन भी वही था... और उसमें हर तरह के नॉन वेज जोक्स और लड़कियों की न्यूड पिक्स थी ...
सोनिया : "रुक जा ... रुक जा.... थोड़ा मज़ा तो लेने दे पहले तेरी लैला से....''
वो घबरा गया... पिछले कई समय से उसके मन में भी साक्षी के लिए एक सॉफ्ट कॉर्नर था...कही कुछ ग़लत ना लिख कर भेज दे वो उसको...वरना रही सही रेप्युटेशन जो उसने बनाई है, वो भी चली जाएगी...
सोनू (गुस्से में ) : "प्लीज़ यार..... कुछ रिप्लाइ मत करना उसे.... ओपन द डोर...''
भाई-बहन का प्यार- 4
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भाई-बहन का प्यार- 4
वो बेचारा शर्मिंदा सा होकर वापिस बाहर जाने लगा...तो सोनिया ने उसे टोका
''अरे भाई.... कहाँ चल दिया.... तू आजा,मैं बाहर जाकर चेंज कर लूँगी... मुझे तो इस तरहा ब्रा में नही सोया जाता...और हाँ , इस बार मैं बाहर से बंद कर रही हूँ .... कोई शरारत नही...''
इतना कहकर वो मुस्कुराती हुई बाहर निकल गयी और जाते -2 उसने एक बार फिर से आँख भी मारी.
सोनू की तो कुछ समझ में नही आ रहा था की ये हो क्या रहा है.... इतने कैज़ुअल तरीके से वो क्यों बात कर रही है... वो भी उन टॉपिक्स पर जिनके बारे में उन दोनो ने पहले कभी बात नही की....
पहले वो किस्स वाली बात... और अब ये ब्रा उतारकर सोने वाली बात... वो उसे क्यों बता रही है..
कही वो..... मुझे ..... नही
नही... नही...
ऐसा नही हो सकता....
एक बार फिर से उसने अपना तकिया कलाम दोहराया.
''ये सब मेरा वहम है... ऐसा नही सोचना चाहिए... ये ग़लत है.''
पर ना चाहते हुए भी उसका ध्यान दूसरी तरफ जा ही नही रहा था... बार-2 अपनी बहन का वो ब्रा वाला सीन उसकी आँखो के सामने आ रहा था.
पता नही और क्या-2 होने वाला था उसके साथ.
भाई-बहन का प्यार-2
भाई-बहन का प्यार-3
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भाई-बहन का प्यार-3
फिर भी उसने दिल कड़ा करके पूछ ही लिया : "अच्छा तो बता तू.... ते.... तेरा कोई बी एफ है क्या वहां पर....''
उसने बड़े ही कूल तरीके से जवाब दिया : "हाँ .... है..''
सोनू की तो दिमाग़ की नसें फूल गयी ये सुनकर...
उसने अपने गुस्से पर कंट्रोल करके पूछा : "और....तूने..... कभी उसे.... आई मीन ....उसके साथ ...''
वो समझ गयी की सोनू उससे वो सवाल पूछने में घबरा रहा है , इसलिए उसने खुद ही उसका सवाल पूरा कर दिया और उसका जवाब भी दे दिया..
''यही ना की मैने उसके साथ किस्सी विस्सी की है या नही..... हाँ किया है... एन्ड आई रियली एंजोएड इट...''
इतना कहते हुए उसने एक बार फिर से उसे आँख मार दी.
सोनू की समझ में नही आ रहा था की वो क्या करे...
गुस्सा तो बहुत आ रहा था... मन कर रहा था की उसे एक थप्पड़ लगा दे ...
या मॉम डेड को जाकर बोल दे ... पर वो सब विचार और गुस्सा उसके अंदर ही रह गया...
वो कुछ देर तक उसे देखती रही और बोली : "चिल यार.... इतना टेंशन मत ले.... ऐसा कुछ नही है... मज़ाक कर रही थी...''
इतना कहकर वो बाथरूम में चेंज करने चली गयी.
पर सोनू को पता चल चूका था की वो मज़ाक नही था.... जिस अंदाज से वो बता रही थी, और जिस तरह से उसने किस्स वाली बात को एंजाय करके बताया था, उससे सॉफ पता चल रहा था की वो सच था.
यानी उसकी बहन...इस टीनेज उम्र में , किसी के साथ वो सब करती है..... किस्स करती है... क्या वो कुछ और भी करते होंगे... क्या उस लड़के ने उसके बूब्स भी दबाएँ होंगे....
छी .....ये मैं क्या-2 सोचने लगा.... वो मेरी बहन है.... .... मुझे ऐसा नही सोचना चाहिए... ये ग़लत है.
वैसे भी उसने बाद में बोला था की वो सब मज़ाक था...
शायद वो सही हो...
मुझे सताने के लिए ऐसा बोल रही हो..
सोनू ने वो सब विचार झटक दिए और अपना नाइट सूट लेकर वो बाथरूम की तरफ चल दिया...
और अंदर घुसते हुए सोनू को इतना भी ध्यान नही रहा की सोनिया अभी कुछ देर पहले ही अंदर गयी है... और उपर से उसकी फूटी किस्मत तो देखो, वो अंदर से दराजा बंद करना भी भूल गयी थी.
सोनू अपनी ही सोच में अंदर घुसा और अंदर का नज़ारा देखकर मेरी आँखे फटी रह गयी.
वो वाश्बेसन पर खड़ी होकर ब्रश कर रही थी... अपनी टी शर्ट उतार चुकी थी और सिर्फ़ ब्रा पहनी हुई थी उसने... और नीचे वही ब्लू कलर की निक्कर...
मुझे अंदर आता देखकर वो एकदम से मेरी तरफ घूमी और बोली : "ओह्ह शिटट्ट , मैं दरवाजा बंद करना ही भूल गयी...आई एम सॉरी सोनू... ''
इतना कहकर उसने किल्ली पर टंगा टावल उठाया और अपने सीने पर चुन्नी की तरह रखकर उसे ढक लिया. और वो भी उसने इसलिए किया ताकि सोनू उसे इस तरह हैरानी से देखना बंद कर दे..
Part-2
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भाई-बहन का प्यार-2
और कुछ देर पहले सोनू ने जिस तरह से उसके गुदाजपन को महसूस किया था, उसके हिसाब से तो उन छातियों में काफ़ी माल भरा हुआ था.
पर इन गंदे ख्यालों के एक बार फिर से दिमाग़ में आते ही उसने उन्हे झटक दिया... ये कहते हुए... 'ये ग़लत है'.
दोनो अंदर आ गये और बैठकर काफ़ी देर तक एक दूसरे से बात की..
सोनू नोट कर रहा था की सोनिया भी उसे देखकर उतनी ही एक्साइटेड है जितना की वो...
इस बार वो कई महीनों के बाद वापिस आई थी... और वो भी पूरे 2 महीने के लिए...
वो दोनो बाते कर रहे थे और उनकी मॉम, वाणी अंदर आई और उन्हे खाने की टेबल पर आने को कहा...
वाणी ने भी अपने आप को काफी मेंटेन करके रख हुआ था वाणी एक डॉक्टर थी
आज घर मे सब कुछ सोनिया की पसंद का ही बना था... वैसे एक ख़ास बात थी, शुरू से ही जो सोनू को पसंद आता था,वही सोनिया को भी पसंद आता था.. इसलिए ये कहना ग़लत होगा की आज सब कुछ सिर्फ़ सोनिया की पसंद का बना था...सोनू को भी ये सब उतना ही पसंद था जितना उसकी बहन को..यानी राजमा-चावल, आलू का रायता, आलू पालक की सब्जी संग परांठे और मीठे में मलाई वाली खीर.
सबने मिलकर खाना खाया और एक बार फिर से दोनो भाई-बहन अपने रूम में जाकर गप्पे मारने लगे..
और अंदर जाते ही सबसे पहला सवाल जो सोनिया ने किया, उसे सुनकर सोनू की सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी
वो बोली : "और सुना ब्रो.... तूने साक्षी के साथ कुछ किया क्या... किस्स-विस्स करी क्या उसको...''
साक्षी दरअसल सोनू की क्लास में ही थी... पिछली बार जब सोनिया घर आई थी तो साक्षी उसकी नोटबुक लेने घर आई थी... देखने में वो काफ़ी एट्रेक्टिव सी थी, बिल्कुल रिया सैन जैसी शक्ल थी उसकी...
उसके चले जाने के बाद सोनिया काफ़ी देर तक सोनू को साक्षी का नाम लेकर छेड़ती रही थी.... और अंत में उसने सोनू से ये बात उगलवा ही ली की वो वन साइडेड उसको लाइक करता है.
और आज वो ये जानना चाहती थी की सोनू ने उसे किस्स किया या नही.... WTF
ये कैसी बाते करने लगी है सोनिया एक दम से... इतनी फ्रेंक तो वो पहले कभी नही थी... सपनों को खुद ही शर्म आई की उसकी बहन उससे ये कैसा प्रश्न पूछ रही है... वो झेंप सा गया...
पर सोनिया ने उसका पीछा नही छोड़ा.... वो बार -2 उसकी ही बात करके सोनू को छेड़ती रही...
अंत में सोनू ने उससे पीछा छुड़वाने के लिए बोल ही दिया
''देखो सोनिया.... उसके और मेरे बीच की बात कहाँ तक पहुँची है,इससे तुम्हारा कोई मतलब नही होना चाहिए... मैने तो आज तक तुमसे तुम्हारी लाइफ के बारे में कुछ नही पूछा... तो तुम क्यो पूछ रही हो..''
वो बड़े ही कैज़ुअल तरीके से बोली : "अरे, तो इसमे क्या प्राब्लम है.... तू भी पूछ ले.... मेरी लाइफ के बारे में ...''
उसने ये बात आँख मारते हुए कही....
Part-1
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भाई-बहन का प्यार-2
और कुछ देर पहले सोनू ने जिस तरह से उसके गुदाजपन को महसूस किया था, उसके हिसाब से तो उन छातियों में काफ़ी माल भरा हुआ था.
पर इन गंदे ख्यालों के एक बार फिर से दिमाग़ में आते ही उसने उन्हे झटक दिया... ये कहते हुए... 'ये ग़लत है'.
दोनो अंदर आ गये और बैठकर काफ़ी देर तक एक दूसरे से बात की..
सोनू नोट कर रहा था की सोनिया भी उसे देखकर उतनी ही एक्साइटेड है जितना की वो...
इस बार वो कई महीनों के बाद वापिस आई थी... और वो भी पूरे 2 महीने के लिए...
वो दोनो बाते कर रहे थे और उनकी मॉम, वाणी अंदर आई और उन्हे खाने की टेबल पर आने को कहा...
वाणी ने भी अपने आप को काफी मेंटेन करके रख हुआ था वाणी एक डॉक्टर थी
आज घर मे सब कुछ सोनिया की पसंद का ही बना था... वैसे एक ख़ास बात थी, शुरू से ही जो सोनू को पसंद आता था,वही सोनिया को भी पसंद आता था.. इसलिए ये कहना ग़लत होगा की आज सब कुछ सिर्फ़ सोनिया की पसंद का बना था...सोनू को भी ये सब उतना ही पसंद था जितना उसकी बहन को..यानी राजमा-चावल, आलू का रायता, आलू पालक की सब्जी संग परांठे और मीठे में मलाई वाली खीर.
सबने मिलकर खाना खाया और एक बार फिर से दोनो भाई-बहन अपने रूम में जाकर गप्पे मारने लगे..
और अंदर जाते ही सबसे पहला सवाल जो सोनिया ने किया, उसे सुनकर सोनू की सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी
वो बोली : "और सुना ब्रो.... तूने साक्षी के साथ कुछ किया क्या... किस्स-विस्स करी क्या उसको...''
साक्षी दरअसल सोनू की क्लास में ही थी... पिछली बार जब सोनिया घर आई थी तो साक्षी उसकी नोटबुक लेने घर आई थी... देखने में वो काफ़ी एट्रेक्टिव सी थी, बिल्कुल रिया सैन जैसी शक्ल थी उसकी...
उसके चले जाने के बाद सोनिया काफ़ी देर तक सोनू को साक्षी का नाम लेकर छेड़ती रही थी.... और अंत में उसने सोनू से ये बात उगलवा ही ली की वो वन साइडेड उसको लाइक करता है.
और आज वो ये जानना चाहती थी की सोनू ने उसे किस्स किया या नही.... WTF
ये कैसी बाते करने लगी है सोनिया एक दम से... इतनी फ्रेंक तो वो पहले कभी नही थी... सपनों को खुद ही शर्म आई की उसकी बहन उससे ये कैसा प्रश्न पूछ रही है... वो झेंप सा गया...
पर सोनिया ने उसका पीछा नही छोड़ा.... वो बार -2 उसकी ही बात करके सोनू को छेड़ती रही...
अंत में सोनू ने उससे पीछा छुड़वाने के लिए बोल ही दिया
''देखो सोनिया.... उसके और मेरे बीच की बात कहाँ तक पहुँची है,इससे तुम्हारा कोई मतलब नही होना चाहिए... मैने तो आज तक तुमसे तुम्हारी लाइफ के बारे में कुछ नही पूछा... तो तुम क्यो पूछ रही हो..''
वो बड़े ही कैज़ुअल तरीके से बोली : "अरे, तो इसमे क्या प्राब्लम है.... तू भी पूछ ले.... मेरी लाइफ के बारे में ...''
उसने ये बात आँख मारते हुए कही....
Part-1
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भाई-बहन का प्यार- A long tale
सोनू और सोनिया जुड़वां भाई-बहन थे, दोनो अभी 12th क्लास में थे...
2 साल पहले 10th के बाद उनके पेरेंट्स ने सोनिया को देहरादून के एक हॉस्टिल में पढ़ने के लिए भेज दिया था.
कारण था उसका 10th में फैल हो जाना...
सोनू अपनी बहन के मुक़ाबले पढ़ाई में होशियार था, पर सोनिया का मन शुरू से ही पढ़ाई में नही लगता था... 9th तक तो वो किसी तरह पास होती रही... पर 10th में बोर्ड के एग्जाम्स थे, इसलिए उसकी कमज़ोरी सबके सामने आ गयी और वो फैल हो गयी... उसके पापा ने तुरंत उसे हॉस्टिल भेजने का इंतज़ाम कर दिया... वो बहुत गिड़गिड़ाई पर पापा का दिल नहीं पसीजा, सोनू भी बहुत रोया जब उसकी बहन जा रही थी... पर वो कुछ नही कर सकता था... पापा का गुस्सा सभी जानते थे... इसलिए उनकी मम्मी भी कुछ नही बोली.
और पिछले 2 सालो में सोनिया में आए बदलाव देखकर सभी को ये संतोष था की उसे हॉस्टिल भेजने का फ़ैसला सही था..
वो पढ़ाई में काफ़ी होशियार हो चुकी थी.
पर उसके घर वालो को ये बात पता नही थी की वो और भी चीज़ो में होशियार हो चुकी है...और वो किन-2 मामलों में होशियार हुई है, ये आपको धीरे-2 पता चल ही जाएगा.
खैर, सोनू जब घर पहुचा तो दरवाजा उसकी बहन ने ही खोला और दोनो एक दूसरे को देखकर चिल्लाते हुए गले लग गये...
''ऊऊऊऊ मेरा बच्चू ...... मेरे सोनू ........ मेरी जान........ ''
सोनिया ने जब उसे ये कहते हुए अपनी बाहों में भींचा तो छोड़ने का नाम ही नही लिया...
पहले तो सोनू खुशी के मारे कुछ रिएक्ट ही नही कर पाया पर कुछ देर बाद उसे एहसास हुआ तो वो झेंप सा गया... उसकी बहन ने उसे ज़ोर से भींचा हुआ था...सोनू के सीने से सोनिया की ब्रेस्ट बुरी तरह से रगड़ खा रही थी.
सोनू के लिए ये पहला मौका था जब वो किसी लड़की की ब्रेस्ट को इस तरह से महसूस कर पा रहा था...
उसे अच्छा तो बहुत लग रहा था,पर वो उसकी बहन थी..
उसके अंतरमन से एक आवाज़ आई.. 'ये क्या कर रहा है सोनू... ये तेरी सग़ी बहन है... छोड़ इसे .... ये ग़लत है'
वो तुरंत उसकी पकड़ से छूट गया...
और उसे देखते हुए बोला : "वाव सोनीया........ पूरे 8 महीने बाद आई है इस बार.... आई एम सो हैप्पी टू सी यू ... और तू कितनी बदल गयी है ....... शायद पहले से ज़्यादा मोटी भी हो गयी है...''
सोनू उसे उपर से नीचे तक देखते हुए बोला.
और सोनू का ये कहना बिल्कुल सही था.. बदलने का मतलब उसके कपड़ो से था...
हमेशा शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनने वाली सोनिया ने इस वक़्त एक स्लीवलेस टॉप और निक्कर ही पहनी हुई थी... ऐसे फंकी कपड़ो में सोनू ने उसे आज तक नही देखा था...
और उसे मोटी उसने इसलिए कहा क्योंकि उसकी मोटी-2 टांगे उसने पहली बार देखी थी...
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चूत में बच्चा
मैं आपको अपनी पहली बार माँ बनने की कहानी सुनने जा रही हूँ।
बात उन दिनों की है जब मैं पहली बार माँ बनने वाली थी।
अचानक मेरी योनि फड़कने लगी और चिकना सा पानी निकलने लगा।
मेरे पेट में भी दर्द सुरू हो गया।
और इतना दर्द हुआ कि मेरी चीख निकल गई।
मेरी चीख सुनकर मेरे पति अंदर आए।
उस वक़्त घर पर कोई भी नहीं था, रात भी हो रही थी।
मैंने अपनी चूत पर हाथ रखा तो उसमें से खून निकल रहा था।
अचानक मेरी चूत में बहुत तेज दर्द होने लगा मैं ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी।
मेरे पति दौड़ कर पड़ोस में गये और पड़ोस से एक हट्टी-कट्टी औरत मेरे पास आ गई, उसने मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए और मेरे पति से बोली- जब बच्चे का सिर दिखे तो उसे बाहर निकाल लेना।
और फिर मेरी चूत फटने लगी लेकिन बच्चे का सिर बाहर नहीं आ रहा था क्योंकि उसका सिर उसके बाप की तरह बड़ा था।
मेरी जान निकल रही थी और मेरे पति भी पसीना पसीना हो गये।
मुझे गुस्सा भी आ रहा था और मैं बोल पड़ी अपने पति देव से- बहन के लंड… तूने ही डाला था… अब तू ही निकाल इसे! वरना मैं मर जाऊँगी।
और फिर मेरी चूत ने बहुत सारा पानी छोड़ दिया, चिकनाई की वजह से बच्चे का सिर बाहर फिसल गया और मुझे कुछ चैन आया। लेकिन अभी बाकी धड़ अंदर ही था।
मेरे पति उसका सिर खींचने लगे, पर मुझे दर्द हो रहा था।
मैंने कहा- रुक जाओ, मैं कोशिश करती हूँ।
अब मैंने जिंदगी का आसरा छोड़ कर एक बार जोर लगाया और ‘ऊऊई… म्म्माआ म्मरररर गई री मेरी चूत फट गई…
बहुत खून निकला।
मेरे पति ने रूई मेरी चूत पर रख दी।
उस दिन के बाद से मैंने सोच लिया कि अब मैं दूसरा बच्चा पैदा नहीं करूँगी।
आपको कैसी लगी मेरी कहानी?
मुझे जरूर लिखना।
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बस एक बार
अपने बेटे को इसी साल एक नर्सरी स्कूल में दाखिला कराया है परन्तु दिक्कत यह है कि स्कूल हमारे घर से लगभग 35 कि.मी. दूर है।
स्कूल अच्छा है इसलिए अधिक फीस होने के बावजूद इसी स्कूल में दाखिला कराया।
स्कूल की टाइमिंग सुबह नौ बजे से दोपहर तीन बजे है। हम सुबह नौ बजे से पहले तैयार होकर एक साथ घर से निकलते हैं, मैं अपने आफिस चला जाता हूँ, मेरी पत्नी बच्चे को लेकर स्कूल चली जाती है तथा दोपहर तीन बजे स्कूल की छुट्टी होने पर बच्चे को लेकर सीधे घर आ जाती है।
हर शनिवार तथा सप्ताह में एक-दो दिन मेरी छुट्टी होने पर अथवा छुट्टी लेकर मैं बच्चे को लेकर स्कूल जाता हूँ। घर दूर होने के कारण बार-बार आना-जाना नहीं हो पाता.. इसलिए हम स्कूल के सामने बगीचे के लान में टाईम पास कर लेते हैं। ऐसा अनेक बच्चों के माता-पिता.. जिनका घर दूर है, करते हैं।
मिसेज भाटिया की बच्ची भी उसी स्कूल में हमारे बच्चे की क्लासमेट है। उनका घर दूर होने के कारण वह भी हमारी तरह सुबह नौ बजे आती हैं और छुट्टी होने पर दोपहर तीन बजे अपने बच्चे को लेकर घर जाती हैं।
इस बीच मेरी पत्नी और मिसेज भाटिया स्कूल के सामने लान में बैठकर अपना समय व्यतीत करते हैं।
जिस दिन मेरी पत्नी की जगह मैं स्कूल जाता हूँ, उस दिन मिसेज भाटिया काफी उदास हो जाती हैं.. क्योंकि अकेले-अकेले उनका भी समय पास नहीं होता।
दूसरी महिलाएँ भी वहाँ होती हैं.. पर न जाने क्यों वो मेरी पत्नी के अलावा और किसी से ज्यादा मिक्सअप नहीं होती हैं।
मिस्टर भाटिया का अपना लोहे का बहुत बड़ा कारोबार है, वो सुबह 7 बजे फैक्टरी के लिए निकाल जाते हैं तथा देर रात लौटते हैं। इसलिए मिसेज भाटिया को ही प्रतिदिन अपने बच्चे को लाने.. ले जाने के लिए आना पड़ता है।
मिसेज भाटिया की उम्र लगभग 26-27 साल होगी, वह बेहद गोरी, कद करीब 5’3” लंबे घने घुंघराले बाल और दिखने में बेहद खूबसूरत व कमसिन है। वह महंगे सलवार-सूट में ही आती थी। एक अभिजात्य वर्ग की चमक उसके चेहरे पर साफ झलकती है।
कभी-कभी वो अपने बालों का जूड़ा बनाकर आती थी.. तो और भी अधिक खूबसूरत दिखती थी।
मैं 35 वर्षीय सांवला, कद 5’5” वजन 65 कि.ग्रा. एक साधारण कद काठी का मध्यम वर्गीय परिवार से हूँ।
स्वभाव से शर्मिला एवं संकोची होने के कारण सहसा किसी से मिलने-जुलने में कतराता हूँ।
जिस दिन मैं स्कूल जाता हूँ तो सामान्यतः एकाध पत्रिका अपने साथ जरूर रखता हूँ और बच्चे को स्कूल में छोड़कर बगीचे के लान में किसी एकान्त जगह पर पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ता रहता हूँ।
बीच-बीच में पुरूषजन्य निर्बलता के वशीभूत तिरछी निगाहों से मिसेज भाटिया की ओर जरूर देख लेता हूँ।
यदि कभी हमारी नजरें मिल जातीं.. तो मत पूछिए मारे शर्म के मेरी हालत पतली हो जाती है। पता नहीं क्या सोच रही होगी वो मेरे बारे में?
इसी तरह दिन बीतने लगे।
एक माह.. दो माह.. तीन माह.. इस बीच मिसेज भाटिया से मेरी थोड़ी बहुत बात होने लगी थी। वो ऊपर से जितनी गंभीर नजर आती थी.. उतनी थी नहीं।
शुरूआत उसी ने की थी।
एक दिन शनिवार को वो चिकन वर्क वाला गुलाबी कुर्ता और प्रिंटेड सलवार में आई थी। उसने कुर्ते के साथ मैच करती हुई गुलाबी कांच की चूड़ियाँ भी पहन रखी थीं।
उस दिन वो बेहद खूबसूरत दिखाई दे रही थी।
यह महज संयोग था या कुछ और कि उस दिन हमारी निगाहें चार-पांच बार मिलीं।
दरअसल मैं यह देख रहा था कि वो मेरी ओर देख रही है या नहीं।
सम्भवतः उसने भी यही सोचा था। उस दिन वो खुद मेरे पास आई और मेरा अभिवादन करके मुझसे बोली- भाई साहब क्या पढ़ रहे हैं?
मैं हकला गया, बोला- इ..इंडिया टुडे..
यह कहकर मैंने पत्रिका को उसकी ओर बढ़ा दिया। उसने मेरे हाथ से पत्रिका लेकर खड़े-खड़े ही दो-चार पन्ने पलटे और पत्रिका को मुझे वापस कर दिया।
मेरे मुँह से अनायास निकल गया- बैठिये ना..
उसने मुस्कुराकर अर्थपूर्ण नजरों से मेरी और देखा और बहुत ही मधुर और कोमल स्वर में विनम्रता पूर्वक कहा- आज नहीं… फिर कभी।
यह मेरा उससे पहला वार्तालाप था। उस दिन मैं रात भर नहीं सो सका था। अगले शनिवार को फिर उससे मुलाकात हुई। हम लोग काफी देर साथ बैठे और गपशप करते रहे।
फिर तो यह हमेशा का जैसे रूटीन हो गया, हम हर शनिवार को साथ रहते और आपस में घर परिवार और इधर-उधर की बातें किया करते।
अब हम काफी खुल चुके थे।
उसने मुझे बताया कि उनके पति अपने परिवार के भौतिक सुख साधनों का तो बहुत ख्याल रखते थे.. परन्तु अपनी पत्नी की शारीरिक प्यास को मिटाने में विशेष रूचि नहीं लेते हैं। जिसका कारण संभवतः उनका अपने व्यवसाय में अत्यधिक शारीरिक व मानसिक परिश्रम और प्रतिदिन देर रात को बहुत अधिक शराब पीकर घर लौटना था।
मिसेज भाटिया के पहल करने पर ही कभी-कभी उनमें संभोग संभव हो पाता था.. वह भी औपचारिकता जैसा।
मिसेज भाटिया ने बताया कि उन्हें कभी भी सेक्स की चरम सीमा का अनुभव नहीं हो पाया।
संभवतः मेरी पत्नी ने मिसेज भाटिया के साथ हमारे सेक्स संबंधों की चर्चा की होगी और बताया होगा कि सेक्स के मामले में मैं अपनी पत्नी को कैसे नेस्तनाबूत कर देता हूँ और कैसे हम रात भर विभिन्न आसनों में सेक्स का आनन्द उठाते हैं।
क्योंकि इधर कुछ दिनों से मैं महसूस कर रहा था कि मिसेज भाटिया मुझसे खुलकर बात करने लगी थी और जैसे हर शनिवार को वो मेरी प्रतीक्षा किया करती थी। कभी बात-बात में किसी बहाने से वो मेरा स्पर्श भी कर लेती थी।
इधर उसके लिबास में भी कुछ परिवर्तन मैं महसूस करने लगा था। अब पहले की तुलना में उसका सलवार-कमीज कुछ अधिक टाइट नजर आने लगा था जिससे उसके सीने के उभार के साथ-साथ पेट और कूल्हे स्पष्ट दिखने लगे थे।
उसके कुर्ते के भीतर से ब्रा साफ नजर आती थी। यह सब देखकर मेरा मन भी डोलने लगता था।
इसी तरह तीन माह और बीत गए। माह दिसम्बर की एक शनिवार.. ठंड काफी पड़ने लगी थी। हल्का-हल्का कोहरा छंटने लगा था। मैं स्कूल पहुँचा, देखा मिसेज भाटिया आसमानी सलवार कुर्ते में मेहरून शाल ओढ़कर मानो मेरा ही इंतजार कर रही है।
उसने अपने घने काले घुंघराले बालों को जूड़े की शक्ल में बाँध रखा था और इतनी गजब की खूबसूरत लग रही थी कि लफ्जों में बयान करना मुमकिन नहीं था।
वह मुझे एक ओर ले गई और कहा- आज आपको मेरी एक बात माननी होगी।
उसकी आंखों में शरारत साफ झलक रही थी।
‘मतलब?’ मैंने पूछा।
उसने कहा- आज कुछ पल मैं आपके साथ जीना चाहती हूँ।
एक आनन्द मिश्रित आश्चर्य से मैंने उसकी ओर देखा और पूछा- मगर कैसे? कहाँ?
‘इसकी चिन्ता आप न करें, मैंने पास के लाज में एक कमरा बुक कर लिया है..’ उसने कहा।
मैंने प्रश्नवाचक दृष्टि से उसकी ओर देखकर कहा- तो?
‘तो क्या.. चलिए.. अभी साढ़े नौ बजे हैं। अपने पास ढाई बजे तक का समय है… सोच क्या रहे हैं.. चलिए जल्दी..’
यह कहकर वो लगभग खींचते हुए मुझे अपनी कार के पास ले गई और दरवाजा खोलकर खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ गई।
पांच मिनट में हम एक आलीशान होटल के सामने खड़े थे।
वह एक थ्री-स्टार होटल था। काउन्टर से उसने रूम की चाबी ली और हम तीसरे मंजिल पर एक आलीशान डीलक्स डबल बेडरूम में थे। उसने बैरे से कुछ कहा।
थोड़ी देर में वो शैम्पेन की एक बोतल, दो गिलास और कुछ स्नैक्स रख गया।
उसने अपना शाल एक ओर फेंककर शैम्पेन के दो गिलास बनाए और एक मेरी ओर बढ़ा दिया।
मेरे मना करने पर उसने कहा- आज पी लीजिए.. मेरी खातिर..
मैंने डरते-डरते गिलास उसके हाथ से ले लिया और एक ही सांस में पूरा गिलास खाली कर दिया।
इसके बाद कुछ पैग और चले और कुछ ही पलों में शराब ने अपना काम करना शुरू कर दिया था और मैंने भी।
मैंने मिसेज भाटिया को अपने सीने में भींच लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
वो कसमसाई और फिर वो मुझ पर चुम्बनों की बौछार सी करने लगी।
मैंने उसके कुर्ते के हुक को खेालकर ऊपर उठा दिया और उसके संगमरमरी शफ्फाक बदन को देखता ही रह गया।
मैं उसे बिस्तर पर लिटाकर अपनी उंगलियों और होंठों से उसके पूरे बदन को चूमने लगा।
वो खुशी और आनन्द से छटपटाने लगी।
फिर उसने खुद ही अपने ब्रा का हुक खोलकर अपने बदन से अलग कर दिया। मैंने उसके दोनों सुडौल उरोजों से खेलना शुरू कर दिया।
मैंने उसके दोनों उरोजों के चारों ओर अपनी दोनों हथेलियों को नीचे से ऊपर तक.. दाहिने से बाएँ तक आहिस्ता-आहिस्ता फेरना शुरू किया और अंत में निप्पल तक पहुँच कर अपनी पाँचों उंगलियों के अग्रभाग से धीरे-धीरे सहलाकर फिर नीचे से ऊपर फेरता रहा।
इसी के साथ उसके दोनों रसभरे होंठों को अपने मुँह में लेकर जीभ को उसके जीभ को सहलाता रहा।
मैंने उसके होंठों को मुँह के भीतर लेकर उसे चूसना शुरू कर दिया और बीच-बीच में अपने दांतों से धीरे-धीरे उसके होंठों को काटने लगा।
वो आनन्द मिश्रित दर्द से कराहने लगी।
अचानक वो उठी और मेरी शर्ट का बटन खोलकर मेरे सीने में हाथ फेरने लगी।
मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके नग्न सीने को अपने सीने से दबाने लगा। अब उसके निप्पल पर मैंने अपने निप्पल को रखकर अपने सीने से उसके सीने को सहलाना शुरू किया।
उसे बहुत अच्छा लग रहा था.. मुझे भी। मैंने धीरे से उसकी सलवार का बंधन खोलकर उसे पूर्णतः नग्न कर दिया।
अब मिसेज भाटिया का पूर्णतः नग्न जिस्म मेरे सामने था। मैंने अपनी भी पैंट तथा चड्डी उतार दी और बिल्कुल नग्न उसके सामने खड़ा हो गया।
मेरा लिंग बिल्कुल तैयार था और मिसेज भाटिया की योनि में समाने के लिए बेकरार।
मेरा लिंग देखकर मिसेज भाटिया आश्चर्यचकित हो गई.. बोली- बाप रे इतना बड़ा? आपको देखकर नहीं लगता कि आपका इतना बड़ा होगा।
मैंने उसके गाल पर प्यार से एक चपत लगाकर उसे पलंग पर बैठने का इशारा किया।
वो बैठ गई तो मैंने उसे पलंग के सिरहाने टिक कर बैठने के लिए कहा।
अब मैंने अपने बांहों को मिसेजभाटिया की गोरी गुंदाज जंघाओं के नीचे से ले जाकर उसके पैरों को अपनी पीठ पर रख दिया और अपने कानों तथा गालों को उसके जंघाओं से स्पर्श कराते हुए अपने मुँह को उसके योनिद्वार पर रख दिया।
उसके दोनों हाथ पलंग के सिरहाने के दोनों ओर थे। मेरे हाथों के दोनों पंजे उसके दोनों उत्तेजीत स्तनों का मर्दन कर रहे थे और मैं अपने होंठ, जीभ, दांत से उसकी योनि और भगनासा को उद्वेलित कर रहा था।
वो छटपटा रही थी, कराह रही थी, उसकी आनन्द मिश्रित उत्तेजना पूर्ण कराहने की ध्वनि मुझे और अधिक उत्तेजित कर रही थी।
‘आआओं ना… अब आ जाओ.. अब रहा नहीं जा रहा.. आआह.. ऊँउउह..’
अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था, मैंने घुटने के बल बैठकर उसके उसके दोनों पैरों को अपने कंधे पर रखा और उसकी गोरी गुंदाज जंघाओं को खींच कर भूखे भेड़िये की तरह पूर्णतया उत्तेजित अपने लिंग को उसकी चूत के द्वार पर रखा और एक जोरदार शॉट मारा।
‘आआहह..’ वो चीखी और मेरा लम्बा मोटा लिंग पूरा का पूरा उसकी योनि में समा गया।
उसके बाद मैं पोजिशन बदल-बदल कर शॉट पर शॉट मारता चला गया, वो भी अपने नितम्बों को उठा उठा कर मेरे संभोग का पूरा आनन्द उठा रही थी।
काफी देर तक मैं अपने लिंग के घर्षण से उसकी योनि और संपूर्ण जननेन्द्रियों को तृप्त करता रहा, मेरी रफ्तार तेज हो गई थी और मैं चरमोत्कर्ष आनन्द के साथ अपने अन्दर के पुरूषत्व को लिंगद्वार से उसके योनि के भीतर.. बहुत भीतर तक स्लखित कर दिया और निढाल होकर उसके ऊपर गिर गया।
वो भी मुझसे लिपट कर बहुत देर तक निढाल पड़ी रही।
अचानक हमें स्कूल का ध्यान आया, ढाई बज चुके थे, हम जल्दी-जल्दी तैयार हुए, एक-दूसरे को प्यार भरी नजरों से देखा.. आलिंगनबद्ध हुए और उसके होंठों पर होंठ रखकर एक भरपूर चुम्बन लिया।
उसने मेरी ओर देखा और न जाने क्यों शरमाकर नजरें झुका लीं।
हम होटल से निकले।
स्कूल पहुँच कर देखा अभी-अभी छुट्टी हुई है.. बच्चे निकल ही रहे हैं।
मैंने अपने अपने बच्चे गोद में उठाकर उसे अपने बांहों में भर लिया।
मैंने देखा मिसेज भाटिया ने भी अपने बच्ची को गोद में उठाकर अपने अंक में भर लिया है।
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टीचर की बीवी मेरे लौड़े की प्यासी
यह बात तब की है जब मैं 18 साल का हुआ था और मेरे 12वीं के बोर्ड के एग्जाम खत्म हुए थे। रिज़ल्ट आने में दो महीने बाकी थे.. तो मैंने कुछ कंप्यूटर कोर्स करने का सोचा।
मैंने अपने घर के पास एक इंस्टिट्यूट का नाम सुना था.. वो जगह बड़ी नहीं थी.. पर घर के पास होने के कारण मैंने वहाँ ज्वाइन कर लिया।
मुझे सुबह का फर्स्ट बैच मिला था।
पहले दिन मैं जब वहाँ गया तो देखा कि वहाँ मेरे जैसे 4 लड़के थे और इंस्टिट्यूट के सर.. दूसरे धर्म के थे।
सर की बीवी
एक हफ़्ता सब कुछ नॉर्मल चला। अगले दिन जब मैं इंस्टिट्यूट गया तो देखा- वहाँ एक लड़की बैठी है। मुझे लगा कि कोई नई लड़की होगी.. सर आए नहीं थे और कोई और वहाँ पर था नहीं.. तो मैंने सोचा ये अच्छा मौका है।मैं लड़की के पास गया और उससे पूछा- आर यू न्यू हियर? (क्या आप यहाँ नई हैं?)
उसने कहा- मैं इस इंस्टिट्यूट के सर की वाइफ हूँ.. और कभी-कभी यहाँ पढ़ाने आती हूँ।
‘ओह्ह..’
उसने मुझसे पूछा- तुम्हें पहले यहाँ देखा नहीं है।
मैंने कहा- मैं यहाँ नया हूँ.. अभी एक हफ़्ता ही हुआ है।
यह कह कर मैं अपनी जगह बैठ गया।
आई वाज़ रियली शॉक्ड.. (मैं हैरान रह गया था…) क्योंकि वो काफ़ी छोटी लग रही थी।
कुछ दिन सामान्य बीते। सर के साथ कभी-कभी उनकी वाइफ भी हमें पढ़ाने आ जाती थीं।
वो वास्तव में एक गदर माल थीं.. मेरे लिए ये सम्भव ही नहीं था कि मैं उनकी तरफ न देखूँ।
फिर एक दिन सर ने हमें बताया- मैं कुछ काम से एक वीक के लिए अपने गाँव जा रहा हूँ.. और मेरी वाइफ आप सभी को पढ़ाएंगी।
मैं यह सुनकर बहुत खुश हो गया था। मैं प्लानिंग करने लगा कि क्या किया जाए। मैं इतना अच्छा मौका हाथ से छोड़ना नहीं चाहता था।
दोस्ती
अगले दिन मैं सुबह जल्दी इंस्टिट्यूट पहुँच गया, वहाँ पर सर की वाइफ अकेले बैठी थीं।जैसा कि मैंने सोचा था.. मैंने उन्हें ही कहा.. तो उन्होंने स्माइल देते हुए पूछा- तुम इंस्टिट्यूट काफ़ी जल्दी आ जाते हो?
मैंने भी स्माइल देते हुए कहा- मैं घर पर बोर हो जाता हूँ.. यहाँ मेरा अच्छा टाइम पास हो जाता है।
फिर उन्होंने बताया- मैं भी घर पर बोर हो जाती हूँ.. मैं और मेरे पति यहाँ पर अकेले रहते हैं.. हमारे पेरेंट्स भी यहाँ नहीं रहते हैं।
मैंने स्माइल देते हुए उनसे कहा- आप सर से उम्र में काफ़ी छोटी लगती हो?
उन्होंने बताया- हाँ मैं अभी 22 साल की हूँ और तुम्हारे सर की उम्र 29 साल है।
तभी मेरे साथ के स्टूडेंट आ गए और मैं अपनी जगह पर जा कर बैठ गया।
मैंने उस दिन नोटिस किया कि वो मुझे काफ़ी देख रही थीं.. इससे मैं काफ़ी खुश था कि मैंने जल्दी ही कुछ प्रोग्रेस कर ली।
फिर अगले दिन में सुबह आधा घंटा पहले ही इंस्टिट्यूट पहुँच गया।
इंस्टिट्यूट बंद था.. फिर 5 मिनट बाद सर की वाइफ आ गईं।
वे मुझे दूर से देख कर ही मंद-मंद हँसने लगीं।
शायद वो मेरी इंटेन्शन समझ रही थीं।
सर के घर जाने का मौका
हम अन्दर गए.. थोड़ी बहुत बातों के बाद मैंने सर की वाइफ से कहा- मेरा लैपटॉप वाइरस के कारण प्राब्लम कर रहा है.. और उसे फ़ॉरमेट करने की ज़रूरत है.. नहीं तो कहीं प्राब्लम ज्यादा ना बढ़ जाए।‘ओह्ह..’
मैंने कहा- मुझे फ़ॉरमेट करना आता नहीं है.. और मेरे पास विंडोस की सीडी भी नहीं है.. क्या आप मेरी हेल्प कर दोगी?
उन्होंने कहा- विंडोस की सीडी मेरे घर पर है।
उनका घर इंस्टिट्यूट से 10 मिनट की वॉकिंग डिस्टेन्स पर था।
मैंने कहा- ठीक है.. फिर आपके घर ही चला चलूँगा.. अगर आपको कोई ऐतराज नहीं हो तो..
उन्होंने स्माइल देते हुए कहा- कोई प्राब्लम नहीं है.. वैसे भी दिन में 12 से 4 इंस्टिट्यूट क्लोज़ रहता है और उस टाइम पर मैं घर पर ही रहूँगी।
मैंने कहा- ठीक है.. मैं 12 बजे अपना लैपटॉप ले कर इंस्टिट्यूट ही आ जाऊँगा।
फिर 12 बजे जब सर की वाइफ इंस्टिट्यूट से बाहर निकलीं.. तो वो इधर-उधर देख रही थीं।
मैं भी जानबूझ कर पास में शॉप के पास छुपा हुआ था और उनके हाव-भाव देख रहा था।
फिर जब वो लॉक लगा रही थीं.. मैं वहाँ पर पहुँच गया।
फिर उन्होंने मुझे जब देखा तो स्माइल देते हुए कहा- मुझे लगा.. कहीं तुम नहीं आ रहे हो।
मैंने कहा- आना तो मुझे था ही.. ज़रूरी काम जो है.. आई मीन लैपटॉप ठीक कराना है।
वो मंद-मंद मुस्कुराने लगीं।
अब मुझे क्लियर हो गया था कि उनके घर में अब क्या-क्या होगा।
घर पहुँच कर उन्होंने कहा- मैं काफ़ी थक गई हूँ.. तुम बैठो.. मैं शावर ले कर आती हूँ।
मैंने सिर्फ़ स्माइल दी.. कुछ नहीं कहा।
पांच मिनट बाद जब वो बाहर निकलीं.. तो उन्होंने घर की ड्रेस पहन रखी थी और वो तौलिया से अपने गीले बालों को झाड़ रही थीं।
मैं बस उन्हें घूरे जा रहा था।
मैंने कहा- यू आर रियली गॉर्जियस..
उन्होंने कुछ नहीं कहा.. बस मुझे देख कर स्माइल पास करने लगीं।
मैं थोड़ा नर्वस था, वो भी मुझे नशीली आँखों से देख रही थीं।
मैं उठा और उनके पास गया, मैंने देखा कि वो भी काफ़ी नर्वस हैं।
मैंने पहला कदम बढ़ाया
मैंने हिम्मत करके उनके गाल पर हाथ रखा.. उन्होंने कुछ नहीं कहा.. फिर मैं उन्हें किस करने लगा।पांच सेकंड बाद मैं रुका तो देखा उनकी आँखें बंद थीं।
फिर उन्होंने आँखें खोलीं और आगे बढ़ कर मुझे किस करने लगीं।
मैं भी उन्हें किस करने लगा..
यह मेरा फर्स्ट टाइम था.. तो मेरी खुशी चरम सीमा पर थी कि मेरा फर्स्ट अटेंप्ट सक्सेसफुल रहा।
मैं थोड़ी देर में ही अपनी वर्जिनिटी लूज़ करने वाला था।
फिर मैं उन्हें गालों पर.. गर्दन पर चूमने लगा। वो भी सिसकारियाँ लेने लगीं।
मुझसे और कंट्रोल नहीं हो रहा था, मैं उनके कपड़े उतारने लगा। उनका टॉप उतारने के बाद.. मेरी नज़र उनकी चूचों पर गईं.. उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी।
मैं पागलों की तरह उनके मम्मों को चूसने लगा और साथ-साथ हाथों से मसलने लगा।
फिर मैंने चूचे चूसते-चूसते अपने हाथ को उनकी सलवार में डाल दिया, फिर धीरे से सलवार को निकाल दिया।
उन्होंने पैंटी भी नहीं पहनी थी.. इससे मैं समझ गया कि इनके अन्दर सेक्स के लिए कितनी आग भरी है।
वो इतनी अधिक चुदासी थीं कि शावर के बाद अन्दर से कुछ भी पहन कर नहीं आई थीं।
शायद वो भी मेरी सोच को शुरुआत से ही जानती थीं।
मैंने अपनी उंगली उनकी चूत में डाली.. जो कि बहुत ही ज्यादा गीली थी, गीली चूत होने के कारण उंगली आसानी से अन्दर चली गई।
जब मैंने देखा कि उनका छेद काफ़ी बड़ा है और मेरी एक उंगली से उनका कुछ नहीं होगा तो मैंने अपनी बीच की दोनों उंगलियों उनकी चूत में अन्दर-बाहर करने लगा।
अब वो ज़ोर-जोर से सिसकारियां लेने लगीं।
मैं उन्हें अब पागलों की तरह किस करने लगा।
थोड़ी देर इस पोज़िशन में रहने के बाद उन्होंने कहा- उन्हें नीचे बहुत खुजली हो रही है।
मैं समझ गया कि वो मेरे लण्ड की माँग कर रही हैं।
मैंने जल्दी-जल्दी अपने कपड़े निकाले.. बस अब मेरा अंडरवियर रह गया था जो टेंट की तरह खड़ा हो गया था।
उनसे रहा नहीं जा रहा था, उन्होंने मेरा अंडरवियर नीचे करके.. मेरे लण्ड को अपने हाथ में कस कर पकड़ लिया और उसे चूसने लगीं। कुछ देर बाद मैं भी उनकी चूत को चाटने लगा।
थोड़ी देर बाद उन्होंने कहा- मुझसे और नहीं रहा जा रहा है।
दोस्तो, मेरा एक सपना था कि जब मैं पहली बार चुदाई करूँ.. तो मेरा पहला आसन खड़े होकर सेक्स करने वाला हो। जिसमें मैं खड़ा रहूँ और लेडी को अपनी गोदी में उठाकर सेक्स करूं।
मेम का वजन भी ज्यादा भी नहीं था तो यह पोस्चर मेरे लिए आसान था।
मैंने उनका एक पैर अपने कंधे पर रखा और उनका दूसरा पैर अपने दूसरे कंधे पर रख लिया, उनसे कहा- आप अपने दोनों हाथों से मुझे मेरी गर्दन से कस कर पकड़ लो।
फिर मेरे कहे अनुसार उन्होंने वैसा किया और मैं उन्हें उठा-उठा कर सेक्स करने लगा।
इस पोज़िशन में ये प्राब्लम हो रही थी कि जब मेरा लण्ड उनकी चूत से फिसला जा रहा था.. तो दुबारा डालने में थोड़ी मेहनत लग रही थी।
इस पोस्चर में हमारे हाथ एक-दूसरे से काफ़ी टाइट जुड़े हुए थे, हमारा मज़ा भी चरम सीमा पर था।
फिर थोड़ी देर बाद उन्होंने कहा- मैं लेट कर सेक्स करना चाहती हूँ।
तो मैंने उसी पोज़िशन में उन्हें अपने ऊपर लेटा लिया, अब वो मेरे ऊपर थीं, मैं बिल्कुल सीधा लेटा हुआ था, मैं जांघें उठा-उठा कर अपने लण्ड को उनकी चूत के अन्दर डाल रहा था और साथ-साथ उनके चूचे मसलते हुए उन्हें चूस रहा था।
फिर काफ़ी देर बाद मैं झड़ने की सीमा पर पहुँच गया और झड़ गया।
मेरी हवस अभी खत्म नहीं हुई थी, मैंने उन्हें मेरे लण्ड को चूसने को कहा।
थोड़ी देर में वो खड़ा हो गया और फिर हम अलग-अलग पोस्चर में सेक्स करने लगे।
उस दिन के बाद मेरी सेक्स लाइफ शुरू हो गई।
आपके विचारों का स्वागत है।
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बॉस ने नौटंकी करके चूत चुदवाई
महिलाओं को मेरा प्यार और भाइयों को चियर्स।
मेरा नाम शिवम है.. मैं एक प्ले-बॉय हूँ.. लखनऊ शहर का निवासी हूँ और सामजिक रूप से मैं एक मार्शल-आर्ट्स कोच हूँ।
यह मेरी पहली और सच्ची कहानी है.. ये पल हमेशा मुझे याद आते हैं इसीलिए आप सबसे शेयर करने का दिल किया।
उम्मीद है यह वाकिया आप सबको पसंद आएगा।
बात सन 2013 दिसंबर 25 की है। मैं कैथ्रेडल चर्च में कैंडल जलाने के लिए गया था।
वैसे तो अधिकतर लोग मुझे जानते थे.. पर मैं किसी पर ध्यान नहीं दे रहा था.. क्योंकि उस दिन मेरा मन थोड़ा उदास सा था।
मैं कैंडल जला कर बाहर आ गया और अपनी कार में बैठ कर सिगरेट पीने लगा।
तभी मेरी नज़र मेरी कार के बगल में खड़ी एक मर्सडीज कार पर पड़ी। मेरे होश मानो उड़ से गए.. उसमें एक लाल रंग की साड़ी पहने हुए एक औरत मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी।
उसने इशारे से मुझे अपनी कार में आने का निमंत्रण दिया.. मैं भी बिना देर किया सिगरेट फेंकता हुआ और दूसरों की नज़र से बचता हुआ उनकी कार में बैठ गया।
उन्होंने मुझसे मेरी उदासी का कारण पूछा.. तो मैंने पहले उन्हें कहा- नहीं तो.. मैं उदास नहीं हूँ..
वो मेरे हाथ पर अपना हाथ रख कर बोलीं- बेटा, मैं तो तेरी बहन जैसी हूँ न.. बता मुझे क्या दिक्कत है तुझे?
तो मैंने उनसे कहा- आप ऐसे क्यों पूछ रही हो.. आप तो हमें जानती भी नहीं हो और मैं भी आपको नहीं जानता?
वो बोलीं- मैं चेहरे पढ़ना जानती हूँ.. मुझे तुम परेशान लगे तो मैं पूछ बैठी.. चल अगर तू नहीं बताना चाहता है तो कोई बात नहीं।
मैंने कहा- नहीं.. ऐसी बात नहीं है.. बस कोई जॉब न होने के कारण थोड़ा दिमाग खराब था और पार्ट टाइम जॉब में मेरा खर्च नहीं पूरा हो पाता है।
मेरे इतना कहते ही वो बोलीं- बस इतनी सी बात है?
मैंने कहा- हाँ.. बस इतना ही..
वो अपना विजिटिंग कार्ड देते हुए बोलीं- कल कॉल करके आ जाना और जॉब ज्वाइन कर लेना।
मैं बहुत खुश हो गया और दूसरे दिन मैं उनके ऑफिस पहुँच गया। अभी तक मेरे दिमाग में उनके लिए कोई भी सेक्सी फीलिंग नहीं आई थी.. पर मेरी ज्वाइनिंग के पहले ही दिन उन्होंने मेरी अन्तर्वासना को जगा दिया। उनकी काली रंग की साड़ी.. कसा हुआ बदन.. उठी हुई गाण्ड और पहाड़ जैसी चूचियाँ मुझे पागल करने लगीं।
मेरे शेर ने भी अब मेरी पैंट पर एक उभार सा तैयार कर दिया था.. जिस पर शायद भावना मैडम (कार वाली औरत का यही नाम था) की नज़र पड़ चुकी थी।
पर वो सिर्फ मुझे काम और मेरी पोस्ट बता कर वापस अपने घर चली गईं। दो महीने बीत गए और मैं रोज़ उनके कमाल के फिगर को याद कर-कर के मुट्ठ मारता रहा और पार्ट टाइम आंटी और भाभियों को संतुष्ट करता रहा।
एक दिन जब मैं भावना मैडम को याद करके मुट्ठ मारने के लिए ऑफिस के बाथरूम में गया.. तो दरवाज़े में कुण्डी लगाना भूल गया और उन्हें याद करके मुट्ठ मारने में मगन हो गया। उनकी याद में ऐसा खोया था कि पीछे खड़ी भावना की ओर ध्यान ही नहीं गया। उस दिन तो मैं मुट्ठ मार कर ढीला हो गया और हाथ धोकर ऑफिस में एंट्री करके घर चला गया।
उसी रात को लगभग 11 बजे होंगे.. मैं गोमती नगर में एक मैडम को संतुष्ट कर रहा था.. झड़ने ही वाला था.. जिस वजह से एक आती हुई कॉल को नहीं उठा पाया.. कपड़े पहनने के बाद फ़ोन देखा तो भावना की कॉल थी।
मैंने कॉलबैक किया.. तो वो कुछ घबराई हुई लग रही थीं।
उन्होंने कहा- शिवम जल्दी से मेरे बंगले पर आ जाओ.. आज यहाँ की लाइट खराब हो गई है.. घर में अँधेरा है.. और बारिश भी हो रही है.. मुझे डर लग रहा है.. मुझे ऐसा लग रहा है.. जैसे कोई मेरे घर में घुसा है.. तुम जल्दी आओ।
इतना कह कर उन्होंने कॉल काट दी।
मैं काफी परेशान हो गया.. और तेज़ी से उनके बंगले पर पहुँच गया.. जो महानगर में था।
मैं धड़धड़ाते हुए उनके गेट पर पहुंचा.. तो देखा कि दरवाज़ा खुला था। बिना किसी डर के मैं दौड़ता हुआ उनके कमरे में चला गया.. तो देखा कि वो बेहोश पड़ी थीं।
मैंने काफी कोशिश की उन्हें होश में लाने की.. पर नाकाम रहा।
मुझे ठण्ड लग रही थी.. क्योंकि जल्दी-जल्दी में मैं सिर्फ टी-शर्ट ही पहन कर आ गया था। उन्हें होश में लाने के लिए मैं पानी लेने गया.. तो देखा कि महंगी वाली शराब की बोतल आधी खाली रखी थी.. तो गर्मी के लिए मैंने जल्दी से थोड़ी सी पी ली.. मुझे ठण्ड ज्यादा लग रही थी.. इसलिए मैं बिना सोचे बोतल की पूरी दारू पी गया।
कुछ ही पलों में मेरे ऊपर शराब का सुरूर बम्पर चढ़ा हुआ था। मैं पानी लेकर वापस उनके कमरे में गया.. तो मेरी नज़र उनके कपड़ों पर पड़ी।
उनकी नाइटी ऊपर को चढ़ कर उनकी आधी पैंटी के दर्शन करवा रही थी। अब मुझे खुद पर ज़रा भी कंट्रोल न रहा.. और मेरे अन्दर का प्ले-बॉय कूद कर बाहर आ गया। मैं उनकी पैंटी के पास अपनी नाक ले जाकर उनकी चूत से बह रहे अमृत की सुगंध को सूंघने लगा।
क्या महक थी यार.. मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरे हाथ उनकी पैंटी को नीचे खींचने लगे और मेरी जुबान उनकी चूत को चाटने लगी।
भावना बेहोश होने का नाटक कर रही हैं ये तो मैं समझ ही गया था। क्योंकि वो भी कमर हिला-हिला कर अपनी चूत को मेरे मुँह में दे रही थी।
मैंने उनकी चूचियाँ दबाईं तो उन्होंने कुछ भी नहीं कहा।
अब मैंने 69 का पोज़ किया और अपना तम्बू उनके मुँह में लगाया तो उन्होंने मेरे लण्ड को अन्दर ले लिया इस तरह मैंने लौड़ा उनके मुँह में गाड़ दिया।
उनकी चूत से पानी काफी निकल चुका था और अब मेरी बारी थी।
अब मेरा लवड़ा उनकी चूत को अपना निशाना बनाने जा रहा था.. कि अचानक मुझे लगा कि भावना की आँखें पूरी खुल गई हैं। मैं डर गया कि कहीं ये कुछ कहे न.. पर उसने फिर आँखें बंद कर लीं..
अब मैंने चूत में लौड़ा घुसेड़ दिया और पूरी तरह खुल कर उन्हें चोदने लगा। मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समां चुका था।
मैंने उनको चोदते समय ये महसूस किया था कि मैडम दारु के नशे में टुन्न हैं।
अगले कुछ मिनट तक अन्दर-बाहर अन्दर-बाहर मेरा चप्पू चलता रहा।
मैं फिर से एक बार झड़ गया.. कुछ देर उनके ऊपर पड़ा रहा और फिर धीरे से अपने कपड़े पहने और अपने घर आ गया।
अगले दिन मैं ऑफिस गया.. तो उनसे नज़र नहीं मिला पा रहा था। जैसे ही उन्होंने मुझे देखा.. अपने रूम में बुलवा लिया।
अब मेरी फटने लगी कि आज तो मेरी शामत है.. नशे में न जाने ये मैंने क्या कर दिया।
मैं डरते-डरते उनके केबिन में गया.. तो वो मुस्कुरा रही थीं..
मैंने पूछा- क्या हुआ मैडम.. कोई काम है क्या?
भावना- नहीं.. कुछ ख़ास नहीं.. पर कल तुम घर आए थे क्या।
मैं- हाँ जी मैडम आया तो था पर..
भावना- पर.. पर क्या..??
मैं- पर कल जो हुआ.. उसके लिए मैं शर्मिंदा हूँ.. मैं नशे में था.. गलती हो गई..
भावना- कोई बात नहीं.. पर याद रहे अगर किसी को भी पता चला तो वो तुम्हारा आखिरी दिन होगा।
मैंने कहा- पक्का मैडम.. किसी को भी नहीं पता चलेगा..
मैडम ने कहा- अगर तू बताएगा भी तो फंसेगा तू ही.. क्योंकि मैंने सब रिकॉर्ड किया है।
मेरी तो जैसे सांस ही रुक गई थी.. इतने में वो मेरे होंठों पर अपने होंठों को रखते हुए बोलीं- अब तुम्हें रोज़ मुझे वही आनन्द देना होगा.. जो कल तुमने मुझे दिया था। कल से पहले मुझे किसी ने भी इतना सुख नहीं दिया।
मैं तो जैसे मानों सातवें आसमान पर था.. अब मैं रोज़ उन्हें चोदता था और इस काम के मुझे अच्छे पैसे भी मिलते थे।
एक दिन गलती से उनके मुँह से निकल गया कि उन्होंने कोई भी रिकॉर्डिंग नहीं की थी।
मैं चिंता मुक्त हो गया था।
उस दिन के बाद से मैं उन्हें हफ्ते में सिर्फ 5 दिन चोदता हूँ और उन्हें खुश कर देता हूँ।
उन्होंने मुझे काफी नए कस्टमर भी दिए। अब मेरी डिमांड लखनऊ में बढ़ गई है।
शुक्रिया भावना… आई लव योर चूत।
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किराएदार आंटी की चूत चुदाने की चाहत
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नंगी नहाती चाची को देखा फ़िर चूत चुदाई
नंगी नहाती चाची
अनिता चाची भी हुस्न की मलिका थीं.. उनकी कमर बिल्कुल पतली सी थी। उनके चूचे संतोष ताई के मुकाबले में बहुत छोटे थे, पर उनके बूब हमेशा खड़े हुए रहते थे। वो ज़्यादातर पैन्टी या लहंगा डाल कर ही नहाती थीं, वो कभी-कभी ही पूरी नंगी होकर नहाती थीं।एक दिन मुझे उन्हें पूरी नंगी देखने का अवसर प्राप्त हुआ।
दोस्तो, मैं यादवेन्द्र फिर से हाजिर हूँ। मैं 23 साल का लड़का हूँ और फिलहाल नई दिल्ली में रह रहा हूँ।
आपने मेरी पिछली कहानी में पढ़ा था कि मैं संतोष ताई के साथ-साथ उनकी सबसे छोटी देवरानी अनिता को भी नहाते हुए देखता था पर मुझे संतोष ताई में ज़्यादा दिलचस्पी थी क्योंकि मुझे जिस्म से भरी हुई औरतें अच्छी लगती हैं।
यह घटना आज से लगभग 3 साल पुरानी है।
संतोष ताई अपने नए घर में शिफ्ट हो चुकी थीं.. तो मुझे अब अनिता चाची पर ही ध्यान देना था।
हमारी और उनकी फैमिली के झगड़े के कारण जन्मे हालत अब नॉर्मल हो रहे थे, पर अभी भी सब कुछ पहले जैसा ठीक नहीं हुआ था, सिर्फ़ कुछ मतलब की बातें ही होती थीं।
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं अनिता चाची से बात करने की शुरूआत कैसे करूँ।
मेरी दादी के घुटने में दर्द रहता है.. मुझे इसी दर्द के लिए एक औषधि की जरूरत थी जो कि एक पेड़ की छाल होती है। मुझे वो चाहिए थी और मुझे वो छाल लाने के लिए अनिता चाची के पति नरसिंह चाचा के साथ जाना था।
हम लोग औषधि लाने गए और इसी कारण हम लोगों ने बहुत सी बातें भी कीं।
यहीं से मुझे अनिता चाची से बात करने का मौका मिला।
घर आने पर नरसिंह चाचा ने मुझे चाय के लिए बुलाया और मैं उनके घर चला गया।
चाची चाय बनाकर लाईं और हमारे पास बैठ कर बातें करने लगीं।
चाचा को खेत में पानी देने के लिए जाना था तो वे चले गए।
अब चाची और मैं बात करने लगे।
चाची- याद तेरी पढ़ाई कैसी चल रही है?
मैं- चाची अच्छी चल रही है।
चाची- कितने दिन और बाकी है तेरे कोर्स के?
मैं- अभी 2 साल और बाकी हैं चाची..
चाची- कितने दिनों की छुट्टियाँ हैं?
मैं- चाची 2-3 दिन की और हैं.. संतोष ताई कैसी हैं?
चाची मेरे कारनामे जानती थी
चाची ने हँसते हुए कहा- वो ठीक हैं पर तू क्यों पूछ रहा है.. क्या तू फिर से अपनी बॉल ढूँढने का मन है क्या?मैं घबरा गया- नहीं चाची..
चाची- क्या हुआ.. याद आजकल भी तू शायद तेरी दूसरी बॉल ढूँढने में बिज़ी है क्या?
मैं- मैं समझा नहीं चाची?
चाची- मुझे सब पता है।
मैं- क्या पता है चाची?
चाची- तेरे और तेरी संतोष ताई.. और जो तू छत से मुझको नहाते हुए देखता है वो भी.. पर मैं ये सब किसी को इसलिए नहीं बताती.. क्योंकि दोनों फैमिली के बीच फिर से झगड़ा हो जाएगा।
मैं- चाची मुझे माफ़ कर दीजिए.. ऐसा फिर से नहीं होगा..
चाची- नहीं कोई बात नहीं है.. मैं ये किसी को नहीं बोलूँगी, जवानी में ऐसा होता है.. पर कंट्रोल करना सीखो, वरना किसी दिन बुरे फंसोगे।
इसके बाद बड़ी हिम्मत करके मैंने बोल दिया- चाची, मुझे आप बहुत पसंद हो।
चाची- मुझे पता है कि तेरी नियत खराब है.. पर मैं संतोष ताई नहीं हूँ।
मैं वहाँ से चुपचाप उठ कर चल दिया।
जब से मुझे पता चला कि अनिता चाची सब कुछ जानती हैं, तब से मैं उन्हें चोदने के लिए और भी बेकरार होने लगा और सही मौके की तलाश में था।
अगले दिन मुझे मेरे हॉस्टल जाना था पर अनिता चाची को चोदे बिना नहीं।
मैंने जानबूझ कर सुबह की ट्रेन मिस कर दी और स्टेशन से घर वापस लौट आया।
चाची नहीं जानती थी कि मैं घर पर हूँ, उनको लगा कि मैं जा चुका हूँ। यह उन्होंने मुझे बाद में बताई थी।
दोपहर के वक़्त मैं फिर से उनकी छत पर चला गया और वहाँ जाकर अनिता चाची को नहाते हुए देखने लगा। आज चाची नंगी नहा रही थीं।
जब उन्होंने अपनी आँखों पर साबुन लगाया.. तो मैं सीढ़ियों से नीचे चला गया।
चूंकि सीढ़ियों के सामने बाथरूम का दरवाज़ा है.. सो मैं सीधा बाथरूम में उनके सामने जाकर बैठ गया। क्योंकि अगर मैं खड़ा रहता तो मेरा सर उनके आँगन से कोई भी देख सकता था। वो भी बैठ कर ही नहा रही थीं।
चाची ने मुझे देखकर टांगें सिकोड़ लीं और चूचों अपने हाथों से छुपा लिए।
वो बोलीं- तू यहाँ क्या कर रहा है?
मैंने कहा- चाची, आप जानती हो।
यह कहते हुए मैं उनकी जांघों को सहलाने लगा। उन्होंने अपने हाथ से मेरे हाथ को हटाना चाहा पर जैसे ही उन्होंने अपनी चूचियों से हाथ हटाया, मैंने दूसरे हाथ से उनकी एक चूची पकड़ ली, उनके चेहरे पर दर्द दिखने लगा।
वो बोलीं- हरामी.. इन्हें इतने जोर से नहीं दबाते.. छोड़..
मैंने बोला- चाची प्लीज़ आप मान जाओ.. आप जैसे बोलोगी मैं वैसे ही करूँगा।
चाची ने कहा- तू खुद भी मरेगा और मुझे भी मरवाएगा… अगर आँगन में कोई आ गया तो सब कबाड़ा हो जाएगा.. तू चला जा यहाँ से।
मैंने फिर से रिक्वेस्ट की.. तो वो बोलीं- अभी यहाँ से जा.. बाद में देखूँगी।
मेरे को लगा कि मेरा काम बन गया, मैंने कहा- ओके.. अभी एक तो किस दे दो।
बोलीं- तू जाता है या नहीं..
मैंने आगे होकर उनके होंठ चूम लिए।
इस छोटी सी किस के बाद मैं वहाँ से अपने घर चला आया।
अब मुझे यह टेंशन हो रही थी कि अगर चाची ने मुझे आज चोदने नहीं दिया.. तो मेरे को कल पक्का हॉस्टल जाना पड़ेगा और पता नहीं ऐसा मौका फिर कब मिलेगा।
शाम को चाची जानवरों को चारा डाल रही थीं, मैं भी वहाँ पहुँच गया और चाची से चाचा के बारे में पूछने लगा।
चाची ने बताया- तेरे चाचा अपनी बहन के यहाँ जा चुके हैं।
यह सुनते ही मैंने उनकी चूची दबा दी।
उन्होंने कहा- तसल्ली रख.. यहाँ कोई देख लेगा.. तू यहाँ से चला क्यों नहीं जाता।
मैं वहाँ से चला आया और रात होने का इंतजार करने लगा।
चाची की चूत चुदाई
वो लोग रात को छत पर खुले में सोते थे और मैं भी कभी-कभी छत पर सो जाता था। उस दिन मैं दो बार अनिता चाची के नाम की मुठ मार चुका था।रात को मैं छत पर ही सोया और मैंने देखा कि चाची भी अपने दोनों बच्चों के साथ छत पर लेटी थीं और उनका आठ साल का लड़का उनसे बात कर रहा था।
मैं भी चारपाई पर लेट गया और आधा घन्टे बाद उनकी छत पर चला गया।
चाची दोनों बच्चों के साइड में बिस्तर लगा कर लेटी हुई थीं और उनकी आँखें खुली हुई थीं।
मैंने जाते ही उनके ब्लाउज के ऊपर से उनकी चूची पकड़ ली और उनके मुँह पर जाकर उनके होंठों को चूम लिया।
होंठ चूमते हुए उनके पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया।
मैं उनके होंठों से हट गया और उनके ब्लाउज के बटन खोलने लगा।
उन्होंने अन्दर ब्रा नहीं पहनी हुई थी।
पूरे बटन खोलने के बाद मैं उनके गालों को चूमते हुए उनकी गर्दन को चूमने लगा।
उन्होंने पहली बार सिसकारी ली.. ये सब करते वक़्त मेरा लंड मेरे पाजामे में खड़ा हो गया।
क्योंकि मैं उनके ऊपर था इसलिए शुरूआत से ही लौड़ा उनकी चूत से रगड़ खा रहा था। पर अभी तक उनका लहंगा और पैन्टी उनके शरीर से अलग नहीं हुए थे।
उनकी गर्दन को चूमते हुए मैंने उनके कान के नीचे वाले हिस्से पर भी किस किया।
अनिता चाची ‘सस्शह.. सस्शह..’ की आवाजें निकाल रही थीं।
मैं नीचे को आया और उनके चूचे चूसने लगा पर उनके ब्लाउज से मुझे दिक्कत हो रही थी, तो मैंने वो निकालने के लिए उन्हें उठने को कहा।
उन्होंने मेरा सहयोग दिया और वो खड़ी हो गईं, उनका लहंगा नीचे गिर चुका और ब्लाउज मैंने उतार दिया।
अब वो सिर्फ़ पैन्टी में थीं और वो वापस लेट गईं।
मैंने उनके दोनों चूचे खूब चूसे, वो छोटे थे.. जल्द ही लाल हो गए थे। उनके निप्पल थोड़े लाल रंगत लिए हुए थे। मैं उनके पेट पर किस करते हुए नीचे आया और पैन्टी के ऊपर से ही उनकी चूत पर चूमने लगा।
चाची ने आवाज निकाली- सस्स्सह… हुउऊउउ..
उन्होंने कहा- याद अब मत तड़पा..
मैं रुक गया.. मैं उनके मुँह से सुनना चाहता था। तो मैंने उनसे पूछा- चाची क्या करूँ?
चाची ने टाँगें ऊपर कर दीं, वो बोलीं- जो कर रहा है.. वो ही करता रह!
मैंने तुरंत उनकी पैन्टी उतार दी।
पैन्टी अन्दर से कुछ गीली हो गई थी।
मैं उनकी टांगों के बीच में आ गया और उनकी चूत को चूसने लगा। उनकी चूत कुछ खारी और कसैली सी थी।
कुछ पल चूत चूसने के बाद मैंने उनकी चूत के दाने पर अपनी जीभ रख दी। इसी के साथ मैं उनकी चूत में उंगली भी कर रहा था।
वो मस्त हो चुकी थीं.. उनकी आँखें बंद थीं।
थोड़ी देर बाद उनकी टाँगें अकड़ गईं और उनकी चूत भी सिकुड़ गई।
मैंने उनके दाने को होंठों से दबा लिया और तेज़ी से उंगली की।
कुछ ही देर में चाची झड़ चुकी थीं और मेरे मुँह पर उनका पानी लगा हुआ था।
मुझे उसका स्वाद अच्छा नहीं लगा.. तो मैंने उसे उनके ब्लाउज से पोंछ दिया।
अब मैं उठ गया और मैंने अपने कपड़े उतार दिए, मैं उनके साथ में लेट गया।
मेरा लंड बहुत देर से खड़ा था और दर्द कर रहा था।
चाची ने मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया।
चुद गई चाची
मैं चाची के चूचे चूसने लगा था।मैंने उन्हें लंड चूसने को बोला, तो चाची ने कहा- फिर कभी.. अभी तो बस पेल दे।
मैं देर ना करते हुए उनकी टांगों के बीच आया और लंड को उनकी चूत में डालने लगा, पर लंड चाची की चूत में नहीं गया.. वो फिसल गया।
मैंने दोबारा कोशिश की तो भी यही हुआ।
चाची हँसने लगीं.. उन्होंने लण्ड के टोपे को पकड़ कर अपनी चूत के मुँह पर रखा और अन्दर डालने का इशारा किया।
मैंने धक्का लगाया तो मेरे लण्ड का टोपा अन्दर चला गया।
मैंने उनके चहरे की तरफ देखा तो उनकी आँखें बंद थीं और दर्द के भाव थे।
मैंने एक और धक्का लगाया तो मेरा लंड आधे से ज़्यादा अन्दर घुस चुका था।
चाची ने धीरे से ‘उहह..’ की आवाज निकाली।
मैंने तीसरा धक्का लगाया और अपना पूरा का पूरा लंड उनकी चूत में घुसेड़ दिया और उनके ऊपर लेट गया।
मैंने उनकी चूचियां मसलते हुए उनसे दर्द के बारे में पूछा, तो उन्होंने बताया- तेरे चाचा का लण्ड तुझसे पतला है।
अब मैंने धक्के लगाने स्टार्ट किए और कुछ ही मिनट में ही मैं झड़ गया।
मुझे बड़ी शर्म आई।
चाची ने मेरी तरफ देखा और बोली- शुरूआत में ऐसा होता है।
उस रात को मैंने उन्हें एक बार और चोदा और इस बार में पूरे जोर-शोर से उनको चोदता रहा.. उनका दो बार पानी निकालने के बाद उनकी चूत में ही झड़ गया।
इसके बाद मैंने अपने कपड़े पहने और मैं अपनी छत पर आ गया। रात के लगभग डेढ़ बज चुके थे।
मुझे पूरी रात नींद नहीं आई और दूसरे दिन सुबह मैं वापस हॉस्टल चला आया।
दोस्तो, मैंने मेरी इस सच्ची कहानी में आपके मज़े के लिए कुछ बातें लिखी दी हैं क्योंकि बिना मसाले के सब्जी में मजा नहीं आता है। बाकी यह घटना एकदम सच्ची है।
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क्लासमेट की पहली चूत चुदाई झाड़ियों में
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अनामिका की कहानी - १
दोस्तों मेरा नाम अनामिका है मैं दिल्ली की रहने वाली हूँ आज मैं आपको अपनी जिंदगी सच्ची कहानियों को सुनाने जा रही हूँ उस समय मेरी उम्र बस १६ साल की थी मैंने जवानी की देहलीज पर कदम रखा ही था मेरा भरा पूरा शरीर देखकर लोगों के मुह में पानी आ जाता थामेरीचुचियोंकोदेखकर लोगउसे चूसनेकी इच्छाजरुर रखते होंगेमैं समझ तो जाती थीऔर मुझे हंसी भी आती थी सच कहूं तो मेरी भी बहुतइच्छा होती थी कि कोई मर्द इन चुचियों को कायदे सेमसले औरचूसे मगर मैं डरती थी किऐसे कैसे मैं किसी पर विश्वास कर लूं तभी मेरी मेरी नज़र मेरे पड़ोस के एक लड़के नरेन्द्र पर पड़ी वो भी मुझे देखता और आहेंभरता था मगरशायद डरता था था किमैं कहीं उसे मना ना कर दूँ वो भी करीब २१ सालका बांका नौजवान थाहत्त्ता कट्टा नौजवान था /
हमारी पहली मुलाकात
हमारी पहली मुलाकात बड़ी ही दिलचस्प थी वो एक दिन मेरे कॉलेज के पास से गाड़ी से गुजरा मेरा कॉलेज छूता ही था मैंने उसको देखा और हिम्मत करके उसको रोका और भैया मुझे भी घर तक छोड़ देंगे क्या तो उसने कहा ठीक है बैठो मैं पीछे बैठ गयी उसे ऐसे लगा जैसे उसकी मन की मुराद पूरी हो गयी वो बड़ा ही खुश लग रहा था / शायद ख़ुशी में वो गाड़ी तेज चलाने लगा तभी अचानक सामने एक गड्ढा आ गया और उसने तेजी से ब्रेक मरी और मैं तेजी से आगे की ओर खिसक गयी और मेरी चूचियां उसकी पीठ से टकरा गयी उसे शायद बड़ा मजा आ गया मैं झूठ नहीं कहूँगी मजा तो मुझे बड़ा आया मगर मैं कह नहीं सकती थी आखिर मैं एक लड़की थी ना खैर मैंने उससे कहा भैया थोडा धीरे चलाओ ना उसने कहा ठीक है अब मैं धीरे ही चलाऊंगा / मैंने कह तो दिया मगर भगवान् से येही दुआ करने लगी की फिर कोई गड्ढा आये और मैं उसके करीब जाऊं खैर जल्दी ही घर ही घर आ गया और मैं अपने घर जाने लगी उसका भी घर बगल में था उसने मुझसे कहा मैं रोज उधर से इसी टाइम गुजरता हूँ कहो तो मैं तुम्हे रोज लेता आऊंगा मैंने कहा नहीं आप क्यू परेशान होंगे मैं टैक्सी से आ जाऊंगी उसने कहा अरे इसमें परेशानी वाली क्या बात है मैं रोज आता हूँ उधर से ज्यादा दिक्कत है तो कहो मैं तुम्हारी मम्मी से भी बात कर लूँगा मैंने कहा नहीं मम्मी से कोई बात ना करना मैं रोज जा जाउंगी उसने कहा ये हुई ना कोई बात/ मैं और वो अपने - अपने घर चले गए /
शाम को फिर उसका मुझसे बात करना
अब शायद उसकी हिम्मत मुझसे बात करने की उसकी हिम्मत बढ़ गयी थी इसीलिए जब शाम हुई तो मैं अपने कुछ सहेलियों के साथ अपने घर के बहार बैठी थी तभी उसने मुझसे पूछा अनामिका क्या तुम सुबह भी मेरे साथ कॉलेज चलना पसंद करोगी मैंने कहा नहीं मम्मी गुस्सा करेंगी तब तक मम्मी ने पीछे से सुन लिया उनहोंने कहा ठीक है चली जाना भैया ही तो हैं मैंने फिर भी कहा नहीं मम्मी मैं टैक्सी से चली जाउंगी ये इसलिए कहा ताकि मम्मी कही शक ना करने लगे जबकि चाहती तो मैं भी येही थी/ मम्मी ने कहा पागल हो जब भैया वही से जाते हैं तो साथ में चली जाना दिक्कत क्या है/ मैंने कहा ठीक है मम्मी आप कहती है तो मैं चली जाउंगी ये कहने से अब मम्मी की भी इजाजत मिल गयी थी / अब हमारी बातों का सिलसिला सुरु हो चूका था/ मम्मी इतना कहकर अन्दर चली गयी और अब उसकी हिम्मत और बढ़ चुकी थी / वो पढ़ा लिखा था मैं कॉलेज में मैथ की स्टूडेंट थी उसने कहा अनामिका अगर मैथ में कोई दिक्कत हो तो मुझसे पूछ लिया करो/ मैंने कहा क्या आप मेरी मदद करेंगे उसने कहा हाँ क्यू नहीं मैं खुद मैथ का स्टूडेंट रहा हूँ मैंने कहा क्या आप अभी मुझे एक सवाल बता देंगे उसने कहा हाँ हाँ व नहीं मैं अन्दर जाकर किताब ले आयी और उसके बगल में बैठ गयी वो मुझे सवाल बताने लगा मैं उसके थोडा और करीब जाकर बैठ गयी अब मेरी चूची उसके हांथों से टकराने लगी वो थोडा और और करीब सरक आया अब वो जान बुझकर धीरे धीरे मेरी चुचियों से हाथ रगड़ रगड़कर सवाल बताने लगा मुझे भी मजा आ रहा था और उसे भी खैर उसने सवाल हल कर दिया जबकि मैं चाहती थी की वो थोड़ी और मेरी चुचियों को रगड़ता रहे मगर लड़के होते ही डरपोक होते हैं/ मैं कहा एक और सवाल बता दीजिये ना उसने कहा हा क्यू नहीं लाओ कहाँ है सवाल मैंने दूसरा सवाल उसके आगे रख दिया ये सवाल मुझे आता था मगर मैंने जानबूझकर उससे पूछ ये सवाल पूछ लिया ताकि थोडा और चूची मर्दन का मजा ले लिया जाये/ अब वो थो और करीब आकर मेरी चुचियों को रगड़कर सवाल बताने लगा जब वो रगड़ता तो मुझे मजा आता अब निचे भी मेरे अजीब सा होने लगा था/ उसने एक सफल मैथमाटेसियन की तरह सवाल हल कर दिया और मुझ पर इम्प्रैशन ज़माने लगा/ आखिर मैं कब तक उससे सवाल पूछती मैंने कहा भैया हो गया अब मुझे जब भी मैथ में दिक्कत होगी मैं आपसे सवाल पूछ लुंगी/
आगे की कहानी मैं आपको कल सुनाऊंगी .........
continue reading............
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दोस्त ने मेरी गर्लफ्रेण्ड चोदी तो मैंने उसकी गर्लफ्रेण्ड चोदी
दोस्तो, मैं अजय आज आपको बताने जा रहा हूँ कि कैसे मेरे मन में अपने बेस्ट फ्रेंड की गर्लफ्रेंड को चोदने की इच्छा जागी।
मैं और प्रवीण बहुत अच्छे दोस्त थे और मेरी एक गर्लफ्रेंड थी.. जिसका नाम अंजना था.. जो बहुत ही खूबसूरत थी। उसको कॉलेज में न जाने कितने टीचर.. लड़के और चपरासी तक चोदने की इच्छा रखते होंगे.. और न जाने कितनों ने तो उसे सपने में चोद-चोद कर उसकी चूत फाड़ दी होगी।
खैर.. मैं आपको बताने जा रहा हूँ कैसे मेरे मन में अपने दोस्त की गर्लफ्रेण्ड को चोदने की इच्छा जागी।
दोस्त ने मेरी गर्लफ्रेण्ड चोदी
बात हमारे कॉलेज खत्म होने के बाद की है। कॉलेज के लास्ट ईयर में हमारे और अंजना के बीच लड़ाई होने लगी थी। कॉलेज खत्म होने के बाद उसकी जॉब बैंगलोर में लग गई और फाइनली हमारा रिलेशनशिप टूट गया।बात जब बिगड़ी जब प्रवीण ने अंजना को चोद दिया और मुझे धोखा दिया।
हुआ यूं कि करीब हमारे ब्रेकअप के 7 महीने बाद वो कॉलेज से अपनी डिग्री लेने दिल्ली आई। चूंकि दिल्ली में इस टाइम सिर्फ प्रवीण ही उसका एक दोस्त था। उसने प्रवीण को बताया कि वो दिल्ली आ रही है और वो उसकी डिग्री लेने में कॉलेज से हेल्प कर दे।
वो दिल्ली आई और प्रवीण से मिली। उसको दिल्ली रुकना था.. सो उसने प्रवीण को होटल बुक करने बोला.. पर प्रवीण ने उसे किसी तरह उसको अपने फ्लैट पर रुकने के लिए मना लिया। डिग्री लेने में पूरा दिन कॉलेज में निकल गया और अब शाम को वो दोनों फ्लैट पर आए और अब प्रवीण ने उसको चोदने की कोशिश शुरू की। चूंकि वो अकेले रहता था.. सो उसका फ्लैट एक कमरे का ही था और उसमें एक ही बिस्तर था। इस वक्त ठंडी का टाइम था और साले के पास एक ही कम्बल था।
दोस्तो, यह आप सबको भी पता होगा कि एक बार चुदने के बाद लड़की बार-बार चुदना चाहती है.. उनके कंट्रोल करने की क्षमता भी कम हो जाती है।
अंजना को भी चुदे 7 महीने हो चुके थे.. सो बस प्रवीण को आग में घी डालना बाकी था.. जो कि वो बहुत अच्छे से जानता था।
खाना खाने के बाद दोनों एक ही कम्बल में घुस कर बात करने लगे और धीरे-धीरे अंजना सो सी गई, उसकी पीठ प्रवीण की तरफ थी। उसकी गाण्ड का उभार इतना सेक्सी था कि किसी का भी कंट्रोल करना मुश्किल हो जाए।
फिर प्रवीण ने भी सोने का नाटक किया और अपना हाथ उसके ऊपर रख दिया। धीरे-धीरे वो अंजना के पेट पर अपने हाथों को चलाने लगा। जब काफी देर तक ऐसा करने पर कोई उत्तर नहीं आया.. तो प्रवीण समझ गया कि अंजना की तरफ से हरी झण्डी है।
उसने पीछे से अंजना की गर्दन पर अपने गर्म होंठ रख दिए और चूमने लगा, फिर अपने हाथों को आगे ले जाकर उसकी चूचियों को दबाने लगा।
अंजना ने थोड़ी नौटंकी की और मना किया लेकिन उसकी इस ‘न’ में भी ‘हाँ’ थी।
फिर क्या था प्रवीण ने उसकी चूचियों को दबा-दबा कर उसको पागल कर दिया। फिर उसने धीरे-धीरे पहले टी-शर्ट उतारी.. फिर ब्रा को खींच कर फेंक दिया जो कमरे के किसी कोने में जा गिरी थी।
अब प्रवीन ने अंजना की चूचियां बेरहमी से मसलना शुरू कर दिया, अंजना मादकता में ‘आह.. आह..’ कर रही थी।
प्रवीण भी हरामी था.. सीधे चूचियों को चूसने की बजाए वो पहले मम्मों के अगल-बगल को चूस रहा था और घुण्डी को बस हाथ से छूकर छोड़ देता था जिससे अंजना और पागल हो गई थी।
वो अपने हाथ से पकड़ कर बार-बार उसके सर को चूची पर जबरदस्ती ले जा रही थी।
फिर प्रवीण ने उसकी गोरी-गोरी चूचियों को ऐसे चूसना शुरू किया.. जैसे एक छोटा बच्चा अपनी माँ का दूध पी रहा हो।
अंजना के हाथ उसके ऊपर तेजी से चल रहे थे चूची चूसने के साथ-साथ प्रवीण का हाथ अंजना की चूत पर आ चुका था और वो उसको लोअर के ऊपर से ही रगड़ने लगा।
इससे अंजना और भी पागल हो गई।
काफी देर तक प्रवीण उसको ऊपर से चूसता रहा और फिर एकदम से अंजना को पूरी नंगी कर दिया। पूरी नंगी देख कर प्रवीण पागल हो गया और चिल्लाते हुए हँस-हँस कर बोलने लगा- साली कॉलेज के पहले दिन से तुझे चोदना था और आज मौका मिला है.. आज तुझे बिना रहम के चोदूँगा!
और यह बोलते-बोलते उसने अपना लंड एक झटके में अंजना की चूत में उतार दिया।
अंजना की चीख निकल गई।
बस फिर क्या था, चुदाई की सिर्फ कामुकता से लबरेज आवाजें कमरे में गूँज रही थीं.. या ‘फच..फच..’ की आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था।
काफी देर तक चोदने के बाद प्रवीण झड़ गया।
अंजना भी चुद पिट कर तृप्त हो चुकी थी उनकी चुदाई के बाद वे दोनों मजे से लिपट कर सो गए।
फिर जब तक अंजना दिल्ली में रही प्रवीण और उसकी चुदाई जारी रही और दोस्तों यही रीज़न था जिसकी वजह से मैंने अपने बेस्टफ्रेंड की गर्ल फ्रेंड को चोदा।
मैंने उसको कैसे चोदा, यह जान लीजिए।
यह बात दीवाली की है.. प्रवीण दीवाली में घर चला गया और अनामिका किसी वजह से इस बार नहीं जा पाई।चूंकि मैं भी दीवाली में इस बार यहीं दिल्ली में था, मैंने अनामिका को दीवाली साथ मनाने को बोला और वो मान गई क्योंकि उसको अभी मेरी नियत का अंदाजा नहीं था कि मैं उसको चोदने की सोच रहा हूँ।
दोस्तो, अनामिका भी बहुत ही खूबसूरत लड़की थी.. गोरा रंग.. भरी हुई चूचियाँ इतनी प्यारी.. कि देखते ही मुँह में लेने का मन करे और उसकी गाण्ड का उभार तो किसी को भी पागल कर सकता था।
दीवाली के दिन वो मेरे फ्लैट आ गई और फिर पूरे दिन हमने घर को सजाया.. साथ मिल कर खाना बनाया और अब वक़्त था पटाखे छुड़ाने का।
मुझे अंदाजा नहीं था कि मौका इतनी जल्दी हाथ लग जाएगा।
हम पटाखे छुड़ाने में बिजी थे.. तभी अचानक से एक बम फटा और अनामिका डर से मुझसे चिपक गई और वो इतनी जोर से मुझसे चिपकी कि उसकी चूचियों का उभार मैं बहुत आसानी से महसूस कर सकता था।
उसकी इस हरकत से मेरा मोटा और लम्बा लंड उसकी गाण्ड फाड़ने को बेचैन हो उठा था।
मैं भी हरामी था.. मैंने भी उसको जोर से पकड़ लिया और मेरा लंड उसकी चूत पर एकदम दस्तक देने को तैयार हो उठा था।
तभी वो अचानक से मुझसे छूट कर छत से कमरे में भागी, मैं भी उसके पीछे-पीछे कमरे तक गया।
तभी ये क्या हुआ.. एक दनदनाता हुआ चांटा मेरे गाल पर पड़ा और वो मुझ पर चिल्लाई- तुम्हें ऐसी हरकत करते हुए शरम नहीं आ रही है।
मेरा दिमाग उसके झापड़ से एकदम से गरम हो गया। मैंने उसको पकड़ कर दीवार पर चिपका दिया और जोर से चिल्लाया- जब तेरा बॉयफ्रेंड मेरी एक गर्लफ्रेंड को चोद सकता है तो मैं तुझे क्यों नही चोदूँ।
इतना कहते ही उसकी पकड़ ढीली पड़ गई और मैं अपने होंठों को उसके गुलाबी होंठों पर रख कर देर तक चूसता रहा।
फिर मैंने उसको पूरी कहानी बताई कैसे प्रवीण ने अंजना को चोदा और कैसे वो साली रंडी उससे बड़े मजे से चुदी।
इतना सुनना था कि अनामिका ने प्रवीण को फ़ोन कर के बोला- बहुत शौक है न तुझे दूसरी लड़की चोदने का.. देख आज कैसे में अजय से चुदती हूँ और अब तुझे पता चलेगा कि कैसा लगता है और दूसरे पे क्या बीतती है। साले तूने मेरा विश्वास तोड़ा है।
इतना कह कर उसने फ़ोन कट किया और बिना कुछ बोले लोअर से मेरा लंड निकाल कर चूसने लगी।
उसके हाथों के स्पर्श से ही मेरा लंड तन कर एकदम लोहा हो चुका था, वो कभी मेरे लंड को अपनी जीभ से ऊपर से नीचे तक चाटती कभी मेरे अण्डों को मुँह में ले कर चूसती।
मैं पूरा पागल हो चुका था.. इतना मजा मुझे आज तक नहीं मिला था।
फिर क्या था.. मैंने एक मिनट में उसकी सलवार को मय पैंटी के.. उसके बदन से अलग किया और आव देखा ना ताव.. अपना लम्बा लंड उसकी चूत में पेल दिया।
वो जोर से चिल्लाई और बोली- साले, बहुत लम्बा है तेरा.. धीरे-धीरे कर.. मुझे इतने बड़े की आदत नहीं है।
लेकिन मैं कहाँ सुनने वाला था.. मैं अपने तीसरे पैर को उसकी चूत में पेलता रहा और वो चिल्लाती रही।
फिर 5 मिनट बाद उसके चिल्लाने की अवाज ‘आह.. आह..’ की आवाज में बदल चुकी थी और वो अब मेरा साथ बड़े मजे से दे रही थी। उसके हाथ मेरे पूरे शरीर पर घूम रहे थे।
चुदाई करते समय कुछ देर के लिए मैं रुका, मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसके गालों को होंठों को चूमने लगा।
वो लण्ड की कमी से तड़पने लगी।
मैं चुदाई बीच में छोड़ कर उसके पूरे शरीर को चूमने लगा.. कभी चूचियों को हल्का सा काट देता.. कभी उसको उल्टा करके पूरी पीठ को चूमता।
ऐसा करने से वो और भी पागल हो गई, वो लण्ड की चाह से तड़फ रही थी।
मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर लगाया और अपनी जीभ को उसकी चूत की दरार में पेल कर उसको चूसने लगा।
वो पागलों की तरह तड़पने लगी और बोलने लगी- प्लीज.. अब चोद दो.. अब कंट्रोल नहीं हो रहा है।
फिर मैंने उसको उठाया.. खड़ा किया और दीवाल की तरफ पीठ करके खड़ा कर दिया। मैंने उसके पैरों को हल्का सा फैलाया और अपना लंड उसकी चूत में उतार दिया। वो सिर्फ ‘अह..’ ही कर पाई।
मैंने उसके दोनों हाथों को पकड़ कर फैला कर दीवाल से लगा दिया और चोदने लगा। मेरा लंड उसके चूत मैं ऐसे अन्दर-बाहर होने लगा.. जैसे बोरिंग की मशीन चल रही हो।
मैं उसको ऐसे चोदे जा रहा था.. जैसे मुझे कभी चूत मिली ही ना हो।
सच में यार.. क्या चूत थी.. बहुत मजा आ रहा था चोदने में!
लम्बे समय तक चोदने के बाद वो दो बार झड़ चुकी थी और बार-बार मुझे हटाने की कोशिश कर रही थी।
फिर मैंने अपना लंड निकाला उसको सीधा किया.. व उठा कर बिस्तर पर पटक दिया और उसके ऊपर आ गया।
मैंने अपने लंड को उसकी चूचियों के बीच में रख कर दोनों हाथों से मम्मों को पकड़ कर उसकी चूचियों को चोदने लगा। मेरा लंड चूचियों को चीर-चीर कर उसके मुँह में घुस रहा था।
हम दोनों एन्जॉय कर रहे थे। करीब 5 मिनट बाद उसका पूरा मुँह मेरे वीर्य से सना हुआ था और मैं इतनी लम्बी और जबरदस्त चुदाई के बाद अपना बदला ले चुका था।
मैंने उसके मुँह को कपड़े से साफ़ किया और उसको प्यार से किस किया।
उसके बाद मैंने उस रात उसे चार बार चोदा और अगले दिन जब वो गई तो मैं बहुत खुश था।
उसका प्रवीण से ब्रेकअप हो चुका था और अब उसका नया बॉयफ्रेंड बन चुका है। ऐसा नहीं है कि मैंने उसके बाद उसको नहीं चोदा.. उसके बाद करीब एक साल तक तक मैंने चोदा और आज भी मौका मिलने पर चोद देता हूँ।

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